prem do dilo ka - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

प्रेम दो दिलो का - 2

जो भी अब कर सकता था अब निर्मल ही था निर्मल ने रुचि की मदत से नीरू के पूरे बदन पे पट्टि रखता है। जब उसके पिता जी सहर से वापस आते है तो उनके साथ सहर जाकर नीरू को डॉक्टर से दिखाता है । बुखार की वजह से नीरू कमजोर हो गयी थी । वह जब घर वापस आए तो अस्पताल मे रात मे रुकना निर्मल के लिये आसान था । लेकिन निर्मल अब नीरू को छोड़ना नही चाहता है। वह चाहता है की वह नीरू के पास बैठ कर पुरा समय उसको देखता रहे , लेकिन यह सम्भव नही था अब उसको अपने घर जाना ही पडेगा । लेकिन दिल तो यही चाह रहा है की उसे कोई रोक ले और कह दे की निर्मल तु न जा ।लेकिन उस दिन, दिन जल्दी ढल गया हो जैसे साम हो गयी , रूमा निर्मल से कहती है की आज तुम भोजन करके जाना आज मैंने कटहल बनाया है।सभी साथ बैठकर भोजन करते हैं और निर्मल सबको बात बात पर हसाता रहता है जैसे वह इस घर का कुछ खास वेकती हो और वह कहीं से इस घर के लिए आया हो।जब सभी भोजन कर रहे होते है, तो निर्मल को याद आता है कि नीरू ने कुछ खाया नहीं है, निर्मल हस्ते हुए चाची मरीज को भी कुछ खिला दो चाची जल्दी से रोटी सब्जी थाली में निकालती है और निर्मल के हाथ में देते हुए कहती है ले तू ही खिला दे जाकर निर्मल ने थाली पकड़ी और रूमी के कमरे की तरफ जाने लगता है तभी रमन आकर कहता है आप रहने दो मै खिला देता हूं मा आप कितना काम करवाती हो , निर्मल को लगा जैसे दुनिया माग ली हो रमन ने ! पीछे से आवाज़ आती हैं खुद को आता जो मरीज़ को खिला दोगे, विजय ने कहा ये सुनकर निर्मल कहता चाचा आप ना गुस्सा करो और रमन से कहा चल हम दोनों साथ में खिलाते है दोनो कमरे में जाते है क्यों की निर्मल तो बस नीरू को देखना चाहता है । यहां तक कि निर्मल ये भी चाहता है उसे आज यही नीरू की देख भाल के रोक लिया जाए क्यों की कई दिनों से वह नीरू के साथ अस्पताल में देख रेख करता जैसे उसको आदत हो गई है नीरू की उसको देख कर जैसे सांसे चलती हो जैसे उसे नया जन्म मिला हो सारी जरुरते बदल रही थी । दोनो नीरू को खाना खिला कर वापस आकर दरवाजे पे पड़ी खाट पर बैठने जा रहा होता है, रूमी कहती है निर्मल तुमको घर जाने ज्यादा रात हो जाएगी अब बाते बन्द करो और घर जाओ! लेकिन निर्मल जाना नहीं चाहता है उसे तो रुकना है लेकिन ना चाहते हुए भी निर्मल को घर जाना पड़ता है । उसकी आंखो से जैसे नींद किसी ने चुरा ली हर तरफ अब नीरू नज़र आती है उसे वह नीरू को सोचते हुए कब सो जाया है उसे पता ही नहीं चलता ।
सुबह होती वह जल्दी काम खतम करके नीरू के घर जाता है वहां वह नीरू के कमरे में प्रवेश करता है एक नया माहौल जो संती से भरा है।।