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OUT OF CONTROL - 5

( पिछली कहानी में देखा कि चक ,स्टेसी ,और जेरी तीनो अपने अपने घर पहुचते हैं अब आगे...)

करीब 7 बजे जेरी घर पहुचता हैं । रोबर्ट और टोबी  TV देख रहे होते हैं। जेरी को देखते ही टोबी उसके पास चला जाता हैं और उसके पैर चाटने लगता हैं ।
रोबर्ट : तो केसा रहा तुम्हारा दिन । 
 जेरी : टोबी को सहलाते हुए , ठीक ही था ।
रोबर्ट: तुम हाथ मुह धो लो में खाना लगाता हूँ ।
जेरी : okay डेड ।
जेरी हाथ मुह धोकर आता हैं ।उतने मे रोबर्ट  खाना लगाता हैं ।   
    खाना खाने के बाद जेरी अपने कमरे में चला जाता हैं ।आज वो काफी थक चुका था इसलिये वो जल्दी सो जाता हैं ।
      अचानक जेरी की नींद उड़ जाती हैं ।जेरी घड़ी में देखता हैं ठीक 12 बजे थे ।जेरी ने फिरसे एक सपना देखा था लेकिन इस बार वो अलग था । इस बार उसने फिरसे वो घना जंगल देखा वो जंगल में कहीं खो गया था और चिल्ला रहा था ।लेकिन वहा उसकी कोई सुनने वाला नही था ।उसने और जोर से चिल्लाना सुरु किया  तभी उसके सामने एक दरवाज़ा आ गया और वो उस दरवाज़े के अंदर जा ही रहा था उतने में उसकी नींद उड़ गई ।
       उसने अपनी बैग निकाली और उसमें से दूसरी टेप को अपने डेड के ऑडियो प्लेयर मैं डाला ।

ससस....कोई मुजे सुन रहा हैं इसका मतलब सायद किसीको मेरी बातों पर यकीन होने लगा हैं । इस टेप में में एक और राज़ बताऊंगा । और वो हैं सपना ।जिसे हम अंग्रेजी में ड्रीम्स कहते हैं ।ये सपने होते क्या हैं और हमे क्यो आते हैं ? कई बार हमारे साथ दिनमे जो बीतता है । हमारे अनुभव जिस तरह के होते हैं । उसके मुताबिक सपने आते हैं,  तो कई बार हमें विचित्र और अजीबो गरीब सपने आते हैं । अगर हमारा दिमाग हमारे काबू मैं होता तो हमे कभी सपने नही आते , ऐसा नही हैं कि हमारे काबू में नही है  ।ये किसी कंपनी मैं काम करते हुए एम्प्लोयी जैसा हैं ।वो अपना काम किये जाता हैं । उसके बदले में उसको तनख्वाह भी मिलती हैं लेकिन असल में वो कंपनी के मालीक का  काम करता है और उसे मुनाफा भी करवाता हैं । उसी तरह हमारा दिमाग हमारे मुताबिक काम तो करता हैं लेकिन कुछ ऐसा भी हैं जो उसपर कंट्रोल करता हैं । जिसे मेने निजी यन्त्र नाम दिया है जो सबके लिए अलग होता हैं  और उसतक  पहुचने का एक ही रास्ता हैं और वो हैं सपना ।  ये निजी यन्त्र ऐसा यंत्र हैं जिसके जरिये हमारे दिमाग पर कंट्रोल किया जाता हैं । ये कही भी हो सकता हैं । हमारे आसपास भी । और वहा भी जहा किसीकी नज़र ना पहुचे ।जैसे कि हम जानते हैं जब हम जाग रकहे होते हैं तब हमारा मन जाग्रत अवस्था में होता हैं और जब हम सो रहे होते है तो हमारा मन अर्ध जाग्रत अवस्था में होता हैं । अगर हम अपने नींद में भी हमारे जाग्रत मन का इस्तेमाल कर पाए तो अपने निजी यंत्र तक पहोचा जा सकता हैं । लेकिन उस यंत्र तक पहुचना नामुनकिन भी हो सकता हैं और कुछ लोग के लिए काफी आसान भी । ये हमारी कल्पनाशकित पर आधारित हैं । इसके लिए हमे अपनी आँखें बंद करके किसिन किसी चीज़ के बारे में सोचना हैं ।उसके बारेमें ज्यादा नही सोच सकते तो किसी और चीज़ के बारेमें सोचो ।किसी न किसी तरह हमारा दिमाग व्यस्त रहना चाहिये एक वक्त ऐसा आएगा जब हमारा दिमाग अर्धजागत अवस्था मे जाने की कोशिश करेगा और हमे नींद आने लगेगी उस वक्त जो चित्र , या सपना हमारी आँखोंके सामने होगा उसीके जरिये तुम नीजी यंत्र तक पहुच शकते हो ।  
 सससस............. टेप बाहिर आगयी ।

        जेरी को इन सब बातों पर इतना यकीन नही था लेकिन वो ये भी सोचता था कि कोशिश करने से कुछ बिगड़ने वाला नही ।
जेरी ने घड़ी मैं देखा 1 बज चुका था । उसने अपनी आँखें बंद की और अपनी माँ के बारे में सोचना शुरू किया । उसका बचपन , रोना , लड़ना , खुश होना ,साथमे मूवी देखना ,पिकनिक पर जाना  ,मा के हाथ का खाना , जन्मदिन मनाना सारी चीजें उसकी आँखों के सामने लाने की कोशिश की  । उसकी बीती हुई जिंदगी के बारेमें सोचते सोचते कब उसे नींद आगई पता ही नही चला ।

      ट्रिन..... अलार्म बजा । जेरी गहरी नींद से जाग गया । इसबार सपनेमें  उसने निजी यंत्र को देखा । वो कोलमा की पुरानी लाइब्रेरी के पीछे वाले पेड़ के पास था । उसने तुरंत हाथ मुह धोया और सायकिल की चावी ली ।और अपनी बैग पैक कर ली ।
जेरी : गुड मॉर्निंग डेड , में स्कूल जा रहा हूँ आज एक्स्ट्रा लेक्चर हैं । में बताना भूल गया था ।
रोबर्ट : पर ,नास्ता तो करते जाओ ।
जेरी : नही डेड , late हो रहा हैं ।में कैंटीन में कुछ  खा लूंगा ।
रोबेर्ट : ठीक हैं , bye

   जेरी कोलमा की लाइब्रेरी के पीछे वाले पेड़ के पास पहुचा । उसने अपनी बैग से एक सलिया निकला और जिस जगह सपने में देखा था वहां खोदने लगा । थोड़ा खोदते ही उसे एक चमकती हुई चीज दिखाई दी । वो चीज़  साधारण पत्थर जैसी ही थी लेकिन वो काफी चमक रहा था ।वो नीजि यंत्र था । जैसे ही जेरी ने उस निजी यंत्र को हाथ मे लिया वो चमकना बन्द हो गया । और एक साधारण पत्थर बन गया ।जेरी ने अपनी मुट्ठी बंध की । वो पत्थर ऐसे बिखरने लगा जैसे रेत का बना हो । लेकिन इसका असर जेरी पर हुआ ।वो अब निजी यंत्र के कंट्रोल से बाहिर था । उसका दिमाग पूरी तरह खुल गया था । उसके दाये हाथ की लकीरें मिट चुकी थी । अब उसकी किस्मत उसके हाथमें थी । वो पूरी तरह आज़ाद था । उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि वो कुछभी कर शकता हैं । 
               उतने  मैं  एक चमकता दरवाजा जेरी के सामने आया । उसमे से दो सात फ़ीट लंबे इंसान बाहर आये उन्होंने जेरिको उठाया और दरवाजे में वापस चले गए ।