Humraz - 16 in Hindi Crime Stories by Gajendra Kudmate books and stories PDF | हमराज - 16

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हमराज - 16

      फिर बादल बोला, " ज़ेबा आपने तो हमारी दास्तान सुन ली लेकीन अपने बारे में अभी तक कुछ नहीं बताया. उस वक्त मैंने आपसे जो सवाल पूछा था, तो उसका जवाब आपने मुझे अब तक नहीं दिया और मुझे अपनी कसम देकर मेरे होंठ सी दिये, तो क्या अब तो भी आप मुझे कुछ बतायेंगी." फिर ज़ेबा बहोत संगीन होकर बोलने लगी. वह बोली, " तो सुनीये, बादल उस रात को हमारे घर में कुछ दहशतगर्द घुस आये थे, वह हमें और हमारे अम्मी अब्बू को अगवा कर के अपने साथ लेकर गये थे. उन दहशतगदों को एक औरत दहशतगर्द चाहिये थी उनके दहशतगर्दी के मनसूबे को पूरा करने के लीये. तो वहाँ जाकर उन्होंने हमें एक औरत दहशतगर्द बनने के लीये कहा. हमनें उनकी बात नहीं मानी तो उन्होंने हमपर बहोत जुल्म ढाये. हमें वहाँ मारा पीटा गया ओर इतना ही नहीं तो हमारी अस्मत को चुन चुन कर लुटा गया. इतने सारे जुल्म सहने के बाद भी हमने जब उनकी बात नहीं मानी तो उन्होंने हमारी आँखो के सामने हमारे अब्बू की गोली मारकर हत्या कर दी.

    फिर वह हमारे अम्मी की भी जान लेने की कोशीश करने लगे तो फिर हमारी हिम्मत टूट गयी और हम उनकी बात मान गए. उन्होंने फिर हमें वह खौफनाक तालीम दी और हमें एक खौफ़नाक क़ातिल बना दिया है. आपको जो दिख रहा है बस यह बेजान जीस्म ही बचा हुआ है इसमें से रूह तो तभी चली गयी थी जब पहली दफ़ा उन दर्रिदो ने हमारे जीस्म को जानवर की तरह नोच नोचकर हमारी अस्मत लुटी थी. उसके बाद यह सीलसीला पुरे एक साल तक चला. तबतक हम एक ज़िंदा लाश बन चुके थे. यह दरिन्दे अपनी हवस मीटाने के लीये मेरे इस जिस्म को बीस्तर पर लीटाकर उसके साथ खेलते रहे." ऐसा कहते हुए ज़ेबा की आँखों से आंसुओं की नदियाँ बह रही थी. तभी बादल ने देखा तो वहाँ अम्मी भी आ गयी थी और उन्होंने भी यह सब सुनने के बाद रोना शुरू किया था.

   अम्मी ने फिरज़े बा को सीने से लगा लीया और दोनों रोने लगी थी. रोते रोते अम्मी बोली, " मेरी फुल सी बच्ची ने इतने जुल्म सहे और आज हमारे सामने खड़ी है. हमनें तो यह आस ही छोड़ दी थी के हम अब कभी हमारी बच्ची का मुँह भी देख पायेंगे. खुदा का लाख लाख शुकर है की हमारी बच्ची हमारे साथ है." फिर ज़ेबा बोली, " बादल आपको आपके एक सवाल का जवाब तो मील गया. अब दुसरे सवाल का जवाब मै आपको देती हूँ जो आपने उस वक्त हमसे कीया था जब हमनें आपका फोन पानी में फेंक दिया था. तो बादल, आप आपके अफसर को फोन कर के अपने लीये मदद नहीं तो मुसीबत बुलानेवाले थे. इसलीये मैंने उस वक्त आपके हाथ से फोन छिनकर पानी में फेंक दिया था." फिर बादल बोला, " मुसीबत, वह कैसे." तब ज़ेबा बोली, " बादल उस दहशतगर्दों का सरगना वह आपका अफसर ही है. दहशत फैलाने के लीये वह उन दहशतगर्दों की मदद लेता है और अपना मतलब नीकाल लेता है. इस काम में उसके ऊपर बड़े लोगों का हाथ है और वह उनके लीये काम करता है. आप उसे उस वक्त फोन कर के अपने लीये मदद मांगते तो वह आकर आपको मौत देकर जाता. " बादल यह सब सुनकर भौंचक्का रह गया था. उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था।

    फिर ज़ेबा ने अपना फोन नीकाला और उसमें से कुछ तस्वीरें बादल को दिखाते हुये बोली, " देखीये यह वह दरिंदा दहशतगर्द है जो हमारी अवाम में दहशत फैलाने का मंसूबा रखते है. इनकी कोई ज़ात और कोई जमात नहीं है. यह तो बस पैसों के लीये काम करते है. पैसा ही इनके लीये सबकुछ है." फिर ज़ेबा पलट पलटकर बादल को तस्वीरें दिखाने लगी थी. तभी एक तस्वीर को देखकर बादल बोल पड़ा, " ज़ेबा! जेबा यह तो हमारे अफसर है जो हमें आदेश देते है " तब ज़ेबा ने वह तस्वीर देखी और बोली, " यह, यह तो वह कमीना है जो अपने मतलब के लीये अपनी माँ को भी बेच दे और यह काम यह बड़ी ही बखूबी से कर रहा है. यह अपने मुल्क को बेचने का काम बड़े ही शातीर तरीके से कर रहा है. यह कमीना तो इतना बड़ा अय्याश है के इसकी रात रंगीन और बिस्तर गरम करने के लीये इसे रोज एक नयी कमसीन लड़की चाहिये होती है. इसकी हवस मीटाने के लीये इसके दरिंदे दहशतगर्द रोज किसी ना किसी घर से किसी मासूम को उठाकर इसके बिस्तर तक पहुँचाते है. उसके बाद यह कमीना सारी रात उस मासूम के जीस्म को एक भेड़िये की तरह नोचता है. उस बेचारी के जीस्म अगर इसके जुल्म सहने की ताकद होती है तो वह जींदा बचतीहै  नहीं तो वह बेचारी उस रात को ही खुदा को प्यारी हो जाती है. उसके बाद यह कमीना उस बेचारी के बेजान जीस्म को चील कौवों के हवाले कर देता है सड़ने के लीये. इसलीये उस बेचारी की रूह को मुक्ती भी नहीं मील पाती."


    बादल यह सब सुन रहा था और देख रहा था के ज़ेबा यह बात बता रही थी तब बहोत मायूस हो गयी थी. फिर बादल बोला, ज़ेबा यह सब आपने बड़े करीब से देखा है शायद इसलीये आप इतनी जज्बाती हो गयी हो. " तब ज़ेबा जोर से चील्लाई और रोते हुए बोली, " देखा नहीं बल्कि सहा है. इस दरिदे ने ही उस रात मेरी अस्मत को लुटा था जीस रात इसके भेजे हुये दहशतगर्द हमें हमारी अम्मी और अब्बू के साथ उठाकर लेकर गये थे. उस रात इस कमीने का वह खौफनाक चेहरा हमने पहली बार अपनी ज़िंदगी में देखा था. उस रात इसने हमारे साथ जो हैवानीयत की थी वह हम आजतक नहीं भूल पाए है. यह कमीना उसके बाद भी नहीं रुका और हम पर ज़ुल्म करने के लीये इसने हमें इसके बाकी दरिदो के सामने फेंक दिया था. उसके बाद कई महीनों तक वह सभी हमारे जीस्म के साथ हैवानीयत का नंगा नाच करते रहे. जीसकी वजह आज हम एक जींदा लाश की तरह ज़िंदगी जी रहे है क्यों की इस जीस्म के अंदर की रूह तो उस पहली रात को ही मर गयी थी." ज़ेबा यह सब बताते हुये बेकाबू होकर रो रही थी. अम्मी भी ज़ेबा को सीने से लगाकर सँभालने की कोशीश करती रही. यह सब देखकर बादल को भी रोना आ गया और वह भी रो
पड़ा.

               शेष अगले भाग में