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हमसफ़र - 2

भाग २

शो हॅन्ड-ओव्हर करके साहिल ब्रेक ले लेता है...
लेकीन कहानी का आगे का हिस्सा पढे बिना उसका मन नहीं लगता...
एक हाथ में कॉफी का कप पकड़कर एक एक सिप लेते हुए साहिल आगे की कहानी पढ़ना शुरू करता हैं
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(रौनक बिल पे करके निकलने लगता है... निधी उसे रोककर बिल के आधे पैसे देती है... दोनों हसते हुए चलने लगते है)

रौनक :- अब ये क्या है निधी? ये मेरी ट्रीट है ना और निधी को पैसे वापस करता हैं

निधी :- नहीं.... अभी तक तो हम दोस्त भी नहीं बने है, इसीलिए - टी.टी.एम.एम.

रौनक :- टी.टी.एम.एम..! मतलब ?

निधी :- " तुझं तू, माझं मी" मतलब "तुम्हारा तुम देखो , मेरा मैं देखती हूं" मराठी पिक्चर नहीं देखते क्या?

रौनक :- अच्छा अच्छा वो नेहा वाली...

निधी:- नहीं नहीं, ललित वाली
( और दोनों हसने लगते हैं
निधी एकदम से खामोश हो जाती है....)

इसबात पर रौनक भी चुप हो जाता हैं और दोनों बिना कुछ कहे चलने लगते हैं. थोडी देर बाद निधी ही चुप्पी तोड़ देती हैं

निधी :- आय अम् सॉरी रौनक....
आज के लिए भी और उस दिन के लिए भी...
तुम्हें दुखाने का मेरा इरादा कभी नहीं था

लेकिन तुम जानते हो ना कि मैं...

रौनक :- तुम, क्या पागल हो? कितना सोचती ही तुम
तुम अबतक उस बात को दिल पर लगा रही हो?
अरे बाबा मैं उस दिन की बात को भूल चुका हूं...
और बेहेतर होगा अगर तुम भी ये सब भूल जाओ
ठीक है?

निधी :- जो भी हो....
गलती तो मुझसे हुई है, और इसलिए...

(उसकी बात को बीचमें ही रोककर रौनक बोलता है)
रौनक :- और इसलिए आपको सजा तो होगी...
तो आपकी सजा ये है की आप हमारी दोस्ती कबूल करे... और एक आईस्क्रीम खाने के लिये हमे कंपनी दे....

निधी :- ( हसते हुए )
हं.... दोस्ती का तो सोचकर बताऊंगी.
लेकीन हा आईस्क्रीम के लिये बिलकुल मना नहीं करूंगी....

रौनक :- लेकीन इस बार नो टी..टी.एम.एम.
नहीं तो माफी नहीं मिलेगी....
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तभी स्टुडिओ से अविनाश आवाज देता हैं...
हे साहील चल ना.... तेरे को ड्राॅप करता हूं..

( अविनाश.
साहिल का सबसे करीबी दोस्त...
दर असल साहिल और अविनाश दोनों ने रेडिओ स्टेशन साथ में जॉइन किया था...
अविनाश रोज अपनी कार से आता है तो कभी कभी लगभग रोज ही साहिल और वो साथ आया जाया करते है...)

हाथ में लिए हुए पन्ने ड्रॉअर में रखकर साहिल बॅग पॅक करके निकलता हैं, तभी अनु उसे आवाज़ देकर रोकती है, ये देखकर अविनाश मूह पर हाथ रखकर हसने लगता है, दोनों भी उसे देखते हैं लेकिन देखकर अनदेखा करते है...

( अनु .
इन दोनों के साथ रेडिओ जॉइन करने वाली इकलौती लड़की... उस वक्त लड़की के लिए एक भी सीट अवेलेबल नहीं थी लेकीन अनु के आवाज की मिठास ने सबका दिल जीत लिया और उसे भी वहां जगह मिल गई..)

अनु :- सुन ना साहिल! लॉकर कि चाबी दे, हमेशा की तरह आज भी भूल गया...
मेरे लिए भी सेम लॉकर है

ओ आय अम सो सॉरी
जल्दबाजी में याद ही नहीं रहता.
चल बाय....
( ड्रॉअर की चाबियां वो अनु को थमाकर निकलता हैं.)

अविनाश :- ओहो... अभी से इतना हक जताया जा रहा हैं... अगर शादी हो गयी तो पूछो ही मत...
( बाहर जाते जाते धीरेसे साहिलके कान में बोलता हैं.)

साहिल :- यार तू थकता नहीं है, दिनभर ऐसी बकवास करके तेरा दिमाग कैसे नहीं थकता? ( अविनाश की पीठ पर जोर से मारते हुए साहिल हसता है.)

अविनाश :- अब दोनों तरफ से कुछ बात ही नहीं बढ़ रही तो किसीको तो चिंगारी लगानी पड़ेगी ना
और आपका अजीज दोस्त होने के नाते मेरा ये फ़र्ज़ बनता हैं के मैं आपको सही मार्गदर्शन करू प्रभु....
( और अविनाश और जोर से हंसने लगता है... )

साहिल थोड़ा सीरियस होकर बोलने लगता हैं...
अच्छा तू अनु की बात छोड़ में अगर तुझे एक बात बोलूं तो तू हसेगा तो नहीं ना?

अविनाश :- किसकी बात है?

साहिल :- वो एक लड़की...

( उसकी बात को आधे में ही काटते हुए अविनाश और खीचाई करने लगता हैं...)
अविनाश :- ओह मेरे भाई, ये कौनसा भगवान आप पर प्रसन्न हो गया? साक्षात आप लड़की की बात कर रहे हों... कहीं प्यार व्यार का तो चक्कर नहीं ना...

साहिल :- यार हद हैं.. तू घूमा फिराके एक ही बात पर आता है. मुझे सिर्फ थोड़ी जानकारी चाहिए बस...

अविनाश :- अच्छा...?
चलो ऐसेही शुरूवात होती हैं, पहले नाम, फिर मकाम, फ़िर धीरे धीरे बातें फ़िर मुलाकातें और...

(उसे बीच में रोकते हुए साहिल)
रुकाव के लिए खेद है गुरुजी
लेकीन ये बिना मांगे बकवास ज्ञान बाटो समारंभ आपने शुरू किया है ना फ़िलहाल उसे स्थगित किजीए, क्योंकी मुझे बहुत लेट हो रहा है

अविनाश :- कोई बात नहीं बेटा एक दिन आएगा जब अनु के लिए मदद मांगने तू सामने से आएगा लेकीन वत्स शायद तब ये गुरुजी बिज़ी हो , इसीलिए अपना अमूल्य वक्त का सही उपयोग करना....

( साहिल उसका मूं दबाते हुए... )
अब अगर एक लाइन भी बोली ना तो मैं वहीं गाड़ी रोकने के लिए बोलूंगा और पैदल घर जाऊंगा
अविनाश हसने लगता हैं और दोनों गाड़ी में बैठकर चाले जाते हैं...