Tere Mere Darmiyan yah rishta anjaana - 26 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग - 26) वाणी की प्रेम कह




दूसरे सुबह अस्मिता उठती है तो सुबह सुबह ही मेहंदी का भी बुलावा आ जाता है। किसी तरह आज का दिन निकलता है और आखिरकार आता है शादी वाला दिन। सुबह से ही चहल पहल थी । सभी काम कर रहे औरतें भी सिंगार के समान खरीदने मे मशगुल थी।
शाम का समय हो चला था लेकिन अभी तक अस्मिता आदित्य से नही मिली थी क्योकि कल मेहंदी के बाद ही वो राधिका के घर रुक गयी थी और सुबह से वहीं थी ।
आदित्य भी अब परेशान हो रहा था क्योकि उसे अस्मिता के बिना कुछ अच्छा नही लग रहा था ।
लगभग 6 बजे शाम को आदित्य का इंतजार खत्म हुआ और अस्मिता वापस आई। आदित्य अस्मिता को देखकर -" मिल गयी फुरसत आपको थोड़ा इधर भी ध्यान दे दिया करिए।"
अस्मिता हसते हुये -" इधर ध्यान देने की क्या जरुरत है।"
आदित्य उसे आकर पीछे से गले लगाते हुये -" अच्छा जी , बोलिए तो अभी बताये क्या लगते है आपके हम।"
अस्मिता थोड़ा शर्माते हुये बात बदलने की कोशिश करते हुये -" छोडिए हमें ,,,,, तैयार होकर जाना भी है ।"
आदित्य मुँह बनाते हुये -" फिर से अभी तो आई हैं ना आप ।"
अस्मिता -" हाँ और फिर जा भी रही आप भी आ जाईये जल्दी से वहाँ सब इंतजार कर रहे होंगे ,,, अब चलिये छोडिए हमें।"
आदित्य मुह बनाकर छोड देता है और फिर बाहर आ जता है क्योकि कमरा तो एक ही था और अस्मिता को कपड़े भी बदलने थे। अस्मिता लाल लहंगा पहने कानो मे छोटी छोटी झुम्कियाँ डाल और आँखो मे काजल लगा बाहर निकलती है । आदित्य तो देख कर अपनी पलके भी झुकाना भुल जाता है। अस्मिता आदित्य से -" अब हम जा रहे हैं आप भी आ जयियेगा।"
अस्मिता इतना बोल आगे बढ़ने ही वाली थी की आदित्य उसका हाथ पकड़ वापस अंदर खिंच लेता है और दरवाजा बंद कर देता है।
अस्मिता अंदर आकर -" क्या हुआ।"
आदित्य -" स्स्स्स्स्स्स्स,,,,,,,,, शान्त रहो आप।"
आदित्य फिर अस्मिता के आँखो के कोनों से थोड़ा काजल ले उसके कान के पीछे लगाते हुये -" हम्म अब ठीक है ।"
अस्मिता उसकी बात पर हस कर हल्का सा उसके सर पर ठपली मार देती है और बाहर आ चली जाती है और आदित्य अपना बालों मे हाथ फेरते हुये बस मुस्कराये जा रहा था।
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कुछ देर मे आदित्य भी राधिका के घर आ पहुंचता है। रात के लगभग 8 बज चुके थे बारात भी आने ही वाली थी। राधिका के घर पर तो मेहमानों की भीड ही लगी थी।
राधिका एक कमरे में दुल्हन बनी खूद को आईने में देखे जा रही थी। तभी वाणी चहकते हुये आती है -" इतना ना देखो राधिका दी ,,,, आप इतनी सुंदर खूद हो की जीजू फिदा हो जायेंगे।"
इतने पर राधिका झेंप कर आईने को नीचे रख देती है जिससे सभी हसते हुये उसकी टाँग खींचने लगते है। इधर वाणी का ध्यान अचानक ही वहाँ लगी घड़ी पर जाता है और वो धीरे से सबकी नजरों से छुपकर बाहर निकल जाती है।
बारात भी आ चुकी थी राधिका की काकी चिल्ला चिल्ला कर सबको तैयार होने को कह रही थी और राधिका को छत पर ले जाने को क्योकि वही से दूल्हे के गाड़ी पर चावल फेंकने वाली रस्म होना था।
इधर अस्मिता चावल , रोरी , हल्दी और भी सारा समान थाल मे सजा रही थी। काकी बोलती है की अस्मिता और वाणी धीरे धीरे सम्हाल कर राधिका को छत पर ले जाओ। तब जाकर अस्मिता का ध्यान जता है की वाणी है ही नही। समय कम था इसलिये अस्मिता और दुसरी लडकियां मिलकर राधिका को ले जाती है। यह रस्म होने के बाद ही राधिका को नीचे लाया जाता है और अस्मिता निकल जाती है बाहर वाणी को खोजने ।
अस्मिता बड़बड़ाते हुये -" इस लड़की का जब काम होता है तब गायब हो जाती है ,,, मिल जाये यह बस अभी बताती हुं।"
अभी वो बडबड़ाते हुये चल ही रही थी की एक पर्दे के पीछे कोई उसका हाथ पकड खिच लेता है।
अस्मिता जोर से चिल्लाने ही वाली थी की वो शक्स उसके मुहं पर हाथ रखते हुये -" अरे मैं हुं ,,,,।"
अस्मिता आदित्य को देख अपने मुहं से उसका हाथ हटाते हुये -" ऐसे कौन करता है भला।"
आदित्य उसको कमर से पकडते हुये -" मै और कौन ,,,, बताओ जब बेचारे पति को उसकी बीबी भाव नहीं देगी तो क्या करेगा वो ,,,, कल से हमशे बात तक नही कर रही हैं आप।"
अस्मिता -" यहां कोई देख लेगा क्या कर रहे हैं आप।"
अभी आदित्य कुछ बोलता उसके पहले ही अस्मिता को किसिके धीरे धीरे बात करने की आवाज आ रही थी।
अस्मिता आदित्य से -" अपने कुछ सुना ,,,, ।"
आदित्य -" क्या ,,,?"
अस्मिता -" वहाँ पेड के पास कोई तो है।"
आदित्य अपने सिर पर हाथ रखते हुये -" इतना रोमांटिक सा माहौल बना था लेकिन आपको तो जासूसी करने की पडी है ,,, कोई ना चलिये देखे क्या है आखिर वहाँ।"
अस्मिता आदित्य के साथ धीरे धीरे पैर दबाकर चलते हुये पेड के पास पहुँचती हैं।
अस्मिता वहाँ का नजारा देखकर जोर से -" वाणी,,,।"
वाणी जो की किसी लड़के को गले लगाए खड़ी थी एकाएक दूर होते हुये -" ओ,,,, ओ ,,,,म ,,,म,,,, मै।"
इसके आगे कुछ बोल पाती की आदित्य जोर से हस देता है। वाणी , अस्मिता और वो लड़का तीनो आदित्य को देखने लगते है।
आदित्य हसते हुये -" आज बदला पूरा हो गया साली साहिबा हमारा ,,, रोज आप हमारी प्रेम की लंका मे आग लगाती थी और आज हमें आखिरकर वो समय मिल गया जब हमने भी ,,,,,, ।"
वो अभी बोल ही रहा था की अस्मिता उसे घुर कर देखती है जिससे आदित्य एकदम चुप हो जाता है।
लेकिन अचानक वो लड़का हो वाणी के साथ था वो चिल्लाते हुये आदित्य के गले लग जाता है ।
वो लड़का -" अबे तू यहां क्या कर रहा है ,, और मुझे पहचाना भी नही आज कितने सालों बाद मिल रहें हैं।"
आदित्य जब उसका चेहरा ध्यान से देखता है तो उसे ध्यान आता है । आदित्य -" उत्कर्ष तू।"
वाणी और अस्मिता तो एक दुसरे को बस देख रहीं थी। उत्कर्ष -" और यार तू यहां क्या कर रहा है ।"
आदित्य -" वो राधिका जी के शादी में आया था।"
उत्कर्ष -" और तेरा बाप इस निम्न टोले मे आने पर कोई आपत्ति भी नही जताई।"
वाणी बिच मे कूदते हुये -" इनके बाबा को क्या होगा ,,, आ ,, यह मेरे जीजू हैं ,,,, अस्मिता के पति परमेश्वर।"
उत्कर्ष कभी हैरानी से आदित्य को देख रहा था तो कभी वाणी तो कभी अस्मिता।
उत्कर्ष एकदम असमंजस में -" यह क्या है आदित्य ,,, तू ठाकुर है और अस्मिता ,,, तेरे बाबा शादी के लिये कैसे मान गये और तूने शादी कब की।"
आदित्य -" रुको मै सब समझाता हुं और बात यह है की हम और अस्मिता दोनो की एक दुसरे से बहुत प्यार करते है ,,।"
वाणी बीच में फिर चाहकते हुये -" मतलब तुम लोगो ने शादी नही की है।"
अस्मिता -" नही।"
आदित्य सारी बात बता देता है की कैसे वो उसके साथ यहां आया और रंगीले बुढे ने उन्हे साथ देख लिये जिससे उनको सबसे झूठ बोलना पडा।"
वाणी हसते हुये -" मैने तो सोचा था की मै हीं यह सब कांड करूंगी लेकिन हमारी अस्मिता तो हमसे भी आगे निकली ,,, ( अस्मिता की तरफ देखते हुये ) कुछ मे तो आगे रहने दिया कर।
अस्मिता उसे घुरते हुये -" और तुम दोनों का क्या चल रहा है।"
उत्कर्ष -" हम दोनो भी एक दुसरे से प्यार करते हैं ,,,।"
आदित्य -" तो शादी।"
उत्कर्ष -" यही तो समस्या है यार ,,, कोई मान ही नही रहा ।"
आदित्य -" मतलब तूने अपने बाबा से बात किया है क्या।'
उत्कर्ष उदास होते हुये -" किया था लेकिन उन्होने बोला मर जायेंगे मुझे भी मार देंगे लेकिन निम्न वर्ग मे शादी कभी नही करने देंगे।"
आदित्य उसके कंधे पर हाथ रखते हुये -" कोई ना हम सब साथ है तेरे।"
अस्मिता -" अब चलो जल्दी ,,,, नही तो कोई हमे खोजते हुये आ जायेगा।"
सभी वापस शादी मे आ जाते है और साथ मे उत्कर्ष भी।

क्रमश :