Tere Mere Darmiyan yah rishta anjaana - 6 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-6) - रौनक की चप्पलों से

वो अस्मिता के कान के बिल्कुल करीब आकर बोलता है-

ख्वाबो में, जज्बतो में बस गयी हो मेरे

यूँ धड़कनो मे समा गयी हो मेरे

धरा और फलक बन गयी हो मेरी

हाँ तुम मोहब्बत बन गयी हो मेरी ।

अस्मिता की तो सांसे ही अटक गयी वो जल्दी से मुड़ कर देखती है की कौन है लेकिन वहा कोई नहीं था वो अचानक से बहुत डर जाती है और दौड़ कर घर के अंदर भाग जाती है जिससे उसके एक पैर की पायल वही गिर जाती है। वो पेड के पीछे छुपा इन्सान बाहर आता है और पायल उठा अपने हाथो में बड़े गौर से देखने लगता है। वह मुस्कुराते हुये अपने बालों मे हाथ फेर उसे अपने पॉकेट में रख लेता है।

इधर अस्मिता दौड़ कर जल्दी से अपने कमरे में आती है और बैड पर लेट अपने सांसो को धीरे करने लगती है। आखिर कौन था वो जो उसके इतना करीब आ गया और उसके आते ही यह अहसास कैसा था।
अस्मिता इसी उधेड बुध मे सो जाती है।

प्रात: काल एकदम भोर मे ही अस्मिता अपनी सहेली सारंगी के साथ ही तालाब से पानी लेने गयी क्योकि कुएं मे किसीकी बकरी मर गयी थी जिससे पानी दूषित हो गया था अब लगभग महीने भर तो कोई भी वहाँ से पानी न ही लेता।
अस्मिता सारंगी से -" ये सारंगी जानती हो कल रात क्या हूआ था।"
सारंगी -" अब बताओगी तब तो जानेंगे।"
अस्मिता सारी बात सारंगी को बताते बताते जंगल की तरफ होते हुये तालाब पर जा रही थी।

उसकी बातें सुन कर सारंगी हसते हुये बोलती है -" यह क्या बोल रही हो अस्मिता हमको तो लग रहा है कोई सपना देखी होगी रात मे वही यहाँ बक रही हो।"

दोनों बात करते हुये चल ही रही थी की जैसे लगा कोई पीछे है।
अस्मिता -" अरे हम सच बोल रहे हैं हमने कोई सपना नही देखा है।"

इतना बोल अस्मिता पीछे देखती है तो कोई नही था।
सारंगी -" क्या हुआ तुमको अब।"
अस्मिता -" जैसे लग रहा है कोई पीछा कर रहा है।
सारंगी भी इधर उधर देख कर बोलती है -" लग तो हमको भी बहुत देर से रहा है कोई नही जो भी होगा उसका भी हम इससे पूजा कर देंगे।"
ऐसा बोल वो बगल मे ही गिरे दो कईन ( पतला हरा बांस) के डंडे उठा लेती है और एक अस्मिता को दे देती है।

सारंगी -" अच्छा यह बताओ यह तुम्हारा राँझा है कौन।"
अस्मिता -" पता नही ।"
सारंगी -" कही कौनौ सोम के साथ का लफंगा तो नही है ना।"
अस्मिता गुस्से -" अगर ऐसा हूआ ना तो अब आया तो उसको बजा देंगे हम भी।"

ऐसे ही बात करते करते दोनो तालाब किनारे पानी लेने पहुचती हैं । जैसे ही अस्मिता और सारंगी पानी लेने के लिये अपने अपने घडे ले नीचे झुकती हैं उन्हें किसीका प्रतिबिंब पानी मे दिखता है जो शायद कम्बल ओढा था।
अस्मिता सारंगी को कुछ इशारा करती है फिर दोनो पानी भर घडे में कमर पर रख और एक सर पर लिये दोनो दो दिशा से निकल जाती हैं।

वो आदमी जो कम्बल ओढे था एक पेड के पीछे छुपा था वो जैसे ही दोनो को दो तरफ जाते देखता है वो अस्मिता की ओर बढ जाता है।
अस्मिता उसकी हरकत देख कर -" अच्छा बच्चू तो तुम हमारा पीछा कर रहे हो अभी बताते है।
वो आदमी अस्मिता के पीछे-पीछे आ रहा था तभी उसके कंधे पर किसिने हाथ रखा ।
उसने उसका हाथ झटक कर फिर आगे बढ गया तभी उसे याद आया की हाथ आखिर किसने रहा था ।

वो आदमी फिर जैसे ही पीछे मुडा उसने सारंगी को एक हाथ मे डन्डा लिये और एक हाथ कमर पर रखे देखा तो कुद कर चिल्लाते हुये पीछे हो गया।

तभी एक डंडे पीछे से उसके पीठ पर आ लगा यह अस्मिता ने मारा था वो आदमी- "आह्ह"
सारंगी उसे मारते हुये बोली -" अब बताओ अस्मिता का पीछा क्यू कर रहे थे।"
वो आदमी -" अरे हम कोई पीछा नही कर रहे थे ।"
तभी उसे एक और डंडा लगा। अस्मिता -" अच्छा तो पहले यह अपना कम्बल हटाओ तुम्हारी मुह दिखाई भी करे की कौन है जो हमसे आया है पंगा लेने।"
वो आदमी अपना मुह और छिपाने लगा।

सारंगी -" ऐसे नही मानेगा ये अभी बताते है इसे।"
इतना बोल दोनो उसे खूब मारने लगी और वो आदमी कराहते हुये भागने लगा।

अब इतना जल्दी इसे छोड़ने के मूड़ मे तो अस्मिता थी नही जैसे ही वो भगा अस्मिता और सारंगी दोनो ने अपना अपना चप्पल निकला निशाना लगा मारा बेचारा एक के बाद एक 4 चप्पल से मार खा किसी तरह वहा से भागा।
अस्मिता -" बड़ा आया पीछा करने वाला हनन।"

दोनो घर की तरफ निकल गयी।
अब तक पूरी तरह से सुबह भी हो गयी थी और सुबह होते ही मुर्गो की कुक्डूकू और चिड़ियो की चहचाहट से से पूरा दक्षिणी टोला सूरज की लालिमा मे डूबा था । सभी आदमी अपने अपने खेत मे पहुच चुके थे वैसे ही अभी बरसात का ही मौसम था तो धन की रोपई हो ही रही थी।
औरते भी खेत मे सोह (घास निकालना) रही थी।

दुसरी तरफ वो आदमी अपना कम्बल संभालते जंगल के दुसरे छोर पर आया। और एक हंटर गाड़ी के सामने रुकते ही अपना कम्बल आदित्य के ऊपर फेक बोला -" यार तुम्हरी हीर तो बड़ी डेंजरस है ।"

आदित्य उसकी हालत देख -" अरे रौनक यह तुम्हे क्या हूअ मतलब इतनी चोट कैसे लगी जैसे लग रहा है किसिने ने मारा है।"

रौनक मुह बनाते हुये -" सब तो जले पर नमक छीड़कते हैं तुम तो लाल मिर्च का भी तडका लगा देते हो तुम्हारी प्यारी अस्मिता के आलावा कौन कर सकता है भला यह सब और साथ मे उसकी वो दोस्त भी थी दोनो ने चुडैलो की तरह मेरी पिटायी कर दी ।"

उसकी बात सुं आदित्य जोर जोर से हंसने लगा फिर बोलता है -" मैने पहले ही बोला था मत जाओ पर तुम ही गये थे अस्मिता को डराने वो भी पीछा कर के वो डरने वालों मे से नही है बेटू।"

रौनक -" हंस ले बेटा हंस ले शादी के बाद जब तुझे ऐसे ही मारेगी ना तब मैं हसून्गा खूब।"

आदित्य -" कोई ना तेरी शादी उसकी दोस्त से करा दूँगा फिर दोनो साथ मे एक दुसरे को देख हंसगें।"
रौनक कहरते हुये -" क्या उस कलुटी से...... राम राम कौन शादी करेगा पिसाचनी लगती है पूरी की पूरी।"
उसके बातों पर आदित्य और हसने लगता है।

क्रमश: