prem do dilo ka - 4 books and stories free download online pdf in Hindi प्रेम दो दिलो का - 4 (6) 2.5k 5.7k निर्मल को उस दिन नीरू को देखना ऐसा लगा जैसे निर्मल ने उसे अपनी आँखो से छु लीया हो। पूरा दिन नीरू यह सोचती रही की वो क्या था जो निर्मल की आँखो मे देखा वो क्या था । यह बात वह निर्मल से पूछेगी की वो इस तरह से क्यो देखता है । ये बात अब नीरू को भी लगने लगा की क्या निर्मल उससे प्यार करता है या सिर्फ उसे देख लेता है ।अब दोनो की हालत एक जैसी है सोचने वाली बात ये है कि तब नीरू कहती क्यो नही है निर्मल से की वह भी वही सोच रही जो निर्मल के दिमाग मे चल रहा है । निर्मल के बारे मे एक अफवाह आई थी कि वह किसी लडकी को पसंद करता है उसके लिए गाने भी लिखता है और प्रेम पत्र भी लेकीन पूरी पक्की बात न पाता थी कि हकीकत क्या है, सच्च मे निर्मल किसी को पसंद करते थे नीरू निर्मल से पूछ भी नही सकती ।कि वह उसे चाहने लगी है यह बात सोचते हुए नीरू पास के घर मे चली जाती है । वह अपनी सहेलियो के साथ कूछ इधर-उधर कि बाते करती रहती तभी निर्मल आ जाता है । उसकी सहेली रमा निर्मल को बहुत पसंद करती है इसलिए वह निर्मल को बैठने के लिये कहती है, निर्मल तो चाहता है कि वहा बैठ जाये ।उतने में नीरू उठ कर जाने लगती है ।निर्मल निरु कहा जा रही है रमा भी यही बात दोहराती है लेकीन नीरू पीछे मुड के रमा को देखती है और चुपचाप चली जाती है । निर्मल रमा से पूछता है कि क्या बात हो रही थी तुम लोगो मे नीरू क्यो गुस्सा होकर चली गयी । रमा!पता नही क्यो गुस्सा हुई मैंने तो कूछ कहा भी नहीं रमा धीरे से बोलती है ।निर्मल सोच रहा है कि रमा से कूछ मदत मांगे जिससे वह जान सके कि नीरू के दिल कि हालत क्या है?क्या वो भी निर्मल कि तरह सब कूछ मेहसूस करती है । रमा को लगता है कि निर्मल उसके बारे मे सोच रहा है कयोंकि रमा बहुत पहले से निर्मल से प्यार करती थी। निर्मल के सहर चले जाने के कारण उन दोनो का प्रेम आगे नही बढ़ पाया था। लेकीन अब रमा के दिन लौट आये थे वह अपने इस एक तरफा प्यार को अपने निर्मल के साँसो मे घोल देना चाहती थी । रमा दिन रात निर्मल के सपने देखने लगी क्योकी निर्मल उसके जाती का था दोनो का ब्याह भी बडे आराम से हो सकता था । इन सब सपनो को जब रमा अपनी खुली आँखो से बुन रही है तभी निर्मल रमा को आवाज देता है रमा मेरी बात सुनो ,रमा जैसे नींद से जगी हो चौक जाती है और पूछती है क्या आप इस तरह से क्यो आवाज दे रहे हो। निर्मल बताता है कि वह कितने देर से न जाने कहा खोई है।रमा कहती है नही बस कुछ सोच रही थी ।ये बात सुनकर निर्मल कहता है की वह भी कुछ सोच रहा हूं रमा , मै बताऊं पहले या तुम बताओगी ! रमा बोली पहले तुम।।। ‹ Previous Chapterप्रेम दो दिलो का - 3 › Next Chapterप्रेम दो दिलो का - 5 Download Our App More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything VANDANA VANI SINGH Follow Novel by VANDANA VANI SINGH in Hindi Fiction Stories Total Episodes : 12 Share NEW REALESED Fiction Stories फादर्स डे - 48 Praful Shah Love Stories Hot romance - Part 13 Mini Horror Stories कलावती - भाग 2 भूपेंद्र सिंह Horror Stories कालवाची-प्रेतनी रहस्य-सीजन-२-भाग(१६) Saroj Verma Anything दिल की आवाज़ दिनेश कुमार कीर Horror Stories हाइवे नंबर 405 - 30 jay zom Horror Stories हाइवे नंबर 405 - 30 jayesh Adventure Stories वो माया है.... - 99 Ashish Kumar Trivedi Short Stories डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा की लघुकथाएँ - 3 Dr. Pradeep Kumar Sharma Motivational Stories बेटी की अदालत - भाग 1 Ratna Pandey