The Lost Man (Part 52) in Hindi Fiction Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | हारा हुआ आदमी (भाग 52) हारा हुआ आदमी (भाग 52) 1.3k 2.9k देवेन को अपनी सास माया के शरीर का ऐसा चस्का लगा कि उसे पत्नी बासी लगने लगी।वह हर समय माया के बारे में ही सोचने लगा।हर समय उसके ख्यालो में ही खोया रहने लगा।पराई औरत का चस्का एक बार लग जाये तो फिर छूटता नहीं।अपनी पत्नी घर की मुर्गी दाल बराबर नज़र आने लगती है।जैसे दाल रोज खाते खाते आदमी ऊब जाता है और पकवान खाने का मन करता है।पराई औरत पकवान की तरह ही होती है।माया के शरीर का देवेन को ऐसा चस्का लगा कि निशा उसकी पत्नी उसे बासी लगने लगी।अब वह हर समय माया के बारे में ही सोचने लगा।किस तरह माया के शरीर को पाया जाए।वह मन ही मन मे यही योजना बनाता रहता।बैंक का कोई भी काम आगरा का होता तो उसे ही भेजा जाता क्योंकि सब ही जानते थे कि आगरा में उसकी ससुराल है।एक दो बार वह बैंक के बहाने भी आगरा जा चुका था।और इस तरह देवेन माया के शरीर का लुत्फ उठाने लगा।देवेन इस बात का पूरा ख्याल रखता की निशा को किसी तरह का शक न हो।वह निशा के साथ पहले की तरह ही रहता।कोई ऐसा काम न करता जिससे उसका व्यहार बदला हुआ लगे।किसी तरह का परिवर्तन उसने अपने व्यवहार में नही आने दिया।देवेन के दिल मे जो था कभी अपने चेहरे से पत्नी के सामने प्रकट नही होने दिया।देवेन इस तरह दोहरी जिंदगी जीने लगा।पत्नी के प्रति वफादारी का नाटक करते हुए माया से गुप्त अनैतिक सम्बन्ध बनाये रहा।पहले देवेन को माया की हरकत बुरी लगी थी।उसकी ज़बरदस्ती अखरी थी।अब माया को देवेन की हरकत बुरी लगती।उसकी ज़बरदस्ती उसे कतई भी पसंद नही आती।लेकिन असली गुनहगार माया थी।शुरुआत उसने की थी।उस रात देवेन ने उसे खूब समझाया था।उसकी हरकत को पाप बताया था।इन सम्बंधो को अनैतिक बताया था।लेकिन माया ने अपने तर्को से उसकी सारी बाते काट दी थी।और बाद में माया को ये पाप और अनैतिक लगने लगा।लेकिन अब देवेन माया की कोई बात सुनने के लिए तैयार नहीं था और फिर दोनो ही पाप और पुण्य की परिभाषा भूल गए।नैतिकता और अनैतिकता भूल गए।और उन्हें अवैध सम्बन्ध में रस आने लगा।मजा आने लगा।आनंद आने लगा।माया और देवेन दोनो में से किसी ने भी यह सोचने का प्रयास नही किया।अगर निशा को उनके अवैध सम्बन्ध की भनक लग गयी या पता चल गया तो इसका अंजाम क्या होगा?गलती उनकी भी नही थी।ऐसे सम्बन्धो में ऐसा ही होता है।अवैध सम्बन्ध रखने वाले परिणाम के बारे में कभी नही सोचते।देवेन, किसी ने किसी काम के बहाने माया के पास आने लगा।माया को भी उसका ििनतज़ार रहता।और उसके आने पर माया चहक उठती।माया और देवेन का रिश्ता ऐसा था कि निशा को तो क्या दुनिया वालो को भी उन पर शक नही हो सकता था।कोई स्वप्न में भी नही सोच सकता था।सास और दामाद में अनैतिक सम्बन्ध है।सास और दामाद प्रेमी और प्रेमिका बन चुके है।उनके रिश्ते पति पत्नी जैसे हो चुके है।और दिन गुज़रने लगे।एक दिन देवेन शाम को रोज की तरह बैंक से लौटा तब निशा उससे बोली,"मम्मी की चिट्ठी आयी है।""अच्छा,"पत्नी की बात सुनकर देवेन बोला,"क्या लिखा है?' ‹ Previous Chapterहारा हुआ आदमी (भाग 51) › Next Chapterहारा हुआ आदमी (भाग 53) Download Our App Rate & Review Send Review Be the first to write a Review! More Interesting Options Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Kishanlal Sharma Follow Novel by Kishanlal Sharma in Hindi Fiction Stories Total Episodes : 55 Share You May Also Like हारा हुआ आदमी by Kishanlal Sharma हारा हुआ आदमी - 2 by Kishanlal Sharma हारा हुआ आदमी - 3 by Kishanlal Sharma हारा हुआ आदमी - 4 by Kishanlal Sharma हारा हुआ आदमी - 5 by Kishanlal Sharma हारा हुआ आदमी(भाग 6) by Kishanlal Sharma हारा हुआ आदमी (भाग 7) by Kishanlal Sharma हारा हुआ आदमी - (भाग 8) by Kishanlal Sharma हारा हुआ आदमी (भाग9) by Kishanlal Sharma हारा हुआ आदमी(भाग 10) by Kishanlal Sharma