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Hara hua aadmi by किशनलाल शर्मा | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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हारा हुआ आदमी by किशनलाल शर्मा in Hindi
Novels

हारा हुआ आदमी - Novels

by किशनलाल शर्मा Matrubharti Verified in Hindi Novel Episodes

(76)
  • 18.2k

  • 35.8k

  • 13

जनवरीआज का दिन बेहद ठंंडा था।पिछले दो दिनो से शीत लहर चल रही थी।आसमान बादलो से ढका हुआ था।आज भी सूर्य देवता के दर्शन नही हुए थे।कल रात बरसात हुई थी।बरसात की वजह से आज का दिन और ज्यादा ...Read Moreहो गया था।टन टन---कालेज का घंटा लगातार बज रहा था।नििशा हििंदी की लेकचरार थी।उसका पहला पीरियड कमरा नम्बर पॉच मे पडता था।उसे बीए प्रथम वर्ष की कलास लेनीी पडती थी।निशा तीस साल की थी।पर दििखने मे चालीस की लगती थी।उसके सिर के कुछ बालो से सफेदी झलकने लगी थीऔऱ चेहरेे से गंंभीरता।निशा धीरे धीरे चलकर अपने कलास के पास पहुंची

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हारा हुआ आदमी

  • 4.9k

  • 6.7k

जनवरीआज का दिन बेहद ठंंडा था।पिछले दो दिनो से शीत लहर चल रही थी।आसमान बादलो से ढका हुआ था।आज भी सूर्य देवता के दर्शन नही हुए थे।कल रात बरसात हुई थी।बरसात की वजह से आज का दिन और ज्यादा ...Read Moreहो गया था।टन टन---कालेज का घंटा लगातार बज रहा था।नििशा हििंदी की लेकचरार थी।उसका पहला पीरियड कमरा नम्बर पॉच मे पडता था।उसे बीए प्रथम वर्ष की कलास लेनीी पडती थी।निशा तीस साल की थी।पर दििखने मे चालीस की लगती थी।उसके सिर के कुछ बालो से सफेदी झलकने लगी थीऔऱ चेहरेे से गंंभीरता।निशा धीरे धीरे चलकर अपने कलास के पास पहुंची

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हारा हुआ आदमी - 2

  • 2.6k

  • 3.8k

"मेरी प्यारी निशा।तुमने आज का अखबार पढा?"नर्मदा अखबार पढ रही थी।अखबार से नजरें हटाकर सामने बैठी निशा को देखते हुए बोली।"मै अखबार सुबह ही पढ लेती हूूं।"निशा बोली," कया कोई खास खबर है?"इसका मतलब तूने अखबार ध्यान से नही ...Read Moreचहकते हुए बोोली"आज के अखबार मे तेरे लिए खास खबर है"।नर्मदा, नििशा की हम उम्र थी।वह शोख,चंंंल औऱ हंसमुख स्वभाव की थी।इसलिए दोनो मे खूब पटती थी।किसी तरह का लुकाव छुपाव दोनो के बीच मे नहीं था।दोनों एक दूसरे के सुुख दुख की साथी थी।नर्मदा मजाक केे मूड मे होती, तब निशा को ऐसे ही बुुुलाती थी।निशा,नर्मदा की आदत से

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हारा हुआ आदमी - 3

  • 1.7k

  • 2.9k

"आज हमारी राशि जरूर सच होगी।"नर्मदा चहकते हुए बोली,"मेरा ही नही, आज तेरा भी पति से मिलन जरूर होगा।"निशा ने नर्मदा की बात पर ध्यान नही दिया औऱ चुपचाप घर की तरफ चल पडी।वह अपने फलेट के पास पहुंची, ...Read Moreउसकी नजर मालती पर पडी थी।इतनी ठंड मे वह बाहर बैठकर सब्जी कयो काट रही है?गोरी चिटटी औऱ तीखे नैन नकश की मालती भरी जवानी.मे विधवा हो गई थी।उसके दो बच्चे थे।उससें शादी करने को कई लोग तैयार थे,लेकिन उसके बच्चों को कोई अपनाना नही चाहता था।बच्चों के भविष्य को ध्यान मे रखते हुए उसने पुर्नविवाह नही किया था।वह ज्यादा

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हारा हुआ आदमी - 4

  • 1.4k

  • 2.7k

निशा गुस्से मे जो मन मे आया बकने लगी।निशा की बातें सुनकर देवेेन की गर्दन शर्म से नीचे झुक गई।जुुुुबान तालूू से चिपककर रह गई।निशा कीबातों का जवाब देेेने के लिए, उसका मुंहनहीं खुुुला।निशा का गोरा चेहरा गुस्से मे ...Read Moreतवे सा सु,र्ख लाल हो गया। गूस्ससे मे उसकी सॉसे तेज चलने लगी। उसकी ऑखो से चिंगारी निकलने लगी।बोलते बोलते अचानक वह चुुुप हो गई।देवेन अपराधी बना उसके सामने खडा था।कुुुक्ष क्षण की चुुप्पी के बाद वह फिर बोोली,"मै तुम जैसे चरित्रहीन औऱ गिरे हुए आदमी के साथ एक पल भी नही रहना चाहती।मेरी आवाज सुनकर पडोसी आये।उससे पहले मेरी

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हारा हुआ आदमी - 5

  • 1.2k

  • 2.5k

0बस्ती पहुचने पर उसने सूटकेस कलॉकरूम मे जमा कराया था।फिर वह कालेज पहुंचा।ऑफिस से निशा के घर.का पता लिया था।देवेन,निशा से घर पर ही मिलना चाहता था।इसलिए निशा के फलेट पर चला आया था।डोरबेल बजाने पर दरवाजा मालती ने ...Read Moreथा।"किससे मिलना है, आपको?"मालती ने पूछा था।"निशा से।""मैडम कॉलेज गई है।दो बजे लौटेगी।अगर आपको मिलना है,तो कॉलेज चले जाये।"मालती ने देवेन को निशा के बारे मे बताया था"मुझे निशा से घर पर ही मिलना है।"मालती की बात सुनकर देवेन, निशा से बोला था।जब मालती के कहने पर भी देवेन कॉलेज नहीं गया, तब मालती ने उसे कमरे मे बैठा दिया

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हारा हुआ आदमी(भाग 6)

  • 618

  • 1.3k

और कुछ देर बाद,इंजन की सिटी के साथ ट्रेन प्लेटफार्म से सरकने लगी थी।धीरे धीरे स्टेशन पीछे छूट गया।ट्रेन की रफ्तार बढ़ने लगी थी।देवेन खिड़की के पास बैठा था।वह बाहर की तरफ झांकने लगा।तभी कंंडक्टर आ गया।उसने टिकट निकाल ...Read More दिया।वह टीकट चेक करके चला गया था।देवेन फिर खििड़की के बाहर देखने लगा। ट्रेन गति पकड़ चुकी थी।शहर पीछे छूट गया ।ट्रेेेन नदी नालो को पार करती,आगे बढ़ी जा रही थी।देवेंन कि आंखे बाहर का दृश्य देख रही थी।लेकिन उसके कानों में निशा के शब्द ही गूंज रहे थे।"तुम्हे पत्नी नहीं सिर्फ एक अदद नारी शरीर चाहिए।तुम

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हारा हुआ आदमी (भाग 7)

  • 597

  • 1.6k

देवेन जब भी आगरा आता इसी होटल में ठहरता था।इसलिए होटल का स्टाफ उसे जानता था।"आज इस समय पेपर की। क्या ज़रूरत पड़ गई?"रीता उसे पेेेपर देते हुए बोली।"कौन कौन सी पिकचर चल रही है?"देेेवेन पिक्चर के नाम देखने ...Read Moreपिक्चर पर आकर उसकी नजर ठहर गई।देवेन ने अखबार वापस कर दिया।"कौनसी पिक्चर देखने जा रहेे हो?"रीता ने पूछा था।"जोश,"देवेन बोला,"तुम भी चलो।"" मैं कैसे चल सकती हूँ।मैं ड्यूटी पर हूँ।नही तो आपके साथ चलती।"ओके।अगली बार।"देवेन होटल से बाहर आकर ऑटो में बैठ गया। ऑटो एम जी रोड़ पर गया।हर रंग,हर वर्ग के लोग आ जा रहे थे।जगह जगह रुकता

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हारा हुआ आदमी - (भाग 8)

  • 524

  • 1.2k

ठंडा पीकर वे हाल में वापस आ गए थे।पर्दे पर पिक्चर शुरू हो गई।उस दौरान दोनों के बीच कोई बात नही हुई थी।पिक्चर समाप्त होनेे पर वे हाल से बाहर आ गए।देवेन की नज़र रेस्टोरेंट पर पड़ी।वह अपने साथ ...Read Moreरही लड़की से बोला,"अगर आपको ऐतराज न हो,तो कॉफी पी जाएं।"और वह देवेंंन के साथ आ गयी थी।देेेवेेेन ने कॉफी का आर्डर दे दिया था।" मेरा नाम देवेन है,"अपना परिचय देते हुए वह बोला,"आपका नाम जान सकता हूँ।"" निशा।""आप क्या करती है?""मैं टीचर हूँ।""सच मे?""आपको शक क्यो है"?"देेखने में आप कॉलेज गर्ल लग रही है।""लेेकिन में टीचर ही हूँ।""रहती कन्हा

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हारा हुआ आदमी (भाग9)

  • 465

  • 1.1k

निशा का मोबाइल नंबर तो उसने लिया नही था।नंबर होता तो फोन कर देता।फिर क्या करे?उसने पत्र लिखने का फैसला किया।लेकिन उसने उसका पता भी नही लिया था।वह याद करने लगा,जो उसने बताया था।और उसे उसके साथ उस दिन ...Read Moreबाते याद आ गई।और उसने निशा के बताय पते पर एक पत्र डालदिया।नवंबर आधा बीत चुका था।दिन अभी भी गर्म थे, लेेकिन राते ठंडी होने लगी थी।देवेन शतााब्दी से आगरा पहुँचा था।ट्रेन प्लेटफ़ॉर्म पर रुकते ही लोोग चढ़ने उतरने लगे।देेेवेन ट्रेेेन से उतर कर स्टेेशन के बाहर आया था।वह टैक्सी की तरफ बढ़ रहा था तभी"देेवेेेनमधुुुर नारी स्वर उसके कान

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हारा हुआ आदमी(भाग 10)

  • 399

  • 1k

"असली है न?""एकदम असली माल है""गुल्लू पहलवान की दुकान से लाया हूँ।"रिक्शेवाले शारीरिक श्रम करते है।सवारी बैठाकर रिक्शा खींचना मेहनत का काम है।शारीरिक श्रम करने वालो को पौष्टिक आहार दूध,दही,फल आदि चीजे खानी चाहिए।लेकिन ये लोग शराब,गांजा जैसी नशीली ...Read Moreहानिकारक चीजो का सेवन करते है।अचानक एक बस उसके सामने आकर रुकी,तो उसकी विचार श्रखला टूटी थी।बस में से कई सवारी उतरी थी।सबसे अंत मे निशा उतरी थी।लाल रंग के सलवार कुर्ते में निशा बेहद सुंदर लग रही थी।"लो मैं आ गयी।अब क्या प्रोग्राम है?"निशा,देवेन के करीब आते हुए बोली।"चलो चलते है।"देवेन और निशा साथ साथ चलने लगे।सदर बाजार आगरा

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हारा हुआ आदमी(भाग 11)

  • 483

  • 1.2k

"जी नही"देवेन बोला,"ज्यादा खाना सोना आपकी सुंदरता में ग्रहण लगा सकता है।""फिर क्या करूँ?""आपकी छुट्टी है और मैं भी फ्री हूँ।कही घूमने चलते है।""कहा?""ताजमहल चलते है।""वैसे तो कई बार देखा है।लेकिन आपका मन है,तो चलते है।"वेटर काफी ले आया ...Read Moreडिस्को संगीत बज रहा था।उसके पूरा होते ही रफी के गाने बजने लगे थे।"तेरी आँखों के सिवारफी का मशहूर गीतदेवेन भी निशा की आंखों का दीवाना था।निशा की आंखे उसकी सुंदरता में चार चांद लगाती थी।उसकी आँखों मे जबरदस्त कशिश थी।बोलती आंखे।मानो पास बुला रही हो।उस गाने को सुनकर देवेन निशा की आंखों में खो गया था।मानो स्वप्निल दुनिया में

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हारा हुआ आदमी(भाग12)

  • 351

  • 990

इसे निहारने के लिए हजारों की संख्या में पर्यटक देश विदेश से आते है।जो भी आगरा आता है, ताजमहल जरूर देखना चाहता है।देवेन और निशा के पीछे एक फोटोग्राफर लग गया"नही भईदेवेन ने बडी मुश्किल से उससे पीछा छुडाया ...Read Moreभी भीड थी।विदेशी पर्यटकों के साथ गाइड था जो उन्हें ताजमहल का इतिहास बता रहा था।अंदर से ताज महल देखकर निशा और देवेन बाहर आ गए।निशा बोली,"शरद पूर्णिमा में चांदनी रात में इसकी छटा देखने लायक होती है।इस रात को ताज के दीदार के लिए लोग दूर दूर से आते है।""कभी अवसर मिला तो रात को ज़रूर देखंगे।"देवेन और निशा

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हारा हुआ आदमी(भाग 13)

  • 327

  • 777

निशा ने उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया तो?अगर उसने देवेन से शादी करने से इनकार कर दिया तो?देवेन, निशा के मुंह से ना नही सुनना चाहता था।निशा,देवेन के इतने करीब आ चुकी थी कि वह उसे किसी भी हालत ...Read Moreखोना नही चाहता था।देवेन ऐसा कुछ नही करना चाहता था, जिस्से निशा के। दिल को ठेस लगें।अजीब उलझन थी।कहे तो नाराज़ी का डर।लेकिन कहे बिना चारा नही था।आज भी याद है उसे वो दिन।वो दिन बहुत सुहाना था।आकाश साफ था।ठंडी हवा चल रही थी,जो इस बात का संकेत थी कि कही आस पास बरसात हुई थी।देवेन और निशा सिकन्दरा घूमने

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हारा हुआ आदमी(भाग14)

  • 240

  • 816

उसके बाद निशा अपनी मां को देवेन के आगरा आने पर सब बातें बताने लगी।माया खुश थी।अगर निशा खुद ही किसी को पसंद कर ले तो उसे क्या ऐतराज हो सकता था।निशा आज देवेन को साथ घर लायी तो ...Read Moreखुशी हुई थी।वह तो सोच रहा था,उसे नििशा की माँ केेओ अपने बारे मेें सब कुुुछ बताना पड़ेगा,लेकिन निशा ने पहले ही सब कुुुछ बता रखा था।यह बात पता चलने। पर देवेन ने निशा की तरफ देखा था। निशा के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान थी।उसने जीभ निकाल कर देवेन को चिढ़ाया था।वह भी कुछ ऐसा ही करना चाहता

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हारा हुआ आदमी (भाग15)

  • 243

  • 840

"लो बेटा,"राम लाल बेटे को गोद मे उठा लेता।माँ बाप की छत्र छाया में देवेन के दिन हंसी खुशी गुज़र रहे थे।राम लाल और लीला दोनो ही अपने बेटे को बहुत प्यार करते थे।लेकिन देवेन के नसीब में माँ ...Read Moreका प्यार नही लिखा था।एक दिन लीला रोज की तरह देवेन को स्कूल बस मे बैठाने के लिए सड़क तक गई थी।उसे बस में बैठाने से पहले बोली,"स्कूल से लोटो, तब शीला आंटी से चाबी ले लेना।कपड़े बदलकर खाना खा लेना।""आप कही जा रही है?"देवेन ने अपनी मां से पूछा था।"मैं और तेरे पापा गाज़ियाबाद जा रहे है।शाम को लौट

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हारा हुआ आदमी(भाग 16)

  • 246

  • 759

"लौट आये"।दुर्गा साड़ी के पल्लू से हाथ पोंछती हुई आयी थी।दुर्गा मझले कद और भारी भरकम शरीर की औरत थी।"बेटा यह तुम्हारी चाची है"।मोहन ने देवेन को बताया था।"नमस्ते आंटी"।देवेन ने हाथ जोड़कर नमस्ते की थी।"खुश रहो"।दुर्गा ने तिरक्षी ...Read Moreसे देवेन को देखा था।"हुआ क्या था?"दुर्गा ने पति से पूछा था।"भाई साहब और भाभी गाज़ियाबाद गए थे।लौटते समय बस का एक्सीडेंट- - - -मोहन ने पत्नी को समाचार सुनाते हुए बोला,"देवेन उनका एकलौता बेटा था।अब इसके लिए दिल्ली में क्या रखा था,"इसे मैं ले आया।अब यह यही रहेगा"।पति से पूरे समाचार सुनने के बाद दुर्गा ने कोई प्रतिक्रिया नही

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हारा हुआ आदमी (भाग17)

  • 249

  • 735

मोहन पत्नी की बाते सुन लेता तो उसे डांटता।उसे समझाता।पर व्यर्थ।दुर्गा पर पति की डांट या प्यार से समझाने का कोई असर नही पड़ता था।देवेन चाची से दूर दूर रहने का ही प्रयास करता था।इसलिए स्कूल से आकर खाना ...Read Moreके बाद चाचा के पास दुकान पर चला जाता।समय रुकता नही।समय का चक्र अपनी गति से घूमता रहता है।देवेन साल दर साल अगली क्लास में चढ़ता गया।मोहन, िदेवेन के बारे में सोचने लगा।बारहवीं पास करने के बाद उसे क्या कराया जाए।लेकिन मोहन सोचता उससे पहले हार्ट अटक से मोहन कज मौत हो गई।चाचा की मौत से देवेन को गहरा धक्का

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हारा हुआ आदमी (भाग 18)

  • 210

  • 675

"लौट जाओ।वापस अपने घर चले जाओ।सब परेशान होंगे घर मे" उस लडजे ने देवेन को समझाया था,"तुम्हारे पिता तुम्हे ढूंढ रहे होंगे।माँ ने रो रोकर बुरा हाल कर रखा होगा।तुम माँ बाप की पीड़ा का अंदाज नही लगा सकते।"उस ...Read Moreकी बात सुनकर देवेन रोने लगा।देवेन को रोता देखकर वह लड़का उसे चुप कराते हुए बोला,"क्या बात है?तुम रो क्यो रहे हो?"उस लड़के की बात सुनकर देवेन अपने अतीत को याद करते हुए बोला,"मेरे माँ बाप को गुजरे हुए सालो हो गए।उनके गुजरने के बाद रिश्ते के चाचा ने मुझे सहारा दिया।चाची को मैं बिल्कुल पसंद नही था।वह मुझे नही

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हारा हुआ आदमी (भाग 19)

  • 258

  • 750

बी एस सी पास करने के बाद उसने एक मेडिकल कंपनी में एम "आर की नौकरी कर ली।"और अब मैं एम आर के रूप में आपके सामने हू।"उसने माया के सामने अपने अतीत के पन्ने खोल कर रख दिये।"सचमुच ...Read Moreमेहनती हो ।निशा तुम्हारी बहुत तारीफ करती है"।उसका अतीत जानकर माया बोली थी।"आज आपसे मुलाकात हो गई।""मैं सोचती थी।मैं अकेली औरत कैसे निशा के लिए लड़का ढूंढूंगी।लेकिन भगवान बहुत दयालु है।मुझे लड़का ढूंढने के लिए जरा भी भागदौड़ नहीं करनी पड़ी।मुझे निशा के योग लड़का घर बैठे ही मिल गया।""मैं भी कम भाग्यशाली नही हूँ।निशा जैसी सुशील सूंदर लड़की मुझे

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हारा हुआ आदमी (भाग20)

  • 198

  • 594

बारात दरवाजे पर आ पहुंची।देवेन के दोस्त बैंड की धुनों पर नाच रहे थे।देवेन घोड़ी पर बैठा था।निशा की सहेलिया बारात देखकर अंदर चली गई थी।"तूूम्हारा दूल्हा तूूम्हे लेने आ ही गया।"गीता नेे निशा की थोडी उठाकर उसकी आँखों ...Read Moreआंखे डालकर देेखा था।"घर आया मेरा। और लड़कियां गाने लगी।" अरे तुम्हहै कुुुछ होश। भी है।"माया कमरे में चली आयी। लड़कियों की मस्ती और उछल कूद देखकर उन्हें टोका था।"क्या हुआ आंटी?"लड़कियां मस्ती करते हुए ही बोली।"दूल्हा दरवाजे पर खड़ा है।निशा को वरमाला के लिए ले चलो।"माया चली गई।निशा की सहेलिया उसे दरवाजे पर ले गई।सामने देवेन दूल्हा बना

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हारा हुआ आदमी (भाग21)

  • 234

  • 681

"निशा भी?"उसने अपने आप से सवाल पूछा था।"मन से तो वह पहले ही तुम्हारी हो चुकी है।आज तन से भी तुम्हारी हो जाएगी?""सच?"अपने दिल कि बात सुनकर देवेन का चेहरा गुलाब सा खिल उठा।उसने सेंट की शीशी उठायी और ...Read Moreकपड़ों पर स्प्रे कर लिया।उसने अपने बालों को सँवारा और फिर चल दिया।रमेश की पत्नी रूपा और सुरेश की पत्नी सविता ने सुहागकक्ष को गुलाब,मोगरा और चमेली के फूलों से सजाया था।देवेन को देखकर रूपा बोली,"दुल्हन कब से दूल्हे राजा के इन्तजार मे पलके बिछाय बैठी है।और तुम्हे अब फुरसत मिली है।""आ तो गए।हमारी बहन फूलो सी नाजुक है।आज की

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हारा हुआ आदमी (भाग22)

  • 177

  • 585

"नही मानोगे?""कभी नही"देवेन ने फिर से निशा के अधरों को चूमना चाहा तो निशा ने अपना हाथ आगे रख लिया।"नही ऐसे नही।""तो फिर कैसे?""देवेन ने पूछा था।"पहले लाइट ऑफ करो।"निशा नज़रे नीची करके बोली थी।"क्यो?"देवेन ने निशा से प्रश्न ...Read Moreथा।"मुझे शर्म लग रही है।"निशा नज़रे झुकाकर बोली थी""शर्म लेकिंन किस से",देवेन चारो तरफ देखते हुए बोला,"कमरे में सिर्फ मैं ही हूँ"।फिर शर्म किस से?""तुमसे।""शर्म लग रही है और मुझसे?"निशा की बात सुनकर देवेन हंसा था।"हंस क्यो रहे हो?"देवेन को हंसता देखकर निशा बोली थी।"माई स्वीट हर्ट।बात हंसने की ही है।हमारी रानी हमसे ही शर्मा रही है। देवेन ने फिर

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हारा हुआ आदमी(भाग 23)

  • 336

  • 765

"यह लो।""थैंक्स।"और दोनों चाय पीने लगे।। चाय पीने केे बाद निशा पलँग से उठते हुुुए बोली, अपना घर तो दिखाओ""मेरा नही।अब यह घर तुम्हारा है।""मेरा क्यो?""घर तो तभी बनता है,जब औरत आती है।बिना औरत जिंदगी खाना बदोस है।""मेरा ...Read Moreहम दोनों का है,"निशा बोली,"घर देख लू।फिर साफ सफाई ,खाना आदि काम भी है।""अभी हाथो की मेहंदी छुटी भी नही और काम।अभी रहने दो,कुछ दिन।""मैं रहने दूंगी तो कौन करेगा काम।""एक ही रात मे औरत कितनी बदल जाती है।वह अपनी जिम्मेदारी समझने लगती है,"देवेन, निशा की प्रशंसा करते हुए बोला,"अभी कुछ दिन रहने दो।अभी तुम्हे दिल्ली घुमानी है।फिर रात की

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हारा हुआ आदमी(भाग 24)

  • 168

  • 585

और निशा दरवाजा खोलकर चाय ले आयी।देवेन को जगाते हुए बोली,"चाय पी लो।""चाय रहने दो।कितनी अच्छी नींद आ रही है।सोने दो और तुम भी सो जाओ।""अब सोने का समय नही है।यंहा हम सोने नही घूमने के लिए आये है।"देवेन ...Read Moreनही चाहता था,लेकिन निशा ने उसे जबरदस्ती उठा दिया।देवेन और निशा होटल से निकले तब सूर्य की किरणें माउंट की वादियों में अपने पैर पसार रही थी।सर्दियों के मौसम में कम ही सैलानी यहां आते है,लेकिन गर्मियी में बड़ी संख्या में लोग आते है।सर्दियों के मौसम में रात और भी ज्यादा ठंडी हो जाती है।सुबह कि गुनगुनी धूप शरीर को

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किशनलाल शर्मा

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