The Lost Man (Part 38) books and stories free download online pdf in Hindi

हारा हुआ आदमी (भाग38)

रमेश,देवेन से बाते कर रहा था तभी किसी ने उसे पुकारा था।रमेश चला गया।
"राहुुुल कहां है?"देवेंन ने पत्नी सेे पूछा था।
"अंदर सो रहा है।"निशा बोली।
"तुम सुबह अकेली आ जाओगी या मैं लेने आऊं?"
"अरे नही।तुम्हे आने की ज़रूरत नहीं है।मैं ओला करके आ जाऊंगी।"
"सर्दी का मौसम है।अपना औऱ राहुल का ख्याल रखना"
और देवेन बाहर सड़क पर आ गया।आखरी शो अभी नही छुटा था। उसने एक ऑटो किया और उसमें बैठ गया।
आसमान मे बादल छाए थे।रह रह कर बिजली की चमक और गर्जना सुनाई पड़ रही थी।बरसात का पूरा अंदेसा था।
दोपहर तक आसमान साफ था।अचानक मौसम में परिवर्तन आया था।ठंडी हवा चल रही थी।कहीं आस पास बरसात हो चुकी थी।
वातावरण एकदम शांत था।रात की नीरवता पूरे माहौल में छायी हुई थी।दूर तक कोई आवाज नही,शोर नही,आहत नही।सर्दी कक वजह से किसी आवारा कुत्ते की भी आवाज सुनाई नही पड़ रही थी।रात के साये में सड़क किनारे खड़े पेड़ भी मनहूस लग रहे थे।और कुछ देर बाद ऑटो निशा के घर के बाहर आकर रुका था।
देवेन के बेल बजाने पर माया ने दरवाजा खोला था।
"बहुत देर कर दी,"माया बोली,"निशा नही आयी।"
'गीता ने नही आने दिया,"देवेन अंदर आते हुए बोला,"मुझे भी रोक रहे थे।लेकिन क्या करता रात में?"
"मौसम बिगड़ गया है।बरसात होने की पूरी संभावना है।एक तो ठंड दूसरे बरसात।राहुल के साथ निशा रात में परेशान हो जाएगी
"परेशानी तो होगी।"
माया भी देवेन के पीछे दरवाजा बंद करके चली आयी थी।देवेन कपड़े बदलने लगा।
"चाय बनाऊ?"
"नही।अब कुछ नहीं। नींद आ रही है।सोना चाहता हूँ।"
"बैडरूम में बिस्तर लगा दिए है।देवेन ने नाईट सूट पहना और बैडरूम में आ गया।
बरसात शुरू हो गई थी।बरसात तेज हो रही थी।आसमान से पानी गिरने की आवाज अंदर बैडरूम में भी सुनाई पड़ रही थी।कमरे में नाईट लैंप जल रहा था।लेकिन अचानक कमरे में अंधेरा छा गया।लाइट चली गई थी।ठंड से बचने के लिए उसने लिहाफ ओढ़ लिया था।और लेटे लेटे न जाने कब देवेन को नींद आ गई
रात को शरीर पर पड़ने वाले दबाव से देवेन की नींद टूट गयी।उसकी आंखें खुल गई।देवेन को अंधेरे में अपने बिस्तर पर एक आकृति नज़र आयी।वह उठकर बैठ गया।कौन है?बैडरूम में घुप्प अंधेरा था।वह बिस्तर में लेटा तब लाइट चली गयी थी।बैडरूम का अंधेरा इस बात का घोतक था की लाइट अभी नही आई थी।
ऐसे अंधेरे में पता नही चल रहा था की कौन है उसके बिस्तर पर। इसलिए वह बैडरूम में छायी खामोशी को तोड़ते हुए बोला,"कौन?"
"मैं"उसे फुसफुसाहट सुनाई पड़ी।
"मैं कौन?"उस फुसफुसाहट से उसे पता नही चला।कहीं उसके सो जाने के बाद निशा तो नही लौट आयी।पर वह आती तो उसकी आंख ज़रूर खुल जाती।यह निशा नही है।इसलिए वह फिर से बोला," कौन?"
"अरे मैं हूँ।"रात के सन्नाटे में मधुर नारी स्वर गुंजा था।
"अरे आप और यहाँ?"आवाज पहचानते ही वह बुरी तरह चोंका था।उसे ऐसा लगा मानो बिछु ने डंक मार दिया हो।निशा कक माँ यानी देवेन की सास उसके बिस्तर पर लेटी हुई थी। उसने कभी स्वप्न में भी कल्पना नही की थी की एक रात कभी ऐसा भी हो सकता है।सास दामाद के बिस्तर पर आ सकती है।देवेन कक नींद में पता ही नही चला कब वह आ गयी थी