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स्टॉकर - 17




स्टॉकर
(17)



एसपी गुरुनूर अब तक अंकित, मेघना और रॉबिन से मिली जानरारियों को मिला कर देख रही थी। पर वह समझ नहीं पा रही थी कि इन तीनों में कातिल कौन हो सकता है।
एसपी गुरुनूर शिव टंडन की हत्या वाली रात की घटनाओं को फिर से याद करने लगी। रॉबिन ने शिव टंडन को फोन किया। उसके अनुसार उसने चेतन के घपले की खबर देने के लिए उसे फोन किया था। शिव सीधे जन्नत अपार्टमेंट्स चेतन से मिलने के लिए जाता है। इसका मतलब है कि रॉबिन ने जो बताया उसे सुन कर शिव टंडन अपने आप पर काबू नहीं रख सका होगा। वह चेतन से इस बारे में पूँछने गया होगा। लेकिन चेतन की लाश शिव टंडन की कार में मिली। कार रॉबिन के फार्म हाउस पर।
एसपी गुरुनूर अंदाज़ा लगाने लगी कि चेतन की हत्या किसने और कब की होगी।
एसपी गुरुनूर के हिसाब से एक संभावना यह हो सकती थी कि जब शिव चेतन से मिलने उसके फ्लैट में पहुँचा होगा तो उन दोनों में झड़प हुई होगी। शिव 9.35 पर जन्नत अपार्टमेंट्स में दाखिल हुआ था। जबकी बाहर निकलने का समय 10.14 था। इस बीच ऐसा हो सकता है कि बात बिगड़ने पर शिव ने गुस्से में चेतन की हत्या कर दी हो।
पर इस दृष्टिकोंण से सोंचने पर सबसे बड़ा सवाल था कि यदि शिव ने चेतन के फ्लैट में उसकी हत्या की थी तो फिर वह फ्लैट से कार तक उसकी लाश कैसे लेकर आया।
दूसरी संभावना यह हो सकती थी कि पहले चेतन और शिव के बीच बातचीत हुई होगी। फिर वह शिव की कार में बैठ कर रॉबिन के फार्म हाउस पर गया होगा। वहाँ रॉबिन रहा होगा। वहाँ बात बढ़ने पर शिव और रॉबिन ने मिल कर या किसी एक ने चेतन की हत्या कर दी हो।
पर यदि ऐसा होता तो वो लोग चेतन की लाश शिव की कार में क्यों रखते ? कार को रॉबिन के फार्म हाउस में क्यों छोड़ देते ?
शिव की लाश फार्म हाउस से दूर जंगल में मिली। यदि कार रॉबिन के फार्म हाउस में थी तो शिव जंगल कैसे पहुँचा। उससे बड़ा सवाल वह जंगल गया क्यों ?
शिव और चेतन की हत्या लगभग एक ही समय पर हुई थी। यदि यह माना जाए कि रॉबिन ने अपने फार्म हाउस में दोनों को मारा तो फिर उसने दोनों की लाश को एक ही जगह क्यों नहीं फेंक दिया।
यानि शिव और चेतन की हत्या में रॉबिन का हाथ नहीं था। किसी और ने दोनों को मारा। या फिर दोनों की हत्या दो अलग अलग लोगों ने की होगी।
बहुत सारी संभावनाएं एसपी गुरुनूर के मन में उठ रही थीं। पर वह सभी को अपने तर्क देकर काट रही थी।
एसपी गुरुनूर ने इंस्पेक्टर अब्राहम को शिव और चेतन दोनों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट लाने को कहा।
एसपी गुरुनूर ने रिपोर्ट का अच्छी तरह से अध्ययन किया। शिव टंडन की मृत्यु पास से चलाई गई दो गोलियों के कारण हुई थी। जबकी चेतन के माथे पर गोली मारी गई थी। दोनों की मृत्यु का अनुमानित समय आसपास ही था।
एसपी गुरुनूर के मन में एक खयाल और आया। पहले चेतन ने किसी और के साथ मिल कर शिव की हत्या की होगी। फिर उस दूसरे व्यक्ति और चेतन के बीच कोई झगड़ा हुआ होगा। उस व्यक्ति ने चेतन को मार दिया होगा। वह रॉबिन को फंसाना चाहता होगा। अतः शिव की कार चेतन की लाश के साथ उसके फार्म हाउस पर छोड़ दी होगी।
वह दूसरा व्यक्ति कौन हो सकता है। यह सवाल मन में उठते ही एसपी गुरुनूर के मन में अंकित का नाम उभरा। मेघना उससे शिव का कत्ल करवाना चाहती थी। अंकित भले ही कह रहा हो कि उसने शिव की हत्या करने से मना कर दिया था। पर उसकी कहानी भी विश्वसनीय नहीं लग रही थी।
पर सवाल यह था कि यदि अंकित के साथ चेतन भी था तो वह शिव की हत्या में शामिल होने को तैयार क्यों हुआ ? क्या अंकित की तरह मेघना ने उसे भी लालच दिया था। अंकित और चेतन के बीच झगड़ा किस बात को लेकर हुआ होगा।
एसपी गुरुनूर केस के बारे में जितना अधिक सोंच रही थी उतना ही उलझती जा रही थी। उसके लिए अब यह केस जल्द से जल्द निपटाना ज़रूरी था।
मीडिया अब इस केस को उछाल रही थी। मीडिया सवाल कर रही थी कि शहर के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति की हत्या हो जाती है। पुलिस इतने दिनों के बाद भी कोई सुराग नहीं जुटा पाती है। मीडिया में पुलिस की नाकामी के चर्चे हो रहे थे। एसपी गुरुनूर पर अपने विभाग की तरफ से केस को जल्दी सुलझाने का दबाव था।
एसपी गुरुनूर ने सब इंस्पेक्टर गीता को फोन कर कहा कि अंकित ने खुद को कैद करके रखे जाने की जो जगह बताई थी वह वहाँ जाकर पता लगाने की कोशिश करे कि अंकित सच कह रहा है या झूठ। इसके अलावा उसने अंकित के कॉल डिटेल्स भी निकलवाने को कहा।

सब इंस्पेक्टर गीता उस जगह पर गई जहाँ अंकित ने खुद को रखे जाने की संभावना जताई थी। पर वहाँ जाने पर उसे वैसा कुछ नहीं मिला जैसा कि अंकित ने कहा था। उसने लौट कर सारी बात एसपी गुरुनूर को बताई।
एसपी गुरुनूर ने अंकित से सख्ती के साथ इस मामले में पूँछताछ की। पर अंकित ने कहा कि कई दिनों तक कैद में रहने के कारण वह बदहवास सा वहाँ से भागा था। अतः ठीक ठीक वह कुछ नहीं बता सकता है। पर वह झूठ नहीं कह रहा है। वहाँ से भागते हुए वह सिटी बस स्टेशन पहुँचा था। वहाँ उसने एक आदमी से फोन लेकर अपनी बहन से बात की थी।
एसपी गुरुनूर ने अंकित से पूँछा कि वह बताए कि कैद करके रखे जाने वाली जगह से जब वह भागा तो लगभग कितने समय के बाद सिटी बस स्टेशन पहुँचा था। अंकित का कहना था कि उस समय उसकी मानसिक दशा ठीक नहीं थी। वह डर रहा था कि कहीं वह दोबारा उस आदमी के चंगुल में ना फंस जाए। अतः वह सिर्फ भाग रहा था। फिर भी यदि अंदाज़ लगाया जाए तो वह सात आठ मिनट बाद पहुँच गया होगा।
अंकित ने जो समय बताया था उसके हिसाब से तेज़ रफ्तार में भी अंकित बहुत हुआ तो एक किलोमीटर ही चल पाया होगा। उसने सिटी बस स्टेशन के चारों तरफ एक किलोमीटर के दायरे को मानचित्र में देखा। वहाँ उस तरह की जगह होने का कोई अंदेसा नहीं था जैसी कि अंकित बता रहा था। एसपी गुरुनूर ने सब इंस्पेक्टर गीता को आदेश दिया कि वह जल्द से जल्द अंकित की कॉल डिटेल्स निकलवा कर उसे भिजवाए।
अंकित ने अब तक जो कुछ भी बताया था वह पूरी तरह से सच नहीं था। एसपी गुरुनूर को लग रहा था कि इस केस में अंकित की भूमिका महत्वपूर्ण है। वह एक बार फिर अंकित से पँछताछ कर सकती थी। पर इस बार वह किसी ठोस आधार पर उसे घेरना चाहती थी। वह अंकित के कॉल डिटेल्स के आने की राह देखने लगी।
सब इंस्पेक्टर गीता ने फुर्ती दिखाते हुए शिव टंडन की हत्या से एक महीने पहले से लेकर हत्या वाले दिन तक के कॉल डिटेल्स हासिल कर लिए। यही नहीं उसने उन कॉल डिटेल्स में से एक नंबर को चुन कर उसका पता कराया। नाम सामने आने पर उसके चेहरे पर मुस्कान खिल उठी।
अपनी सफलता के बारे में बताने के लिए वह एसपी गुरुनूर के सामने हाज़िर हुई।
"वेलडन गीता....तो चेतन और अंकित एक दूसरे के लगातार संपर्क में थे।"
"शुक्रिया मैम....एक बात और महत्वपूर्ण है। जिस दिन मिस्टर टंडन की हत्या हुई थी उस दिन शाम तकरीबन आठ बजे दोनों की बात हुई थी।"
"जबकी उस अंकित का कहना था कि जिस दिन शिव की हत्या हुई उस शाम को किसी अंजान आदमी ने उसे कैद कर लिया था। फिर उस रात आठ बजे उसने चेतन से बात कैसे की। चलो अब चल कर उससे पूँछते हैं।"
एसपी गुरुनूर और सब इंस्पेक्टर गीता एक बार फिर अंकित से पँछताछ करने के लिए उसके पास पहुँचीं।
उन लोगों को देख कर अंकित कुछ परेशान हो गया।
"आप लोग मुझसे और क्या पूँछना चाहती हैं। मैंने आप लोगों को सब कुछ सच सच बता दिया है। मैंने शिव टंडन की हत्या नहीं की है। मेघना मुझे फंसाने की कोशिश कर रही है।"
एसपी गुरुनूर ने बड़े शांत भाव से कहा।
"हमें कुछ और सवालों के जवाब दे दो।"
"अभी भी कुछ सवाल बाकी हैं ?"
"जब तक केस सॉल्व नहीं हो जाता है तब तक सवाल बने रहेंगे।"
"जिस दिन मिस्टर टंडन की हत्या हुई तुम उसी शाम को कैद हुए थे।"
"हाँ....मेघना ने मिलने के लिए बुलाया था। पर उसकी जगह वह आदमी आया हुआ था। वह मुझे एक मकान में ले गया। वहाँ मुझे बेहोश कर कैद कर लिया गया।"
"बिल्कुल यही तुमने पहले बताया था।"
"वही मैं भी कह रहा हूँ। मैं सब कुछ पहले ही बता चुका हूँ। अब कुछ नया नहीं है।"
"बता सकते हो कि तुम कितने बजे उस जगह पर पहुँचे थे जहाँ मेघना ने मिलने के लिए बुलाया था।"
"मैं घड़ी नहीं पहनता हूँ। पर घर से कोई पाँच बजे निकला था। आधा घंटा लगा होगा उस जगह पहुँचने में। साढ़े पाँच बजे होंगे।"
"तुम्हारे पास मोबाइल नहीं था।"
"वो मैं भूल गया था। अगर मोबाइल होता तो मेघना से फोन कर पूँछ लेता कि वह खुद क्यों नहीं आई। उस आदमी को क्यों भेजा है।"
"हम्म.....तुम मोबाइल जैसी चीज़ भूल गए। आजकल जिसे लोग घर में भी साथ लेकर घूमते हैं।"
"हाँ भूल गया था। तभी तो मुसीबत में फंस गया।"
"ठीक है। फिर उस आदमी के साथ मकान तक पहुँचने में कितना समय लगा।"
"कोई पंद्रह बीस मिनट..."
"मतलब छह बजे तक तुम बेहोश हो चुके थे।"
"हाँ...."
एसपी गुरुनूर ने सब इंस्पेक्टर गीता को इशारा किया। उसने उसकी कॉल डिटेल्स की रिपोर्ट दिखाते हुए कहा।
"उस दिन रात आठ बजे तुम्हारी चेतन से बात हुई थी। वो कैसे ?"
रिपोर्ट में रात आठ बजे जो बातचीत का रिकॉर्ड था उसे एक गोले से घेरा गया था।
अंकित के माथे पर पसीने की बूंदें उभर आईं।