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दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 3

पहली मुलाकात - दो पागल-कहानी सपने और प्यार की अंक ३

   नमस्कार दोस्तों आज फिरसे आपके बिच हाजिर हुं दो पागल का तीसरा अंक लेकर लेकिन आप यह अंक पढे इससे पहले आगे के दो अंक अगर आपने नहीं पढे है तो पहले उन अंको को पढना मत भुले |

शुरुआत 

       अंत में जीज्ञा गीरधनभाई की जीद के सामने हार जाती है और उनके मुजब तय कि गई जगह पर जीज्ञा पढने के लिए चली जाती है। जीज्ञा के मामा और गीरधनभाई कोलेज शुरु होने के दो दिन पहले ही दोनो को बरोडा होस्टेल पर छोड के आ जाते है।

       दो दिन के बाद । आज कोलेज का पहला दिन हैं कोलेज के सारे विद्यार्थी को कोलेज केम्पस मे इक्कठा किया गया था। आज कोलेज का नया साल शुरु होने के और नए स्टुडन्टस के आने के मोके पर कोलेज मे एक मोटिवेशन सभा का आयोजन किया गया था । मोटिवेशन सभा में मोटिवेशन स्पीच देने के लिए गुजरात के सबसे कामयाब बिजनेसमेन को बुलाया गया था। समी स्टुडन्टस केम्पस में अपनी अपनी जगह पे बेठ चुके थे जीस मे आगे लड़कियों को बिठाया गया था और उनके पीछे लडको को । आगे स्टेज पर प्रिन्सीपल और प्रोफेसर भी अपनी अपनी जगह ले चुके थे। अतिथि की स्वागत विधी वगेरे होने के बाद अब सभा संचालक इस आयोजन का प्रारंभ करते है ।

       नमस्कार स्टुडन्टस । नहीं नहीं खाली स्टुडन्टस तो नहीं चलेगा क्योकी आप बीसवीं सदी के स्टुडन्टस हो तो जोर से नमस्कार ध डायनामिक स्टुडन्टस ... सभा संचालक ने जोर से चिल्लाते हुए कहा।

       सामने जवाब मे सभी स्टुडन्टस की आवाज से पुरा केम्पस गुंज उठा... नमस्कार।

       तो आप सभी डायनामिक स्टुडन्टस का बहोत बहोत स्वागत है इस डायनामिक कोलेज में जो भारत की टोप कोलेजो मे से एक है। यहा पे आपको पढाई के अलावा भी बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपका ज्यादा समय ना लेते हुए मे सलीम साहब की एक लाइन के साथ आज इस कार्यक्रम की शरुआत करना चाहुंगा कि अगर आसु आए तो खुद पोछ लेना, अगर आसु आए तो खुद पोछ लेना। क्योकी लोग पोछने आएगे तो सोदा करेंगे। तो इसी के साथ मे स्टेज पर बुलाना चाहुंगा आज के खास मेहमान और बहुत ही सफल बिजनेसमेन और सफल इन्सान श्री संजयभाई। सर आइए और अपने शब्दों से नवाज दीजीए इस कोलेज को और उसके विद्यार्थीओ को। तालियाँ बजती रहनी चाहिए... सभा संचालक ने संजयभाई को सलीम साहब की एक लाईन बोलने के बाद सभी स्टुडन्टस की तालियो की बौछार के साथ बुलाते हुए कहा।

        विद्यार्थीओ की तालीओ के बिच संजयभाई अपनी बातो की शरुआत करते है।

        पहले तो आप सभी को मेरा नमस्कार। मे इतना अपने आप को कामयाब नहीं समझता की मे आपको मोटिवेट करु।लेकिन मे इतना कामयाब जरुर हु कि मे आपको बता शकु की असल में मोटिवेट कहा से होना चाहिए, किस जगह से आपको मोटिवेशन, आत्मबल, मनोबल और सभी मुसीबतो को झेलने की ताकात मिल शक्ति है। एसा नहीं है कि आपको उस जगह का पत्ता पता नहीं है। मे कुछ भी बाताउ उससे पहले मे चाहुंगा की क्या आप मुझे बता सकते है कि असल मोटिवेशन कहाँ से मिलता है और उसे हम ग्रहण करने मे अपना समय क्यो खर्च करे। अगर आपमे इतने लोगो के बिच बताने की और साबित करने की हिम्मत है तो आप अपना हाथ उपर कर सकते हैं... अपने भाषण की शरुआत मे ही विद्यार्थीओ के आत्मविश्वास की परीक्षा लेते हुए संजयभाई ने कहा।

        थोड़ी देर के लिए होल में शांति का माहोल छा गया। सभी स्टुडन्टस और प्रोफेसर भी शांत थे। अब संजयभाइ को लगने लगा था कि सायद किसी को इसका जवाब मालुम नहीं है लेकिन संजयभाई अपनी स्पीच को आगे बढाए उससे पहले सारे विद्यार्थीओ मे से एक विद्यार्थी का हाथ उत्तर देने के लिए उपर आता है। अब आप सोच रहे होंगे कि यह हाथ रुहान का है लेकिन नहीं यह हाथ हमारी कहानी की मुख्य पात्र जीज्ञा का है। हमारी कहानी का हिरो रुहान कहा इतना होशियार है और एसे ही थोड़ी उसकी ऐंट्री हो जाएगी थोडा सब्र रखीए।

        अरे वाह यह देखकर खुशी हुई की लडकीने हाथ उपर किया है। तो बोलिए... जीज्ञा को कहते हुए संजयभाई ने कहा।

        जीज्ञा अपनी जगह पे खडी होती है और एक प्रोफेसर उनको माइक देते है। अब जीज्ञा संजयभाई को अपना उत्तर देने की शरुआत करती है।

        हेल्लो सर... अपनी जगह से उठकर जीज्ञाने कहा।

        जी हेल्लो क्या नाम है आपका ... संजयभाई ने सामने कहा।

        जीज्ञा ...अपना पुरा नाम बोलते हुए जीज्ञाने कहा।

        ओके तो जीज्ञाजी कहीए... संजयभाई ने कहा।

        सर सबसे बडा मोटिवेशन स्पीकर अगर इस दुनिया में कोई हुआ है तो वो सिर्फ और सिर्फ भगवान श्री कृष्ण हुए हैं।लेकिन अभी वो शरीर मात्र से तो हमारे बिच मे नही है पर उनकी कही हुई हर बात आज भी हमारे बिच यानी के हमारा सबसे महान ग्रंथ श्री मद् भगवद् गीता जो है उसमे  है और वेसे ही अगर आप हर एक धर्म के ग्रंथ की बात करलो जेसे की कुरान, बाईबल सारे धर्म के धर्म पुस्तक आप लेलो आज के समय में इन धर्म पुस्तको से बडी मोटिवेशन की कोई लाइब्रेरी नहीं हो शक्ति। आज के समय में अगर आपको अपने आपको जानना है और जीवन क्या है वो जानना है तो आप जीस धर्म से आते हो उस धर्म का धर्म पुस्तक एक बार जरुर समझ लीजिए में आपको वादा करती हु कि उस दिन के बाद आपकी जिंदगी कुछ और हि होगी... जीज्ञाने अपनी और से जवाब देते हुए कहा।

        हम अच्छा प्रवचन था जीज्ञाजी... संजयभाई ने फिरसे जीज्ञा के मनोबल की परीक्षा लेने के उदेश्य से सबके बिच मजाक के स्वर मे कहा।

       संजयसर के प्रवचन वाली लाइन सुनकर पीछे बेठे हुए लडके हसने लगते हैं और जीज्ञा का मजाक उडाने लगते हैं।

       एक मिनट शांत हो जाइए मेने उनके जवाबो को प्रवचन कहा इसका मतलब यह नहीं है कि उनका जवाब गलत है। मेरे कहने का मतलब इतना ही है कि जब तक आप अपनी बात को साबित नहीं कर सकते तब तक आप की बात प्रवचन हि कहलाती है । तो जीज्ञाजी क्या आप हमे कुछ एसा बता सकते है जीससे हम आपकी बात को प्रवचन ना मानते हुए उसको सीरियस ले और उनके उपर अपना समय खर्चे... संजयभाई ने फिरसे जीज्ञा को उलझाने की कोशिश करते हुए कहा।

        जीज्ञा भी एसे उलझने वालो मे से नहीं थी वो भी अपनी पोल(इलाका) की गब्बर थी। तो सुनिए जीज्ञाका अदभुद जवाब।

        जी बिलकुल मेरे पास आपके इस उलझाने वाले सवाल का सुलझा देने वाला उत्तर भी है लेकिन उसके लिए आपको मेरे कुछ सवाल के उत्तर देने होंगे अगर आप मंजुरी दे तो... जीज्ञाने संजयभाई के सवाल को चुनौती देते हुए कहा।

        जीज्ञा का इस लेवल का विश्वास देखकर संजयभाई भी हैरान थे।

        जी बिलकुल दुंगा पुछीए... संजयभाई ने कहा।

        तो सर क्या जो देश कम सुविधाओ के साथ अपना ज्यादा से ज्यादा विकास कर रहा है हमे उनमे से कुछ सिखना चाहिए और अगर वोह मजबुताई से किसी चीज को अपनाते है और लगातार उस मे से सीख कर आगे बढ रहे हैं तो क्या हमे भी उन चीजों मे या वोह जो प्रक्रिया में मान रहे हैं उनमे मानना चाहिए क्या ... जीज्ञाने सवाल करते हुए संजयभाई से कहा।

        जी जरुर अगर कोई सफल देश कोई एक ऐसी वजह का स्वीकार कर रहा है और वो वजह से उनका काफी फायदा हो रहा हो तो हमे भी उस वजह का जरुर स्वीकार करना चाहिए।

        सर मे एसा नहीं बोल रही की उस वजह के कारण वो देश आज आगे है लेकिन अगर आपके पास फिजुल का समय नही है तो आपसे जो ज्यादा विकसित देश है जाहिर है कि उनके पास भी फिजुल का वक्त तो होगा नहीं लेकिन फिर भी वो देश श्री मद् भगवद् गीता मे अपना समय खर्च करते हैं तो हम क्यो हमारा खुद का पवित्र ग्रंथ होने के बावजुद यह सोच मे पड जाते हैं कि मे इस ग्रंथ के पीछे अपना समय खर्च करु या ना करु... जीज्ञाने सबके मु बंद कर देने वाला उत्तर देते हुए कहा।

        जीज्ञा के इस उत्तर के बाद संजयभाई और जीज्ञा के अलावा सभी बिलकुल शांत थे।

        जी आप कोनसे देश की बात कर रही हैं महोतरमा... संजयभाईने जीज्ञा से कहा ।

        सर दुबई जो एक अरब देश है जो हम से ज्यादा विकसित है उन्हे सायद इन ग्रंथो की हमारी जीतनी जरुरत भी नहीं है फिरभी उनके शिक्षण मे इन ग्रंथो के बारे मे पढाया जाता है और इसकी उचीत परीक्षाए भी ली जाती हैं। अगर आज वो हम से आगे है तो उसका कारण एक ही है कि वो अपने पुर्वजो की और अपने शास्रो कि इज्जत करते हैं और उनमे जो भी कहा है वो मानते है और हम है कि अभी भी सोच रहे हैं कि इसके पीछे समय खर्च करना चाहिए कि नहीं। आज वो लोग पीछे बेठकर हस्ते नही अगर उन्होने एक भी ग्रंथ खोलके समझा होता। इसीलिए वो आज ग्रंथ मे समय खर्च करने के बजाए पीछे बेठकर हसने में समय खर्च कर रहे हैं । दुबई के अलावा भी काफी सारे देश है जो हमारे ग्रंथ के पीछे समय खर्च कर रहे हैं और तो और दुबई एक मुस्लिम देश है फिर भी ... सबको जडबातोड जवाब देते हुए जीज्ञाने कहा।

       इस जवाब को सुनकर कुछ भी सोचे बिना पुर्वी ताली बजाने लगती है और उसके पीछे सभी स्टुडन्टस तालीया बजाने लगते हैं। यहा तक की वो लोग भी तालीया बजाने लगते हैं जो जीज्ञा पे कुछ पल पहले हस रहे थे। जीज्ञा और पुर्वी दोनो एक दुसरे को देखकर स्माइल देते हैं।

       वाह मे बहुत ही प्रसन्न हु आपका यह मुतोड उत्तर सुनकर और खास आपका अपने उपर का भरोसा देखकर। बहुत सेमिनार किए अपने जीवन में लेकिन आज तक इतने बेबाकी से उत्तर देनेवाली लडकी नही देखी। तो बिलकुल सही कहा जीज्ञाजी आपने की हमारी प्राचीन पुस्तको से बडा मोटिवेशन स्पीकर कोइ नहीं है। यह पुस्तके ही है जो हमारा मनोबल बढाती है और हमे अपनी मंजील से पीछे हटने से रोक्ती है। चाहे हिन्दु हो या मुसलमान हो हर धर्मे के धर्मपुस्तक आप पढ सकते हैं... संजयभाई ने अपनी मोटिवेशन की स्पीच को आगे बढाते हुए कहा ।

       जीज्ञा अभी भी अपनी जगह पे खडी थी और संजयभाई की स्पीच आगे बढ रही थी लेकिन जीज्ञा के बाद की लाइन से चार लाइने छोडकर बेठे हुए विद्यार्थीओ के बिच कुछ हलचल हो रही थी और वो हलचल और कोई नहीं कर रहा था बल्कि हमारी कहानी का हिरो रुहान ही कर रहा था। रुहान अपने 95 किलो के दोस्त महावीर और क्लेवर बोय रवी के बिच बेठा था और उसके ठीक आगे एक बडे से घुंघराले बालो वाला लडका बेठा था जो रुहान की आखे और जीज्ञा के बिच आ रहा था। रुहान बार बार अपने हाथो से उस लडके का मु साइड में कर के उस बेबाक लडकी को देखने की कोशिश कर रहा था लेकिन आगे बेठे हुए लडके का चहरा बार बार बिचमे आ जाता था। रुहान को आगे खडी जीज्ञा उस लडके के बालो के कारण ठीक से नहीं दिख रही थी । अंत में रुहान जोर से उस लडके के बालो पे यानी शीर पे थप्पड़ मारता है। वो लडका पीछे से उसको किसने मारा यह देखने के लिए पीछे मुडता है लेकिन वो पीछे मुडे उसके पहले ही रूहान उस लडके के बाल पकड लेता है और उसको कान में बोलता है।

        पीछे मत मुड । तेरे इस बालो के घोसले मे कही जहरीली मक्खीया है दो को तो मेने मार दिया लेकिन एक अभीभी अंदर कही हैं। मे तो कहता हु जल्दी टॉयलेट में जा और अपने घोसले आइ मीन अपने बालो से वो जहरीली मक्खी नीकाल ले वरना वो तेरे बालो के साथ तुझे भी खा शक्ति है...हा... रुहानने धीमे से आगे बेठे हुए लडके को अपने और जीज्ञा के बिच से हटाने के लिए उसको डराते हुए कहा।

       क्या सच मे मेरे बालो में मक्खीया है... उस लडके ने भी डरते हुए बिना पीछे देखे धीमे से कहा।

      नही तो मे क्या यहा पे कपील शर्मा शो चला के तेरे साथ मजाक करुंगा... जा जल्दी वरना तु तो गया... उस लडके के बाल छोडते हुए रुहानने कहा।

       रुहान अपनी चाल मे सफल रहा और वो लडका जहरीली मक्खी उसे काट ना ले इसके डर से अपनी जगह से उठकर टॉयलेट में जाने के लिए चला जाता है और रुहान को जीज्ञा अब साफ दिखाई पडती है।

         हाय क्या लडकी है। क्या बात करने की बेबाक अदा है और नोलेज तो देखो एकदम चांद तक चलने वाला। इसकी बातो से ही यह और लडकीओ से कही जुदा है एसा साबित हो जाता है। तु चिंता ना कर जीज्ञा तु रुहान की दोस्त बनने के लिए काबिल है... रुहानने अपनी जगह पर बडे आराम से बेठकर जीज्ञा को प्यार से देखते हुए कहा ।

        सहजादे रुहान आप यह भुल रहे हो की आपने बारवी तक एसी बारह लडकीओ को अपनी दोस्त बनाने के लिए काबिलियत का प्रमाण पत्र दे चुके हो और बारह की बारह लडकीओ से आप मार खा चुके हो तो कृपया करके अपने इस गीनीझ बुक के रेकार्ड को थमने का मोका देंगे... महावीर ने रुहान की बात सुनकर रुहान के कानमे कहा। 

        अगर आप सहजादे नही थोभे तो यह आकडा तेरह पे पहोच जाएगा और आप तो बखुबी जानते हो की तेरह नंबर आप के लिए बहुत अनलकी है... रुहान की दुसरी तरफ बेठे रवीने भी रुहान और महावीर दोनो की बात सुनकर रुहान की खीचाई करते हुए कहा। 

        पहले तो तुम दोनो अपने मु मे से निकलने वाली गटर को थोभ दो। और हा जाडिया(शरीर से मोटा दिखने वाला ) मेने अभी तक ग्यारह लडकीओ का ही मार खाया है इसलिए तु अपनी 12-12 की राइमींग बनाने के लिए मेरा रेकॉर्ड मत बढा ओर हा जीज्ञा के लिए अभीभी एक अंक खाली है अगर इसका भी मेने मार खाय तो भी वो अंक बारह पे पहोचेगा मतलब की अभीभी वो अनलकी अंक मुझसे दुर है और मुझे पुरा यकीन है कि यह मेरे गालो पे थप्पड़ मारने वाली नहीं बल्कि पप्पी मारने वाली मतलब पप्पी करने वाली लड़की हैं... रुहानने अपने दोनो दोस्तो से कहा। 

       चल देखते हैं कि तेरा over confidence कहा तक चलता है... रवीने रुहान से कहा। 

       अबे तु मेरे आत्मविश्वास को अभी जानता ही कहा है। अबे चांद तक मेरा यह आत्मविश्वास चलता है क्या चांद तक... रुहानने मजाक मे कहा। 

       बे चाद की बात छोड और अभी आगे अगर संजयभाई कोई सवाल पुछे तो उस सवाल का सबके बिच जवाब दे तो मे मानु तेरा आत्मविश्वास... रवीने मजाक मजाक में रुहान को फसाते हुए कहा ।

       बेटा तु थोडा लेट हो गया अभी संजयभाइ ने सवाल पुछना बंद कर दीया वरना मे जवाब देकर पुरे कोलेज को बता देता की रुहान इज हिलेरी... रुहानने अपनी तुटी फुटी अंग्रेजी बोलते हुए कहा। 

       ओह महाराजा हिलेरी हैं ना अमेरिका की नागरिक हैं और आप जो बोलना चाहते थे उसको हियर बोलते हैं... रविने रुहान की तुटी फुटी अंग्रेजी की मरंमत करते हुए कहा ।

       हा भाइ बसना मुझे डायरेक्टर बनना है डाक्टर नहीं ठीक है... रुहानने रवि को कहा। 

       इन तीनो के संवाद के साथ साथ आगे स्टेज पर अभीभी संजयभाइ सभी को मोटिवेट कर रहे थे और जीज्ञा भी अभी तक अपनी जगह पे खडी थी। अब वो होनेवाला था जीसका रुहान को कोइ अंदाजा ही नहीं था। 

       बेठ जाइए जीज्ञाजी बात बात मे यह तो भुल ही गया की आप अभीभी खडी है। (जीज्ञा अपनी जगह पे बेठ जाती है) लास्ट में आपको एक सवाल पुछना चाहता हुं जीसके उत्तर के बाद मे अपनी वाणी को आराम दुंगा ...संजयभाई ने अपनी बात को पुरा करने से पहले कहा ।

       इस तरफ जेसे ही संजयभाइ सवाल करने की बात की और इस तरफ रुहान का मु देखने लायक हो गया था क्योंकि कुछ देर पहले उसने जो बडी बडी फेकी थी अब वो बाते साबित करने की बारी थी और रुहान अपने आपको जानता था की उसके लिए जवाब देना बडी मुस्केली की बात थी। 

       तु चिंता ना कर रुहान तुझे अगर उत्तर नहीं देना है तो मत देना ज्यादा से ज्यादा क्या होगा तेरे चांद तक जानेवाले आत्मविश्वास नाम के रोकेट का क्रेस हो जाएगा... रवीने रुहान की खीचाई करते हुए कहा। 

       तो आपके लिए सवाल यह है कि हमने जो बात की उन धर्म पुस्तको के बारे मे उन पुस्तको के अलावा भी एसा कोनसा पुस्तक है जिस को अगर आपने जान लिया और पढ लिया तो आपको अपनी जिंदगी में कामयाब होने से दुनिया की कोई ताकात नहीं रोक शक्ति । अगर आपने इस सवाल का उत्तर दे दिया तो मे यह मानता हु कि इस कॉलेज के आप किंग हो... संजयभाइ ने अपना सवाल सबके सामने रखते हुए कहा ।

        देख रुहान अभी अगर तुने इस सवाल का उत्तर दे दिया तो बिना कुछ करे जीज्ञा की नजरो मे तु हिरो बन जाएगा ... सोच रुहान सोच... चने के झाड पे रुहान को चडाते हुए कहा। 

        साला अभी तो जवाब देना ही होंगा... रुहान के इतना बोलते हि रवीने रुहान का हाथ पकडकर मजाक मजाक में उपर कर दीया ।

        अभी द्रश्य कुछ एसा था। संजयभाई की नजरे रुहान की तरफ और रुहान की फटी हुई नजरे रवी की तरफ। अभी तक पुरे होल में शांति थी किसीको भी इसका उत्तर मालुम नहीं था सिवाय जीज्ञा के। जीज्ञा के हाथ उठाते ही इस तरफ रवीने मजाक मजाक में रुहान का हाथ उठा दिया और अब रुहान पुरी तरह से फस चुका था क्योकी अब रुहान पर संजयभाइ की नझरे पड चुकी थी और वो जानता था की अब दुसरी बार संजयभाइ जीज्ञा को सवाल नही पुछने वाले। 

        साबस मुझे अच्छा लगा की पहले एक हाथ उपर था लेकिन अब दो है। चलो जीज्ञाजी आपने एक बार तो उत्तर दे दिया था इसीलिए हम अभी आप को छोडते है और लडके को मोका देते हैं... संजयभाइने रुहान की तरफ देखते हुए कहा। 

        अब इसका आत्मविश्वास नहीं यह चांद पर जाएगा और वो भी बेइज्जत होके���������... महावीरने हस्ते हुए धीमे से कहा। 

        रुहान अपनी जगह पे खडा होता है और अंदर की और सास लेकर आत्मविश्वास जुटाने की कोशिश करता है। 

        ओह सायद मे आपको जानता हुं। आइ थींक आप बहुत ही इमानदार पुलिस अफसर आई जी साहब के बेटे होना आई थींक रुहान राईट... संजयभाईने रुहान को पहचानते हुए कहा। 

        जी राईट मे आई जी मौहम्मद भाई का ही लडका हुं... रुहानने उत्तर देते हुए संजयभाईसे कहा। 

        तो बोलो कोनसा है वो पुस्तक... संजयभाईने फिरसे प्रश्न को दोहराते हुए कहा। 

        सभी की नजरे रुहान पर थी और सभी रुहान के उत्तर को जानने के लिए उत्सुक थे लेकिन जीज्ञा अपना उत्तर रुहान से मेल खाता है कि नहीं यह जानने के लिए उत्सुख थी। तो जीज्ञा और रुहान की पहली मुलाकात कुछ एसी थी। दोनो एक दुसरे से अभी तक पर्सनली तो नहीं मीले थे लेकिन दोनो को एक दुसरे को परिचित संजयसर के इन सवालो ने कर दिया था । अब हमारी कहानी के सबसे मुख्य पाचो पात्रो का कहानी मे प्रवेश हो चुका है और इन चारो की धमाल, रुहान और जीज्ञा की कोम्पलीकेटेड लवस्टोरी, गीरधनभाई के रीवाज और जीज्ञा का अधुरा सपना यह सब अब हमारी कहानी को और भी ज्यादा रसप्रद और रहस्यमय बनाने वाले है तो जुडे रहीयेगा हमारी इस कहानी से और हा आगे का आने वाला अंक नंबर चार पढना मत भुलना क्योकी उस अंक मे आपको जानने मिलेगा की रुहान संजयभाई के सवाल का उत्तर दे पाता है या नहीं और अगर उत्तर देता है तो वो क्या वो उत्तर जीज्ञा के उत्तर से मेल खाता होगा वगेरे सवालो के उत्तर के लिए पढे अगला अंक।

      अगर आपको यह नवलकथा अच्छी लगी हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेर करना ना भुले । बहुत बहुत धन्यवाद पढने के लिए। 

TO BE CONTINUED NEXT PART ...

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्ट्भंजन दादा ||

A VARUN S PATEL STORY