Lal Baig - 1 in Hindi Thriller by BleedingTypewriter books and stories PDF | लाल बैग - 1

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लाल बैग - 1

रात का समय था। एक बूढ़ा आदमी अपने पुराने से घर में अकेला बैठा था। सामने टीवी पर तेज़ आवाज़ में समाचार चल रहा था।

“आज शहर के सबसे बड़े बैंक में हुई 5 करोड़ की चोरी से हड़कंप मच गया है। पुलिस को चोरों का कोई सुराग नहीं मिला है।”

बूढ़ा आदमी चुपचाप टीवी को घूरता रहा। उसकी आंखों में डर भी था और जिज्ञासा भी।


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कुछ घंटे पहले

एक पुरानी वैन तेज़ी से सुनसान सड़क पर भागी जा रही थी। उसमें छह लोग बैठे थे — पाँच युवा और एक ड्राइवर। माहौल भारी था, पर कुछ चेहरों पर मुस्कान भी थी।

"हम कहाँ जा रहे हैं?"
27 साल की रोज़ ने पूछा। वो सहमी हुई थी, लेकिन आवाज़ में हिम्मत थी।

"पहले हम इस ड्राइवर की बीवी के इलाज के लिए हॉस्पिटल जाएंगे," राज बोला, जिसकी आंखों में क्रूरता साफ दिख रही थी।

ड्राइवर ने पीछे मुड़कर सबको देखा —
"आप सबका मैं बहुत आभारी हूँ। आप लोग मेरे लिए देवता हैं।"

"इतना पैसा चुराया है, 5 करोड़... और तू सिर्फ 50,000 रुपए ले रहा है?"
16 साल की रोमि चौंकते हुए बोली। उसका चेहरा मासूम था, पर आंखों में झलकता गुस्सा साफ दिखाई देता था।

"तुझे क्या लेना देना? उसे नहीं चाहिए तो मैं ले लूंगा," मोहन ने बीच में टोकते हुए कहा।

"तुम सब भूल गए लगते हो कि सिर्फ पैसा नहीं, बहुत कुछ और भी चुराया है हम सबने," सोनम बोली।

ड्राइवर धीरे से बोला,
"मुझे और कुछ नहीं चाहिए। मेरी बीवी ही मेरी ज़िंदगी है।"


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हॉस्पिटल के बाहर

वैन अस्पताल के बाहर रुकी।
ड्राइवर बोला, "मैं पैसे जमा कर के आता हूँ। आप सब यहीं वैन में रुको। पुलिस आसपास हो सकती है।"

कुछ देर बाद ड्राइवर एक लाल रंग के बैग के साथ लौटता है।

"क्या हुआ? पैसे जमा हो गए?" राज ने पूछा।

"नहीं... पुलिस को काले बैग की जानकारी मिल गई है। हमें बैग बदलना होगा। ये लो ये लाल बैग, सारे पैसे इसमें रख दो और वो काला बैग फेंक दो," ड्राइवर ने समझाया।

"तुम लोग बच नहीं पाओगे... देख लेना," रोमि ने हल्की हँसी के साथ कहा।

राज ने गुस्से में आकर रोमि को चांटा मारा और चुप रहने को कहा।


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रास्ते में...

वैन फिर चल पड़ी। चलते-चलते राज वैन में ही पैसे लाल बैग में भरने लगा। जंगल के रास्ते में उसने काले बैग को बाहर फेंक दिया और लाल बैग की चेन बंद कर दी।

जैसे ही उसने चेन बंद की, वैन उछली और राज को लगा कि उसके हाथ में कुछ चुभा है। लेकिन उसने ध्यान नहीं दिया।


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जंगल का मकान

कुछ देर बाद वे सभी एक सुनसान जंगल में पहुँचे। सामने एक पुराना लेकिन सुंदर मकान दिखाई दिया। लेकिन वैन अब आगे नहीं जा सकती थी, इसलिए उन्हें पैदल चलना पड़ा।

हँसी-मज़ाक करते हुए वे आगे बढ़े, तभी एक आधा सड़ा हुआ, बदसूरत कुत्ता अचानक झाड़ियों से निकलकर आया और सीधे राज के हाथ पर काट लिया।

राज चीखा, लेकिन उसी वक्त एक बूढ़ा आदमी वहां आया और कुत्ते को खींच लिया।

"माफ कीजिए, ये कुत्ता मेरा है। मैं इस घर का देखभाल करने वाला हूँ। आप सब अंदर चलिए, आराम कीजिए। मैं खाने के लिए कुछ ले आता हूँ," कहकर वह चला गया।

राज अपने हाथ को सहला रहा था।

"क्या हुआ? सब ठीक है?" रोज़ ने पूछा।

"हाँ... बस हल्का दर्द है," राज ने जवाब दिया।

पर रोमि एक कोने में खड़ी मुस्कुरा रही थी, "तेरी किस्मत अच्छी है... लेकिन देखते हैं कितने दिन तक।"