Defeated Man (Part 14) in Hindi Fiction Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | हारा हुआ आदमी(भाग14)

हारा हुआ आदमी(भाग14)

उसके बाद निशा अपनी मां को देवेन के आगरा आने पर सब बातें बताने लगी।माया खुश थी।अगर निशा खुद ही किसी को पसंद कर ले तो उसे क्या ऐतराज हो सकता था।
निशा आज देवेन को साथ घर लायी तो उसे खुशी हुई थी।वह तो सोच रहा था,उसे नििशा की माँ केेओ अपने बारे मेें सब कुुुछ बताना पड़ेगा,लेकिन निशा ने पहले ही सब कुुुछ बता रखा था।यह बात पता चलने। पर देवेन ने निशा की तरफ देखा था।
निशा के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान थी।उसने जीभ निकाल कर देवेन को चिढ़ाया था।वह भी कुछ ऐसा ही करना चाहता था,पर उसकी मम्मी की वजह से चुप रह गया।
"अब मत कहना अपनी मम्मी से नही मिलाया।जो भी बात करनी हो कर लेना।"
"बाते ही करती रहोगी।देवेन पहली बार घर आया है।"माया ने टोका तो निशा बोली,"अभी लो मम्मी"।निशा किचिन में चली गयी थी।
"तुम्हारे परिवार में और कौन है?"माया ने बात शुरू की थी।
"कोई नही।मैं अनाथ हूँ"।देवेन अपने बारे में बताते हुए उदास हो गया।
"सॉरी"माया ने अफसोस जताया था।
देवेन और माया बाटे कर रहे थे,तभी निशा चाय लेकर आ गई।तीनो चाय पीने लगे।चाय पीकर निशा उठकर चली गई,तब माया फिर बोली,"बुरा मत मानना, मैं तुम्हारे बारे में सब कुछ जानना चाहती हूँ।"
देवेन अपने अतीत को कही गहरे में दफन कर चुका था।उसने कभी भूल से भी अपनी जिंदगी के अतीत के अध्याय को खोलने का प्रयास नही किया था।किसी को उसके अतीत में क्या दिलचस्पी हो सकती थी।लेकिन आज उसे कोई ऐसा मिला था।जो उसके अतीत को जानने के लिए उत्सुक था।
और देवेन अपने अतीत को याद करने लगा।
"लीला कहा गई?"रामलाल कमरे में खड़ा होकर आवाज लगा रहा था।
"क्या हो गया?क्यो हल्ला मचा रहे हो?"लीला किचिन में टिफिन पैक कर रही थी।
"जल्दी टिफिन दो।मुझे देर हो रही है।"
"थोड़ा सब्र रखो।"पति के हल्ला मचाने पर लीला के हाथ पैर फूल गए थे।
"पोन सात बजनेवाले है।पन्द्रह मिनट में कारखाने पहुँचना होगा"
"मेरी क्या गलती है।मैं तो पांच बजे ही उठ जाती हूं।तुम ही देर तक बिस्तर में पड़े रहते हो फिर हल्ला मचाते हो।"लीला ने टिफिन पैक किया था।
"अभी लेक्चर मत दो।जल्दी से टिफिन दो।"
"यह लो।"लीला ने टिफिन पति को पकड़ाया था।
"देवेन स्कूल जाए तो उसे पैसे दे देना।"राम लाल टिफिन हाथ मे लेते हुए बोला।
"रोज पैसे देने की क्या जरूरत है।क्यो उसकी आदत बिगड़ रहे हो।"
"बच्चे माँ बाप के राज में ऐस नही करेंगे तो कब करेंगे।"रामलाल पत्नी के गाल सहलाते हुए बोला।
देवेन ने होश सम्हाला तब उसे स्कूल में भर्ती करा दिया गया था।देवेन के पिता दिल्ली में शाहदरा में रहते थे।उसके पिता बिजली का सामान बनाने वाले कारखाने में काम करते थे।उसके पिता अमीर नही थे।पर बेटे को कोई कमी नही होने देना चाहते थे।
लीला जल्दी उठकर नहाती।फिर पति के लिए खाना बनाती।पति के चले जाने के बाद देवेन को तैयार करके स्कूल छोड़ने जाती।
राम लाल शाम को घर लौटते ही पत्नी से पूछता,"देवेन कहा है?"
"बाहर बच्चों के साथ खेल रहा होगा।"
तब वह देवेन को आवाज़ लगाता।देवेन पिता की आवाज सुनते ही दौड़ा हुआ चला आता।
"पापा मेरे लिए आज क्या लाये हो।"देवेन दौड़ कर आता और पिता से चिपट जाता।

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