Tere Mere Darmiyan yah rishta anjaana - 14 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-14) - रौनक - सारंगी का झगड़ा











आदित्य वहाँ से हंटर लिये तालाब की तरफ आ गया। वो थोड़ा गुस्से में भी था और उदास भी। उसने अभी भी रात के ही लोवर टी शर्ट पहन रखी थी और बाल भी बिखरे बिखरे से थे। आँखे एकदम खाली थी। वह गाड़ी से उतर तालाब किनारे एक पत्थर पर बैठ तालाब मे पत्थर फेंक रहा था। उसके पीछे पीछे रौनक भी आता है और अपनी गाड़ी रोक उसके बगल मे बैठ जाता है।

रौनक -" क्या बे आज तो एकदम छा गये गुरु।"

आदित्य उसकी तरफ असमंजस से देखते हुये -" क्यो ऐसा क्या हुआ।"

रौनक - " आज बेटा तू अपने बाप के खिलाफ गया था ।"

आदित्य -" वो गलत थे।"

रौनक उसे चिढाते हुये -" समझ रहे हैं बेटा सब।"

आदित्य उसे मारते हुये -" भाग ,,,,यहां से।

इधर अस्मिता और सारंगी भी बाल्टी और घड़ा लिये तालाब से पानी लेने आ रहीं थी।

सारंगी खिलखिलाने लगती है -" वैसे अस्मिता तुम्हरे आदित्य बाबू तो आज का एन्ट्री मारे एकदम गजब कर दिये और तुमने उन भान प्रताप को जो सुनाया मजा आ गया एकदम।"
इधर अस्मिता आदित्य का चेहरा याद कर रही थी उसके आँखों मे फिक्र थी कही न कही।

अस्मिता कुछ नही बोलती है तो सारंगी भी चुप हो जाती है।

दोनो तालाब पर पहुचती हैं। अस्मिता वहाँ पर आदित्य की गाड़ी देख कर ही समझ जाती है की आदित्य यहीं आया है और उसे उससे बात भी करनी थी इसलिये आदित्य को इधर उधर खोजते हुये उसकी नजर एक पत्थर पर बैठे आदित्य पर जाती है जिसके बगल मे रौनक बैठा था।

आदित्य तालाब मे ध्यान से देखते हुये पत्थर फेक रहा था तभी उसे पानी मे प्रतिबिंब दिखता है । आदित्य को पहले लगता है की यह उसका वहम है क्युकी अस्मिता के आदित्य बाबू को आजकल अस्मिता हर जगह दिखाई देती थी।

अस्मिता उसके पास आकर बोलती है -" ठाकुर साहेब ।'

अब आदित्य को लगता है अस्मिता सच मे आई है तो पीछे मुड़ मुस्कुरा देता है इसके साथ रौनक भी पीछे मुड़ जैसे ही सारंगी को देखता है उसके आँखों मे खून उतर जाता है जिसे देख सारंगी जीभ निकाल उसे चिढा देती है और मुस्कुराने लगती है।

अस्मिता आदित्य से -" धन्यवाद ।"

इतनी बोलने वाली अस्मिता की हलक सुख रही थी मुश्किल से एक दो शब्द निकल रहे थे।

उसकी हालत देख आदित्य को खूद ब खूद हंसी आ जाती है।
आदित्य हसते हुये -" धन्यवाद किस लिये।"
अस्मिता -" वो वो आपने हमारा साथ दिया अपने बाऊ जी के खिलाफ जाकर।"

इधर रौनक धीरे से बोलता है -" आपके लिये तो आदित्य बाबू दुनिया के खिलाफ चले जायें फिर वो बूढ़ा कौन है।"
आदित्य के सिवा यह कोई नही सुन पाता है । आदित्य के आंख दिखाने पर रौनक शान्त हो जाता है।

आदित्य रौनक को कुछ इशारा करता है जिसे समझ रौनक आँखों ही आँखों मे उसे चिढाने लगता है और उठकर सारंगी के पास जाता है ।

रौनक उसका हाथ पकड़ कर -" चलिये राजकुमारी साहिबा हमको आपको कुछ दिखाना है।"

सारंगी को वो खीचते हुये ले जाने लगता है । सारंगी -" अरे बुड़बक कहाँ लेई जा रहे हो हमको।

रौनक को उसपर बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन फिर भी उसे आंख दिखा कर ले जाता है।

इधर अस्मिता को आदित्य देखकर बोलता है -" आईये बैठिए।"

अस्मिता -" अरे नही हमको पानी ले जाना है हम जा रहें है।"

आदित्य एकदम प्यार से -" वैसे हम बहुत खुश हैं आज।"
अस्मिता -" क्यों।"

आदित्य -" आपने अपने लिये स्टैंड लिया ऊपर से पूरे प्रदेश मे दूसरा स्थान प्राप्त किया।"

अस्मिता -" जी धन्यवाद ।"

इतना बोल अस्मिता वापस मुड़ जाती है । सच तो यह था वो आदित्य से नजरे ही नही मिलाना चाहती थी की कही यह आँखे मोहब्बत का इजहार न कर दें।

आदित्य एक बार फिर बोलता है -" अस्मिता ,,, बैठ जाओ न कुछ देर यहां।"

आदित्य ने पहली बार उसका नाम लिया था ऊपर से इतनी आकर्षक आवाज में की अस्मिता मना ही नही कर पायी।
अस्मिता आकर वही कुछ दुरी पर बैठ जाती है।

आदित्य उसे बड़े प्यार से देखे जा रहा था और अस्मिता नीचे सर किये अपने कपड़ों को दोनो हाथो से खरोंच रही थी।
आदित्य को कही न कही समझ आ रहा था की अस्मिता घबरा रही है।

आदित्य -" आप आगे क्या करेंगी BA के बाद।"

अस्मिता हिचकते हुये -" हम LLB करना चाहतें है।"

आदित्य -" वाह मतलब हमारे ही क्षेत्र मे आना है आपको भी।"

अस्मिता -" मतलब?

आदित्य -" मतलब की बैरिस्टर ही बनेंगी ना हम भी वहीं हैं।"

अस्मिता ने यह बात सुनी थी की आदित्य भी बैरिस्टर है लेकिन दिमाग से उस समय यह बात उतर गयी थी।
दुसरी ओर सारंगी का हाथ पकड़े रौनक उसे कुछ दर पर ले आया।

सारंगी -" हमको यहां क्यू लाये हम जा रहे हैं और क्या दिखा रहे थे बन्दर।"

रौनक गुस्से से सारंगी से -" ओ पागल इंसान ,,,, उन दोनो को साथ मे समय बिताना हैं इसलिये ले कर आया।

सारंगी असमझ से -" उनको काहे समय बिताना हौ।"
रौनक-" तुमको देख कर नही लगता दोनो एक दुसरे को पसंद करते हैं।"

सारंगी अपने सर पर एक चपट मारते हुये -" एकदम पगलेट हैं हम भी यह तो सोचबो नही किये ।"

रौनक हसते हुये -" दिमाग हो तब ना सोचोगी।"

सारंगी -" मन तो करता है तुम्हारा मुह नोच लें।"

रौनक चिढ कर-" तो हमारा कौनसा मन करता है तुम्हारे मुह को चूमने का ।"

सारंगी -" इतनी हिम्मत भी नही है की यह करो।"

रौनक इतना सुन तुरंत उसके गालों पर चूम लेता है और सारंगी आँखे फाडे उसे देख रही थी।

रौनक उसे ऐसे हतप्रभ देख -" ऐसे क्या घूर रही हो तुमने ही बोला था हिम्मत वाली बात।"

सारंगी एकदम रुआसां होकर -" बहुत गंदे हो तुम।"
इसके बाद सारंगी उससे बात ही नही करती है।

इधर अस्मिता कुछ देर तक असमंजस से आदित्य का चेहरा देख बोलना चाह रही थी लेकिन बोल नही पा रही थी।
उसे ऐसे देख आदित्य होलें से मुस्कुरा कर -" कुछ बोलना चाहतीं है।"

वैसे आदित्य को सब पता ही था की वो क्या बोलना चाह रही है।

अस्मिता हिचकते हुये -" वो हम बोल रहे थे की ,,,, मतलब की ,,,, क्या आप ही रात मे आते हैं।"

अस्मिता आँखे बंद कर अंतिम वाक्य जल्दी से बोलती है
आदित्य उसे अंजान बनते हुये बोलता है -" कहाँ आते हैं।"

अस्मिता -" हमारे घर के बाहर ।"

आदित्य उसके पास खिसक कर आते हुये -" आपके घर के बाहर आकर हम क्या करते हैं।"

अस्मिता -" ओ हमारे कान में,,,,,,,,,,।"

इतना बोल अस्मिता चुप हो जाती है

आदित्य आँखों को उचकाते हुये -" क्या आपके कान मे।"

अस्मिता उसके एकदम पास आके बैठने से एकदम घबरा जाती है वो उठ कर जाने को होती है की आदित्य उसकी कमर मे हाथ डाल वापस नीचे खीच लेता है और इस बार तो अस्मिता बिल्कुल करीब थी उसके।

आदित्य के ऐसे छूने भर से वो एकदम सिथिर पड़ चुकी थी।
आदित्य अपने दुसरे हाथ से उसके चोटी से निकल कुछ बाल जो हवा की वजह से बार बार उसके चेहरे पर आ रहें थे उसको उसके कान के पीछे करता है और अपनी उन्ही आकर्षक आवाज मे बोलता है - " जो बोला था यू ही एक दो लफ्ज ना समझना दिल के जज्बात थे मेरे । "

अस्मिता का दिमाग पहले से ही खाली था लेकिन अब तो कुछ समझ ही नही आ रहा था कि करे।
वो जल्दी से आदित्य को धक्का देकर उठ जाती है आदित्य अभी भी उसे देख मुस्कराये जा रहा था।

अस्मिता जल्दी से पलट कर जाने को होती है की उसका पैर फिसलता है और वो तालाब मे जा गिरती है इस बार तो आदित्य की जान भी सुख गयी थी।

आदित्य जोर से -' अस्मिता ,,,,,,,,,।"

इतना बोल वो भी पानी में कुद जाता है । अस्मिता दुनिया में किसीसे नही डर लगता था लेकिन न जाने क्यू पानी से अजीब सा डर था।
कभी कभी तो सपने में भी पानी दिखने लगता फिर चीख की आवाजे उसके डर को ताजा कर देती और आज फिर वो डूब रही थी और उसे लग रहा था ऐसा तो उसके साथ हो चुका है।

आदित्य भी तैरते हुये अस्मिता के पास गया और किसी तरह उसे बाहर निकाला फिर सारंगी और रौनक को आवाज देने लगा।
उसकी आवाज सुन वो दोनों भी आ गये।


क्रमश: