chintu - 9 books and stories free download online pdf in Hindi

चिंटू - 9

सुमति कुछ देर बाद किसी से बात करके वापस आती है। वह अब नॉर्मल दिख रही थी। काफी समय हो गया तो राजदीप और सुमति घर जाने के लिए निकलना चाहते थे। वो दोनो पुनिश से मिलने जाते है तो पुनिश सुमति की ओर देख कहता है- फिर कब मिलोगी?
सुमति- जी?
पुनिश- मेरा मतलब है कि मै और राजदीप तो मिलते रहते है। आप दुबारा कब मिलोगी?
सुमति (हंसते हुए)- मिलेंगे कभी पर अब बहुत देर हो चुकी है तो जाने की इजाज़त दीजिए।
पुनिश- ना दूं इजाज़त तो नहीं जाएंगी?
सुमति- जाऊंगी तो फिर भी?। कल सुबह जॉब पर भी जाना है। देर से सोऊंगी तो देर से उठुंगी और जॉब पर जाने में भी देर हो जाएगी। तो इसी वजह से अब चले हम?
यह सुनकर राजदीप और पुनिश हस पड़ते है। दोबारा मिलने का कहके राजदीप और सुमति निकल पड़ते है। जाते जाते सुमति चिंटू को ढूंढ़ रही थी पर वह पहले ही निकल गया था। मायूस नज़रों से वह भी वहां से चली गई।

राजदीप जब उसे घर छोड़ने आया तब बारह बजने वाले थे। पूरे रास्ते दोनों ने कोई बात नहीं कि। सुमति बाइक से उतरी तब राजदीप वापस जाने लगा। सुमति ने उसे रोका और कहा- राज आज जो हुआ वह ठीक नहीं था। राजदीप चिंटू और सुमति की बात समझ रहा था पर सुमति राजदीप के माथे पर चूमने की बात कर रही थी।
राजदीप- हां, वो चिंटू...
सुमति बीच में ही इसे रोकती है और कहती है- मै मेरी और चिंटू की बात नहीं कर रही।
राजदीप- तो?
सुमति- तुमने जो मेरे मेरे माथे पर चूमा वह मुझे ठीक नहीं लगा। हमारे बीच दोस्ती के सिवा कोई रिश्ता नहीं बन सकता।
राजदीप- पर क्यों? सुमति मै आज तुमसे कह ही देता हुं के तुम मुझे पसंद हो। I like u and I love u so much.
सुमति- plz राजदीप समजने की कोशिश करो। मै अब प्यार व्यार के चक्कर में नहीं पड़ना चाहती।
राजदीप- अब मतलब? पहले भी...
सुमति- good night राज, अब तुम्हे चलना चाहिए।
राजदीप कुछ भी बोले बगैर वहा से चला गया।

घर पर शारदा और पिया सो गए थे। चिंटू कपड़े बदलकर अंदर रूम मै जा रहा था। उसे देख सुमति अपने कपड़े बदलने के लिए जल्दी से अंदर रूम मै जाकर दरवाजा बंद कर देती है। पीछे चिंटू दरवाजा खटखटाता है- बाहर निकालो, पता है मै अंदर रूम में सोता हुं तो रूम मै क्यों चली गई?
सुमति कोई जवाब नहीं देती। चिंटू कहीं मां और पिया की नींद खराब ना हो इसलिए चुप रहकर वहीं दरवाजे के पास खड़ा रहता है। जब सुमति कपड़े बदलकर बाहर आई तब चिंटू को पता चलता है सुमति कपड़े बदलने अंदर गई थी। वह बात किए बगैर ही रूम में सोने चला जाता है। सुमति तो सो जाती है पर चिंटू की आंखों से नींद कोसों दूर हो जाती है।

चिंटू सोचता है, मुझे क्यों जलन हुई जब वो लड़का सुमति के साथ था। मै तो रिया से प्यार करता हुं तो सुमति से मुझे कोई वास्ता नहीं होना चाहिए। आज अगर सुमति मुझे रोकती नहीं तो मै उस साले का मुंह तोड़ देता?। सुमति क्या उस लड़के से प्यार करने लगी है? आह...! मै ये सब क्यों सोच रहा हुं?
फिर चिंटू अपने बचपन की बाते याद करते हुए सो जाता है।

* * * *
दो दिन बाद रविवार था। आज जॉब पर उसने मोनिका मेम से अपने रिजाइन कि बात करी। उसने जॉब छोड़ने का कारण भी उन्हें बता दिया था। मेम ने भी उसकी बात सुनकर उसे रोकना उचित नहीं समझा। सुमति शनिवार को अपनी जॉब से वापस आकर समान पैक करने लगी। शारदा और पिया पहले तो समझें वह साफ सफाई कर रही है पर जब वह सिर्फ अपने कपड़े बैग में रखने लगी तो शारदा ने उससे पूछा- ये तु अपने कपड़े क्यों पैक कर रही है, कहीं जा रही हो क्या?
सुमति- हां मौसी, अब यहां से मेरा दाना पानी भर गया है।
पिया- क्या कह रही है तु??
सुमति- मौसी, पिया आप लोगो ने मेरा अबतक बहुत खयाल रखा है। मै आप सबका यह अहसान कभी नहीं भूलूंगी।
शारदा- ये क्या हो गया है तुझे, ऐसा क्यों बोल रही है?
सुमति- क्योंकि अब मै यहां से जा रही हुं, हमेशा के लिए।
शारदा और पिया अवाक रह जाते है यह सुनकर।
पिया गुस्से में कहती है- ये क्या कह रही हो तुम सुमति? कहीं नहीं जा रही हो तुम, समझी??
सुमति- नहीं पिया, अब मुझे यहां से जाना ही है। कल जब चिंटू की शादी होगी तब जगह छोटी पड़ जाएगी सबके रहने के लिए।
पिया- तो तू और में बाजू में तेरे घर में रहेंगे। तु उसकी चिंता मत कर अभी से।
सुमति- अरे तो तो किराया बंद हो जाएगा मेरा। अपना खर्चा कैसे निकालूंगी? और तेरे लिए गिफ्ट्स कहा से लूंगी?
पिया- मुझे कोई गिफ्ट नहीं चाहिए, तु कहीं नहीं जा रही बस।
शारदा- यह एकदम अचानक से तुझे ये सब क्या सुजा?
सुमति- मौसी, कभी न कभी तो मुझे यहां से जाना ही था तो अब सही। मै वादा करती हुं आपसे मिलने जरूर आया करूंगी। पर अभी मुझे जाने दीजिए।

बाते करते करते उसने अपना सारा सामान पैक कर लिया। उतने में स्नेहा और राहुल आ जाते है। उन्हें देख शारदा और पिया खुश हो जाते है। (पुनिश की पार्टी में सुमति ने स्नेहा को ही फोन किया था)
शारदा- अरे आप! बहुत समय बाद मिले है हम। आपको यहां का पता कैसे चला?
सुमति- मैंने बताया है उन्हें। हम हमेशा फोन पर बात करते रहते है। वे मुझे यहां से लेने के लिए आए है।
शारदा- क्या? तुम इनके साथ जा रही हो?
सुमति- और कोई पहचान वाला कहा है मेरा तो मै किसी और के साथ जाऊ? अब से मै इन्हीं के साथ रहूंगी। ये लीजिए इनके घर का पता। आप भी मुझे मिलने आना वहा।
सुमति एक पर्ची में स्नेहा के घर का एड्रेस लिखकर शारदा को देती है।
पिया- पर तु क्यू जाना चाहती है?
सुमति शारदा से कहती है- मौसी आप जानती है, जब मेरे मां बाबा इस दुनिया से चले गए तब स्नेहा दीदी मुझे अपनाना चाहती थी।
शारदा- हां, पता है मुझे। और मैंने ही इन्हें मना किया था।
सुमति- इतने साल मै आपके साथ रही तो अब इनकी बारी भी आनी चाहिए ना!
स्नेहा शारदा से कहती है- शारदा जी, आप बेफिक्र रहिए। हम इसका खयाल अच्छे से रखेंगे। अब देखिए ना हमारी शादी को इतने साल हो गए, हम अब भी बेओलाद ही है। भगवान ने हमारी जोली भरी ही नहीं।
स्नेहा की आंखो में आंसू आ जाते है तो राहुल उसे संभाल लेता है और कहता है- स्नेहा हम बेओलाद नहीं है, सुमति है न हमारी बच्ची। मौसी हम अब कानूनन सुमति को गोद ले रहे है। इसकी कार्यवाही हमने करवा ली है। बस सुमति की रजामंदी ही बाकी है। और इसका भविष्य हमारे साथ बहेतर ही रहेगा। आपने इसका इतना खयाल रखा है किसी चीज की कमी नहीं होने दी, बस हम भी इसका ऐसा ही खयाल रखेंगे।
शारदा- आप मेरे जिगर के टुकड़े को ले जा रहे है?। अब जब सुमति आपके साथ रहना चाहती है तो मै क्या कहूं? बस मेरा आशिर्वाद हमेशा उसके साथ रहेगा।
पिया- सुमति plz मत जाना। मै किसके साथ बाते करूंगी?
सुमति- हम रोज फोन पर बाते करेंगे और वीडियो कॉल भी। अब मुझे जाने दे। वादा करती हुं तुझे मिलने जरूर आऊंगी।

सबकी सहमति से सुमति स्नेहा और राहुल के साथ जाने लगती है तभी चिंटू घर पर आता है। वह पहले स्नेहा और राहुल को देखकर खुश हो जाता है। पर जब सुमति को सामान के साथ खड़ा देखा तो वह शारदा से पूछता है- यह किसका सामान है मां?
शारदा- सुमति का, वह अब स्नेहा और राहुल के साथ रहने जा रही है।
यह सुनकर मानो उसका दिल बैठ गया। वह सुमति का हाथ पकड़कर कहता है- तुम कहीं नहीं जाओगी सुमति।
सुमति- अब यहां पर मै रुक नहीं सकती। आखिर कबतक मुझ पर एहसान करोगे?
सुमति का बोलना वह समझ गया था। उसने पार्टी वाले दिन जो सुमति को सुनाया था यह इसका ही नतीजा था। पर उस यह नहीं पता था कि सुमति बात यहां तक ले जाएगी। वह सुमति से माफी मांगने लगता है- जो हुआ उसे भूल जा सुमति पर तु यहां से मत जा।
सुमति- मै अपना मन मना चुकी हुं अब कोई मुझे नहीं रोकेगा।
चिंटू की आंखो में आंसू आ जाते है वह एक बार फिर सुमति का हाथ पकड़कर उसे रुकने के लिए कहता है पर सुमति अपना हाथ छुड़ाकर बाहर सामान लेकर चली जाती है और जाते जाते शारदा के पैर छू लेती है और कहती है- अगर मुजसे कभी कोई भूल हुई हो तो माफ़ कर देना। शारदा उसे गले लगाकर रोने लगती है और पिया भी उसे गले लगाकर रोती है। सुमति एक नजर चिंटू पर डाल के चली जाती है।
सुमति के जाने के बाद पूरा घर खाली खाली लगता है। कोई एक दूसरे से बात नहीं कर रहा। शारदा जब किचन में जाने लगी तो चिंटू ने खाने से मना कर दिया, पिया भी ना बोल देती है। उस रात घर में चूल्हा नहीं जला। सब सुमति के साथ बिताए पल याद कर के गुमसुम बैठे रहे और सबको इसकी अहमियत भी पता चली। हर वक्त खुशहाल रहता घर आज मायूस लग रहा था।?

* * * *
स्नेहा और राहुल अपनी कार लेकर आए थे। सुमति भारी मन से उनके साथ चली जाती है। कार में बैठते ही आंखो का बांध टूट पड़ता है। कबसे वह अपने आंसू रोके हुए थी। स्नेहा और राहुल उसे रोने देते है ताकि उसका मन हल्का हो जाए।
स्नेहा अब उसकी न्यूज चैनल में चीफ रिपोर्टर बन गई थी और राहुल चीफ एडिटर। उनके पास अपना खुद का टू बीएचके का घर तो था ही इसलिए मुंबई नगरी में रहना मुश्किल नहीं पड़ रहा था। अब वह सुमति का खर्चा उठा सके उतने कैपेबल तो हो ही गए थे।
घर पहुंचकर स्नेहा ने सुमति को अपना कमरा बता दिया और कहा- सामान कल सुबह हम साथ मिलकर जमा देंगे। वैसे भी कल सन्डे है तो आराम से उठाना,ठीक है। चल अब बता क्या खाएगी तु?
सुमति- आपको जो सही लगे। आज मै बनाऊ रसोई?
स्नेहा- अरे नहीं नहीं, तु यहां सिर्फ आराम करेगी। यहां कोई काम नहीं करना है। और हमारे घर रसोई बनने हमारी कुक मामता आती है। हमारा तो घर आने का कोई ठिकाना नहीं रहता तो इसीलिए रसोईवाली रखी है। और वह घर का सारा काम भी करती है तो तु उसकी भी टेंशन मत करना। चल आज बाहर स्विगी से ऑर्डर करते है।
राहुल अपने रूम से जोर से कहता है- मेरे लिए नूडल मंचूरियन मंगवाना। और सुमति तु भी वही खाना, बहुत बढ़िया आता है।
सुमति- जैसा आप ठीक समझें।
स्नेहा सुमति से कहती है- तु अब से हमें अपने मम्मी पापा ही समझना। वैसे भी हम तुझे एडॉप्ट कर ही रहे है तो हमारा रिश्ता अब कायम रहना चाहिए समझी स्वीट हार्ट।?
सुमति - जी, समझ गई मां
मां शब्द सुनते ही स्नेहा की आंखो में आंसू आ गए और वो सुमति को गले लगाकर रोने लगती है। उसकी रोने की आवाज़ सुनकर राहुल भी बाहर आ जाता है। सुमति उन्हें आंखो के इशारे से ही रोक लेती है, और कहती है- अब इन्हें जितना रोना हो रों लेने दीजिए। कल का सूरज हम तीनो की जिंदगी में नया उजाला लेकर आएगा पापा
पापा सुनकर उसकी आंखो में भी आंसू आ जाते है। तीनो एक दूसरे को पकड़कर जी भरके रों लेते है। फिर राहुल स्नेहा से कहता है- तुमने खाना ऑर्डर किया या मेरी बच्ची को भूखा रखना है?
स्नेहा- काहे कि तुम्हारी बच्ची? यह हमारी बच्ची है।?
राहुल- वैसे बुरा मत लगाना पर बेटियां पापा की परी ही होती है। और सुमति मेरी परी है।
स्नेहा- हा बाबा! पापा की परी, नो अब तू भी जाकर नहा ले। कल छुट्टी है हमारी तो ढेर सारी शॉपिंग करेंगे।
राहुल मुंह बिगड़ते हुए बोलता है- कल शामत आ जाएगी मेरी, है भगवान! बचा लेना कल मुझे।
राहुल का कहा सुनकर दोनों हस पड़ती है। तभी सुमति उन दोनों से कहती है- मै आपसे कुछ कहना चाहती हुं।
राहुल- हां, बोलो बेटा। क्या कहना है?
सुमति- मै अब अपनी नई जिंदगी शुरू कर रही हूं तो मै अपनी पहचान भी नई रखना चाहती हुं। आप लोगो को कोई ऐतराज ना हो तो अडॉप्शन पेपर में मेरा नाम सुमति के बजाय सौम्या लिखवाना।
स्नेहा- कोई बात नहीं सुमति, तुम जैसा चाहती हो वैसा ही होगा। सुना न तुमने राहुल? पेपर बनवाते वक्त गलती मत करना। वरना...?
राहुल- हां मेरी मां, यही होगा। पर बेटा तुम अपना नाम क्यों बदलना चाहती हो? तुम्हारे इस नाम से भी हमे कोई ऐतराज नहीं है।
सुमति- पर मुझे है। मै अपनी कड़वी यादों को भूल जाना चाहती हुं। मै चिंटू को भूल जाना चाहती हुं।?
स्नेहा- कोई बात नहीं बेटा, यही होगा। तुम अब आगे बढ़ो। पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं है।
(सुमति ने जब पुनिश की पार्टी में स्नेहा को फोन किया था तब उसने अपने और चिंटू के बीच जो कुछ भी हुआ था वह स्नेहा को बता दिया था, और स्नेहा ने राहुल को बताया था)

* * * *
कुछ ही दिनों में सुमति स्नेहा और राहुल के साथ एडजस्ट हो गई थी। उसने अपनी जॉब छोड़ दी थी और स्नेहा और राहुल के साथ उसके न्यूज चैनल में ही कंप्यूटर ऑपरेट का जॉब करने लगी थी। उसने अपने मोबाइल का नया सिम भी ले लिए था और उसका नम्बर सुमति ने पिया को दे दिया था। दोनों रात में ढेर सारी बाते किया करती थी। सुमति को वहा खुश देखकर पिया के मन को भी तसल्ली मिली थी। सुमति राजदीप से भी बात कर लिया करती थी। एकबार राजदीप ने मिलने के लिए बोला तो सुमति ने पापा से पूछकर बताऊंगी कहा था। जब यह बात सुमति ने स्नेहा और राहुल से कहीं तो उन्होंने उसे घर पर ही बुलाने के लिए कह दिया। और तो और डिनर पर भी invite कर ने को कहा।
इधर सुमति अब सौम्या बनकर अपनी नई लाइफ जी रही थी और उधर चिंटू की लाइफ में परेशानी आना शुरू हो गई थी।

क्रमशः
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