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पागल-ए-इश्क़  (पार्ट -2)

पागल-ए-इश्क़ (पार्ट -2)

गाड़ी एयरपोर्ट परिसर मैं तेज गती से आकर रूकती हैं
सभी लोग जल्दी जल्दी गाडी से उतरते हैं तभी रोहन अपनी मां से कहता हैं मम्मा आप अंदर पहुँचो मैं बाद में आता हूं और हा दीदी को गेट नम्बर 8 से बाहर लेकर आना आप..
महक सहमति से अपना सिर हिला देती हैं और मुस्कुराते हुए आगे बढ़ जाती हैं... रोहन गेट नम्बर 8 की ओर चला जाता हैं..
आज रोहन बाबा काफी खुश नज़र आ रहें हैं..?
महक एक लंबी सांस भरते हुए बोलती हैं.... हां दयाल जी.. काश भाई बहन का ये प्यार इसी तरह उम्र बना रहें..
और दोनों बातें करते करते कॉरिडोर में दाखिल हों जाते हैं
लगता हैं फ्लाइट आ गयी हैं..
हूं...
अब तो छोटी मेम सहाब काफी बड़ी हों गयी होंगी..?
आफकोस.. दयाल जी अब आप तो जानते ही हैं जब वो 5 साल की थी तभी उसे मैंने पेरिस भेज दिया था.. वो देखिये दयाल जी वो रही रेनू..
और दोनों उसे एक टक देखने लगते हैं..
रेनू जल्दी से दौड़ कर आती हैं और अपनी मां महक से लिपट जाती हैं
Oh... my love mumma... i love you mamma... कैसी हैं आप..?
मैं ठीक हूं.. तुम बताओ बेटी तुम कैसी हों..
आप बताओं क्या मैं कहीं से परेशान दिख रही हूं..
और दोनों फिर खिल खिला कर हंस देते हैं.. तभी रेनू का ध्यान दयाल जी पर जाता हैं... ओफ सॉरी सॉरी दयाल अंकिल.. नमस्ते...
खुश रहो बेटी... दयाल जी अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए बोलते हैं.
कैसे हैं आप.?
दयाल जी की आंखे भर आती हैं..
ओ... नो नो अंकिल.. प्लीस और दयाल के सीने पर अपना सिर रख देती हैं.. दयाल जी होल्ले से उसके सिर पर हांथ फेरने लगते हैं.. मैं तो सोच रहा था आप मुझें पहचानेगी नहीं..
आप का सोचना गलत हैं अंकिल.. मैं आपको कैसे भूल सकती हूं भला..
अब चलें...?
ओह हां मम्मा..
इधर से रेनू.. ओह.. चलिए.
दयाल जी आप रेनू का लगेज लेकर पहुँचे हम लोग यहां से आते हैं..
ओह जस्ट मिनट... अ.... आप जाइएगा अंकिल..
और दयाल लगेज की ट्रॉली धकेलते हुए चलें जाते हैं.
वो शैतान किधर हैं..?
राज कुमार जी अभी तक घर पर ही सो रहें हैं.
क्या...? उसको पता नहीं कि मैं आ रही हूं.
महक अपने कंधे उचका कर रह जाती हैं.
ठीक हैं बच्चू सोले कितना सोता हैं... अब देखना मम्मा ना उसको घोड़े की तरह दौड़ाया तो मेरा नाम रेनू नहीं. मम्मा ये तो हद हों गयी..
अब तुम अपना मूड खराब मत करों.. घर चलके उसे जो सजा देनी हैं दें देना. आखिर तुम्हारे ही लाड़ प्यार का नतीजा हैं.
अब आप बीच में मत बोलना.
हां बाबा मैं कुछ नहीं कहूंगी. तुम जानों और तुम्हारा वो राज कुमार जानें..
राज कुमार की तो अब मैं बेंड बजाऊंगी..
जैसे ही ये लोग गेट के बाहर आते हैं तभी गुब्बारा फूटने की आवाज़ होती हैं.. जिसकी आवाज़ से रेनू डर जाती हैं.. उसके ऊपर फूल और रंग विरंगी चमकीलियां बरसने लगती हैं. और बेंड की जोरदार धुन बजने लगती हैं
हैप्पी बर्थडे टू यू... हैप्पी बर्थडे माय सिस्टर.. हैप्पी बर्थडे टू यू..
जैसे ही रेनू अपने चेहरे से हाथ हटाती हैं तो सामने रोहन बुके लेकर खड़ा हैं..
मम्मा आप दोनों ने मुझें बुद्धू बनाया और दोनों भाई बहन आपस मैं गले मिल जाते हैं.
महक दोनों का प्यार देख उसके ख़ुशी के आंसू आंखो में झलक आते हैं...
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गाड़ी घर की और सरपट दौड़ चली थी.. भाई बहन की नोकझोंक में सफर का पता ही नहीं चला था.. घर के सीधे लम्बे रास्ते पर कुछ लोग इकट्ठा हों कर खडे थे.. अबमुमन बड़े शहर के पाश इलाकों के मकानों में ज्यादा चहल पहल नहीं होती वहां का वातावरण भी एक खामोश अमीरी का एहसास दिलाता हैं.. जिस क्षेत्र में आम लोगों का आना जाना वर्जित होता हैं.. तभी दयाल जी ने गाड़ी की स्पीड को कम करते हुए कहां..

लगता हैं कोई लफड़ा हुआ हैं.. मैडम जी
इतना सुनते ही महक का ध्यान भी सामने सड़क की तरफ जाता हैं तब तक इनकी गाडी उस भीड़ के करीब पहुंच जाती हैं. दयाल की नज़र उस पागल पर पड़ती हैं और वो कर से उतरते हुए बोलता हैं
लगता हैं अप्पा को कुछ हुआ हैं मेम..
हे भगवान.. इतना कह कर फ़ौरन महक भी कार से बहार निकल कर पहुँचती हैं.. जैसे ही वहां का माज़रा देखती हैं कि उस पागल को लोगों ने बुरी तरह पीटा हैं
पागल ज़मीन पर गिरा हुआ हैं उसके दोनों घुटने उसकी छाती में सिमटे हुए हैं और दोनों हांथ आपस में जकड़े हुए हैं.. उसके मुंह से बस एक ही शब्द बार बार निकल रहा हैं गुड़िया... गुड़िया..
महक उसकी ये हालात देख के वहां मौजूद लोगों से पूछती हैं.. किसने किया ये सब..?
तभी भीड़ में खडे लोगों मेसे कोई बोलता हैं.. पता नहीं मैडम जी कोई 3-4 लोग थे जो इसे पीट रहें थे वो तो हम लोग आता देख भाग गए.. क्या माज़रा हैं कुछ समझ नहीं आया लेकिन बेचारे को बहुत मारा हैं..
कितने देर पहले की बात हैं.
बस भाई सहाब मुश्किल से 5-7 मिनट ही हुए होंगे..
महक साहिल के पास बैठती हैं... और अप्पा से पूछती हैं क्या हुआ साहिल..?
साहिल कुछ नहीं बोलता हैं वो बस एक ही रट लगाए रहता हैं.. तब तक रोहन और रेनू भी आ जाते हैं..
तभी दयाल मौजूद खड़े लोगों से कहते हैं.. अब आप लोग जाए.. आपका बहुत बहुत शुक्रिया..
अरे चलो भाई चलो..
किसी डॉक्टर को दिखा दीजियेगा इसे.. बेचारे को बहुत मारा हैं..
जी बिलकुल बस अभी लेकर जाते हैं
क्या हुआ मम्मा.. ओह गॉड.. रेनू साहिल की हालत देख कर बोलती हैं.. तभी रोहन भी बोल पड़ता हैं
अरे ये तो अप्पा हैं मम्मा.. क्या हुआ इनको..?
वो सब बाद में पहले इन्हे किसी डॉ. के पास लेकर जाओ जल्दी इतना सुनते ही रोहन और दयालजी अप्पा को उठाते हैं अप्पा थोड़ा होश में आता हैं.
मम्मा इनको पानी पिलाओ पहले..
हां प पानी दयाल जी जल्दी पानी लाइए
जी मेम अभी लाया.. और दयाल फ़ौरन कार मेसे पानी की बॉटल लेकर आते हैं और अप्पा (साहिल) के मुंह पर छींटे मारते हैं साहिल अब पहले से बेहतर अवस्था में हों जाता हैं.. लेकिन वो उसी (उकडू) अवस्था में बैठता हैं
नहीं दूंगा.. नहीं दूंगा.. अपनी गुड़िया को दूंगा नहीं दूंगा किसी को नहीं दूंगा..
अप्पा क्या नहीं दोगे..? मैं रोहन.. देखो पहचाना मैं.. रोहन..
साहिल रोहन को देखता हैं.. हां रोहन.. गुड़िया.
गुड़िया रोहन.. तभी शाहिल रेनू को गौर से देखने लगता हैं.. और रोहन का सहारा लेकर खड़ा होता हैं तब सब को दिखाई देता हैं कि वो एक छोटी सी डोल लिए हैं.. गुड़िया.. और वो रेनू की तरफ आता हैं.. गुड़िया.. और वो अपने दोनों हाथों से डोल को रेनू की तरफ करता हैं.. गुड़िया..
रेनू सहम कर मां से चिपक जाती हैं..
डरो नहीं रेनू वो कुछ नहीं करेंगे तुम्हें..
ये.. ये.. गुड़िया.. गुड़िया
लेलो रेनू..
रेनू मां को देखती हैं.. फिर डरते डरते अप्पा से गुड़िया लेलेती हैं.. साहिल जोर से हंसता हैं.. और उसके सर पर हाथ फेरता हैं.. गुड़िया... गुड़िया... कहते कहते रोने लगता हैं.. गुड़िया.. गुड़िया.... और रोते रोते वहां से जानें लगता हैं..
तब उसको जाता देख दयाल और रोहन अप्पा से कहते हैं
अप्पा डॉक्टर के पास चलों अप्पा..
लेकिन साहिल रोते रोते वहां से लंगड़ाता लंगड़ाता चला जाता हैं..
मम्मा...
इसे अपने पास रखलो बेटा..
लेकिन क्यों मम्मा..
ये तुम्हारे ही लिए हैं..
मेरे लिए..
घर चलो बताती हूं
लेकिन इसमें मुझें घिन आ रही हैं..
लाओ मुझें दें दो.. और महक डॉल लेकर आगे आगे चली जाती हैं.
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कंटीन्यू पार्ट -3