Prem - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

प्रेम - 1

अपने मोबाइल पे वो अपने कापते हाथो से मेसेज टाइप कर रही थी "हाँ, में आपसे प्यार करती हु, ये जानते हुए भी के हम एक नहीं हो सकते, ये जानते हुए के हम साथ में नहीं रह सकते, जानती हु आपके घर वाले कभी इस रिश्ते के लिए नहीं मानेंगे, फिर भी सिर्फ आपसे ही प्यार करती हु और मरते दम तक करती रहूंगी, तुमसे दूर रहना मज़बूरी हो सकती है पर तुम्हारी यादो से नहीं, उसे में यु ही हमेशा सजा के रखूंगी, एक यही तो निशानी है तुम्हारी मेरे पास


शिवानी ने ये मेसेज लिख तो दिया पर ये अजीत को भेजनें की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी, उसकी शादी जो थी आज, उसका दिन ख़राब नहीं करना चाहती थी वो आज, इसलिए उसने वो पूरा मेसेज वापस हटा दिया और रोने लगी, रोते रोते उसकी आँख लग गयी


फ्लैशबैक


कितना हसीन दिन था वो, सर्दिओ का मौसम चल रहा था, जनुअरी का महीना था, शिवानी अपनी किसी सहेली के साथ एक इवेंट पे गयी थी, शिवानी और उसकी सहेली घूम कर सब कुछ देख रहे थे, घूमते घूमने उसकी नजर एक लड़के से जा मिली, दिखने में कितना स्मार्ट लग रहा था

5'7" हाइट
रंग - गोरा, ब्लू कलर की शर्ट जो बाजुओं तक फोल्डेड थी, ब्लैक जीन्स, ब्लैक कलर का गोगल, और उस पर उसके आते वो बाल, हाय शिवानी तो देखते ही दिल बैठी उसको, बस वहा उसकीको देखे जा रही थी, वो भूल गयी थी के वो यहाँ अपनी एक सहेली के साथ आयी है, बस उस लड़के को देखा करती, वो हस्ता तो हस्ती, उसके हर एक्सप्रेशन को बड़े ही ध्यान से देख रही थी वो, खैर अब उसके जाने का समय आ गया था, शाम काफी हो गयी थी और घर जाना था, उसका मन तो बिलकुल नहीं था पर उसको जाना था, उसने जाते जाते एक बार पलट के देखा वो किसी से बात कर रहा था, पर वो शिवानी को ही देख रहा था, उसकी उदासी एक ही पल में ख़ुशी में बदल गयी, शिवानी चाहती तो वही सबके सामने नाचने लग जाती पर उसने अपने जज्बातों को काबू में किया और उसे देखने लगी, वो किसी से बात कर रहा था पर बार बार उसका ध्यान शिवानी पे ही जा रहा था, उसने भी शिवानी को एक स्माइल दे दे दी
बदले में शिवानी ने एक बड़ी वाली स्माइल उसे दे दी,

और थोड़ी देर में ही दोनों घर के लिए निकल गए, रह रह के उसको उसी का हस्ता हुआ चेहरा याद आ रहा था, बस यही ख्याल के क्या वो उससे कभी मिल पायेगी वापस, क्यों उसको देख के उसको कुछ कुछ महसूस हुआ, उसके लिए इतनी पागल हो गयी के सिर्फ उसके हसने से ही लगा उसको सारा जग ही मिल गया है आज


शिवानी सोचते सोचते अपने घर आयी, खाना खाया और वापस अपने कामो में लग गयी, पर बार उसे उसका ही ख्याल आ रहा था, उसका यु हसना, उसे इस तरह देखना

शिवानी मन में ही - क्या सोच रही है तू शिवि, ख्यालो से बाहर आ और काम कर

खुद ही मन में सोच के अपने कामो से लग गयी वापस..




क्रमश :