Aur Tum Aaye - 2 - SJT books and stories free download online pdf in Hindi

और तुम आए - 2 - SJT

अतुल को बिना ज़वाब सुने ही जाना पड़ता है । -----------

* कहानी अब आगे… * भाग – 2 ----------------------

सलोनी को पता भी नहीं चलता की अतुल कब निकल गया , शादी का माहौल था तो काफ़ी चहल पहल थी ।
अतुल को बहुत बुरा लगा , वो सिर्फ़ सलोनी के लिए ही आया था ।
पर कर भी क्या सकता है , और किसी से इस बारे में बात भी तो नहीं कर सकता । अतुल वहां से चला गया…

अब अतुल को बेचैनी तड़पाने लगी , खोया खोया सा रहने लगा , मां की देख भाल भी अब अच्छे से नहीं कर पा रहा था ।

यहां सलोनी का हाल तो और बेहाल था , दिन भर अतुल के ही बारे में सोचती रहती , किसी से कह भी नहीं सकती थी ।
क्योंकि उसके घर में सब बड़े बुजुर्ग फैसले लेते हैं ,
उस घर की काफ़ी चर्चाएं थी , बहुत ही संस्कारी परिवार माना जाता था ।

कुछ दिन गुज़र गए … एक दिन अचानक सलोनी का रिश्ता आया , सब बड़ी तारीफ़ कर रहे थे लड़के की ,
सलोनी को पता चला तो आंख से आंसू न रोक पाई ,
और भाग कर अपने कमरे में चली गई और फूट फूट कर रोने लगी , उसके आंखों के सामने अंधेरा सा छाने लगा ,
सब कुछ धुंधला धुंधला नज़र आने लगा , धड़कने होले होले चलने लगी , थम सा गया था सब कुछ ।

अब सलोनी की हालत बिगड़ती जा रही थी , यहां तक कि उसे खाने पीने का भी होश नहीं था ।
घर में ऐसा कोई था भी नहीं जिससे सलोनी बता सकती , अपना दर्द किसको बताए , कैसे वह घर वालों को बताए की वह अतुल से ही शादी करना चाहती है , किसी और से नहीं ।

खाने पीने में लापरवाही की वजह से सलोनी की तबियत बिगड़ गई , शरीर में “कोलेस्ट्रॉल” की मात्रा बढ़ गई ,
जिसके कारण उसे शहर के अस्पताल में भर्ती करना पड़ा,

कुछ दिन अस्पताल में बीतने के बाद आराम मिला ,
अब सलोनी अपने घर आ चुकी थी ।
पर अतुल की यादें अब भी उसे डसती थी , रातों दिन उसके ही ख़्याल में डूबी रहती ।

सुबह सब चाय पीते वक्त सलोनी की शादी की चर्चा कर रहे थे , सलोनी दूर बैठे सुन रही थी , बहुत सारी बातें हुई
सलोनी और उसके होने वाले पति के बारे में , सलोनी को ठीक नहीं लगा तो उठके जाने लगी वहां से , तो भईया ने रोकते हुए कहा , अरे ! सलोनी तुम कुछ बोल नहीं रही .?
तुम तो हमेशा नागपुर की बाते किया करती थी , और अब तो तुम्हारी शादी भी वहीं हो रही है ।

नागपुर का नाम सुनते ही सलोनी के चेहरे पर एक मुस्कान खिल उठी ।
अतुल के प्रेम में पूरी पागल हो चुकी थी , सिर्फ़ नागपुर का नाम सुनते ही खिल उठी ।
भईया के शादी के बाद सलोनी आज ख़ुश नजर आई थी ,
सबको यह सब देखकर बहुत ख़ुशी हुई ।
अब तो ख़ुश हो ना तुम .? तुम्हारे मन का हो गया सब , भईया ने सिर पे हांथ फेरते हुए पूछा ।

सलोनी ने भी सिर हिलाते हुए हां का इशारा किया ,
आज मैं नागपुर जा रहा हूं । भईया ने कहा और वहां से चले गए !

यहां सलोनी अपनी शादी की तैयारी में लगी थी ,
सलोनी अब उंगलियों में दिन गिनने लगी , रोज नए नए सपने सजोती , इतना कुछ सोच के बैठी थी बताने को वो सब जो अतुल के जाने के बाद हुआ ।

अब सिर्फ़ 6 दिन ही बचे थे सलोनी के शादी के ,
सब कुछ सलोनी को सपने जैसे लग रहा था ।
उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था ,
पूरे परिवार में एक ही लड़की थी ‘ मेरा मतलब 4 भाइयों के बीच एक अकेली सलोनी थी ‘ ।
सबकी लाडली थी , हर भाई सलोनी को जान से बढ़ कर मानते थे । सलोनी भी कम नहीं मानती थी अपने भाइयों को , अक्सर अपने भाइयों का ही पक्ष लेती थी ।

भईया जैसे ही नागपुर से वापिस लौटे तो सबसे पहले सलोनी उनके पास दौड़ती हुई पहुंची ।
भईया थोड़े गुस्से में लग रहे थे , पर फिर भी सलोनी ने पूछा , खाली हाथ वापस आए हैं मेरे लिए कुछ लाए नहीं?
भईया बिना कुछ बोले वहां से चले गए ।

सलोनी को थोड़ा बुरा लगा… फिर भी शादी की ख़ुशी में सब कुछ भूल बैठी थी ।
समय का पहिया वक़्त की रफ़्तार से चल रहा था , अब सिर्फ 3 दिन ही शेष रह गए थे शादी के सब काम जोरों शोरों से चल रहा था , सब बड़े ही खुश थे इस रिश्ते से ,
और सलोनी तो पूरी पागल हो चुकी थी ख़ुशी के मारे ।

आज सलोनी ने सबसे पहले उठकर सबके लिए चाय और नाश्ता बनाया , सबको बड़े ही काम है , बाद में खाने को भी फ़ुरसत नहीं रहती , इसी लिए थोड़ा कुछ खालेंगे तो ठीक रहेगा… सलोनी ने यही सोच के सब कुछ तैयार कर दी ।

सब साथ में ही बैठकर नाश्ता कर रहे थे , पापा ने पूछते हुए कहा… अतुल कब आएगा ? अच्छा लड़का है ,
उसे भी बुला लेना अगर फ़ुरसत हो तो , काफ़ी मेहनती लड़का है ।
पापा इससे पहले कुछ और बोलते भईया बताते हुए बोले कि वो नहीं आ पाएगा , उसकी माता जी का स्वर्गवास हो गया है ।
और वो अब यहां से लंदन जा रहा है , वैसे भी उसका कोई और यहां रिश्तेदार था नहीं ,
और उसको यहां रहने से पुरानी यादें सताती हैं ।

तो फिर लंदन में किसके पास जा रहा है ..? पापा ने पूछा ।
उसने तीन महीने पहले एक इंटरव्यू दिया था , तो उसकी नौकरी लग गई है …. भईया ने बताया ।
ठीक है चला जाएगा पर शादी में तो आ सकता है ना ?
नहीं परसों की ही उसकी टिकट है इस लिए नहीं आ पाएगा ।
सलोनी को यह बात पता चली तो ख़ुद को रोक नहीं पाई ,
और उसने शादी से साफ़ इंकार कर दिया , और रोते हुए कमरे में जाकर अंदर से दरवाजा बंद कर ली ।

कोई समझ ही नहीं पाया इसकी वजह , की अचानक सलोनी को ये क्या हो गया ।
लेकिन भईया तुरंत समझ गए , क्योंकि उनको पता चल गया था ,

जब भईया नागपुर गए थे तो अतुल के मम्मी को देखने ही गए थे , और उनकी इस हालत की वजह अतुल ने ख़ुद को दोषी ठहराया , पर वजह नहीं बताया , बहुत पूछने पर अतुल भईया के ल गले लगके रोने लगा , और फ़िर सुरु से सब कुछ बता दिया , और माफ़ी मागने लगा ।

भईया ने पीठ पर हाथ फेरते हुए बोले , जो हुआ उसे भूल जाओ , अब तो सलोनी की भी शादी हो रही है , वो भी इसी शहर में , और वो बहुत खुश भी है ।

अतुल को पता चला सलोनी की शादी के बारे में तो सारे अरमान चकनाचूर हो गए , कितने सपने संजोए थे सब एक पल में बिखर गए ।
अतुल का दर्द अब दुगना हो गया था , पर जब याद आया कि सलोनी बहुत ख़ुश है इस शादी से , तो उसने ये शहर छोड़ने का फ़ैसला किया ।
और पुरानी हर चीज़ से पीछा छुड़ाने के लिए लंदन जाने की तैयारी में लग गया ।

किसी ने क्या ख़ूब कहा है ” इश्क़ हंसाता है और इश्क़ रुलाता है ” ।
वक़्त का ये कैसा कहर था… एक उसे पाने के लिए रो रही है , दूसरा उसे खो के रो रहा है ।
शायद इश्क़ का दूसरा नाम जुदाई है … !

अतुल ने किसी ना किसी तरह यहां से जाने का बंदुबस्त कर लिया । अतुल जितना दूर जाने के लिए बेचैन था ,
सलोनी उतना पास आने के लिए तड़प रही थी ,
दोनों एक दूसरे की हालत से बेखबर थे ।

यहां पूरे घर वाले परेशान थे , सलोनी ने ख़ुद को अंदर बंद कर रखी थी , मां बाकी भईया लोग भाभी सब हार चुके थे पूछ पूछ के , पर सलोनी ने एक ही रट लगा रखी थी
की उसे ये शादी नहीं करनी बस ।

पिता जी गुस्से में थे पर आज तक कभी सलोनी ने शिक़ायत का मौका नहीं दी , इस लिए अंदर से ख़ुद को संभालने की कोशिश कर रहे थे , पिता जी के डर की वजह से और कोई सवाल भी नहीं कर रहा था ,
कुछ देर में पिता जी वहां से चले आए ।

भईया ने सलोनी को समझाते हुए बोले , जो बीत गया उसे भुला दो , और अब जो आ रहा है उसपे ध्यान दो ।
मुझे सब पता है… अतुल ने सब कुछ बता दिया है ,
बाकी सब सोच में पड़ गए की अतुल का इस रिश्ते से क्या संबंध है , किसी को कुछ पता ही नहीं था ,
पता भी कैसे होता दोनों ने ख़ुद एक दूसरे को नहीं बताए ,
तो भला और किसी को कैसे पता चलता ।

भईया ने सब कुछ बता दिया सबको ,
सलोनी भईया की बात सुनकर दरवाज़ा खोल दी ,
और बाहर आ के मां से लिपट कर रोने लगी ,
मां आंसू पोछते हुए बोलीं पहले तुम शांत हो जाओ ,
सिसकियां लेते लेते बोली मैं अतुल से ही शादी करूंगी ,
भाइयों की लाडली थी तो सब मान गए सलोनी की बात ,
पर पापा से कहने की किसी के हिम्मत नहीं थी ।

होती भी कैसे बात अगर अपने घर बस की होती तो एक बार कोई कह भी सकता था ,
पर शादी को सिर्फ़ दो दिन बचे थे , क्या कहते लड़के वालों को , क्या कहते इस समाज को , इतना नाम था इस परिवार का , लोग क्या कहेंगे , हमारी बदनामी हो जाएगी , सब यही सोच के डर रहे थे ।

पर बहेन की ख़ुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार थे ।

जगह की आपूर्ति की वजह से इसे यही रोकना पड़ रह है ।

आगे की कहानी ( तीसरे भाग में )

लेखक – Jeetesh Tiwari SJT