Tere Mere Darmiyan yah rishta anjaana - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-7) - अनुराग पूजा की हवेली

आदित्य -" कोई ना तेरी शादी उसकी दोस्त से करा दूँगा फिर दोनो साथ मे एक दुसरे को देख हंसगें।"

रौनक कहरते हुये -" क्या उस कलुटी से...... राम राम कौन शादी करेगा पिसाचनी लगती है पूरी की पूरी।"

उसके बातों पर आदित्य और हंसने लगता है।

रौनक मुँह बनाकर उसके साथ ही उसकी हंटर पर आ बैठा ।
उसका मुँह बनता देख आदित्य -" इतना क्यूं मुँह बना रहे हो चलो हम भी उनसे मिल आयें।"
रौनक -" क्या ... मुझे अब फिर से मार नहीं खाना तुम ही जाओ ।"
आदित्य-" अरे चलो अब इतना डरोगे तो अपनी उस पिसाचनी के साथ पूरी जिन्दगी कैसे बिताओगे ।"
आदित्य हँसते हुये गाड़ी को अस्मिता और सारंगी जिस रास्ते पर गयी थी उधर ही मोड़ देता है।
_________________________

अस्मिता और सारंगी दोनो ही बाते करते हुये जा रही थी।
अस्मिता -" सारंगी वैसे हमारा B A का परिणाम भी आने वाला है देखो क्या होगा।"
सारंगी -" तुम इतना चिंता काहे कर रही हो जो होगा सब अच्छा होगा और हमें तो लगता है इस बार टॉप मारोगी।'

अस्मिता -" हाँ परीक्षा तो अच्छा ही गया था वैसे बाबा ने बहुत छुप छुपा कर हमें पढ़ने दिया है ।"
सारंगी - "अस्मिता एक बात बोले।"
अस्मिता -" हाँ बोलो।"
सारंगी - " वैसे जब बड़े मालिक को यह पता चलेगा की तुम्हरे बाबा तुमको B A पढवाये है ना तो बाबा को कुछ करे न .... हमारा मतलब है की वो लोग हम सब दक्षिणी टोले वोलो को पढाई लिखाई मना किये है और ऊपर से लड़कियो के पढ़ाई के तो और खिलाफ है।"
अस्मिता सारंगी की बात सुन गुस्से से -" तो हम डरते हैं क्या उनसे जो करना है कर ले लेकिन हमारा भी कुछ बिगाड़ नही पायेंगे ।"
सारंगी -" इतना काहे गुस्सा रही हो हम तो बस बता रहे थे।"

वो दोनो बात ही कर रही थी की तभी पीछे से आदित्य और रौनक अपनी गाड़ी लेकर उनके सामने कर दिया ।
उनको अपने सामने देख अस्मिता ने जहा मुँह बना लिया वही सारंगी थोड़ी घबरा गयी।
रौनक तो उसे देख कर ही गुस्से से खा जाने वाले एक्सप्रेशन देने लगा।
पहले तो कुछ देर एक दुसरे को देखने लगे फिर अस्मिता ने सारंगी का हाथ पकडा और दुसरी तरफ से निकल के चली गयी।
आदित्य उसे ऐसा करते देख बस मुस्कराये जा रहा था।

रौनक आदित्य से -" देखा न कैसे चली गयी दोनो अब तक कोई और रहता तो हवेली वालो के नीचे सर नीचे कर बैठ जाता न जाने तुम्हे क्या पसंद है इनमे।"

आदित्य -

उनकी हर अदा पसंद है हमे

बालों को कान के पीछे संवारने से

लेकर डर के घबराने तक

गुस्से मे घूर कर जाने से लेकर

मुस्कुरा कर बात करने तक

अपनी झनकती पायल से लेकर

मेरे दिल को घायल करने तक........

रौनक-" एक मिनट एक मिनट ..... वो इश्क़ के मारे तुमने उस झांसी की रानी को डर के घबराते कब देख लिया।"

आदित्य को पिछ्ली रात की बात याद आ जाती है की कैसे अस्मिता डर कर भाग गयी थी। यही सोच वो मुस्कुराने लगता है और अपने बालों मे हाथ फेर गाड़ी चालू कर देता है।
रौनक उसे ऐसे खूद मे मुसकुराते देख ---

यह इश्क़ बड़ा जहरीला है जनाब

इसके मरीज को न दवा मिलती है

न कोई वैद्य न कोई हकीम

इसके मरीज को न राम बचा पाया न ही रहीम।

आदित्य -" वाह क्या बात है तुम भी शेर शायरी करने लगे।"
रौनक -" नही बस तुम्हे समझा रहा हूँ अब भी समय है न जाओ उसके पीछे बहुत पछताओगे।
आदित्य -" अब बात बहुत आगे बढ़ चुकी है अब कुछ नही हो सकता।"
रौनक उसे ऐसे बेफीकरी से कहता देख कुछ सोचने लगता है।
_____________________

रात का समय पूजा की हवेली

पूजा अपने कमरे मे बैठी चित्र बना रही थी तभी उसके खिड़की के पास कुछ आवाज आती है।
पूजा खिडकी के पास जाकर -" कौन है।"
पहले तो कुछ देर तक आवाज नहीं आती है फिर एकदम धीरे से आवाज आती है -" हम है ।"
पूजा चकित होकर -" अनुराग आप ।"
अनुराग -" हाँ हम ही है अपना हाथ दिजीये ऊपर आना है हमे।"
पूजा -" लेकिन इस समय आप क्या कर रहे हैं।"
अनुराग-" पहले हाथ दिजीये नही तो आपके बाबा हमे यही शहीद कर देंगे।"

पूजा अपना हाथ दे किसी तरह उसे ऊपर खिंचती है।
अनुराग हाफते हुये खड़ा हो जाता है।

पूजा -" अब बताईये आप यहां कर क्या रहे है अभी कोई देखेगा तो जानते है ना क्या होगा।"
अनुराग -" अरे बाबा इतना डरती हैं आप पहले नही सोचा था हमे अपनी दिल की बात बताने के की बाद में क्या होगा।"
पूजा -" अच्छा बताईये आप करने क्या आये हैं।"
अनुराग पूजा के बैड पर आकर बैठते हुये -" आपसे मिलने आये हैं।"
उसके पीछे-पीछे पूजा आकर -" बस हमसे मिलने के लिये अपनी जान जोखिम मे डाल दिया।"

अनुराग हंस कर खड़ा हो गया । फिर पूजा को अपनी जगह बैड पर बिठा कर उसके पैरों के पास बैठ उसका पैर पकड लिया।

पूजा -" अरे यह आप क्या कर रहे है राजपूतानी अपने उनसे पैर नही छूवाती हैं।"
अनुराग-" स्स्स्स्स।"

फिर वो अपने पॉकेट से एक प्यारी सी पायल ला कर उसके पैरों में पहनाते हुये -" यह हमारी प्यारी सी राजपूतानी के लिये।"

पूजा भी प्यार से उसे पायल पहनाते हुये देख रही थी उसकी बड़ी बड़ी आँखे ऐसे पलके झपका रहीं थी मानों बोल रही हो --

आपकी नज़रों ने समझा, प्यार के काबिल मुझे

दिल की ऐ धड़कन ठहर जा, मिल गयी मंजिल मुझे

जी हमें मंज़ूर है, आपका ये फैसला

कह रही है हर नज़र, बन्दा परवर शुक्रिया

हँस के अपनी ज़िन्दगी में, कर लिया शामिल मुझे

दिल की ऐ धड़कन...

क्रमश: