The Lost Man (Part 36) in Hindi Fiction Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | हारा हुआ आदमी (भाग 36)

हारा हुआ आदमी (भाग 36)

"दीदी आप आ गयी?"निशा को देखते ही रमेश ने नमस्ते की और देवेन के पैर छुए थे।
"नन्हा मुन्ना भी आया है,"रमेश निशा की गोद से राहुल को लेते हुए बोला,"दीदी आपने इसका नाम क्या रखा है?
"राहुल",निशा बोली,"गीता कहाँ है?"
"अंदर है।दीदी आपको कई दिनों से याद कर रही है।मैं रोज आपके घर जा रहा था।आज भी गया था।"
"हां।मम्मी ने मुझे बताया था।"
"मैं आंटी से कहकर आया था,आपको भेज दे।"
"नहीं कहते तो भी आती।"
"दीदी मैं जानता था।पर हमारी दीदी को कौन समझाए,"रमेश बोला,"अंदर चलो।,
घर के बाहर टेंट और बिजली वाले काम कर रहे थे।मेटाडोर से कुर्सियां उतारकर नीचे रखी जा रही थी।
"दीदी देखो कौन आया है?"रमेश ने दरवाजे के बाहर से ही कहा था।
"कौन है?अंदर ले आओ".गीता अंदर से ही बोली थी।
रमेश,देवेन और निशा को लेकर अंदर कमरे में पहुंचा था।
"निशा तू,"गीता,निशा का हाथ पकड़कर नाराजी ज़ाहिर करते हुए बोली,"तुझे आज आने की फुरसत मिली है।मैं दो दिन से तेरा इन्तजार कर रही हूँ।"
"दीदी जीजाजी भी साथ मे है।"
गीता सचमुच भूल ही गई थी।उसे अपनी गलती का एसएस हुआ।वह हाथ जोड़ते हुए बोली,"जीजाजी नमस्ते"।
गीता बहुत खुश नजर आ रही थी।हर लड़की की ज़िंदगी मे यह दिन आता है।यह दिन आने पर वह खुशी से फूली नही समाती।लड़की रूप की रानी,सुंदरी ही तो इस दिन उसकी सूंदरता में चार चांद लग जाते है।
लम्बी छरहरी गोरी चिट्टी गीता का रंग उबटन से और निखर आया था।उसके हाथ पैरों में मेहंदी लगी थी।वह अप्सरा सी लग रही थी।
"तूने मेरी बात मान ली जीजाजी को साथ ले ही आयी,"गीता बोली।
"आपका डर जो था।"देवेन बोला
कैसा डर?"गीता ने पूछा था।
"आपने चिट्टी में लिखा था।जीजाजी को साथ नही लायी तो कहीं आप इन्हें बेरंग वापस न कर दे।"देवेन बोला,"यह बेरंग वापस नही होना चाहती थी इसलिए मुझे टिकट बनाकर साथ लायी है।"
देवेन ने कुछ इस तरह कहा था कि उसकी बात सुनकर गीता हंस पड़ी।उसकी हंसी ऐसी थी मानो कोई रूपसी किसी टूथपेस्ट का विज्ञापन कर रही हो।गीता के दांत मोतियों से सफेद थे।गीता की हंसी में निशा ने भी साथ दिया।लेकिन रमेश कु समझ मे हंसने की वजह समझ मे नही आयी।तब वह बोला,"आप हंस क्यो रहे है?"
गीता ने उसे बेरंग लिफाफे की बात बताई तब उसे मतलब समझ मे आया था।वह हंसते हुए बोला,"मतलब आप स्टैम्प बनकर निशा दीदी के साथ आये है।"
"हां"देवेन, गीता से बोला,"अब यह बेरंग नही है।"
"नही"।
"आप लोग बातें करे।मैं अभी आया"।रमेश,राहुल को निशा कक देकर चला गया।
"आइए बैठिए।"गीता बोली थी
गीता और निशा सोफे पर बैठ गए।देवेन कुर्सी पर बैठ गया।
"निशा की शादी तीन साल पहले हो गई।आप बड़ी होकर भी पिछड़ गई".देवेन बोला था।
"निशा किस्मत वाली है।"गीता बोली।
"वो कैसे?"देवेन ने गीता से प्रश्न किया था।
"आंटी को निशा के लिए वर ढूंढने के लिए कहीं नही जाना पड़ा।घर बैठे उन्हें लड़का मिल गया।निशा को आप जैसा पति मिल गया।ऐसे भाग्य बिरली ही लड़कियों के होते है।"गीता ने निशा की किस्मत को सराहा था।
"तुम्हे मेरी किस्मत से जलन हो रही है?"गीता की बात सुनकर निशा बोली।
"तू मेरी दुश्मन नही है,जो मुझे जलन होगी।मेरी सहेली है,मुझे टी खुशी हो रही है।"
"चाय लीजिए।बातो से पेट नही भरेगा।"रमेश चाय और नास्ता ले आया था।
(अगले भाग में आगे पढ़िए)

Rate & Review

Parash Dhulia

Parash Dhulia 2 years ago

Minakshi Singh

Minakshi Singh 2 years ago

Granthkumar

Granthkumar 2 years ago