Mara sapna no mahebub - 2 books and stories free download online pdf in Gujarati

મારા સપના નો મહેમુદ ભાગ-2

लाला की शकल पे पता नहि बाराह क्युं बजा हुआ हुआ था;मे लाला के पास गया और पुछा शेठ ऐसो को हो गयो;कोनो बुरी बात हो गइ क्यां।

अरे नाहि बचवा कोनो बुरी बात ना हुइ अब का बताऊ लडकी का बाप जो ठहेरा;भीतर मां ससुरी बेटी की चींता खाऐ जा रहि हे;ब्याह रचाइ जीतनी हो चली हे और कम्बख्त लडके वाले बहुत दहेज मांग रहेल हे।

अरे शेठ तो कोइ एसा लडका खोजो ना जो दहेज का भुखा ना हो और प्यार का प्यासा हो;अपनी लडकी थोडि बहोत पढी लीखी हे अरे उनका तो अंग्रेजी भी आवत हे;हम का कहेत हे की कोनो एसा शरीफ लडका देखो जीनके आगे पीछे कोइ ना हो और लडका भी एसा की हर जनम मीले एसी ख्वाहिश मन मे हो जाए;क्यु सहि हे की नहि शेठ।

अरे हा रे बबुआ बात सहि कहे रहा हे लेकीन एसो छोरो मीलेगो कहा;और इतनी सारी खुबीआ ससुर कोन छोरे मे होवे इस जमाने मे।

अरे शेठ मेरे पीताजी के जो दोस्त हे उनको बोलीऐ ना सायद काम बन जाऐ आपका हे।

थीक हे बचुआ हमो आज हि जाके पता करते हे की कोनो ऐसा लडका मीलत हे की नाहि।

अरे ओ मुरलीवाले हमने ईशारा कर दिया हे अब आपकी बारी हे रे हमको हमारा प्यार मीलना चाहि वर्ना हमो तुमसे बात नाहि करवे थीक।

इतने मे ऐक शुट पहेने हुऐ बाबु साहेब आऐ हाथ मे काले रंग का शुटकेश लीऐ और आंखो मे काले रंग का चश्मा पहेना था और रंग ऐक दम दुध जेसा था काली डाढी थी;पास आके बोला भैया हनुमान नगर चलो फौरन;

हम तो हमारी 4107 मे बेठ गऐ और मीटर गीरा दिऐ।

अरे ओ बाबु साहेब नया आऐ हो का बंबई मां,,,???

जी हा नया हु मगर गाडि थोडा तेज चलाओ हमको देर हो रहा है।

थीक हे बाबु साहेब तेज चला देत हे उसमे का बात हे।

इतने मे पोलीस वाले हमरी गाडि का पीछा करने लगे और बाबु साहेब ने कहा भगाओ और तेज भगाओ दुगना दाम दुंगा।

हम तो गाडि भगाई रहत रहे उतना मां उ बाबु साहेब ने हमको रोक ने के लीऐ बोला तो हम रुक गऐ।

और पुलीस भी हमको आगे से रोक दिऐ;ऐक पुलीस वाला आया और हमरी और ऐक दम नजीक से आकर के बोला अरे दिपक बाबु तुम!अरे हमका पहेचान हो की नाहि ?

मेने बोला अरे बाबु साहेब बोली हमार बोलतो हो पर पहेचान मे नाहि आवतो भइया अब क्रिपा करके तुमहि बताइ दो हमका।

अरे हम कीशोरी लाल हे तुम्हारे साथ पडत रहे जबलपुर मां;हमका भुल गऐ का,???

अरे वहि कीशोरी लाल ना जो आम चुराते हुऐ पकडे गये थे और वोह तुमी हो ना और तो और इ आम चुराने वाला कीशोरी लाल आज ई दुइ स्टार वाला हवालदार बन गया रे!!!

अरे का दिपक बाबु दुइ स्टार वाला हवलदार नाहि कहत हे उका इन्सपेक्टर कहत हे रे।

अरे हा भाइ हम ठहरे गवार आदमी हम का जाने इ स्टार को का कहत हे रे।

और सुनावा भया माँ और पीताजी कइसन बा और वो छुटकी का करत रहि ब्याह कर दिए की नाहि,,,???

अरे का बताइ भया पीताजी की तबीयत ठीक नाहि चलत हे और चुटकी का ब्याह गये साल हि मना दिये और रही बात हमरी तो हम ऐक ठो लडकी देख रहेल और अगले साल हमारी भी सादि हो जाइ हो।

बाह का बात हे तब तो सब थीक हे और तुम इसी शहेर मां हो का,,,???

हा रे बाबु मीलने आना इस रवीवार को हमरे माँ और पीताजी की 50वी साल गीरा हे।

अरे हा भाय जरुर आयेंगे और हमका इ बतावा हो हमरा पीछा काहे आ रहे थे,,??

अरे ऐक बदमास हमरी सरकार के कुछ खजाने को लुटके बीदेश भाग रहा हे उभी हवाइ जहाज मां और उन सबी टेक्सी वालो को इतेंला कर दिया हे और फीर तुम तो हमारे अपने हो तुम सायद हमारी मदद करोगें हि,,,!!!

अच्छा इ बताओ तुमारी गाडि मे कोन बेठा हे।

जी ऐक जेन्टलमेन हे जोकी वोह हनुमान नगर पास वाले हवाइ अड्डे मे जाना चाहते हे।

अच्छा क्या मे तलासी लु अगर तुम्हे कोइ ऐतराज ना हो तो।

अरे भया हमे क्यां ऐतराज हो सकता हे बडे शोख से तलासी लो।

उतने मे कीशोरी लाल ने टेक्सी की तलाशी ली मगर कुछ मीला नहि इसलीये हम उ बाबु साहेब को लेकर हनुमान नगर वाले हवाइ अड्डे गये।

और हमको पचास का नौट दिया और हम बोले माय बाप हमरे पास छुट्टा नहि हे।

अरे मेरे यार कोन कमब्खत छुट्टे मांग रहा हे जाव ऐस करो येह तुम्हारी बक्सीस हे।

हमने भी बाबु साहेब को थेनकु बोला अपनी अंग्रेजी मां और बाबु साहेब सोच रहे थे ये टेक्सी वाला बडि काम की चीज हे और पुलीस मे इसकी पहेचान भी हे क्यु ना स्मगलींग का माल इसी टेक्सी मे ले जाया जाय क्युकी इस टेक्सी की कोई तलाशी नहि लेगा क्युकी यह वो पोलीस वाले का दोस्त हे ईस तरह वो हमको बोला अच्छा भैया क्यां कल रातको नौ बजे सीवाजी पार्क के पास मीलोगे क्युकी मे इस शहेर मे नया हु और कीसी को जानता भी नहि तुम मुजे काफि अच्छे और नेक दिल इन्सान लखे इसलीऐ तुम्हारे पे भरोशा कीया जा शक्ता हे।

अरे बाबु साहेब आप जहा बोलो मे वहा आने के लीए तैयार हु अजनबी को रास्ता दिखाना और उनको साथ देना वहि तो इन्सानीयत का धर्म हे।

थीक हे तो कल रात नौ बजे सीवाजी पार्क आ जाना थीक हे।

थीक हे बाबु साहेब जय रामजी की।

उस हवाय अड्डे से ऐक सवारी लेके बोंबइ मार्केट आये और आज साम तक की 80 रुपीऐ की कमांइ हो गइ थी और डिजल भी अलग से।

हमने मार्कीट मे अपनी महेबुबा को देखा और हमने आवाज लगाइ ओ मेरे जीस्म की रुह,ओ मेरे दिल के चेन,जरा इधर तो आओ।

आके बोली का हे,काहे चीला रहे हो।

अरे क्यारे मेरी जान अब तुजपे ना चीलाउ तो क्यां भेंस के आगे बीन बजाउ क्या।

क्यां रे क्यां बोला तु मेरे को,,,???

अरे कुछ नहि मेरी जान यह देख पुरी 80 रुपीऐ की कमाई हुई हे आज और ईसमे से तेरे बाप यानीके मेरा ससससससुर 20 रुपीआ ले लेगा फीर भी 60 रुपीआ बचता हे तो मे क्यां बोलता हे की धरमेन्द्र की पीक्चर लगी हे देखने को चलती क्या।

अरे ना बाबा ना कीसी अनजान के साथे मे क्यु भला पीक्चर देखने को चली,,!!

क्यां रे मे तेरे कु अनजान नज़र आता क्यां,,,!!!थीक हे आज के बाद मे कभी तुमसे बात नहि करुगा जा।।कट्टी।

इतने मे गाडि को लेके आगे गया उतने मे मेने गाडि के कांच से देखा तो तीच चार बमाश लोक अपनी आईटम को छेड रहे थे माइ गोड मे भी धरमेन्द्र की स्टाइल मे गया और पहेले तो डायलोग बाजी की फीर जमके अनकी धुलाइ की;फीर क्यां अपनी आईटम को अपने से वाकेई मे प्यार हो गया लेकीन साला अपन भी अमीताब के माफीक भाव खाने को लगा फीर बाद मे राजेश खन्ना की माफीक प्यार करने को लगा और कीशोर कुमार का गाना बजने को सुरु हो गया।

दिल को आया चेन जबसे तुमको अपनाया हे।

दिल की ख्वाईश हुई हे पुरी जबसे तुमको अपनाया हे।

आज चाहे मोत भी आऐ उफफ तक ना होगी जब से तुमको अपनाया हे।

दिल को आया चेन जबसे तुमको अपनाया हे।

नजरे युह मीली ऐतबार आंखो ने दिल को जताया हे।

चुराके होंश मेरे बेहोश तुने हमको कीया हे।

दिल को आया चेन जबसे तुमको अपनाया हे,,,,,,,

गाना खतम होने के बाद घर को गया लेकीन पहेले लाला की बेटी यानीके अपनी महेबुबा को घर को छोड ना था।

अपन को जब लाला ने साथ मे देखा तो बोला अरे,,,,तुम दोनो कठे,,,,!!!!

अरे शेठ गभराता क्यु हे मार्केट मे कुछ बदमाश लोग तुम्हारी बेटी को छेड रहे थे यह तो अच्छा हुआ की धरमेन्द्र की तरह सहि वक्त पर मे आ गया और तुम्हारी बेटी को बचा लीआ वरना आज तुम कीसी को अपना मुंह दिखाने के काबील ना रहेते।

क्युं सहि कहा ना मेनें।लाला की बेटी की और ईशारा करते हुऐ मेने बोला।

अरे पीताजी अगर यह आज ना आते तो राम जाने वोह बदमाश लोग मेरा क्या हाल करते।लेकीन पीताजी इन्होने क्यां जमके पीटाई की हे उन लोगो की के जब वो दो नंबर को जाऐंगे तो इन्को याद करेंगे।

और हा शेठ यह लो इस हप्ते का आपका हप्ता।

अरे नहि बेटा येह हप्ता हमारी और से तुम्हारी बक्सीस हे मेरी बेटी की ईज्जत बचाई हे ईसलीऐ।

अरे चाचा सोच लो हरपल साथ नीभाने वाले लडके आज कल जादा नहि मीलते हे सोच लो शेठ।

अरे तुम कहेना क्यां चाहते बेटा।शेठ नासमजी की तरह बोला।

मेने मन मे बोला देखो जरा इस बेअक्कल शेठ को मेरी बात को समज कर शेठ की बेटी शरमाके घर मे चली गइ लेकीन शेठ को बात भैजे मे नहि गई।

अरे शेठ जाओ अपनी बेटी से हि पुछ लो।

अरे शेठ तुमने देखा नहि क्यां वोह सरमाके घर कु चली और तुम्हारी अक्कल जरा सी भी ना हिल्ली।

अरे बेटा जरा खुल के बताओ ना क्यां कहेना चाहते हो।

अरे शेठ अब अपने लीऐ हाथ अपन केसे मांग शक्ता हे।

अरे दिपक बाबु देखो साफ साफ बोलना हे तो बोलो वर्ना मे भी घर को चला।

थीक हे शेठ जी तुम घर को चलो मे भी खाना खाने को चला।

शेठ ने अपनी बेटी को जाके पुछा।क्यु री अब तुहि कुछ बतादे।

अरे पीताजी अब मे क्यां बताउ जब उनकी बात आप नहि समजे तो मेरी बात आप क्यां समजोगें

अरे बेटा यह क्यां तुम दोनो बात को धुमा रहे हो।साफ साफ कहे क्युं नहि देते।

इतने मे मेरे पीताजी के दोस्त आऐ और बोले अरे लाला घर पे हे क्यां,,,???

लाला बहार आया और बोला हा भाइ घर पर हि हु तुम कब आऐ शहर,,,???

बस अभी आया हु।

ये दिपु आज दिखाई क्युं नहि देता हे,,,???

अरे अभी अभी गया हे,

अच्छा टाइम पर पैसे तो देता हे ना लाला वोह।

अरे हा रे बडा हि अशुल वाला हे।और आज तो उसने हमारी ईज्जत बचाई हे।लाला ने जो मार्केट हुआ वोह सब चाचाजी को बताया।

लेकीन एक बात समज नहि आती जो उसने कहि।

अरे क्यां बात कहि हे जरा हम भी तो सुने।

वो यह बोल के गया हे की बार बार बचाने वाला इन्सान कम मीलते हे दुनीया मे।ऐसा बोलते हि मेरी बेटी शरमाके घर मे चली गई।आखीर ऐसी क्यां बात बोली उसने।

अरे भाइ लाला ठिक हि तो कहे रहा हे वो छोरा।दिपु जेसा लडका और दामाद करोडो मे ऐक होता हे।लाला दिपु सहि लडका हे तुम्हारी लडकी के लीऐ।

अच्छा तो यह बात हे।आने तो दो जरा इस दिपु के बच्चे को।लाला ने अपनी बेटी को बुलाया और पुच्छा के क्यां तुमको दिपक पसंद हे।फिर लाला की बेटी शरमाके घर मे चली गइ और लाला ने पुछा अरे बेटी जवाब तो देती जा।

चाचा ने बोला क्यां लाला तुम भी कमाल हो यार।जब बेटी शरमा के गई हे तो उसकी हा हि हे।

उतनेमे मे वहा आया और चाचाजी ने कहा की चलो लाला तुम्हारी बेटी की मंगनी मे मीलते हे।

ईतना कह कर चाचाजी जा रहे थे पर मुजसे यह शबर नहि हुआ और मेने पुछ लीआ मंगनी कीस से कब कहा केसे।

अरे भाई दिपक शबर करो फल मीठा मीलेगा।

अरे शेठ ईतनी जल्दि मे तुमको लडका भी मील गया अपनी लडकी के वासते।

अच्छा बताओ तो सहि लडका कौन हे।क्यां नाम हे।क्या करता हे।कहा रहेता।

मेने ऐक दम नर्म आवाज से और दुःखी होके पुछा।

अरे बेटा तुम्हारी दि गई नसीहत बडि काम आई और लडका भी करोडो मे ऐक मीला हे।

अब मेरे दिल की धडकने तेज हो चली थी और कोई मुजे बता नहि रहा था की आखीर लडका कोन हे।

और लाला की बेटी का मुंह भी फुला हुआ लगता था और मुजे कुछ भी समज नहा आ रहा था।

लाला बोला अरे भाई दिपु शर्ब करो पता चल हि जायेंगा तुम भी यहि होना ना।लाला मुस्कुराते हुऐ बोला और मेरी बेचेनी बडती जा रहि थी।

कोई मुजे कुछ भी बता नहि रहा था बात को गोल गोल घुमाऐ जा रहे थे।

मे बीना कुछ सोचे समजे गुस्से मे और गम खाऐ वहा से चला गया।

लाला की बेटी ने लाला से कहा येह क्यां पीताजी आपने उनको क्युं नहि बताया की मेरी शादि उनसे हि होने वाली हे।

अरे बेटा यहि तो मजा हे।

कींतु पीताजी मेरे गम मे उसने कुछ उलटा सीघा कर लीआ तो।

अरे वोह कुछ भी नहि करेगा बेटी तुम खामो खा परेशान हो चली हो।

इसतरफ नौ बजने वाले थे मुजे सीवाजी पार्क जाना था तो मे सीवाजी पार्क तरफ जाने वाले भाडे देख रहा उतने मे एक आदमी आया और वोह आदमी और कोइ नहि वहि हनुमान नगर वाला था।

आके बोला चलो भैया जल्दि चलो।

कहा बाबु साहेब सीवाजी पार्क को चलना हे क्यां,,???

हा भैया सीवाजी पार्क चलने के बाद हम वापस यहि आंऐंगे।

हमने मीटर डाउन कीया और अपनी कींसमत को कौसते हुऐ चलने लगे।

उतने मे बाबु साहेब ने पुछा अरे आज इतना सेड क्युं लग रहे हो।

क्यां बाबु साहेब का बोले आप।

अरे भैय हमने पुछा ईतने खोऐ खोऐ क्यु लग रहे हो।

अरे का बताऐ बाबु साहेब हम जीनसे प्यार करते थे उनकी कीसी और से शादि होने वाली हे।

अरे रे,,,येह तो बदि दुःख की बात हे यार।

अच्छा तो अब क्यां करोगें उस्ताद।

अरे बाबु साहेब करना क्यां हे उसकी यादो के सहारे जींदगीं जी लेंगे और क्या।

अरे तु तो बदा हि सरीफ आसीक हे रे।मतलब तु अब कीसी और से शादि नहि करेंगा क्यां।

जी हा बाबु साहेब अब हम कीसी और से शादि ना हि करेंगे उका हे की हमरे पास एक हि दिल हे जो की हम ईस दिल को कीसी और को दे दिऐ हे।

वाह रे मेरे सेर क्यां दिल लग्गी हे तेरी।

इतने मे सीवाजी पार्क आ गया और वो बाबु साहेब टेक्सी मे से ऊतर के ऐक दुर खडे आदमी से शुटकेस की अदला बदली कर रहे थे।

ओर हमने पुछा की बाबु साहेब इ आपने क्यां कीया।कोनो चोरी का माल हे का काहे आपने शुटकेस को अदला बदली की।इ सब तो हम पीक्चर मे देखे रहे की गुंडा लोग दो नंबर का माल ईधर का ऊधर करते हे।

देखो आशीक तुम अपना काम से काम रखो।समजे

अरे पंरतु बाबु साहेब इ हमारा धरम हे की जो आदमी हमारी टेक्सी मे बेठा हो वो नीहायती शरीफ और नेक दिल ईन्सान हो।

हा तो क्यां शकल से तुमको चौर दिखता हु क्या।

नाहि नाहि बाबु साहेब आपतो हमरी बात का बुरा मान गऐ।

अरे तुमने बात हि ऐसी छैडि हे बुरा मानने जेसी।

देखो दुगना कीराया ले लेना लेकीन आईंदा एसे फालतु के शवालात हमसे ना करना थीक हे।

अरे बाबु साहेब जेसा आप ठीक समजे।

फीर बाबु साहेब को लेकर हम सीवाजी पार्क से होटल माहि पेलेस गऐ और उनको वहा छोड कर हम फीर गम का गाना गाने लगे।

कीशोर दा की आवाज मे।

आखीर हमसे क्यां खता हुई।

जीसके लीऐ हमने अपना प्यार खोया है।

वाह रे खुदा तेरा भी गजब इफ्तेफाक जो प्यार दे कर छीना है।

आखीर हमसे क्यां खता हुई।

जीसके लीऐ हमने अपना प्यार खोया है।

हमतो मुसाफीर थे जो मंजील के करीब थे।

लेकीन मंजील तो दुर होती रहि थी।

आखीर हमसे क्यां खता हुई।

जीसके लीये हमने अपना प्यार खोया है।

हमतो चांदनी के उजाले के दिवाने थे।

अचानक चांदनी के दिवाने से अंधेरा का अफसाना केसे बन बेठे।

आखीर हमसे क्यां खता हुई।

जीसके लीये हमने अपना प्यार खोया है।

दुआ मे ईतनी करु के मुजे मेरा प्यार लोटा दे

ऐ खुदा कबुल कर ये दुआ मेरी वरना जान ले ले मेरी।

आखीर क्यां खता हुई।

जीसके लीये हमने अपना प्यार खोया है,,,,,,

और ईस गम भरे गाने के साथ हम अपनी खोली मे आऐ और जहा चाचाजी बेठे हुऐ थे।

मेने चाचाजी को पुछा अरे चाचाजी आप कब आऐ,,???

जी बेटा अभी आया हु अस्पताल से ठीक हो कर के और शराब को हाथ भी नहि लगाया मे ऐक दम ठीक हो चुका हु रे।

चाचाजी मुरलीवाले की बडि क्रीपा हे जो आप ठीक हो गये है।अब जाके पीताजी की आत्मा को सांती मीलेगी की उनका भाइ ठीक हो चुका है।

हा बेटे ये सब तेरी क्रीपा हे रे जीसके चलते मे सहि आदमी बन पाया हु।

ऐक दम सहि बात बोली ना मेने अब मे तेरी चाची के घर जाना चाहता हु और अपने बेटी और बेटे का मुह देखना चाहतु हु।

अरे हा चाचाजी कल सुभह हम चलेगें और चाची को वापस अपने घर लाऐंगे।

सुभह होते हम चाची को लेने चलेगें और इतने मे शेठ हमारे घर को आया और कुछ चाचाजी से बात कर रहे थे और चाचाजी बडे खुश मालुम होते थे।

उतने मे चाचाजी ने बोला की हम दोनो मेरी पत्नी के घर जा रहे उनको हम मेरे घर वापस लेने के लीये आते हि हम दिपु की शादि आपकी बेटी से करेंगे।

मुजे तो यकीन नहि रहा था की मुरलीवाले ने ईतीनी खुशी मेरी जोली मे दाल दि हे।

अब मेने भी नाटक सुरु कीया जेसे मुजे कुछ मालुम ना हो वेसे मे चाचाजी के पास गया और बोला ओह शेठ जी केसे हे।

अरे मजे मे जमाई बाबु।आप केसे हे।

जमाई बाबु,,,???कौन जमाई केसा जमाई।

अरे दिपक बाबु तुम हमारे जमाई बाबु बन ने वाले हो।

क्यां मे और तुम्हारा जमाई,,,!!!!हरगीज नहि शेठ।

अरे पर क्युं आखीर क्यां गलत बात हे हम मे।

अरे गलत बात हि तो हे शेठ।

उस दिन जब मेने आपको पुछा था उस दिन आपने ना बताके मेरे दिल को काफी परेशान कीया हे।

मे ऐसे तडपता था जेसे समा परवाने को।

और तो और गम ईतना जकड गया था की लगता था की अब जीना दुरुस्त लगता था।

अरे दिपु ससुर हु तुम्हारा ईतना मजाक का हक तो बनता हि हे हमारा।

अरे तुम ससुर नहि असुर हो।

वोह असुर जो समा को बुजने ना दे और परवाने को आने ना दे।

अरे जमाई बाबु असुर हि सहि पर माफ़ी तो उ भोलानाथ भी असुर देवत हे तुम तो फीर भी हमरे जमाई हो।

थीक हे थीक हे बडे माफ़ी नहि मांगा करते ऐसा बोल के मेने लाला के पेंर छुऐ और लाला ने गले मील के मुजे आशीर्वाद दिऐ।

मे और चाचाजी चाची को लेने गये वहा जाके खुब चाचाजी ने मनाया लेकीन चाची माँ मानी नहि उतने मे वेह बहार को आऐ और अफ़सोस जताने लगे फ़ीर मे गया और चाची माँ को बोला की चाचा माँ मेने अपनी माँ को तो कभी देखा नहि क्युकी मेरे पैदा होते हि वो चल बसी लेकीन आपमे मे अपनी माँ को देखता हु और चाचाजी मे पीताजी ईसलीऐ तो मेने चाचाजी का ईलाज करवाया ताकी हम सब ऐक हो करके ऐक परिवार के माफीक रहे और तो और मेरी शादि भी होने वाली हे वोह शेठ की लडकी हे ना शोभा उसके साथ अगर आप नहि चलोगें तो क्यां फाईदा मेरा शादि करना क्युकी बेटा माँ के बगेंर केसे शादि कर सकेगा आप हि बताओ।मे रो रो के और हाथ जोड के चाची माँ को मना रहा था और चाची माँ ने मेरे हाथ नीचे कीऐ और अपने हाथ से मेरे आंसु को साफ कीया और बोली बेटा धन्य हे तुम्हारे माँ बाप जो ऐसा नेक दिल ईन्सान को जन्म दिया हे।

आज अगर तुम ना होते तो मेरे सुहाग की हालत कभी ना सुधरती और तुमने जीस तरह तुम्हारे चाचाजी की सेवा की हे ऐसी सेवा आज के जमाने मे कोन भला करता हे।

मे बोला चाची माँ जमाने का मुजे पता नहि लेकीन नैकी का काम हि धरम होता हे मेने यह शीखा हे।

और चाचाजी तो मेरे अपने हे और अपनो की सेवा मे नहि करुगां तो और कौन करेंगा चाची माँ।

मेने कोई उपकार नहि कीया हे मेने तो अपना धरम अपना फर्ज नीभाया हे।

वाह बेटे वाह आज तुजपे नाज हे।और तुहि मेरा सब से अच्छा बेटा हे क्युकी यह जानके हुऐ की तेरे चाचाजी ने तेरे पीताजी की सारी जायदात को जुऐ और शराब मे दुबो दिऐ फीर भी सबकुछ भुल के तुने उनकी जान बचाई और मेरी मांग का सींदुर को अखंड रखा हे।

अरे चाची माँ जायदात क्यां हे वोह तो महेनत करके बनाई जाती हे लेकीन अपने ऐक बार बीखर गऐ तो उन्हे वापस नहि लाया जाता।

अब चलीऐ चाचाजी बहार आपका ईन्तेजार कर रहे होगें।

चाची माँ ने सामान लीया और अपने संतानो के साथ बहार आऐ।

चाची माँ को समान और बच्चो सहित बहार आते देख चाचाजी खुश होऐ और मेरे सामने हाथ जोड कर कहेने लगे आज जो बरसो बाद मे ना कर शका आज वो तुने कर दिखाया।

अरे चाचाजान यह तो सब वो उपर बेठा मुरलीवाले की क्रीपा हे,मे चन्द ईन्सान हु।

हा बेटे मगर तु ईन्सान के रुप मे देवता हे देवता।

अरे ना ना चाचाजी देवता तो वोह होता हे जो ईन्सान को अपनी ईन्सानीयत का दर्जा सौगात मे देता हे और रहि बात मेरी तो मेने तो अपनो को अपनो से मीलाया हे।