Triyachi - 31 - Last Part in Hindi Fiction Stories by prashant sharma ashk books and stories PDF | त्रियाची - 31 - अंतिम भाग

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त्रियाची - 31 - अंतिम भाग

भाग 31

त्राचा से बाशा ग्रह नजदीक होने के कारण त्रियाची, उसकी सेना और ये पांच योद्धा पहले पहुंच गए थे। अब उनको इंतजार था तोशिबा और उसकी सेना के इस ग्रह के नजदीक से गुजरने का। हालांकि उन सभी को बहुत अधिक इंतजार नहीं करना पड़ा। अगले पांच दिनों में ही तोशिबा और उसकी सेना के जल्द ही बाशा तक पहुंचने की सूचना उन लोगों तक पहुंच गई थी। जैसा कि त्रियाची ने पहले ही बताया था कि बाशा ग्रह बहुत अधिक ठंडा हो जाता है, तो हुआ भी वहीं था। बाशा की ठंड अब अपने चरम पर थी। जल्द ही तोशिबा अपनी सेना के साथ बाशा के समीप से गुजर रहा था। तभी त्रियाची अपनी सेना के साथ उसका रास्ता रोकने के लिए आ खड़ा हुआ था। त्रियाची और उसकी सेना को अपने सामने देखकर तोशिबा एक पल के लिए चौंक गया था, परंतु उसे पता था कि उसके सामने जो भी है वो उसका बहुत अधिक देर तक सामना नहीं कर पाएगा। 

तोशिबा- कौन हो तुम और हमारा रास्ता रोकने का तुम्हारा मकसद क्या है ? 

त्रियाची- मैं त्राचा ग्रह का राजा हूं त्रियाची। तुम्हें पृथ्वी पर जाने से रोकने के लिए ही यहां खड़ा हूं। 

तोशिबा- मैं पृथ्वी पर जा रहा हूं इसकी जानकारी तुम्हें कैसे मिली ?

त्रियाची- मेरे गुप्तचर पूरे अंतरिक्ष में है तोशिबा, मुझे अंतरिक्ष की हर जानकारी मिल जाती है। 

तोशिबा- ओह तो मतलब तुम हमें जानते हो ? वैसे तुम्हारी हिम्मत को दाद देना चाहूंगा कि तोशिबा को जानने के बाद भी तुम तोशिबा के सामने आकर खड़े हो गए हो। 

त्रियाची- ये दाद तब देना तोशिबा जब तुम यहां से पृथ्वी की ओर नहीं अपने ग्रह ताशाबा की ओर लौट रहे होंगे। 

तोशिबा- वैसे तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि तुम हमें पृथ्वी पर जाने से रोक सकोगे। पहले एक बार अपने पीछे मुढ़कर अपनी सेना को देखो और फिर नजरें उठाकर मेरी सेना को देखो। फिर तय करना कि हमें लौटना चाहिए या तुम्हें हमें रास्ता दे देना चाहिए। 

त्रियाची- यह फैसला हम वक्त पर छोड़ देते हैं तोशिबा। पर फिर भी तेरी सलाह यही है कि पृथ्वी की ओर जाने का विचार त्याग दो और अपने ग्रह वापस लौट जाओ। 

तोशिबा- वैसे हमें यह समझ नहीं आ रहा है कि तुम्हें पृथ्वी से इतना लगाव क्यों है, मैं पृथ्वी पर आक्रमण करता हूं तो तुम्हें क्या नुकसान होने वाला है। मैंने तुम्हारे ग्रह पर आक्रमण तो नहीं किया है फिर तुम क्यों हमसे युद्ध करना चाहते हो ?

त्रियाची- क्योंकि मैं पृथ्वी से ही त्राचा पर आया हूं। दूसरा तुम जिस शक्तिपूंज को प्राप्त करने के लिए जा रहे हो, वो हमारा भी है। वो शक्तिपूंज हम तुम्हें हासिल नहीं करने देंगे। 

तोशिबा- ओह तो तुम ये भी जानते हो कि हम पृथ्वी पर शक्तिपूंज हासिल करने के लिए जा रहे हैं। बहुत खूब हमें प्रसन्नता हुई कि तुम्हारे गुप्तचर काफी सक्रिय है। पर तुम ये नहीं जानते कि हमने अगर शक्तिपूंज को हासिल करने का तय कर लिया है तो फिर कोई भी शक्ति हमें शक्तिपूंज हासिल करने से नहीं रोक सकती। इसलिए तुम्हारी भलाई भी इसी में है कि तुम हमारा रास्ता छोड़ दो। हम तुम्हें माफ कर देंगे और तुम्हारे ग्रह को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। वरना किसी ग्रह को नष्ट करना हमारे लिए क्षण भर का काम है। यह जानकारी भी तुम्हारे गुप्तचरों ने तुम्हें दी ही होगी। 

त्रियाची- हां दी है। 

तोशिबा- फिर भी तुम हमारे सामने खड़े हो ? 

त्रियाची- हां क्योंकि जब तक मैं यहां हूं तुम पृथ्वी की ओर नहीं जा सकते। 

तोशिबा- तो फिर ठीक है हम तुम्हें समाप्त करने के बाद ही पृथ्वी से शक्तिपूंज हासिल करेंगे।

इतना कहने के साथ ही तोशिबा ने त्रियाची पर हमला कर दिया था। त्रियाची अचानक हुए हमले से खुद को बचा नहीं पाता है और घायल हो जाता है। हालांकि घायल होने के बाद त्रियाची उठता है और तोशिबा पर हमला करता है। तोशिबा सतर्क था, इस कारण वो हमले से खुद को बचा लेता है। तोशिबा फिर त्रियाची पर हमला करता है, इस बार त्रियाची भी खुद को बचा लेता है। वे दोनों एक-दूसरे पर लगातार हमले कर रहे थे। अब तोशिबा भी कुछ घायल हुआ था, परंतु त्रियाची अधिक घायल हो गया  था, वो अचानक गिर पड़ा। दूर से अनिकेत ने त्रियाची को घायल अवस्था में जमीन पर पड़े देखा और वो उसके पास आ गया। अनिकेत जल शक्ति का प्रयोग कर तोशिबा के वार को रोकने की कोशिश करता है और त्रियाची को वहां से निकालकर ले जाता है। 

त्रियाची और अनिकेत को वहां से निकलता देख तोशिबा ने अपनी सेना को पृथ्वी की ओर बढ़ने का आदेश दिया। इसी दौरान सप्तक ने प्रणिता, रॉनी, तुषार और यश को उसे रोकने के लए कहा। वे चारों तोशिबा के पास आ गए थे। उन चारों ने एक साथ तोशिबा पर हमला किया। चारों ओर से एक साथ हमले में तोशिबा बचा नहीं पाया और घायल हो गया। इस दौरान उसी सेना में खलबली मच गई थी। इस दौरान अनिकेत भी उन पांचों के साथ वहां आ गया था। अब ठंड ने भी अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था और तोशिबा की सेना ठंड के कारण युद्ध करने में असमर्थ हो रही थी। 

प्रणिता, अनिकेत, यश, तुषार और रॉनी लगातार तोशिबा की सेना पर हमला कर रहे थे। हालांकि तोशिबा की सेना भी जवाब दे रही थी, परंतु वे पूरी ताकत से हमला करने में सक्षम नहीं हो पा रहे थे। त्रियाची योजना सफल होती नजर आ रही थी। त्रियाची भी खुद को संभालकर फिर से युद्ध के मैदान में आ गया था। उसने एक बार फिर तोशिबा पर हमला किया। पहले से ही घायल तोशिबा ने भी पलटवार किया। हालांकि वो भी हार मानने के लिए तैयार नहीं था, परंतु ठंड का असर और घायल होने के कारण अब उसकी हिम्मत भी जवाब देने लगी थी। इस दौरान सप्तक ने त्रियाची और प्रणिता, रॉनी, अनिकेत, तुषार और यश को कहा कि वे पूरी तरह से तोशिबा को घेर ले और एक साथ उस पर हमला करें। सभी ने सप्तक की बात को मानते हुए तोशिबा पर एक साथ हमला किया। इस हमले में तोशिबा इतना अधिक घायल हो गया कि उसके हाथ से हथियार छूट गया था। उसने अपने हाथ खड़े कर दिए और युद्ध में अपनी हार को स्वीकार कर लिया था। 

त्रियाची- तो तोशिबा हम तुम्हें जीवित छोड़ रहे हैं, परंतु तुम्हें वचन देना होगा कि अब तुम पृथ्वी पर आक्रमण नहीं करोगे। 

तोशिबा के पास फिलहाल जान बचाने के लिए त्रियाची की बात स्वीकार करने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं था। उसने अपनी सेना को फिर से अपने ग्रह लौट जाने का आदेश दिया। इस दौरान सप्तक तोशिबा के पास आया और उससे कहा- 

सप्तक- तोशिबा ताकत तुम्हारे पास है, परंतु तुम उसका इस्तेमाल अच्छे कार्यों में करो। तुम अपने अच्छे कार्यों से भी इस पूरे अंतरिक्ष पर राज कर सकते हो। जितनी शक्ति तुम्हारे पास है वो पर्याप्त है। इसलिए पृथ्वी से शक्तपूज को हासिल करने का इरादा त्याग दो। सिर्फ और ताकत प्राप्त करने के लिए तुम पूरी मानव जाति का नाश करने चले थे। अब देखों सिर्फ पांच मानवों ने ही तुम्हारी शक्ति का जवाब दिया है। 

तोशिबा ने कहा- क्षमा करें मैं ताकत के नशे में भूल गया था कि मेरी इस कोशिश के कारण पूरी मानव जाति खत्म हो जाएगी। शक्तिपूंज हासिल करने के प्रयास में अंतरिक्ष के सबसे सुंदर ग्रह को खत्म करने के लिए चल दिया था। परंतु आप सभी ने मुझे मेरी भूल का अहसास करा दिया है। ताकत कितनी भी हो एक दिन समाप्त हो ही जाती है। मैं आप सभी से वादा करता हूं कि पृथ्वी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाउंगा और पृथ्वी पर यदि कोई संकट आता है तो मैं हमेशा आपके साथ खड़ा रहूंगा। इसके बाद तोशिबा अपनी सेना के साथ फिर से अपने ग्रह की ओर रवाना हो जाता है। त्रियाची भी अपने ग्रह आ जाता है और सप्तक के साथ वे पांचों भी पृथ्वी पर आ जाते हैं और पहले की तरह सामान्य जीवन जीने लगते हैं। 

प्रशांत शर्मा