Triyachi - 29 books and stories free download online pdf in Hindi

त्रियाची - 29

भाग 29

उल्कापिंड का खतरा टल चुका था और अब सब कुछ देर आराम करने के बाद फिर से युद्ध को लेकर चर्चा में व्यस्त हो गए थे। हालांकि प्रणिता, अनिकेता, रॉनी, यश, तुषार और त्रियाची जब युद्ध को लेकर चर्चा कर रहे थे तब भी सप्तक ध्यान में ही थे। उनके ध्यान को किसी ने नहीं तोड़ा था। हालांकि ध्यान में रहते हुए सप्तक के चेहरे पर गंभीरता के साथ चिंता के भाव भी नजर आ रहे थे। उनके चेहरे के बदलते भाव बता रहे थे कि भविष्य में जरूर कुछ होने वाला है। 

एक ओर जहां त्राचा ग्रह पर युद्ध को लेकर तैयारियां शुरू हो गई थी, वहीं दूसरी ओर ताशाबा ग्रह का माहौल कुछ ओर ही थी। हालांकि वहां पृथ्वी पर आक्रमण कर शक्तिपूंज को अपने ग्रह पर लाने की चर्चा जरूर थी, परंतु तोशिबा और उसकी सेना खुद में इतनी आश्वस्त थी कि वे पृथ्वी से आसानी से शक्तिपूंज को हासिल कर लेंगे। बहुत विशाल ग्रह था ताशाबा। पृथ्वी से भी करीब 10 गुना बड़ा था। पृथ्वी की आबादी की एक चौथाई आबादी इस ग्रह पर थी। विशाल ग्रह होने के साथ ही इस ग्रह की संपन्नता प्रत्यक्ष ही नजर आ रही थी। बड़े-बड़े घर ऐसे लगते थे जैसे यहां हर कोई अपने महल में रहता हो। तोशिबा का महल पूरे ग्रह पर अलग से ही नजर आता था। रोशनी से नहाया तोशिबा का महल ना सिर्फ तोशिबा की सत्ता का बखान करता था बल्कि यह भी बता देता था कि कितना शक्तिशाली है और उसका राज्य कितना आलीशान है। तोशिबा आदेश यहां के हर निवासी के लिए अंतिम आदेश होता था। यहां राजा को सोरा और रानी को सिरी की उपाधि दी जाती थी और उसी उपाधि से उसे पुकारा भी जाता था। तोशिबा की सेना में करीब 5 लाख सैनिक शामिल थे। इनमें करीब 1 लाख महिलाएं भी थी। सभी के पास अत्याधुनिक हथियार थे और सभी के पास विमान थे जो कि बहुत तेज थे। 

तोशिबा के महल में ही उसकी राजसभा लगा करती थी। जिसमें तोशिबा की रानी भी शामिल रहती थी। तोशिबा के राज्य की सबसे खास बात यह थी कि उसके राज्य में महिलाएं और पुरूष बराबर थे। जो अधिक काबिल होगा वहीं आगे बढ़ेगा। इस कारण ही उसकी सेना में महिलाओं की भी संख्या अच्छी खासी थी। तोशिबा भी अपनी रानी टकारा से हर संबंध में राय लिया करता था और उसके बाद ही उस पर अंतिम निर्णय लेता था। आज भी अपने कुछ खास लोगों के साथ तोशिबा अपने महल में पृथ्वी पर आक्रमण करने को लेकर चर्चा कर रहा था। रानी टकारा भी वहां उपस्थित थी। 

तोशिबा- कुशा, गारा, सामरा आप लोगों का क्या कहना है, हमें पृथ्वी पर आक्रमण कब करना चाहिए? 

कुशा- सोरा जब चाहे तब हम पृथ्वी पर आक्रमण कर सकते हैं। हमारी पूरी सेना तैयार है अब बस सोरा के आदेश का इंतजार है। 

गारा- जी हां, सोरा चाहे तो हम कल ही पृथ्वी की ओर कूचकर सकते हैं और अल्प समय में ही हम पृथ्वी से उस शक्तिपूंज को लेकर वापस भी आ सकते हैं। 

टकारा- जहां तक हमारी जानकारी है पृथ्वी अंतरिक्ष के अन्य ग्रहों की तरह पूरी तरह से खाली नहीं है। वहां मानव रहते हैं, क्या उनके बारे में आप लोगों ने विचार किया है? 

सामरा- सिरी मानवों के बारे में क्या विचार करना है ? जब भी युद्ध होता है तो कई सैनिक और योद्धा मारे जाते हैं और कभी बार आम जन भी इसमें मारे जाते हैं। 

टकारा- परंतु यदि मानवों ने हमसे युद्ध किया तो क्या हम जानते हैं कि वे कितने शक्तिशाली है और उनके हथियार कैसे हैं, वे किसी तरह से नुकसान पहुंचा सकते हैं अथवा नहीं, क्या इस संबंध में आप लोगों ने कोई जानकारी प्राप्त की है। 

सामरा- मानव हमारे जितने सक्षम हो ही नहीं सकते सिरी। 

तोशिबा- पर सिरी टकारा का कहना सही है सामरा। हम मानते हैं कि हमारी सेना किसी से भी कम नहीं है, परंतु शत्रु के बारे में पता कर लेना चाहिए। शत्रु की ताकत, कमजोरी सभी का ज्ञान हो तो युद्ध को जीतने में आसानी रहती है। 

कुशा- सोरा हम जल्द ही पृथ्वी, मानव, उनकी युद्ध कला, हथियार आदि सूचनाएं एकत्र कर आपको सूचित करते हैं। हालांकि मैंने पूर्व में कुछ सूचनाएं एकत्र की थी, उसके अनुसार मानव तकनीक, हथियार, सेना, वाहन व विमान आदि सभी मामलों में बहुत पीछे हैं।  

तोशिबा- परंतु यह कैसे हो सकता है हमने तो सुना है उनके जो पूर्वज थे वे बहुत ज्ञानी थे। करोड़ों वर्षों पूर्व ही उनके हथियार अग्नि वर्षा कर सकते थे, धरती का सीना चीर सकते थे, उस समय भी वे विमान में सफर कर लिया करते थे। फिर मानव हमसे पिछड़ा कैसे हो सकता है ? 

गारा- इसका कारण मैं आपको बताता हूं सोरा। दरअसल उन्होंने पूर्वजों के ज्ञान को कभी भी सहेज कर रखा ही नहीं। इस कारण ज्ञान होने के बाद भी वे उतनी तरक्की नहीं कर पाए जितनी उन्हें करना चाहिए थी। 

तोशिबा- ओह कैसे हैं ये मानव ? अकूत ज्ञान को भी सहेजकर नहीं रख सके। हमने तो सुना था कि उनके पूर्वर्जों के पास ऐसे विमान थे जो कि मन की गति से चलते थे।

कुशा- जी हां सोरा। वैसे हम वर्तमान में मानवों की स्थिति क्या है उस बारे में आपको जल्द ही अवगत करा देंगे। 

तोशिबा- ठीक है तो फिर आप लोग जा सकते हैं और जल्द ही हमें मानवों के संबंध में समस्त सूचना दें।

सभी लोग वहां से चले जाते हैं उसके बाद तोशिबा टकारा से बात करता है। 

तोशिबा- सिरी टकारा क्या आपको हमारी सेना और हम पर कोई अविश्वास है? 

टकारा- नहीं सोरा तोशिबा। आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं ? 

तोशिबा- तो फिर आपने मानवों के बारे में इतनी जानकारी क्यों चाही ? 

टकारा- क्या जानकारी रखना बुरा है सोरा तोशिबा ? 

तोशिबा- नहीं सिरी टकारा, परंतु हमें ऐसा क्यों लगा कि आपको हमारे सामर्थ्य पर कुछ अविश्वास है। 

टकारा- अविश्वास ना करे सोरा तोशिबा। यह एक एहतियात है। अंतरिक्ष में आपने कितने कही ग्रहों को नष्ट किया है। वहां पर कोई नहीं था। कुछ ग्रहों पर कुछ लोग थे भी तो वे बहुत पिछड़े थे। परंतु मानव का इतिहास करोड़ों साल पुराना है। इस कारण हमने सोचा कि उनके बारे में पता कर लेना चाहिए। सबसे विशेष बात यह है कि शक्तिपूंज भी पृथ्वी पर ही है। यदि उन्हें यह ज्ञान हो चुका होगा कि शक्तिपूंज से क्या हासिल किया जा सकता है तो हो सकता है उन्होंने बहुत कुछ प्राप्त भी कर लिया हो। इसलिए हमने मानवों के बारे पता करने के लिए कहा। हमें आपकी सेना और आपकी शक्ति पर पूरा विश्वास है सोरा तोशिबा। आप चाहे तो अल्प समय में ही शक्तिपूंज को यहां लेकर आ सकते हैं। 

तोशिबा- हां सिरी टकारा। शक्तिपूंज आ जाने के बाद आप देखना कि हम क्या होंगे। 

टकारा- मैं भी चाहती हूं कि आप जो चाहते हैं वो आपको हासिल हो, इसलिए ही हमने मानवों का इतिहास जानने में रूचि दिखाई है। हम नहीं चाहते कि कोई भी आपके ख्वाब को पूरा होने से रोके। 

तोशिबा- बस आपकी इसी बुद्धिमता के तो हम कायल है सिरी टकारा। 

टकारा और तोशिबा की बातचीत से यह तय हो गया था कि तोशिबा और उसकी सेना पृथ्वी पर आक्रमण करेगी बस वे पृथ्वी पर रहने वाले मानवों के बारे में थोड़ा जान लेना चाहते थे, ताकि वे उसी के अनुसार युद्ध की तैयारी करें। हालांकि इस मुसीबत से धरती के मानव अब तक बेखबर थे और जिन्हें इस मुसीबत की खबर थी वे पृथ्वी और मानवों को बचाने के लिए प्रयास शुरू कर चुके थे। जल्द ही कुशा, गारा और सामरा ने तोशिबा को यह सूचना दे दी थी कि मानव उनके मुकाबले कहीं भी खड़े नजर नहीं आते हैं। मानव फिलहाल पृथ्वी पर जिस स्थिति में उन्हें खत्म करना तोशिबा और उसकी सेना के लिए पल भर का काम होगा। मानवों के पास ऐसे कोई हथियार भी नहीं है जो कि तोशिबा और उसकी सेना को किसी भी प्रकार का नुकसान पहुंचा सकें। मानवों के बारे में इतना जानने के बाद अपनी सेना को तैयार रहने का आदेश दे दिया था अब कभी भी तोशिबा और उसकी सेना पृथ्वी की ओर रवाना हो सकती थी। हालांकि पृथ्वी और तोशिबा के बीच त्रियाची, उसकी सेना, प्रणिता, अनिकेत, रॉनी, यश, तुषार और सप्तक खड़े थे। ये बात फिलहाल तोशिबा को पता नहीं थी। ये चूक शायद उसे भारी भी पड़ सकती थी या तोशिबा इनसे पार पाकर पृथ्वी तक पहुंच जाएगा और शक्तिपूंज को हासिल कर लेगा यह तो वक्त की गर्त में ही छिपा था परंतु यह तय था कि पृथ्वी को बचाने के लिए पृथ्वी से दूर एक युद्ध लड़ा जाने वाला था, जिसका पृथ्वी पर रहने वाले लोगों को जरा भी अंदाजा नहीं था। 

हालांकि पृथ्वी को बचाने के लिए खड़ी एक छोटी सी फौज को लगता है कि वे तोशिबा को रोक लेंगे परंतु शायद उन्हें तोशिबा और उसकी सेना के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। त्रियाची को रोकना आसान था क्योंकि पृथ्वी पर होने के कारण उसे नुकसान पहुंचाया जा सकता था, परंतु तोशिबा का पृथ्वी से कोई नाता नहीं है। इसलिए वो बहुत खतरनाक है। हालांकि तोशिबा ने त्रियाची की तरह मृत्यु पर विजय प्राप्त नहीं की है फिर भी उसे मारना या हराना बहुत मुश्किल होने वाला था। तोशिबा ने कई ग्रहों से जो शक्तियां प्राप्त की है वो उसे अपने आप एक सेना के रूप में तैयार कर देती है। तोशिबा उन शक्तियों को प्रभावी बनाने के लिए शक्तिपूंज को हासिल करना चाहता है अन्यथा उसकी शक्तियां इतनी है कि वो उनके बल पर पूरे अंतरिक्ष में राज कर सकता है। फिर उसकी सेना और उसके आधुनिक हथियार उसे और भी खतरनाक बना देते हैं।