Defeated Man (Part 25) in Hindi Fiction Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | हारा हुआ आदमी (भाग 25)

हारा हुआ आदमी (भाग 25)

ढलता सूरज आग के लाल गोले से प्रतीत हो रहा था।पल पल आसमान का दृश्य बदल रहा था।धीरे धीरे आकाश का रंग सुर्ख लाल हो रहा था।धीरे धीरे सूरज पहाड़ियों की ओट में नीचे सरक रहा था।और धीरे धीरे सूरज पहाड़ियों की ओट में लोप हो गया।और सूर्यास्त के बाद लोग लौटने लगे।
देवेन भी निशा का हाथ पकड़कर चल पड़ा।शाम अंतिम सांस ले रही थी।आसमान से अंधेरे की परतें धरती पर उतरने लगी थी।देवेन और निशा धीरे धीरे टहलते हुए होटल वापस आ गए थे।
डिनर लेकर वे नक्की झील ओर आ गए थे।आसमान में काले बादल मंडराने लगे थे।चांद भी निकल आया था।चांद और बादलो के बीच लुका छिपी का खेल चल रहा था।
सूर्य कि गर्मी की वजह से दिन ज्यादा ठंडा नही लग रहा था।लेकिन रात होते ही ठंड ने अपना रुतबा दिखाना शुरू कर दिया था।रात के सरकने के साथ ठंड बढ रही थी।
ऐसी ठंडी रात में झील के आसपास कम ही लोग नज़र आ रहे थे।वंहा मौजूद लोगो मे ज्यादातर नवविवाहित जोड़े थे।उनमें जवानी का जोश और यौवन का उन्माद था।जोड़े अपने साथी से सटकर रात के ठंडे मौसम का आनंद ले रहे थे।
देवेन और निशा एक दूसरे का हाथ पकड़ हंसी मजाक करते हुए टहल रहे थे।काफी देर टहलते हुए हो गईं तब निशा
बोली,"ठंड लग रही है।चलो रूम में।"
"मेरी जान तुम भी यार कमाल करती हो,"देवेन, निशा को निहारते हुए बोला,"हम यहां घूमने के लिए आये है।चांदनी रात में घूमने का मज़ा ही कुछ और हे।"
"तुम गलत कह रहे हो,"निशा बोली,"हम यहां घूमने नही आये है।"
"फिर क्यो आये है?"देवेन अपनी पत्नी की आंखों में झांकते हुए बोला।
"हनीमून के लिए आये है।"
"सॉरी भूल गया था"देवेन, निशा को आलिंगन में लेते हुएबोला,"हम हनीमून के लिए आये है।"
"तो अब चलो।"निशा मचलकर बोली थी।
"अच्छा तो चलो"और वे अपने रूम में लौट आये थे।
रूम में आते ही देवेन ने निशा को बांहों में भर लिया।
"यह क्या कर रहे हो?"
"वो ही जिस काम के लिए आये है।"
"अरे तो मुझे कपड़े तो चेंज कर लेने दो।"
"कपड़े शरीर से हटाने ही है फिर बदलने की क्या जरूरत है।"देवेन, निशा को गोद मे लेकर पलंग पर ले आया।
"बड़े बेशर्म हो।एक लड़की से ऐसी बाते करते हुए शर्म नही आती।"
"यह लड़की अब मेरी पत्नी है और पत्नीसे केसी शर्म।अगर शर्म करूँगा तो प्यार कैसे करूँगा?"
और वे दोनों प्यार और वासना के समुन्दर में गोते लगाने लगे।
सुबह चार बजे से ही बरसात होने लगी।माउंट पर सर्दियों के मौसम में रात बहुत ही ठंडी रहती थी।लेकिन दिन में धूप खिलने पर सर्दी से कुछ राहत मिल जाती थी।लेकिन बरसात की वजह से दिन भी ठंडा हो गया था।
बरसात शुरू हुई तो उसने रुकने का नाम ही नही लिया।देवेन और निशा होटल के कमरे में कैद होकर रह गए।और अगले दिन वे दिन भर घूमते रहे।और अपना टूर पूरा करके वे वापस दिल्ली लौट आये थे।
सुबह किसी ने दरवाजा थपथपाया था।निशा ने दरवाजा खोला।
"दूध"लड़का दूध की थैली देकर चला गया।निशा दूध लेकर किचन में आयी।शादी के बाद वह पहली बार ससुराल में किचन में कदम रख रही थी।उसे मालूम नही था।कौनसी चीज कहाँ रखी है।लेकिन मालूम न होने पर भी कम चला ले तो सफल गृहणी कहलाती है।निशा चाय बनाकर बैडरूम में ले आयी।देवेन अब भी सो रहा था।


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