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स्टॉकर - 11



स्टॉकर
(11)


अंकित बार बार मिला हुआ मौका गंवा दे रहा था। इस बात से मेघना बहुत गुस्सा थी। जब अंकित उससे मिलने पहुँचा तो उसने पूँछा।
"क्या बात है अंकित ? चार दिन तुम वहाँ जाकर बिना शिव की हत्या किए लौट आए। आखिर बात क्या है ?"
अंकित अपने आप को तैयार करके आया था। वह बोला।
"ये आसान काम नहीं है मेघना।"
"इतना मुश्किल भी नहीं है। तुम्हें मौका देख कर शिव के पास जाना है और साइलेंसर वाली गन से उस पर गोली चलाना है। इतनी पास से निशाना नहीं चूकेगा।"
"कहना आसान है। पर मेरे पकड़े जाने का भी डर है।"
"वो तो मैंने पहले ही कहा था कि थोड़ा बहुत खतरा तो होगा ही। मैं चालीस लाख तुम पर ऐसे ही तो नहीं खर्च कर दूँगी।"
"वो सही है। पर अगर मैं पकड़ गया तो कुछ भी हाथ नहीं आएगा।"
उसके इस जवाब से मेघना खीझ गई।
"जब मैंने शुरुआत में ही कहा था कि मन पक्का कर लो तो फिर क्यों तैयार हो गए थे। तब नहीं पता था कि पकड़े जाने का खतरा है।"
"तब दरअसल....."
मेघना ने उसे टोंकते हुए कहा।
"दरअसल तुममें कुछ करने की हिम्मत ही नहीं है। मैं समझ नहीं पा रही हूँ कि तुम क्या सोंच कर घर छोड़ आए थे। तुम कुछ करने के लायक ही नहीं हो।"
अंकित ऊपर से नीचे तक जल उठा।
"तभी अपनी ज़रूरतें लेकर मेरे पास आईं थीं। तब नहीं सोंचा था कि मैं किसी लायक नहीं हूँ।"
"बस उतने के ही लायक हो....."
"मेघना...."
गुस्से में अंकित चिल्ला उठा। मेघना ने उसे धमकाते हुए कहा।
"चिल्लाओ मत....गलत नहीं कह रही हूँ।"
अंकित चुप रहा पर उसे मेघना की बात बहुत बुरी लगी थी। मेघना को भी लग रहा था कि उसने कुछ अधिक ही कह दिया है। अपने आप को संभालते हुए उसने नर्म स्वर में कहा।
"देखो....हम दोनों को ही एक दूसरे की ज़रूरत है। ना मैं तुम पर कोई एहसान कर रही हूँ ना ही तुम मुझ पर। दोनों की गरज़ है। इसलिए आपस में लड़ने की जगह एक दूसरे का सहयोग करें वही ठीक है।"
मेघना के बदले हुए सुर को सुन कर भी अंकित चुप ही रहा। पर मेघना समझ रही थी कि कोशिश कर उसे उसके इरादे पर वापस लाया जा सकता है। उसने आगे कहा।
"तुम्हारा डर मैं समझती हूँ। पर ये भी तो सोंचो तुम्हारी थोड़ी सी हिम्मत तुम्हें कितना फायदा पहुँचाएगी।"
अभी भी अंकित चुप था। मेघना ने आगे कहा।
"तुम पकड़े जाने से डर रहे हो। पर तुमने खुद हर चीज़ का जायज़ा लिया है। जानते हो कि बस थोड़ी सी हिम्मत करने की ज़रूरत है। देखो योग करते समय शिव अकेला रहता है। साइलेंसर लगी गन से गोली चलेगी तो किसी को पता नहीं चलेगा। तुम अपना काम करके आसानी से निकल सकते हो।"
मेघना की अंतिम बात का अंकित पर प्रभाव पड़ा। उसने मेघना से कहा।
"ठीक है मैं फिर से कोशिश करता हूँ।"
उसकी बात सुन कर मेघना मन ही मन खुश हुई। उसने अंकित को प्रोत्साहित करते हुए कहा।
"बस थोड़ी सी हिम्मत करो। फिर तुम अपने जिम के मालिक होगे।"

अंकित ने एक बार फिर खुद को शिव की हत्या के लिए तैयार कर लिया। पर जब उसे अपने काम को अंजाम देना था उससे पहले वाली रात उसकी बात अपनी माँ से हुई। उसकी माँ ने कहा कि वह उसके घर छोड़ कर जाने से बहुत दुखी हैं। लेकिन अगर वह घर छोड़ कर गया ही है तो अब अपनी मेहनत व लगन से कुछ बन कर दिखाए। कुछ भी ऐसा ना करे जिससे उन्हें अपनी कोख पर शर्मिंदा होना पड़े।
अपनी माँ के इन शब्दों का अंकित पर गहरा असर हुआ। वह पहले भी गलतियां कर चुका था। अब वह हत्या का अपराध कर पाप नहीं कर सकता था। उसने तय कर लिया कि वह अपने लालच को दरकिनार कर मेघना को शिव की हत्या करने से मना कर देगा।

एसपी गुरुनूर अपनी कुर्सी से उठ कर अंकित के पास जाकर बोली।
"तो तुमने मिस्टर टंडन की हत्या करने से मना कर दिया।"
"हाँ....मेरी माँ ने मुझे भटकने से रोक लिया।"
"मेघना मान गई...."
"उसने जी भर कर मुझे बुरा भला कहा। पर इसके अलावा कर क्या सकती थी। इस बार मेरा इरादा पक्का था।"
एसपी गुरुनूर ने अपनी कुर्सी अंकित के पास खींच ली। वह कुछ देर तक उसे ध्यान से देखती रही। अंकित को बहुत अजीब सा लग रहा था। एसपी गुरुनूर ने उससे कहा।
"पर तुम्हारी बात पर यकीन नहीं हो रहा है। तुमने सिर्फ अपनी माँ के कहने पर अपना इरादा बदल दिया। अपने खुद के जिम का मालिक बनने का सपना यूं ही छोड़ दिया।"
एसपी गुरुनूर जिस तरह से उसे देख रही थी उससे अंकित अंदाज़ लगा सकता था कि वह उसकी बात पर पूरी तरह यकीन नहीं कर पा रही है। अंकित ने कहा।
"मैम आपको मुझ पर यकीन नहीं हो रहा है। क्योंकी मेघना ने आपको यकीन दिला दिया है कि वह एक दुखियारी विधवा है। मैं उस पर गलत नज़र रखता था। इसलिए उसके पति को मार दिया। पर मैम उसका वो रूप छलावा है।"
एसपी गुरुनूर वैसा ही सोंचती थी जैसा कि अंकित कह रहा था। उसे मेघना एक ऐसी औरत लगती थी जो बड़ी बहादुरी से अपने पति की हत्या के दुख को सह रही थी। जो कुछ भी अंकित ने उसे बताया था उस पर वह आसानी से यकीन नहीं कर पा रही थी। पर अब तक का उसका अनुभव कह रहा था कि कुछ भी असंभव नहीं है। अतः वह अंकित की बात को पूरी तरह से नकार भी नहीं रही थी।
"चलो तुम्हारी बात मान लेती हूँ कि तुमने अपनी माँ की बात मान कर लालच छोड़ दिया। मेघना का काम करने से मना कर दिया। फिर तुम उस आदमी की कैद में कैसे पहुँचे ?"
अंकित आगे की कहानी बताने जा रहा था तभी इंस्पेक्टर अब्राहम एसपी गुरुनूर के पास आया। उसने उसे अपने साथ चलने को कहा। अंकित को सब इंस्पेक्टर गीता के साथ लॉकअप में छोड़ कर एसपी गुरुनूर उसके साथ चली गई।
दार्जिलिंग से एसपी कमल गोरांग ने रॉबिन घोष के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां भेजी थीं।
रॉबिन घोष पर बहुत अधिक कर्ज़ था। उस पर वित्तीय धोखाधड़ी का भी आरोप था। कनिका मित्रा नाम की महिला ने जिसके साथ वह तीन साल से लिव इन में था उस पर मारपीट करने का इल्ज़ाम लगाया था। पर बाद में अपनी शिकायत वापस ले ली थी।
एक और जानकारी थी। रॉबिन घोष का रिश्ता कई सालों तक सारा गोम्स नाम की ओडिशी नृत्यांगना से रहा था।
एसपी कमल गोरांग ने दो तस्वीरें भी स्कैन कर ईमेल से भेजी थीं। इंस्पेक्टर अब्राहम उनका प्रिंटआउट लेकर आया था।
पहली तस्वीर रॉबिन घोष की थी। लंबा कद, भरा हुआ शरीर, सांवला रंग। सर पर घुंघराले बाल। उसका व्यक्तित्व आकर्षक था।
दूसरी तस्वीर सारा गोम्स की थी। तस्वीर में सारा ओडिशी नृत्य के परिधान में थी। तस्वीर कुछ साल पुरानी थी। तस्वीर को ध्यान से देखने पर एसपी गुरुनूर को सारा कुछ पहचानी सी लगी। लेकिन उसे याद नहीं आ रहा था कि वह कौन है। वह बहुत ध्यान से सोंचने लगी। जो नाम उसके ज़ेहन में आया उसने उसे चौंका दिया।
एसपी गुरुनूर ने सारा की तस्वीर इंस्पेक्टर अब्राहम को देकर कहा कि वह इसे ध्यान से देखे। कुछ देर ध्यान से देखने के बाद इंस्पेक्टर अब्राहम के मुंह से निकला।
"मिसेज़ टंडन...."
"हाँ....मिसेज़ टंडन.... ये बहुत ऊँची चीज़ मालूम पड़ती है। मैंने जब पूँछा था तो कह रही थी कि वह रॉबिन घोष को नहीं जानती हैं। पर कई सालों तक यह उसकी प्रेमिका रह चुकी है।"
"मैम.... यही नहीं इसने अपनी पहचान भी बदल ली है। यहाँ मेघना टंडन बन कर रह रही है। जबकी इसका नाम सारा गोम्स है।"
"अब्राहम अंकित ने भी इसके बारे में बहुत कुछ बताया है। इसका कहना है कि अंकित ने गुस्से में मिस्टर टंडन को मार डाला। पर उसका कहना है कि मेघना ने ही उसे ऐसा करने को कहा था। पर अंकित की हिम्मत नहीं पड़ी। इसलिए उसने मिस्टर टंडन को नहीं मारा। इसका मतलब मिस्टर टंडन की हत्या रॉबिन ने मेघना के इशारे पर की होगी। ऐसा करो अब्राहम तुम इस मेघना पर नज़र रखना शुरू करो। इसके कॉल डिटेल्स निकलवा कर मेरे पास भिजवाओ।"
"ठीक है मैम....मैं मेघना की हर एक हरकत पर नज़र रखूँगा।"
इंस्पेक्टर अब्राहम चला गया। एसपी गुरुनूर मेघना के बारे में सोंचने लगी। अंकित ने जो कुछ भी बताया उसके हिसाब से मेघना अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए कुछ भी कर सकती है। वह बहुत चालाक औरत है। जिस तरह से वह उसके सामने पेश आ रही थी उससे लगता है कि वह बहुत अच्छी अभिनेत्री भी है।
एसपी गुरुनूर अंकित की पूरी कहानी जानने के लिए फिर उसके पास पहुँच गई।