Dil ka Rishta - 1 in Hindi Love Stories by soni books and stories PDF | दिल का रिश्ता - 1

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दिल का रिश्ता - 1

शहर की शाम को और भी खूबसूरत बना रही थी।भीगी सड़कों पर स्ट्रीटलाइट्स की रोशनी मोतियों की तरह चमक रही थी।अनुष्का बस स्टॉप पर खड़ी थी—एक हाथ में ऑफिस की फाइलें,दूसरे हाथ में गर्म चाय का कप।आज उसका जन्मदिन था…लेकिन दिल में खुशियों की जगह खालीपन भरा था।क्योंकि आज से दो साल पहले,इसी दिन उसकी ज़िंदगी में आया था Raj—और आज वही उसके पास नहीं था।---दूसरी ओर…Raj अपनी कार में बैठा बाहर की बारिश देख रहा था।कांच पर बहती बूंदों को देखते-देखतेउसके मन में अनुष्का की यादें किसी फिल्म की तरह चल रही थीं।उसकी हंसी…उसकी बातें…और वो आखिरी दिनजब गलतफहमियों नेउनके बीच एक दीवार खड़ी कर दी थी।आज भी Raj के दिल में वही सवाल था—“क्या वो मुझे आज भी याद करती होगी…?”---तभी अचानक—हवा का तेज़ झोंका आया।अनुष्का की सारी फाइलें उड़कर सड़क पर बिखर गईं।वो घबराई हुई कागज़ उठाने झुकी ही थी किकिसी ने उसके हाथों में सारी फाइलें पकड़ाकर कहा—“Careful…”अनुष्का ने ऊपर देखा…वो Raj था।दो साल बाद…उनकी नज़रें पहली बार मिलीं।बारिश जैसे थम गई।सिर्फ धड़कनों की आवाज़ गूंज रही थी।---अनुष्का की आवाज़ हल्की सी फिसली—“Tum… yahan?”Raj ने उसी शांत मुस्कान के साथ कहा—“Dil ka rishta ho…toh door jaकर भी kahaan जाता है?”उनके बीच खामोशी थी—पर वही खामोशी सबसे ज़्यादा बोल रही थी।💖 बस -स्टॉप पर खामोशी और बारिश की महकदोनों के बीच एक अजीब सा सुकून भर रही थी।अनुष्का ने नज़रें फेर लीं,मानो खुद को संभाल रही हो पर उसके दिल की धड़कन साफ़ कह रही थीकि Raj को अचानक सामने देखकरउसकी दुनिया हिल गई है।Raj धीरे से बोला,“कैसी हो, Anushka?”वो एक पल को रुकी,फिर हल्की सी मुस्कान लाई—“ठीक हूँ… और तुम?”“मैं भी…”Raj के शब्दों में एक गहरी थकान थी।जैसे कुछ अधूरा रह गया हो।---अचानक—तेज़ बारिश शुरू हो गई।लोग इधर-उधर भागने लगे,बस स्टॉप छोटा पड़ गयाऔर Raj ने अनुष्का के लिए छतरी खोल दी।अनुष्का चौंकी—“Raj, ज़रूरत नहीं…”Raj शांत स्वर में बोला,“मैं सिर्फ बारिश से बचा रहा हूँ…बाकी सब तुम्हारी मर्ज़ी।”ये वही Raj था—जो कभी उसकी हर नज़ाकत समझता था।---कुछ सेकंड की खामोशी के बादअनुष्का ने धीरे से पूछा—“तुम… दो साल बाद अचानक यहाँ कैसे?”Raj ने नज़रें नीचे कीं—“किसी को ढूंढने आया था…पर शायद मिलना लिखा था।”अनुष्का समझ गईये शब्द उससे ज़्यादा उस पल के लिए थे।उसकी सांसें गहरी हो गईं।वो खुद को मजबूत दिखाना चाहती थी,पर Raj को देखकर पुरानी हर बातआज फिर ताज़ा हो गई थी।---तभी Raj ने धीरे से कहा“Anushka…तुम उस दिन कुछ कह रही थीं,मैंने सुना नहीं…और हम दोनों दूर हो गए।”अनुष्का ने आँखें बंद कर लीं।उस दिन की कड़वाहट आज भी दिल में चुभती थी।“Raj, कभी-कभी जो छूट जाता है,वो वापस नहीं आता…”Raj उसकी आँखों में झांकता हुआ बोला“पर कुछ रिश्ते…दिल में इतने गहरे बस जाते हैंकि वक़्त भी मिटा नहीं पाता।”अनुष्का का दिल ज़ोर से धड़का।पर उसने खुद को रोका।बस उस पलउसकी बस आ गई।---Raj पीछे हट गया,अनुष्का बस की सीढ़ियों पर चढ़ने लगी—फिर अचानक बिना सोचेपीछे मुड़ी और बोली—“Raj…अगर कभी समय मिले…तो बात कर लेंगे।”Raj ने हल्के से सिर हिलाया,लेकिन उसके चेहरे पर पहली बारउम्मीद की चमक थी।बस चल दी…और Raj देर तक वहीं खड़ा रहाजहाँ उसकी दुनिया अभी-अभी गुज़री थी💖 बस चली गई, और अनुष्का की पीठ Raj की तरफ़ मुड़ती रही,जैसे कोई अदृश्य धागा उन्हें जोड़ रहा हो।घर पहुँचकर भी अनुष्का का मन शांत नहीं था।Raj की वो मुस्कान, वो आवाज़…और बारिश में वो छोटी-सी छतरी—हर चीज़ उसके दिमाग़ में घूम रही थी।वहीं दूसरी ओर,Raj भी ऑफिस की पार्किंग में खड़ा था।वो आज भी दो साल पहले जैसी गलती को सोच रहा था।“क्यों मैंने उस दिन सब कुछ छोड़ दिया?”दिल में पछतावा था,लेकिन आँखों में उम्मीद भी।---अगले दिन—Raj ने अनुष्का को मैसेज किया:"कल मिलकर कॉफ़ी पीते हैं? बस, बिना किसी बहाने के।"अनुष्का ने थोड़ी देर सोचा।फिर धीरे से टाइप किया:"ठीक है, कल शाम 5 बजे कॉफ़ी शॉप पर।"और अगले दिन…दोनों फिर से मिले।कॉफ़ी की महक, हल्की संगीत, और बारिश की बूँदें जो बाहर गिर रही थीं,उनकी पहली बातों में थोड़ी-थोड़ी हिचक थी।Raj ने हँसते हुए कहा—“तो दो साल बाद भी तुम उतनी ही तेज़ हो।”अनुष्का मुस्कुराई—“और तुम उतने ही अधूरे वादों वाले।”दोनों की हँसी में वही पुरानी गर्माहट थी।धीरे-धीरे बातें शुरू हुईं,और बीते दो साल की दूरी जैसे कम होने लगी।Raj ने आखिरकार कहा—“Anushka…हमने जो खो दिया,क्या उसे वापस पाने की कोशिश कर सकते हैं?”अनुष्का ने एक पल सोचा,फिर आँखों में हल्की चमक के साथ बोली—“शायद…अगर दिल का रिश्ता सच में है,तो कोई दूरी इसे नहीं तोड़ सकती।”Raj ने मुस्कुराते हुए हाथ बढ़ाया।अनुष्का ने हाथ थामा।और उसी पल,दोनों के दिलों में फिर से वही पुराना विश्वास जगा—कि कोई वक़्त, कोई दूरी,सच्चे रिश्ते को मिटा नहीं सकती.कॉफी शॉप की हल्की रोशनी मेंRaj और Anushka की बातें धीरे-धीरे बह रही थीं।दो साल की खामोशी, दो साल की दूरी—सब कुछ अब उनकी मुस्कान में समा गया था।लेकिन दोनों जानते थे—कुछ बातें अभी भी अधूरी थीं।---अचानक—अनुष्का ने धीरे से पूछा—“Raj… उस दिन आखिर क्या हुआ था?हम अचानक अलग क्यों हो गए थे?”Raj का चेहरा गंभीर हो गया।वो कुछ पल चुप रहा, फिर बोला—“मैंने सोचा था कि तुम्हें बेहतर मौका मिलेगा…और खुद को तुमसे दूर करके मैं तुम्हारे लिए सही फैसला कर रहा हूँ।”अनुष्का की आँखों में थोड़ी उदासी थी,लेकिन उसने धीरे से मुस्कुराते हुए कहा—“Raj… कभी-कभी सोचकर की जाने वाली दूरियाँरिश्तों को और भी मुश्किल बना देती हैं।मुझे भी दर्द हुआ था…लेकिन शायद अब समय है समझने का।”Raj ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा—“Anushka… मैं नहीं चाहता कि दो साल का फासलाहमारे बीच फिर कभी आए।अगर तुम चाहो…तो मैं हर पल तुम्हारे साथ रहूँगा।”अनुष्का की आँखों में भावनाओं का तूफ़ान था।दिल कह रहा था ‘हाँ’,पर दिमाग़ थोड़ा डर रहा था—क्या ये सच में वही Raj है जिसे वह जानती थी?---उस शाम की बारिश में…दोनों धीरे-धीरे बाहर निकल गए।बारिश की बूँदें उनकी बाहों को भीगा रही थीं,पर इस बार कोई दूरी नहीं थी।Raj ने हाथ बढ़ाया और बोला—“चलो… इस बारिश में एक नई शुरुआत करते हैं।”अनुष्का ने उसका हाथ थामा।और उसी पल,दोनों ने महसूस किया किसच्चा रिश्ता सिर्फ़ वादों या शब्दों में नहीं,दिल की गहराई में होता है।उनकी हँसी बारिश के पानी में घुल गई,और पुरानी यादें, पुरानी गलतफहमियाँधीरे-धीरे धुंधली पड़ने लगीं।------next part पढ़ने लिए मुझे फॉलो करे.