Middle Birth - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

मिडिल बर्थ - 3

मंदिर में भगवान के दर्शन के बाद हम वहीं पास के गार्डन की बेंच पर बैठ गए । गार्डन वाकई बहुत सुंदर था । और बहुत बड़ा भी जहाँ दूर दूर बहुत से प्रेमी जोड़े पास पास बैठे नजर आ रहे थे । कुछ परिवार वाले अपने बच्चों के साथ पिकनिक मना रहे थे । कुछ बच्चे खेल रहे थे।

बातों का सिलसिला आगे बढ़ाते हुए मैंने उत्सुकता से पूछा
क्या आपने नावेल पूरा पढ़ लिया ?
उसने कहा "हाँ "
मैंने कहा कि आखिर उसका अंत कैसा रहा ?
उसने कहा " इस कहानी का अंत दुःखद भी था और सुखद भी । वो जिसे दिलो जान से चाहता था वो आखिरकार अपनी बिमारी से हार गई और एक दिन चल बसी । उसके जाने के बाद वो बहुत उदास हो गया ,उसके जीने की इच्छा नही रही पर तभी उसके जीवन में रमा का प्रवेश हुआ । रमा उसे अचानक मॉल में मिल गई थी जहाँ जरूरत का समान लेने के लिए वो गया हूआ था । जब बिल काउंटर पर दोनो एक दूसरे के पीछे खड़े थे तभी रमा ने अपना डेबिट कार्ड दिया तो वो काम ही नही कर रहा था । बहुत कोशिश के बाद भी जब उससे पेमेंट नही हुआ तो उसकी परेशानी देखकर उसने अपने कार्ड से उसका भी पेमेंट कर दिया क्योकि ये कोई बड़ी रकम नही थी।
रमा ने उसका नम्बर और एकाउंट डिटेल ले लिया था और इस घटना के बाद उनमे बातें होती रही।

रमा से उसका परिचय हुआ तो पहले रमा को लेकर उसमे कोई दिलचस्पी नही हुई थी । पर जब रमा की कहानी उसने सुनी तो उसका दिल रो उठा उसने सोचा कि उसके दुःख के सामने उसका दुःख कितना छोटा है ,उसने तो अपनी बिमार प्रेयसी को खोया था जो एक न एक दिन होना ही था । लेकिन रमा की दुनिया एक झटके में उजड़ गई थी ।
उसका पति और उसका एकमात्र लड़का जो बमुश्किल 2 साल का था दोनो अब उसकी दुनिया से जा चुके थे हमेशा के लिए । दरअसल एक तूफानी रात एक शराबी कार वाले ने उनकी बाइक को टक्कर मारकर भाग गया था उस दुर्घटना में उसका पति और बेटा गंभीर रूप से ज़ख्मी हो गए थे और इसे भी गहरी चोट आई थी पर तीनो में वो बच गई थी । उसकी दुनिया वीरान हो गई थी पर निराश होकर उसने जिंदगी का दामन नही छोड़ा था । सारे गम भूल कर वो अपना फर्ज निभा रही थी जो उसके बेसहारा बूढ़े सास ससुर के लिए जरूरी था ।

रमा से मिलने और उसकी कहानी जानने के बाद उसने रमा से ही शादी करने का फैसला ले लिया और इस नॉवेल में यही सुखद रहा कि अंततः उस नायक को एक सहारा मिल जाता है, क्योंकि वो एक नेकदिल सच्चा इंसान था ।और नेकदिल वालों के साथ भगवान हमेशा रहते हैं ।

उसके मुंह से कहानी सुनता सुनता मैं मदहोश हो रहा था क्योंकि कहानी सुनते सुनते मैं उसका हाथ अपने हाथों में लेकर सहला रहा था और बीच बीच मे उसे आहिस्ते से दबा भी देता था और वो भी अपनी उंगलियां मेरी उंगली में फंसा कर मेरा हाथ अपनी गोद मे रख लेती थी ।

हम पहली बार कुछ इस तरह आमने सामने प्यार भरी नज़रों के साथ मिल रहे थे ।

बातों ही बातों में शाम हो गई। समय कितनी जल्दी बीत गया पता ही नही चला और अब उसके घर जाने का वक्त हो रहा था पर हमारी बेचैनी बढती जा रही थी । और फिर मैंने अपने गाड़ी वाले को बुला लिया ,मैं उसे साथ लेकर जाना चाह रहा था लेकिन उसके परिवार से मेरा परिचय अब तक नही हुआ था या कहूँ कि परिचय उसने अब तक नही कराया था और इसीलिए उसने कल मुझे अपने घर पर बुलाया था ।

हमने कल फिर मिलने का वादा कर एक दूसरे से जुदा हो गए । लेकिन जाते जाते मैंने उसके मुलायम हाथ पर एक चुम्बन जड़ दिया,,,उसने कुछ नही कहा बस प्यार से मुस्कुरा दिया,,,
मैं कल उसके परिवार से मिलने वाला था पर आज की मुलाकात से मैं मदहोश था । एक दूसरे के पास पास मिलने की तड़फ, और एक दूसरे में खो जाने का हसीन ख्याल,सपने ओर रंगीन सितारों की झिलमिल क्या क्या ,,,,मुझे सब कुछ बहुत अच्छा लग रहा था ।


प्यार इतना सुखद होता है ये मैं पहली बार महसूस कर रहा था,,लेकिन ये सवाल बार बार आ रहा था कि ये दुनिया की नज़रों में इतना गलत क्यों है,,?

साथ ही इसकी जुदाई में जीवन इतना वीरान और नीरस क्यों हो जाता है,,,मेरी मानो तो दिल से मोहब्बत कभी खत्म नही होनी चाहिए,,पर ये कैसे बना रहे,,,क्या देह की प्यास के कारण ?