BANDHAN JANMOKA- CHAPTER-4 books and stories free download online pdf in Hindi

बंधन जन्मोका - 4

( Dear, readers, प्रकरण -3 में हमने पढा कि सूरज और सोना दोंनों एन्युल फंकशनमें रोमियो- जुलियेट का रोल निभा रहे हैं । और दोनों इनकी प्रेक्टीस में लगे हुए हैं । अब आगे.....आप सबका धन्यवाद,,,,,, एवं मातृभारती टीम का धन्यवाद । आपका अमूल्य अभिप्राय अवश्य लिखे । )

बंधन जन्मोका- प्रकरण-4

सूरज और सोनाने प्रेक्टीस शुरू की,,, एक दिन प्रेक्टीसके बहाने सूरजने सोनाको कहा, सोना आज तु मेरे यहाँ प्रेक्टीस करने आजा,,, कयों,,सोनाने पूछा,,, इरादा तो कुछ नहीं हैं,,, माँ बूला रही हैं,,,,इसीलिए,,,अच्छा तो आ जाऊँगी शामको,,, लेकिन,,,एक शर्तपर ,,क्या, गिटार पर मेरी प्यारी धून बजानी पडेगी,,,सोनाने बताया,,, बस इतना ही,,, मैं तो घबरा गया था,,,सूरजने कहा,,,,कहीं तुम क्या शर्त रखोगी,,,कयों भरोसा नहीं हैं,,, सोनाने कहा,ऐसी बात नहीं हैं,,,तो फिर क्या बात हैं, बताओना सूरज,,, नहीं,कुछ नहीं हैं,,,कहा,ना, अच्छा मत बताओ। चलो, बाय,,, सोनाने कहा,बाय,,,और शामको सोना सूरजके यहाँ आई,,,,सूरजकी माता तो खुशीसे फूली नहीं समाती,,,,उसने सोनाका माथा चूमा,और बोली,आ,बेटा यह घर तेरा ही हैं, जब जी चाहे, आ जाया करो.....सोनाने कहा , हा माँ, फिर एकाएक बोली, क्या मैं आपको माँ बुला सकती हूँ,,, शर्मीलाबेनने कहा,,अफकोर्स बुला सकती हैं,,,क्योँ नहीं,,, और एकबात,सूनो, यहाँ आनेके लिए तुझे किसीकी इजाजत लेनेकी जरूरत नहीं हैं, ओ.के. माँ, समझ गई,,,सोनाने कहा,,,

शर्मिलाने कहा, आपलोग बाते करो, मैँ अभी आई। सूरज और सोना गपसप करने लगे,,,सोनाने कहा, सूरज तेरी माँ कितनी अच्छी हैं,नहीं, सूरजने कहा, हा, वो तो हैं। सोनाने कहा मैंने तो अपनी माँ का मुँह तक नहीं देखा,, कौन जाने, कैसी होगी मेरी माँ,,, मैं तो माँके प्यारके लिए तरस रहीं हूँ। सूरजने कहा, अच्छा आजसे मेरी माँ को तेरी ही माँ समझ । इसमें गलत क्या हैं,,,सोनाने कहा, हत,,, चल झूठा,,,इतनेमें शर्मिला नौकरके साथ चा- नास्ता लेकर आई,,,और बोली, कौन झूठा, बेटा, सूरज तुझे परेशान तो नहीं कर रहा हैं,,,,सोनाने कहा, नहीं माँ हम लोग मस्ती कर रहे थे। सूरजने कहा, माँ, हमेतो रोमियो- जुलियेट की प्रेक्टीस करनी हैं,,, माँ ने कहा, अच्छा प्रेक्टीस बादमें करलेना, पहले नास्ता करलो। दोनोंने नास्ता किया ।

बादमें प्रेक्टीस करने लग गए,,,,अचानक सोनाने सूरजको शर्त याद दिलाई और कहा, चलो अपनी शर्त पूरा करो,,,,सूरजने कहा, हा, बाबा, करता हूँ ना, मुझे अच्छी तरह याद हैं,,, सूरज दूसरे कमरेमें गया,थोडी देरबाद हाथमें गिटार लेकर लौटा, सूरजने सोनाको जो धून पसंद थी, वह बजाना शुरू किया,,,वादा करले साजना.... तेरे बिना मैं ना रहूँ.....मेरे बिना तु ना रहे....होके जुदा... ये वादा रहा.....जबसे मुझे तेरा प्यार मिला, अपनी तो बसहैं यहीं दुआ...हर जनम यु मिलके रहेंगे... हर जनम यु मिलके रहेंगे.... ये वादा,,, सोनाने कहा, हा वादा,,, पक्का वाला वादा......करीब लेट नाईट 10.30 बजे सूरज सोनाको घर छोडने आया, सोना के पिताजी उस्की राह देख रहे थे,,,पिताजीने कहा, कहाँ गई थी,,, ईतनी देर,,, मैं कबसे तेरी भोजनके लिए राह देख रहा हूँ,,, पिताजी मैं दोस्तोके साथ खाना खाके आई हूँ,, आप खा लिजीए,,,कहकर सोना अपने कमरेमें चली गई।

एक सप्ताह कैसे बीत गया,, यह पता ही न चला,,एन्युअल फंक्शन का दिन था,, आज सोना सुबह जल्दी से उठी,सूरजको फोन लगाया , हल्लो, सूरज, आज तो हमे ड्रामा करना हैं,एकबार रीहर्सल करना पडेगा ना,,, सूरजने कहा, हा, अच्छा,कहांपर प्रेक्टीस करेंगे,,, सोनाने कहा,तु –नीकोपार्क -आजा, सूरजने कहा,ओ.के. आता हूँ। फिर दोनों नीको पार्क में मिले और जमकर प्रेक्टीस की....

शामके 8 बजने जा रहे हैं,,, प्रेसीडेन्सी कोलेजका होल हाउसफूल हैं,,, सारे गेस्ट आ गए हैं,,, कोलेजके छात्र-छात्राओं भी खुशीसे झूम रहे हैं,,,,स्लो म्युझीककी धून बज रही हैं। चीफ गेस्ट के तौर पर सोनाके पिताजी जो कोलेजके ट्रस्टी भी हैं,,,प्रिन्सीपाल,अध्यापक समुदाय,,, सब पधारे हुए हैं। उद्घोषकने अनाउन्स किया,,,,लेडीझ एन्ड जेन्टलमेन,,,, अटेन्शन प्लीज,,,, प्रोग्राम शुरू होने जा रहा हैं,,, सब अपनी अपनी सीट पर बैठ जाए,,,और परदा उठा,,, कोलेजके एक के बाद एक छात्रों ने अपना आईटम पेश किया,,, प्रेक्षकोंमें इन्तजार था,,,ड्रामा देखनेका,,, इसीलिए तो टिकट ज्यादा बीका था। और ये चेरीटी शो था,,, उस्का दान अनाथालयमें जानेवाला था। सबलोग दिल थामके बैठे थे,,,कब ड्रामा शुरू हो,,, इतनेमें रोमियों-झुलियेटवाला सीन आ गया,,,सोना और सूरज सचमुच हीरो-हीरोइन लग रहे थे। उस्की अभिनयकला देखकर सबलोग दंग रह गये। अंतमें रोमियों-झुलियेट के नाटकके अंत के साथ वो म्युझिक बजने लगा,,, वादा करले साजना,,,, और,,,परदा गिरा,,,,, तालीयों की गूंज कई देर तक बजती रही,,, रोमियों- जुलियेट को आजका फस्ट प्राईझ मिला,,,,प्रोग्राम सफल रहा,,,

जब सोना ओडिटोरियमसे बाहर आई,,, तो सूरज इसका इन्तजार कर रहा था,, सोना, चलों गाडीमें बैठो, सोनाने कहा, नहीं मैं पापाके साथ चलीजाऊँगी,,,सूरजने कहा, तुम्हारे पापा तो कबका जा चूके,,, पर कयों,,, कब,,,, वो सब मुझे नहीं पता,,,लेकिन मैंने तुम्हारे पापाको जाते हुए देखा था,,, अच्छा, चलो, सोनाने कहा,,,कोई जरूरी मिटिंगमें जाना होंगा,,, सूरजने कार चलाई,,,, उसे देखते हुए सोनाने कहा, देखो सूरज मुझे आईस्क्रीम खानी हैं,,,दाई ओर लेलो,,,,सूरजने आईसक्रीम पार्लरके पास गाडी को रोका,,,दोनों ने आईसक्रीम खाई,,, बाते करते करते सोनाका घर आ गया,,,जवाहर रोड,,,,गोल्डन हाउस,,, सूरजने कहा,,, अच्छा,,,चलो,,बाय,, कहकर , सोना गाडीसे उतरकर अपने बंगलेमें चली गई,,,,,सारी रात उसे रोमियों- जुलियेटवाली बात और सूरजके साथ उसकी दोस्ती, ये घूमना-फिरना, ये सब सपनासा लगता था,,,कब वह सपनों में खो गई पता ही न चला,,,,,,( क्रमशः.............)