The Lost Man (Part 33) in Hindi Fiction Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | हारा हुआ आदमी (भाग 33)

हारा हुआ आदमी (भाग 33)

देवेन ने प्रश्नसूचक नज़रो से पत्नी को देखा था।
"अब हम दो नही रहे।तुम बाप बन चुके होो।ऐसी हरकत करोगे तो बेटे पर क्या असर पड़ेगा,"पति की पकड़ से निकलते हुए निशा बोली।
"तुम भी कमाल करती हो यार।अभी से बेटे का डर दिखा रही हो।अभी तो वह बहुत छोटा है।"
"अभी छोटा है।लेकिन अपनी आदते अभी से बदलने का प्रयास करो।
"जो हुक्म सरकार"और देवेन चला गया था।
निशा पहले सुबह जल्दी नहा लेती थी।लेकिन अब बेटा हो जाने पर ऐसा नही हो पाता था।राहुल सुबह जल्दी उठ जाता।कुछ देर उसे खिलाती।अपना दूध पिलाती।फिर पति से कहती,"अब इसे तुम सम्हालो।मुझे काम करना है।"
निशा पति के लिए नाश्ता, खाना तैयार करती।पति के चले जाने पर घर की सफाई,बेटे की तेल मालिश उसे नहाना,दूध पिलाकर सुलाना।फिर खुद नहाती थी।खाना खाती।
राहुल के होने से पहले उसे दिन में तीन चार घण्टे आराम करने कक मिल जाते थे।लेकिन बेटा हो जाने के बाद उसके पास काम बहुत बढ़ गया था।अब उसे आराम करने का समय ही नही मिलता था।पहले सिर्फ पति की सेवा करनी पड़ती थी।अब पति के साथ पुत्र की भी।आदर्श पत्नी के साथ आदर्श माँ के कर्तव्य भी निभाने पड़ते थे।
इस तरह निशा के दिन हंसी खुसी गुज़र रहे थे।एक दिन देवेन बैंक से लौटा तो पालना खरीद लाया।पालने को कमरे में रखते हुए बोला,"लाओ राहुल को।"देवेन बेटे को पालने में लेटाते हुए बोला,"अब इसमें झूलता रहेगा,तो रोयेगा नही।"
एक रात देवेन बैडरूम में आया तो अलग अलग बिस्तर देखकर चोंका,"यह मैं क्या देख रहा हूँ?"
"क्या देख रहे हो?"निशा ने प्रश्नसूचक नज़रो से पति को देखा था।
",हमारे बिस्तर अलग अलग क्यों है।"
"अब हम अलघि सोया करेंगे।"
"क्यों यार?"
"अब हम दो नही रहे।"
"हर समय तुम्हारी जुबान पर एक ही बात रहती है।"
"तो मैं गलत क्या कह रही हूँ।अब कुछ तो बदलना पड़ेगा हमे।"
निशा अपने बेटे की बगल में लेट गई।उसे लेटाते देखकर देवेन बोला,"कुछ देर के लिए तो आओ।"
"नो।नहीं।"निशा पति की तरफ देखे बिना बोली।
"अरे सुनो तो सही।"
"मुझे कुछ नही सुनना है।""
"प्लीज निशा डार्लिंग।"
"मैने मना कर दिया न।अब चुप चाप सो जाओ।दिन मे एक मिनट भी आराम को नही मिलता है।अब मैं बहुत थक गई हूं।मुझे बहुत जोर से नींद आ रही है।तुम भी अब सो जाओ।" निशा ने करवट बदल ली।वह पति की तरफ पीठ करके लेट गई।देवेन अपने बिस्तर पर आकर लेट गया।वह टकटकी लगाए पत्नी की तरफ देखने लगा।उसका ख्याल था।निशा ने मना जरूर कर दिया है।लेकिन कुछ देर बाद उसके पास आ जायेगी।लेकिन उसका ऐसा सोचना गलत निकला।कुछ देर बाद निशा गहरी नींद में सो गई।
पत्नी को सोया देखकर देवेन ने भी करवट बदलकर आंखे मूंद ली।
और ऐसे ही दिन गुज़रने लगे।
दिसम्बर।सर्दियों का मौसम।
एक दिन देवेन बैंक से घर आया।वह कपड़े चेंज करके सोफे पर आ बैठा।निशा पति को चाय का कप देते हुए बोली,"बीस तारीख को आगरा जाना है।"
"क्यों?देवेन ने पत्नी से पूछा था।
निशा ने जवाब देने की जगह लिफाफा उसके हाथ मे पकड़ा दिया।
"क्या है?"देवेन लिफाफा हाथ मे लेते हुए बोला।
"खुद ही देख लो।"
देवेन लिफाफे को देखकर बोला,"यह तो शादी का कार्ड है।"
"हां।शादी का कार्ड ही है।"
"किसकी शादी है?"देवेन पत्नी के चेहरे को देखने लगा।
"गीता की शादी है?"
"अब यह गीत कौन है?"



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