Is Dasht me ek shahar tha - 13 books and stories free download online pdf in Hindi

इस दश्‍त में एक शहर था - 13

इस दश्‍त में एक शहर था

अमिताभ मिश्र

(13)

यहां पर जब हम सिलसिले से ही बात कर रहे हैं तो जिकर आता है बुद्धिनाथ यानि मुन्नू का जो इस घर के बेहद सलीकेदार कायदे के और कम बोलने वाले किसी बहस में न उलझने वाले धीमे बोलने वाले। किसी ने पीलियाखाल में उन्हें जोर से बोलते नहीं सुना था। वे उस घर के पहले डाक्टर थे। एम बी बी एस डाक्टर। सरकारी डाक्टर। वे उस दौर में इस घर के सबसे जहीन लड़कों में गिने गए। थे भी रहे भी। उन्होंने साइकिल से जा कर पूरी पढ़ाई की। वे उस मिसिर खानदान से बिलकुल अलग थे जो हल्ला गुल्ला धूम धडाके में यकीन करता है। हर जगह अपना वर्चस्व दिखाना चाहता है। हर मौके पर लड़ने को तैयार पीलियाखालियों से बिलकुल अलग रहे मुन्नू भैया। बिना किसी को खबर हुए उनका ठीक पांच साल में एम बी बी एस भी हो गया। बिलकुल तिक्कू से एकदम अलग। जो शान से ठप्पे से चौदह सरल में हुआ और हुआ यूं कि गोया वे अकेले एम बी बी एस किए हों इस जहान में इस खानदान में। इधर हमारे मुन्नू भैया ने एम बी बी एस किया और उधर सरकारी डाक्टर की नौकरी भी कर ली। यह सब कुछ उतने चुपचाप हुआ कि लोग समझ पाते उतने में तो हमारे डाक्टर साहब की पोस्टिंग भी देवास जिले में नेमावर में हो गई थी। उन्होंने जाइन भी कर लिया और उस तरह वे इस घर के पहले डाक्टर वह भी सरकारी डाक्टर। पहले गजेटेड आफिसर इस पूरे इलाके के। लड़के लड़की प्रसन्न थे कि अब अटेस्टेशन के लिए नरेन्द्र माटसाब को नहीं झेलना पड़ेगा। नरेन्द्र माटसाब बांडे की चाल में रहते थे। यूुं वे थे तो कालेज में फिजीकल ट्रेनिंग के इन्स्ट्रक्टर पर वे थे गजेटेड आफिसर तो वे खूब भाव खाते थे। किसी के कागज अटेस्ट करना हो तो नरेन्द्र माटसाब कुछ अकड़ जाते थे। तो हमारे मुन्नू भाई साहब डाक्टर बने और नेमावर में बहुत प्रसिद्धि हासिल की। आसपास के इलाके वाले और तमाम गांव वाले उन पर भरोसा करते थे। उनका इलाज भी लाइलाज हुआ करता था। वे वाकई बहुत अच्छे डाक्टर थे और मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार उसे आधा ठीक कर देता था। उनकी शादी भी बड़े नामी घर में हुई थी। उनके ससुर एक विश्‍वविद्यालय के कुलपति थे। चार लड़कियां और दो लड़के थे। चारो लड़कियां एक से एक सुन्दर और तीन तो ब्याही भी एक से एक जगह थीं। सबसे बड़ी डाक्टर, तीसरे नंबर वाली के पति इलाहाबाद के नामी गिरामी वकील थे और चौथी हैं हमारे मुन्नू भैया की दुलहिन। दूसरे नंबर वाली विकलांग थीं वे सारा जीवन चल नहीं पाई। थीं वो बला की खूबसूरत। उनके निए उनके पिता ने बकायदा पैसे का इुतजाम कर दिया था और वे पढ़ी लिखी भी बहुत और हुनरमंद बहुत आला दरजे की। चित्रकारी और कढ़ाई बुनाई कमाल की थी। जब वे उमर के उस पड़ावप र थी कि सहारे की जरूरत थी तब देवपुरूश की तरह वेल जी भाई ने उनका हाथ थाम लिया। वेल जी भाई बड़े ठेकेदार थे जो किसी शादी में उनसे मिले और इनका हाथ मांग लिया। जिसके कारण उनका बाद का जीवन और भी बढ़िया रहा। दो लड़कों में से एक फौज में चले गए और छोटे वाले नेसारे तरह के व्यापार कर लिए और नुकसान में रहते रहे और पैसे उड़ाने में उनका कोई सानी नहीं था।

हमारी डाक्टरनी चाची भी स्टाइलिश चाची रहीं । अंग्रजी फर्राटेदार बोलतीं। उन्हें दिषामैदान के नाम पर जंगल जान बिलकुल गवारा नहीं था तो इस घर की पहली संडास उन्हीं के लिए बनीं।

वरना तो आदत इस तरह की थी कि पप्पू चाचा की लड़की एक बार जब खप्पू चाचा के घर गईं तो वहां जब लेट्रीन में उन्हे जाने को कहा गया तो वे बाहर निकल आईं कि वे कमरे में फारिग नहीं हो सकतीं। आज भी इस प्रसंग को याद कर उन्हें चिढ़ाया जाता है।

तो पहली संडास इस घर की बनाई घर के स्वयंभू मिस्त्री पप्पू भाई ने। उस जमाने में ईंट की ही खुड्डी बनाई गई और शुरू में मुन्नू की दुलहिन ही इस्तेमाल करती रहीं बाद में घर की सारी महिलाओं ने इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।

मुन्नू की दुलहिन मुन्नू के साथ उनकी पोस्टिंग की जगहों पर रहीं और बहुत ही करीने से कायदे से सलीके से और नफासत से उनका घर रहा। उनके शैक अमीरों के थे मसलन उनके यहां महंगा कुत्ता चिड़िया और खरगोश कबूतर और यदा कदा तो हिरण भी पलते रहे। कभी कभार छुट्टियों में सब लोग नेमावर या देवास या खण्डचा भी इकठ्ठा हुए और सबको छक कर मजे करवाए गए। उनका एक बेटा और एक बेटी हुई जो उस ऐशोआराम के कारण कोई स्तर तक पढ़ नहीं पाए पर पैसे की कमी नहीं होने के कारण घनघोर आत्मविष्वास रहा दोनों मे। फिर बेटी का ब्याह भी उन्होंने एक सेना के अफसर के घर किया जिनके पास इफरात में पैसा था और राजधानी के सबसे पाश इलाके में हवेली। लड़का विविध किसम के धंधे कर रहा था फिलहाल कोयले का काम कर रहा था। बीच में उनके साथ यानि बुद्धि चाचा के साथ एक हादसा यूं हुआ कि उनके कुछ दुयमनों ने षिकायतें कीं उनकी पुरानी पोस्टिंग के समय के भ्रष्टाचार की और मसला कुछ ऐसा उलझा कि उनको आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो वालों ने गिरफतार कर लिया।

***