Phir Se - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

फिर से - 3

3

नंबर हाथ में था और फोन बगल मे | नंबर टाइप तो कर दिया पर सोचने लगी के क्या सोचेगा नवीन उसके बारे मे? फिर नंबर ईरैस कर के माँ की हेल्प करने आ गयी | लेकिन मन मे बार बार यही सोच रही थी के कॉल करे या ना करे | पूरा दिन घर सजाने मे और दीवाली की मिठाइयाँ बनाने मे निकल गया |

“माँ मे थोड़ी देर रेस्ट कर लू?” रिया ने आँखें मलते हुए कहा

“हाँ बेटा | वैसे भी सब तो कर लिया हमने | जाओ थोड़ी देर रेस्ट कर लो |”

थक कर वो बिस्तर पर लेट गयी | नज़र टेबल पे रखे नंबर पर गायी | इस बार रिया ने नंबर डाइयल कर दिया | उधर कॉलिंग टोन बज रही थी इधर रिया जाने क्यूँ घबरा रही थी | वैसे तो कितनी बार उन्होने बातें की है | पर ऐसे फोन पे नही | काफ़ी देर फोन बजता रहा और जब नवीन ने उठाया ही नही तो वो कट करने ही वाली थी के आवाज़ आई,

“हेलो”

रिया कुछ बोली नही

“हेलो! हू इस दिस?” नवीन ने फिर पूछा

“हेलो” रिया ने धीमे से कहा |

“रिया | तुम हो?”नवीन ने जानना चाहा

“तुमने कैसे पहचाना?” रिया ने हंसते हुए कहा |

“तुम्हारी आवाज़ तो मे कहीं भी पहचान सकता हूँ |”

रिया को सुन कर अजीब लग |

“तुमने फोन किया तो सही” नवीन ने बात बदलते हुए कहा |

“ह्म्म्म”

“हॅपी दीवाली रिया” नवीन ने कहा

“सेम टू यू नवीन”

“आज तुमने पहली बार मेरा नाम लिया है, क्या बात है |” नवीन ने रिया को छेड़ते हुए कहा

“ओह्ह सॉरी, मुझे नही लेना चैहये था” रिया ने शर्मिंदा होते हुए कहा

“मुझे नाम लेकर ही बुलाया करो |अछा लगता है”

रिया उसकी बातें सुन कर शर्मा गयी |

“ओके नवीन मुझे जाना होगा | हॅपी दीवाली अगेन” रिया ने कहा

“सेम टू यू रिया”

और दोनो ने फोन रख दिया |

रिया पीछे मूडी तो देखा माँ खड़ी थी | नज़रें चुराती हुई समान समेटने लगी |

“माँ मैं बस आने ही वाली थी नीचे | आप कब आई”

“बस अभी अभी | क्या कर रही थी तुम | किससे बात कर रही थी” माँ ने पूछा

“किसी से नही माँ | दीप्ति से | वो बीमार थी ना वो” रिया तह किए कपड़े फिर से तह करने लगी थी |

माँ साथ बैठ गयी |

“इधर देखो”

रिया ने धीरे से माँ से नज़रें मिलाई |

“नवीन कौन है? मुझे नही बताओगी” माँ ने मुस्कुराते हुए पूछा |

रिया की माँ उसकी माँ कम और सहेली ज़्यादा थी | बचपन से एक दोस्त की तरह उसके हर दुख, हर खुशी को बाँटा था उन्होने | रिया ने उन्हे पूरी बात बताई |

“तुम पसंद करती हो उसे?” माँ ने पूछ ही लिया

“पता नही माँ | हम दोस्त भी है या नही ये भी नही पता | बस साथ घर आते है | इससे ज़्यादा तो में भी नही जानती और मुझे नही लगता के वो मेरे बारे मे ऐसा कुछ सोचता भी होगा” रिया ने धीरे से कहा |

“कोई बात नही | ये भी जिंदगी के अनोखे दीनो मे से एक हैं | इन्हे खुल के जियो | हर भावना महसूस करो | लोग जिंदगी मे बार बार नही मिलते” माँ ने बाहर जाते हुए कहा |

“लव यू माँ” रिया ने कहा |

दीवाली मनाने के बाद करीब 12 बजे रिया सोने आई | फोन देखा तो वेट्स अप पर बहुत से मेसेजस थे | ओपन किया तो नवीन ने ढेर सारे जोक्स, दीवाली मुबारक की फोटोस भेजी थी |

रिया ने मुस्कुराते हुए लिखा, “सोए नही अभी तक?”

“नही तुम्हारे बारे मे सोच रहा था” नवीन ने शरारत भरे स्वर मे लिखा |

रिया सुन कर चुप हो गयी | उसे उसकी बातें अजीब लगी |

“स्टुपिड में भी तो पटाखे फोड़ के आया हूँ अभी अभी | तुमने कैसे मनाई दीवाली?”

“मुझे दिए जलना पसंद है | ज़्यादा शोर शराबा नही”

“तुम बहुत क्यूट हो” नवीन कहने लगा |

“अच्छा!” रिया ने हंसते हुए कहा |

“अब सो जाती हूँ | बहुत देर हो गयी है”

“हाँ, ओके सो जाओ,टेक केयैर” नवीन ने कहते हुए फोन कट कर दिया |

बस अगले दिन से सुबह की शुरुवत नवीन के मेसेज से होती और हर रात उसकी गुड नाइट से ख़तम | रिया समझ नही पा रही थी के ये सब क्या है | पर ये वक़्त जैसा भी था वो चाहती थी के कभी ख़तम ना हो |छुट्टियाँ ख़तम हुई | प्रॅक्टिकल्स और परीक्षाओं मे फिर कॉलेज मे हफ़्ता निकल गया | ना नवीन से बात हुई ना ही वो दोनो मिल पाए | लास्ट एग्ज़ाम के दिन नवीन का मेसेज आया रात को |

“कल घूमने चले कहीं?”

रिया का मन खुशी से झूम उठा | पर सोच रही थी पहली बार अकेले किसी लड़के के साथ, कैसे जाए? फिर मन ने समझाया के कुछ घंटों की ही तो बात है | अगले दिन दोनो कॉलेज बंक कर घूमने निकल गये |

काफ़ी दीनो बाद मिल रहे थे तो अजीब सा महसूस कर रही थी रिया | बस स्टॉप पे वेट करने को कहा था नवीन ने | वह लेट था और रिया परेशन होकर भीड़ मे उसे ढूँढ रही थी |

नवीन दूर से भागते हुए आता दिखा |

“ये कोई टाइम है आने का? आधे घंटे से वेट कर रही हूँ”, रिया गुस्से से लाल हो रही थी |

“देखना चाहता था मेरे इंतज़ार करती हुई कैसी लगती हो” नवीन ने हंसते हुए कहा |

रिया ने गुस्से भरी नज़रों से उसकी ओर देखा |

“ओके सॉरी | यार रूम की चाबी साथ ले आया था | रूमेट को वापिस करने जाना पड़ा”, नवीन ने वजह बताई |

“कोई बात नही | अब बताओ जाना कहाँ है?”, रिया ने पूछा |

“पास में ही | बस आ गयी चलो जल्दी”, नवीन ने कहा |

दोनो बस में बैठ गये | करीब डेढ़ घंटे के बाद बस से उतरे | ये कॉलेज से तोड़ा दूर एक छोटा सा हिल स्टेशन था | बहुत ही खूबसूरत, भीड़भाड़ से दूर, शांत | ठंडी हवा चल रही थी और हल्की हल्की धुन्ध भी छाई थी | बस से उतर कर रास्ते पर चलने लगे | दोनो चुप थे | रिया पहाड़ों को देख रही थी |

“रिया यू लाइक इट?”,नवीन ने पूछा |

“हाँ बहुत”, रिया ने खुश होकर कहा |

“तुम्हे भीड़ पसंद नही ना तो मेने सोचा यही जगह सही है”

रिया ने बस मुस्कुरा कर नवीन की तरफ देखा | दोनो चलते रहे | कुछ रिया ने अपने बारे मे बताया और कुछ नवीन ने | एक जगह उँचाई पर दूरबीन लगी थी जिससे टूरिस्ट दूर दूर तक देख सके और प्रकृति का आनंद ले सके | रिया बच्चों की तरह भागती हुई दूरबीन के पास गयी |

“मुझे भी देखना है”, चुलबुलेपन मे रिया ने कहा |

वो दूरबीन को आँखों के करीब ला रही थी | अचानक नवीन ने पीछे से उसका हाथ पकड़ लिया और दूसरा हाथ दूरबीन पर | वह उसे उन जगहों के नाम बताने लगा जो वहाँ से नज़र आ रही थी | रिया की धड़कने तेज़ हो गयी थी | शायद नवीन इन सभी बातों से अंजान था | पास ही एक मंदिर भी था | दोनो मंदिर मे दर्शन कर वापिस आने लगे | अचानक जोरों की बारिश होने लगी | कोई जगह भी नही थी सिर छुपाने के लिए | तो दोनो बस स्टॉप की तरफ भागे | बुरी तरह से भीग गये थे दोनो और ठंड भी लग रही थी | रिया के कपड़े पुर भीग गये थे | दुपट्टा ओढ़ने की कोशिश कर रही थी | पर क्या फ़ायदा वह भी भीग चुका था | उसे असेहेज महसूस होने लगा था | नवीन अचानक वहाँ से चला गया |

“कहाँ जा रहे हो?”, रिया ने आवाज़ लगाई |

“बस दो मिनिट”

रिया खुद को अपनी बाहों मे समेटे हुए नवीन को देख रही थी | दो बसें आकर चली भी गयी पर नवीन का कोई आता पता नही |

“आज नवीन मरने वाला है मेरे हाथों से”, रिया गुस्से मे खुद से कह रही थी |

नवीन भागता हुआ आया | पूरी तरह भीगा हुआ |

“ये लो”, नवीन ने हानफते हुए कहा |

रिया ने पैकेट खोल कर देखा | एक शॉल था | इससे पहले की रिया कुछ कहती नवीन बोल पड़ा,

“तुम भीग गयी थी तो सोचा इससे मदद मिलेगी”

रिया का गुस्सा काफूर्र हो गया | जी तो कर रहा था उसे गले लगा ले पर ऐसा कर नही सकती थी |

बस आई और दोनो जल्दी बस मे चढ़ गये | भीड़ थी तो तंग था खड़े होने को भी | नवीन रिया के पास खड़ा हो गया ताकि दूसरों का धक्का ना लगे | कुछ देर बाद दो सीटें खाली हुई | दोनो बैठ गये | बाहर अंधेरा सा होने लगा था | एक व्यक्ति ने नवीन से थोड़ी सी जगह देने का आग्रह किया | तो नवीन रिया की ओर देखने लगा | रिया समझ गयी थी के वह पूछ रहा है के बैठने दे या नही | रिया खिड़की की ओर और चिपक कर बैठ गयी | नवीन थोड़ा करीब आ गया | बैठने मे थोड़ी दिक्कत हो रही थी |

“रिया में हाथ कंधे पर रख लू? कोई प्राब्लम तो नही?”,नवीन ने पूछा |

“हाँ कोई बात नही”, रिया ने कहा |

“नवीन और करीब आ गया था | रिया की धड़कने बढ़ने लगी | जैसे तन-बदन मे बिजली दौड़ गयी हो | थक गये थे दोनो | रिया को नींद आने लगी | खिड़की पर सर रखकर सो गयी | अचानक झटके से सिर खिड़की मे ज़ोर से जा लगा | नवीन ने एकडाम सिर पर हाथ रख लिया |

“मेरे कंधे पर सर रख लो” नवीन ने धीरे से कहा |

कब नींद लगी पता ही नही चला | उसके करीब होने से ठंड भी कम हो गयी थी |

“रिया उठो”, नवीन ने गाल पर हाथ फेरते हुए बड़े ही प्यार से कहा |

“ह्म्‍म्म्ममम”, सुस्ताई रिया उठ गयी |

दोनो बस से उतरे | रिया अपने रूम मे आ गयी और नवीन अपने रूम चला गया | रिया ने कपड़े बदले | उसकी रूमेट ने खाना बनाया हुआ था | बस कपड़े बदल कर खाना खा कर बिस्तर मे रज़ाई ओढ़ कर लेट गयी | पूरा दिन अभी तक उसकी यादों पर भारी था | वह नवीन की छुअन महसूस कर रही थी |

क्या सच मे वह नवीन को चाहने लगी थी | वह क्या सोचता होगा? इन्ही सवालों मे उलझी हुई थी | पर दिल को यही कह कर मना रही थी के नवीन की पसंद वह नही हो सकती |

इतने मे नवीन का मेसेज आया |

“पहुँच गयी थी ना आराम से? आइ वाज़ वरीड | तुमने रूम तक छोड़ने को भी माना किया”

रिया मेसेज पढ़ कर मुस्कुराने लगी | सोचने लगी इस केयैर करने की क्या वजह है |

“बताओ ना”, फिर नवीन का मेसेज आया |

“आइ एम फाइन | बस खाना खा कर फ्री हुई | टुडे वाज़ वेरी अमेज़िंग | थॅंक्स टू यू”, रिया ने टाइप किया |

“थॅंक यू”, नवीन ने लिखा |

कुछ देर दोनो चुप थे | टाइपिंग लिखा आ रहा था स्क्रीन पर | पर काफ़ी देर तक कोई मेसेज नही आया |

“रिया”, नवीन ने टाइप किया |

“ह्म”, रिया ने लिखा

“एक बात कहूँ”

“हाँ बोलो”

“बुरा तो नही मनोगी?”

“नही”

फिर थोड़ी देर तक कोई मेसेज नही आया | रिया की धड़कने तेज़ हो चली थी | जाने क्या लिखने वाला था नवीन | क्या वही जो वो सुनना चाहती है या कुछ और | रिया ने भी कोई मेसेज नही किया |

“आज तुम्हारे करीब आकर अजीब लगा”

रिया के बदन मे एक तीव्र सी झनझनाहट हुई |

“अच्छा?” रिया ने लिखा

“जी चाहता था बस तुम्हारे करीब ही रहूँ और कोई ना हो | बस हम दोनो |”

“सो जाओ नवीन”,रिया ने लिखा

फोन पर तो बाइ कर दी पर नींद कहाँ थी अब आँखों मे | नवीन के उस मेसेज ने रिया की नींद ही उड़ा दी | बस अपने तकिये को बाहों मे लेकर जाने कैसे-कैसे खाब बुनने लगी |