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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 1

लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा

जितेन्द्र शिवहरे

(1)

धरम की गिनती असामाजिक तत्वों में होने लगी थी। परिवार वाले उसकी मारपीट और गुंडागर्दी से तंग आ आ गये। पुरे मोहल्ले में बेड ब्वॉय की छबी धारण करने वाला धरम कुख्यात था। सज्जन व्यक्ति अपने बच्चों को धरम जैसा नहीं बनने का संदेश देना अपना कर्तव्य समझते थे। किन्तु यह वहीं धरम था जो म्युनिसिपल कार्पोरेशन वालों को फोन पर डरा-धमका कर मोहल्लें की साफ-सफाई करवा लिया करता था। एरिया में बिजली गुल होने पर सभी धरम को ही ढूंढते थे। उसके एक फोन पर विद्युत विभाग के कर्मचारी वहां तुरंत आकर विद्युत वितरण व्यवस्था बहाल कर देते। अप्रत्यक्ष रूप से वह मोहल्ले का हीरो था जो विपत्ति आने पर सभी की दिल खोलकर मदद करता था।

धरम की बुआ बहुत दिनों बाद घर आई। धरम के चाल चलन से परेशान धरम की मां सीता ने अपना दुखड़ा अपनी ननद नीना के सम्मुख भी रो दिया।

"इसका तो एक ही इलाज है भाभी! धरम की शादी करवा दो।" नीना बुआ ने धरम की मां सीता को वर्षों पुराना नुस्खा बता दिया।

मगर धरम जैसे मत कमाऊ और बदनाम लड़के को कौन अपनी लड़की देगा? इस ज्वलंत प्रश्न का उत्तर नीना बुआ के बास भी नहीं था। वैसे धरम के एटीट्यूड और क्रोधित स्वभाव पर बहुत सी लड़कीयां फिदा थी। उसके पास कई लड़कीयों के फोन आते थे। जिनसे वह अक्सर बात किया करता था। धरम को अपने व्यवहार पर गर्व था। पढ़ाई बीच में ही छोड़कर पिता की होटल की व्यवस्था संभालने धरम कभी-कभार जाया करता। वो भी अपनी पाॅकेटमनी के लिए।

"भैया! इससे पहले की सभी लड़कीयां शादी कर के अपने ससुराल चली जाये किसी एक से आप शादी कर लो।" श्वेता ने अपने भाई धरम से कहा।

" श्वेता! शादी तो में कभी भी कर सकता हूं। अच्छा तु बता! तुझे कैसी भाभी चाहिए?" मोबाइल फोन से आखें हटाकर धरम ने श्वेता से कहा।

श्वेता ने टीना का नाम सुझाया। उसने अख़बार के वैवाहिक विज्ञापन में टीना के विषय में पढ़ा था। टीना अमेरीका रिटर्न थी। वह लॉकडाउन में भारत आई हुई है। उसके पिता विश्वनाथ शहर के जाने माने खाद्य तेल व्यवसायी थे। टीना का जन्म भारत में हुआ, मगर उसकी उच्च पढ़ाई अमेरिका में हुई। वहीं उसे नौकरी मिल गई। विश्वनाथ चाहते थे कि उनकी लड़की किसी भारतीय से विवाह करे। टीना के विचार अपने पिता से अलग थे। वह योग्यता को अधिक महत्व देती थी। राष्ट्रीयता उसके लिए गर्व का विषय नहीं था। अपने पिता के द्वारा सुझाये गये अधिकतर वैवाहिक रिश्ते वह ठुकरा चूकी थी। जिस लड़के को वह पसंद करती करती थी, वह अमेरीका में था। लेकिन विश्वनाथन को पीटर पसंद नहीं था। पिता-पुत्री दोनों झूकने को तैयार नहीं थे।

"हाय! आई एम धरम!" अचानक बीच सड़क पर खड़ी टिना को धरम ने कहा।

धरम का टपोरी टाइप पहनावा देखकर टीना के चेहरे पर घृणित भाव ऊभर आये।

"कौन हो? क्या काम है?" टीना ने धरम से पुछा।

"नाम बताया तो! काम ये है कि मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं।" धरम ने टीना से से कहा। वह बड़ी बेबाकी से अपने दिल की बात बोल गया।

टीना का जवाब थप्पड़ के रूप में धरम को मिला।

"मैडम! मैंने जवाब मांगा था और आपने थप्पड़ जड़ दिया" धरम ने टीना से कहा।

"तुम्हारी हरकत प्यार करने वाली नहीं थी! समझे। स्टूपीट!" टीना ने नाराज़ होकर धरम से बोली।

"अगर मैंने तुम्हारे मुंह से अपने लिए आई लव यूं नहीं कहलवा दिया न! तो मेरा का नाम धरम नहीं।" धरम ने टीना से कहा। यह कहकर धरम वहां से जा चूका था। टीना उसे दुर तक जाते हुये देखती रही।

इस घटना ने टीना को सोचने पर मजबूर कर दिया। बीच चौराहे पर धरम की इस बहादुरी से वह प्रभावित हुये बिना न रह सकी।

विश्वनाथ आज एक बार फिर टीना के लिए नया रिश्ता लेकर डाइनिंग टेबल पर उपस्थित थे।

"पापा! मुझे यहां के लड़के से शादी नहीं करनी। आप समझते क्यों नहीं?" टिना अपने पिता पर नाराज़ थी।

"बेटी एक बार फोटो तो देख ले।" विश्वनाथ टीना को फोटो दिखाकर बोले

यह धरम का फोटो था।

फोटो देखकर टीना चौंक गयी। वह जानना चाहती थी कि धरम कौन है? क्या करता है? आखिर इतनी डेयरींग उसमें आयी कहां से।

"ये क्या पापा! आप अपनी बेटी की शादी एक गुण्डे के साथ करवाना चाहते है?" टिना बोली।

विश्वनाथ बोले- "धरम गुण्डा नहीं है। अच्छे परिवार का लड़का है। बस थोड़ा सा मुंहफट है।"

टीना कुछ न बोली। वह चुपचाप नाश्ता करने लगी।

विश्वनाथ जानते थे कि धरम कुछ अखड़ स्वभाव का जरूर है लेकिन दिल का साफ है। कुछ माह पुर्व अर्द्ध रात्रि में जब उनकी कार बीच सड़क पर खराब हुई तब वह धरम ही था जिसने मुसलाधार बारिश में भी कार को धक्का लगाकर गैराज तक पहुंचाया था। गुरूकृपा होटल शहर की प्रसिद्ध होटल थी। जहां भोजन करने के लिए लोग प्रतिदिन घण्टों प्रतिक्षा किया करते थे। भविष्य में धरम को ही यह होटल संभालनी है। होटल के मालिक शंकरदयाल और विश्वनाथ की पुरानी मित्रता थी। जब विश्वनाथ को पता चला कि धरम शंकरदयाल का बेटा है तब उन्होंने धरम को अपना दामाद बनाने का विचार किया। शंकरदयाल को इसमें कोई आपत्ति नहीं थी। विश्वनाथ को भरोसा था कि टीना को धरम ही विदेशी से देशी बना सकता है। इसीलिए उन्होंने टीना और धरम की शादी को लेकर कोशिशें तेज़ कर दी।

टीना के मोबाइल पर धरम के फोन आने लगे। वह मैसेज के माध्यम से अपने हृदय की बात टीना तक पहुंचा देता। टीना ने एक बार फिर धरम से मुलाक़ात करनी चाही।

"धरम! मुझसे जो भी लड़का शादी करेगा उसे शादी के बाद मेरे साथ अमेरीका में रहना होगा।" टीना ने अपनी शर्त धरम को बता दी।

धरम पहली बार किसी बात को लेकर सोचने पर मजबूर था। घुमने-फिरने तक तो ठीक था। मगर विदेश में जाकर बस जाने की योजना उसे पसंद नहीं आई। धरम को विचारों में डूबा देखकर टीना को विश्वास हो गया कि वह अमेरिका जाने के बात से सहमत नहीं है। यदि धरम इस बात के लिए न करता है तो उसे बहुत खुशी होगी। और वह अपने अमरीकी दोस्त पीटर से शादी कर लेगी। लेकीन कहीं धरम ने हां कर दी तब? विचारों का संकट जितना धरम के लिए था उतना टीना के लिए भी। धरम ने सोचने के लिए कुछ दिनों की मोहतल मांगी। टीना ने उसे तीन दिन की मोहलत दे दी।

"ये क्या पागल पन है टीना" विश्वनाथ ने टीना पर नाराज थे।

"धरम के सामने अमेरिका में बसने की शर्त रख दी। शादी में कोई भोल-भाव होता है क्या?" विश्वनाथ अपनी बेटी टीना पर चिल्ला रहे थे।

"पापा! मैं पीटर से प्यार करती हूं और उससे शादी करने के लिए कुछ भी कर सकती हूं। धरम के सामने मैंने यह शर्त इसीलिए रखी ताकी वह मना कर दे जिससे कि मैं और पीटर आराम से शादी कर सके" टीना ने जवाब दिया।

"ये कभी नहीं होगा टीना। कम से कम मेरे जीते जी तो बिल्कुल नहीं" कहते हुये विश्वानाथ ऑफिस चले गये।

एक-एक कर तीन निकल गये। टीना यह जानने को उत्सुक थी की धरम का निर्णय क्या होगा?

"भैया! क्या आप अमेरिका चले जायेंगे?" श्वेता ने अपने भाई धरम से पुछा।

धरम कुछ न बोला। वह आईने के सामने खड़ा होकर अपने बाल संवार रहा था।

"मैं जानती हूं भैया। मैंने ही आपको टीना से शादी करने का सुझाव दिया था। आप हम लोगों से बहुत प्यार करते है और उतना ही हमारे देश भारत से भी। फिर भी आपका निर्णय हम सभी को स्वीकार होगा। जाइये टीना आपका इंतज़ार कर रही होगी" श्वेता ने कहा।

धरम के मन में कुछ चल रहा था! मगर क्या? धरम के अलावा ये किसी को पता नहीं था। आज धरम का जवाब ही टीना और उसके रिश्तें का भविष्य तय करेगा। धरम ने टीना के सिर पर हाथ रखा और घर से बाहर निकल गया। बाइक पर संवार होकर वह निकल पड़ा टीना से मिलने उसके घर की ओर। बाइक तेजी से सरपट दौड़े जा रही थी। जैसे टीना से मिलने की उसे भी जल्दी थी।

टीना अपने घर के लाॅन में बैठी थी। दिन ढल रहा था। दोपहर की कड़कड़ाती धुप के तेवर कम हो चूके थे। चंदन चौकीदार ने बगीचे के पेड़-पौधों में पानी का छिड़काव हाल ही में किया था। वह अब भी यदाकदा पोधों में पानी छिड़काव कर रहा था। शेरू के भौंकने की आवाज़ से आभास हुआ कि बंगले के द्वार पर कोई अनजान व्यक्ति आया है। टीना ने खड़े होकर मुख्य द्वार पर देखा। यह धरम ही था जो अभी-अभी वहां पहूंचा था। शांति निवास के चौकीदार चंदन ने धरम से आने का कारण पुछा। धरम ने उसे बताया कि वह टीना से मिलने आया है। टीना ने ही उसे मिलने बुलाया था। गेस्ट विजीटर डायरी में जरूरी एन्ट्री लिखने के बाद चंदन ने धरम को भीतर जाने दिया। बंगले के मेन गेट से अंदर आते ही बगल के बगीचे में टीना बैठी थी। धरम सीधे टीना के पास जा पहूंचा। टीना ने धरम को बैठने के लिए कहा। बंगले के अंदर से चाय की ट्रे लाता हुआ नमन दिखाई दिया। नमन चाय रखकर जा चूका था। टीना चाय बनाने लगी।

"चाय में चीनी कितनी चम्मच लोगो धरम" टीना ने धरम से पुछा।

"दो चम्मच" धरम ने जवाब दिया।

धरम आज पहली बार नर्वस था। उसके चेहरे पर पसीने की बुंदें तैर रही थी जिसे वह रूमाल से पोछने रहा था।

"क्या बात है धरम? बहुत चिंता मे दिखाई दे रहे हो? देखो यदि तुम्हारी न है तो कोई बात नहीं। आराम से अपना जवाब मुझे बता दो। बात यही खत्म हो जायेगी" टीना ने चाय का कप धरम को देते हुये कहा।

"नहीं टीना। दरअसल अपने देश और अपने लोगों को छोड़कर विदेश जाने का निर्णय मेरे लिए इतना आसान नहीं था" धरम ने कहा।

"क्या मतलब?" टीना ने पुछा।

"मैं अमेरिका जाने के लिए तैयार हूं टीना" धरम ने कहा।

"क्या! तुमने सोच समझकर यह निर्णय लिया है" टीना कन्फर्म होना चाहती थी।

"हा टीना! मैंने बहुत सोचा। और इस नतीजे पर पहूंचा हूं की जिससे प्यार किया है उसकी खुशी के लिए इतना तो किया ही जा सकता है" धरम ने कहा।

टीना अपने ही बुने जाल में फंस चूकी थी। अब क्या करे? धरम से क्या कहे? अगर दोनों शादी कर लेते है तब वह पीटर को क्या जवाब देगी? अब अगर धरम उससे शादी करने को राजी हो गया है और वह अपनी इच्छा से अमेरिका में बसना चाहता है तब टीना को भी अपनी शर्त पर बने रहना होगा। क्यों न वह धरम से साफ-साफ कह दे की वह पीटर से प्यार करती है और वह अन्य किसी लड़के से शादी नहीं करना चाहती। इस बात से हो सकता है धरम नाराज हो जाये। हो सकता है गुस्सें में वह कुछ ऐसा-वैसा कदम उठा ले। टीना लगातार इस विषय में सोच रही थी। मगर इस समस्या का कोई सार्थक हल उसे दिखाई नहीं दे रहा था। विश्वनाथ प्रसन्न थे। अमेरिका में ही सही लेकिन एक न एक दिन धरम टीना को भारत लेकर अवश्य आयेगा।

कोरोना संक्रमण पुरे विश्व में फैल चूका था। अमेरिका इस महामारी से सर्वाधिक त्रस्त था। दुनिया के अधिकतर देशों में लॉकडाउन था। अमेरिका भी उन्हीं देशों में से एक था। टीना को कुछ महिनों का समय मिल गया। वह भारत में ही रहकर धरम से छुटकारा पाना चाहती थी। ताकी जब लॉकडाउन खत्म हो तब वह अकेली अमेरिका जाकर पीटर से शादी कर सके।

एक नयी योजना उसके दिमाग में पनप चूकी थी। उसे यकीन था की इस बात में धरम कभी राजी नहीं होगा। धरम के मोबाइल पर टीना का फोन आया। वह धरम से शादी करने के लिए तैयार थी। मगर उसकी एक अन्य शर्त थी। यह शर्त सुनकर धरम के हाथ पांव ठण्डे हो गये। उसके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे। यदि टीना उसके सम्मुख होती तब निश्चित ही धरम उसे थप्पड़ जड़ देता। मगर उसने फोन पर अधिक कुछ न कहते हुये फोन काट दिया। श्वेता समझ गयी। जरूर टीना ने इस बार ऐसी शर्त रखी थी जिसे धरम पुरा करने में समर्थ नहीं था।

"क्या बात है धरम, तुम तो इतने बहादुर हो कि मुझे बीच सड़क पर शादी के प्रपोज कर सकते हो, अकेले ही चार-चार लोगों से लड़ सकते हो, कभी किसी से डरते नहीं! तो फिर मेरी इस छोटी सी शर्त से इतना क्यों घबरा गये" टीना ने अगले दिन फोन पर धरम से कहा।

"मैं अब भी किसी डरता नहीं टीना" धरम ने कहा।

"मुझे तुम्हारी चिंता है। जब लोगों को पता चलेगा की तुम मेरे साथ बिना शादी किये रह रही हो तब क्या होगा।" धरम बोल रहा था।

"तो क्या! तुम हो ना। तुम सबका मुंह अच्छे से बंद कर सकते हो" टीना ने फोन पर कहा। उसने तो जैसे ठान लिया था धरम को किसी भी तरह राजी करना।

श्वेता ने धरम से कह दिया कि वो टीना की ये बात न माने। धरम के माता-पिता भी इस कदम के विरूद्ध थे। धरम जानता था कि यदि वह अपने परिवार के सदस्यों की असहमति के विषय में टीना को बतायेगा तब निश्चित ही टीना उसे दुध पीता बच्चा समझेगी, जिसे अपने प्रत्येक निर्णय की स्वीकृति अपने माता-पिता से लेना पडता है। धरम ने टीना की बात मान ली। उसने लॉकडाउन में ही अपने शहर स्थित एक फ्लेट में शिफ्ट होने की बात कही। टीना तैयार थी। उसने पीटर से इस संबंध में अमेरिका बात करनी चाही। मगर पीटर से बात नहीं हो सकी। वह अपनी योजना उसे बताना चाहती थी ताकी भविष्य में जब धरम और टीना अलग हो तो पीटर उसे स्वीकार कर ले। विश्वनाथ ने सीने पर पत्थर रखकर टीना को धरम के साथ विदा किया।

"धरम! देखना बेटा! अब मेरी इज्जत तुम्हारे हाथ में है" विश्वनाथ बोल रहे थे। टीना कार में बैठ चूकी थी। धरम कार के बाहर ही खड़ा था। विश्वनाथ उसे समझा रहे थे। "ये हमारे संस्कार नहीं है। मगर भविष्य सुखमय बनाने के लिए कुछ कड़े निर्णय लेने पड़ते है" विश्वनाथ बोले।

"मैं आपकी फीलिंग समझ रहा हूं। मेरा विश्वास रखिये! मैं आपका विश्वास नहीं टुटने दुंगा" धरम ने विश्वनाथ से कहा। धरम के इस कथन ने विश्वनाथ के चेहरे पर मुस्कुराहट ला दी। वे जानते थे धरम जो कहता है उसे हर कीमत पर पुरा करता है। बिन मां की बेटी टीना में विश्वनाथ के प्राण बसते थे। वह उनकी आंखों के सामने रहे इसलिए उन्होंने दोनों को लीव इन मे रहने की इज़ाजत दे दी थी। लॉकडाउन में धरम और टीना के विषय में अब तक उनके परिवार के अलावा अन्य किसी को कुछ पता नहीं था। स्वयं धरम इस ने विषय पर अपने किसी दोस्त से बात नहीं की। उसने टीना को भी यह बात किसी को नहीं बताने के मना लिया। वह नहीं चाहता था की उसके द्वारा उठाये गये कदम से समाज प्रोत्साहित हो। टीना और धरम को एक साल तक लीव में रहना अनिवार्य था। यदि इस एक साल में दोनों के आपसी मन और विचार मिलते है तब ही आगे का जीवन दोनों साथ में बिता सकते थे। लेकिन अगर दोनों एक-दुसरे से खुश नहीं होते और किसी बात पर एक राय नहीं बना पाते तब धरम और टीना अपना ये रिश्ता वही खत्म कर देंगे। उसके बाद दोनों लोग आजाद होंगे और जिससे चाहे उससे शादी कर सकेंगे।

धरम और टीना नये घर पहूंच चूके थे। टीना फ्लैट में दाखिल हुयी। घर बहुत दिनों से बंद था। हर तरफ धुल ही धुल ही थी। वहां की साफ-सफाई करना बहुत जरूरी था। धरम कार में से आवश्यक सामान लेकर टीना के बाद फ्लैट में दाखिल हुआ। वह चारों तरफ नज़र घुमाकर देख रहा था। शुरूआत कहीं से तो करना थी। उसने अपने मुंह पर कपड़ा बांधा और हाथ में झाडु लेकर सफाई शुरू कर दी।

"ये क्या कर रहे हो धरम, बाई से बोलकर करवा लेंगे! ये सब" टीना ने धरम से कहा।

"इस लॉकडाउन में बाई कहां से आयेगी। हमें ही करना होगा ये सब" धरम ने टीना से कहा।

"देखो! मुझसे ये सब नहीं होगा" टीना नखरे दिखाते हुये कहा।

"कोई बात नहीं। तुम बैठो मैं कर दुंगा" धरम बोला। धरम की बात से टीना की जान में जान आ गयी। उसने आज तक घर का काम कभी नहीं किया था। वह नौकर-चाकर पर पुरी तरह से निर्भर थी। धरम ने टीना से चाय बनाने के लिए कहा। टीना किचन में पहली बार चाय बना रही थी। उसने गैस चालु कर तपेली चढ़ा दी। तपेली में अंदाज से दुध, चाय की पत्ती और शकर डालकर कुछ देर उबाला। कप में चाय छानकर वह धरम के पास ले आयी। धरम तब तक हाथ मुंह धोकर हाॅल में आ चूका था। उसने टीवी चालू कर दीl टीवी पर कोरोना से संबंधित न्यूज दिखाई जा रही थी। धरम के हाथ में चाय का कप थमाकर टीना बोली- "मैंने पहली बार किचन में जाकर चाय बनाई है। अब जैसी भी बनी हो पी लेना।"

धरम ने कप को मुंह से लगाया। उसने पहला घूंट पीया ही था कि उसे उल्टी जैसा अनुभव हुआ। वह मुंह की चाय फैंकना चाहता था मगर कहीं टीना को बुरा न लगे इसलिए वह न चाहते हुये भी पुरे कप की चाय पी गया। टीना को यह देखकर अच्छा लगा। उसके हाथों की बनाई चाय आज पहली बार कोई पी रहा था। उसने भी चाय का पहला घुंट पिया। मगर चाय का स्वाद वह सह न सकी। चाय में जरूरत से ज्यादा शकर घोल दी गयी थी। उसने दौड़कर बेसिन में मुंह की चाय थूंक दी। टीना से चाय पीते नहीं बनी। मगर धरम चाय चुपचाप पी गया था।

"जब चाय अच्छी नहीं बनी थी तो नहीं पीना थी। मगर तुम चुपचाप उसे पी गये। ऐसा क्यों किया तुमने" टीना कुछ नाराज होकर धरम से बोली।

"देखो टीना। नाराज होने की जरूरत नहीं है। बाहर क्या हालात है हम दोनों को पता है" धरम ने टीवी की तरफ इशारा करते हुये कहा।

"हमें इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। आज दुध मिल गया कल हो सकता है दुध न मिले। क्योंकि यह बिमारी बढ़ती ही जा रही है। इसलिए जो है जैसा है, हमें उसमें संतोष रखना सिखना होगा। हम दोनों को एक साल साथ में गुजारना है, एक-दुसरे की ये छोटी-मोटी कमी अगर हम नजरअंदाज नहीं करेंगे तो ये समय कैसे निकाल सकेंगे?" धरम ने टीना से कहा। टीना को धरम की बातें सार्थक लगी। उसने भी चाय पी और चाय के बर्तन धोने किचन में चली गयी।

धरम ने आज टीना को साफ-सफाई से तो बचा लिया था मगर खाना? खाना तो धरम को भी बनाना नहीं आता था। अब क्या करे? सभी होटल्स भी बंद थे। धरम ने टीना से कहा कि वे दोनों मिलकर खाना बनायेंगे। उसने यु ट्यूब की मदद ली। किचन में दोनों खाना बनाने की तैयारी करने लगे। धरम सब्जी बनाने की कोशिश कर रहा था। टीना आंटा गूंथने की कोशिश कर रही थी। उसके सामने मोबाइल रखा था। वह मोबाइल पर वीडियो देखकर आंटा गुंथने लगी। धरम ने कढ़ाई में सब्जी का झौंक लगा दिया। टीना को खांसी आ गयी। वह खांसतें हुये किचन से बाहर भागी। धरम वहीं डटा रहा। कुछ देर बाद टीना किचन में दाखिल हुई। टीना ने आंटें में पानी कुछ अधिक डाल दिया था। धरम ने एक कटोरी में सुखा आंटा लिया और उसे गिले आंटे में डाल दिया। उसने टीना से कहा कि अब वह आटा दोबारा गुथे। टीना के हाथ दर्द करने लगे थे। और आटा था की सही तरह मिश्रित हो ही नहीं रहा था। धरम टीना की मन:स्थिति भांप चूका था। सब्जी की कढ़ाई पर थाली ढंककर उसने टीना की आटा गुथने में मदद की। धरम टीना के पीछे खड़ा था। उसने अपने दोनों हाथों से टीना के हाथों को पकड़ा और आटे पर दबाव बनाकर चलाने लगा। टीना धरम के शारीरिक स्पर्श को अनुभव कर रही थी। धरम हल्के हाथों से टीना के हाथों को अपने हाथों में लेकर धीरे-धीरे आंटा गूंथ रहा था। टीना धरम की सांसों की आहट की महसूस कर रही थी। उसे यह रोचक लग रहा था।

"लो जी। आपका आटा गूंथकर तैयार हो गया" धरम ने टीना से कहा।

टीना हतप्रद थी। आटा व्यवस्थित हो चूका था। धरम ने गूंथे हुये आटे की गोलियां बना दी। टीना भी हाथों में आटे की लोयी लेकर उसे गोल करने लगी। गैस पर

तवा रखा जा चूका था। धरम ने टीना के द्बारा बनाई आटे की गोल लोयी को चकला बेलन से और अधिक गोल कर फैलाया। रोटी ने बड़ा आकार लिया। फिर तवे पर रखकर एक के बाद एक रोटियाँ सेंकी जाने लगी। टीना पसीने में नहा चूकी थी। धरम ने देखा टीना के गोरे गालों पर सुखा आंटा लगा था। उसने अपना हाथ बड़ाकर टीना के गाल छूना चाहे। टिना चौंकी और कुछ पीछे हट गयी। मगर धरम ने पुनः उसके गाल छुने चाहे। इस बार टीना ने इंकार नहीं किया। धरम ने हाथों से उसके चेहरे को साफ किया। टीना समझ गई की उसके चेहरे पर लगा सुखा आटा धरम हटाना चाहता था। उसके मन में शरायत सुझी। उसने कुछ आटा अपने हाथों में मला और धरम की तरह उसके चेहरे से आटा हटाने का संकेत दिया। धरम ने कोई आपत्ति नहीं ली। टीना ने धरम के चेहरे पर आटा साफ करने के बजाते अपने हाथ में मला आटा लगा दिया। और मंद-मंद हंसने लगी। धरम ने देखा कि टीना उसे देखकर लगातार हंस रही है। तब उसने इसका कारण उसी से पुछा! मगर वह कुछ न बोली। अब धरम को दाल में कुछ काला दिखाई दिया। उसे आभास हुआ कि टीना उसके चेहरे को देखकर हंस रही थी। उसने अपने मोबाइल का केमरा ऑन कर स्वयं का चेहरा देखना चाहा। यह क्या! उसकी नाक और गाल पर टीना ने सुखा आटा मल दिया था। जिसके कारण वह एक जोकर के सामान दिखाई दे रहा था। इसे ही देखकर टीना हंस रही थी। धरम समझ गया कि ये शरारत टीना ने जान बुझकर की है। अब उसकी बारी थी। धरम ने चूपचाप अपने हाथों में आटा मल लिया और मौका पाकर टीना के गालों पर लगाने ही वाला था कि टीना सतर्क हो गयी। वह पीछे हट गयी। धरम टीना की और लपका। टीना नीचे झुककर कीचन से बाहर आ गयी। वह खिलखिलाकर हंसते हुये धरम की असफलता का मज़ाक उड़ा रही थी। धरम भी हार मानने वाला नहीं था। उसने पुनः अपने हाथ की मुठ्ठी में आटा भर लिया और टीना को पकड़ने दौड़ा। टीना भागकर हाॅल में आ गयी। धरम भी वहां आ पहूंचा। उसके हाथ में आटा देखकर टीना बचते हुये सोफे के पीछे खड़ी हो गयी।

"धरम नहीं! देखो तुम्हारी रोटी चल जायेगी" टीना ने धरम से कहा।

"जल जाने दो। मगर आज तुम्हें भुतनी बनाकर ही छोड़ूगां" धरम ने टीना से कहा। वह टीना की तरफ तेजी से भागा। टीना वहां से बचकर भागने में एक बार फिर सफल हो गयी। अब वो बालकनी में खड़ी थी। वहाँ से लौटकर भागना टीना के लिए मुश्किल था क्योंकि बालकनी में जाने और आने का एक ही रास्ता था। और रास्ते पर खड़ा धरम शैतानी मुस्कुराहट बिखेर रहा था।

"अच्छा बाबा! साॅरी। अब नहीं करूंगी! प्लीज़ माफ़ कर दो" टीना धरम से रिक्वेस्ट कर रही थी।

"अच्छा ठीक है, जाओ माफ किया" धरम ने कहते हुये टीना को अंदर हाॅल में जाने देने के लिए दरवाजा छोड़ दिया।

टीना डरते हुये धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी। मानो उसे संदेह था कि धरम उसे दबोच लेगा। लेकिन धरम एक दम शांत खड़ा था। वह टीना को एक टक देखे जा रहा था।

"डरपोक" टीना धरम से कहते हुये किचन में जाने लगी।

"क्या बोला! ज़रा फिर से बोलना।" धरम टीना ने पीछेशाते हुये पुछा।

"मैंने कहा धरम डरपोक!" टीना ने किचन में पहूंचकर तेज़ आवाज़ में कहा।

"अच्छा! अभी चखाता हूं मज़ा" कहते हुये धरम ने टीना का दाया हाथ पकड़ लिया। पकड़ इतनी मजबूत थी की टीना कराह उठी।

"छोड़ दो प्लीज़। लास्ट टाइम! अब नहीं करूंगी" टीना ने धरम से हाथ छोड़ने की प्रार्थना की। मगर धरम अब नहीं माना। उसने अपनी मुठ्ठी में रखे आटे को टीना का चेहरे पर गोल-गोल घुमाकर मल दिया। टीना कुछ नहीं कर सकती थी। उसने धरम के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। जब धरम ने टीना का चेहरे पुरा सफेद कर दिया तब ही उसने टीना का हाथ छोड़ा।

टीना को धरम ने आईना दिखाया। तब टीना को हल्का गुस्सा भी आया। मगर इस शरारत का मज़ा तो उसने जमकर लुटा। टीना ने धरम से इसका बदला लेने की ठानी। उसने विचार किया की रात के वक्त सोते हुये धरम को वह अपने मेकअप किट से रंग-बिरंगा बना देगी। जब सुबह धरम अपना चेहरा आईने में देखेगा तब वह बहुत चिड़ेगा। यह देखकर टीना को बड़ा मज़ा आयेगा।

खाना बनकर तैयार हो चूका था। रात घिर आई थी। धरम ने स्नान किया और खाना खाने डायनिंग टेबल पर आ गया। टीना भी बाथरूम में फ्रेश होने गयी थी।

तब तक धरम ने दोनों की थाली में खाना परोस दिया। टीना गीले बालों को पोछते हुये बाथरूम से बाहर आई। उसने नाइट शूट पहन रखा था। बालों को टावेल से बाधंकर वह खाना खाने डायनिंग टेबल से लगी कुर्सी पर बैठ गयी।

धरम ने टीना को खाना शुरू करने को कहा। टीना आज अपने हाथों से बनी रोटियां खा रही थी। सब्जी कुछ तीखी थी। धरम के हाथों सब्जी में मिर्च ज्यादा पड़ गयी थी। टीना की आंखों में आसुं तैर रहे थे। धरम भी सीं सीं की आवाज़ें निकाल रहा था। जैसे-तैसे उन्होंने खाना खाया। धरम ने फ्रीज में से दही निकाल कर टीना को दिया। टीना ने कुछ चम्मच दही खाया और पुनः धरम को दे दिया। धरम ने कटोरी का शेष दही स्वयं खाया।

"साॅरी टीना! सब्जी में मिर्च कुछ ज्यादा हो गयी थी। कल से ध्यान रखूंगा" धरम ने टीना से कहा। दोनों फ्लैट की छत पर टहलने आये थे।

"कोई बात नहीं। आज रोटी भी अच्छी नहीं बन पाई" टीना ने अपनी गल़ती स्वीकार की।

"आज अच्छी नहीं बनी तो कल बन जायेगी। दोनों का यह पहला अनुभव था। धीरे-धीरे हम खाना बनाना भी सीख जायेंगे" धरम ने टीना से कहा।

"हां तुम सही कह रहे हो। इन सबके बाद भी आज खाना खाने का अलग ही मज़ा था है न!" टीना बोली।

"हां! अपने हाथ से बना कुछ भी अच्छा ही लगता है" धरम ने कहा।

कुछ देर टहल कर वे पुनः अपने फ्लैट में आ गये। धरम पानी की बाॅटल फ्रिज में से निकालने लगा। टीना बालकनी में जाकर सिगरेट फुंक रही थी। धरम उसके पास आया।

"ये कौनसी ब्रांड है" धरम ने टीना से पुछा।

"इम्पोर्टेड है। यहाँ नहीं मिलती। पीओगे" टीना ने धरम को सिगरेट ऑफर की।

"नो ठैंक्स्" धरम ने टीना से कहा।

"पीते नहीं हो या नहीं पीने का नाटक कर रहे हो" टीना ने पुछा।

"क्यों" धरम ने पुछा।

"तुमने सिगरेट का ब्रांड पुछा इसलिए मुझे लगा तुम पीते होगे! मगर मुझे इम्प्रेश करने के लिए शायद आज नहीं पी रहे हो" टिना ने धरम को समझाया।

"ऐसी बात नही है। दरअसल मैं ऐरी-गैरी चीज़ को अपने मुंह नहीं लगाता" धरम ने कहा।

"ओहहह हो! इतना एटीट्यूड!" टीना ने कहा।

"एटीट्यूड ही सही! मगर ये ही मेरी पाॅलिसी है। मेरे पास वही आ सकता है जिसका एक स्टैण्डर्ड है। जिसकी मेरे नज़रों को कोई वैल्यू नहीं वो चाहकर भी मुझे छू नहीं सकता" धरम ने टीना से कहा।

टीना धरम की इन बातों से प्रभावित थी। वह जानती थी की यदि धरम ने उसे स्वयं के करीब आने की इज़ाजत दी है तो यकिनन धरम की नज़रों में टीना की वैल्यू है। इसलिए टीना ने उसी दिन से सिगरेट पीना छोड़ दिया। पता नहीं! मगर धरम की पसंद ना-पसंद का ध्यान रखने पर वह विवश थी। धरम भी यह जानकर प्रसन्न था। टीना ने सोने से पुर्व एक बार फिर पीटर को फोन लगाया। उसका फोन अब भी ऑउट ऑफ रेन्ज बता रहा था। उसके चेहरे मायुशी के भाव देखकर धरम ने पुछा- "क्या बात है टीना? कोई परेशानी है" धरम ने टीना से पुछा।

"नहीं कोई खास बात नहीं है" टीना ने कहा।

"ओके। चलो फिर सोते है" धरम ने कहा। उसने अपना तकिया उठाकर सोफे पर रख दिया।

"तुम चाहो तो हम एक ही बेड पर सो सकते है" टीना ने धरम से कहा।

"हां क्यों नहीं। मगर अभी कुछ दिन ऐसे ही अलग-अलग सोते है" धरम ने कहा।

"ठीक है। एज़ यू विश! गुड नाइट" टीना ने बेड पर सोते हुये कहा।

"गुड नाइट" धरम ने कहा।

कुछ ही पलों में धरम नींद के आग़ोश में चला गया। मगर टीना अभी भी जाग रही थी। उसकी आंखों से नींद गायब थी। वह अब भी पीटर के विषय सोच रही थी। 'पीटर का फोन क्यों नहीं लग रहा? क्या बात है? कहीं वो मुझसे नाराज़ तो नहीं है? या उसे कोई ओर मिल गयी है जिसके कारण वह मुझे नजरअंदाज कर रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कि स्वीटी उसकी जिन्दगी में फिर से आ गयी हो? वह है भी बहुत चिपकू टाइप। जहां कोई हेण्डसम और रिच लड़का देखा नहीं की लगी उस पर डोरे डालने। मगर पीटर ने मुझसे वादा किया था कि स्वीटी और पीटर के बीच अब कूछ नहीं है। मगर दोनों छः महिने लीव इन में रहे थे इस बात से इंकार तो नहीं किया जा सकता। स्वीटी ने उससे कहा होगा कि जब तक टीना अमेरिका में नहीं है, वो लोग तब तक तो मज़े से रह सकते है। और पीटर आ गया होगा उसकी बातों में। ये मर्द होते ही ऐसे है। मौका मिला तो छोड़ते नहीं और अगर न मिला तो कहते है हम तो ईमानदार है।' टीना विचारों में थी। उसने करवट बदली। सामने सोफे पर धरम सो रहा था। टीना की नज़र उस पर पड़ी। 'क्या धरम भी बाकी मर्दों की तरह है? हो सकता है कि उसका मुझसे दुर सोना महज एक दिखावा हो? एक ही कमरे में रहकर एक लड़का और लड़की कब तक दुर-दुर रह सकते है। मैं भी देखती हूं की धरम स्वयं पर कब तक नियंत्रण रख पाता है' टीना के चेहरे पर अभिमान के भाव उभर आये। कुछ देर बाद उसे भी नींद आ गयी।

रात गहराती जा रही थी। किसी चीज़ की आहट ने धरम की नींद तोड़ दी। बाहर कुत्ते भौंक रहे थे। धरम उठकर बैठ गया। उसने सामने देखा तो चौंक गया। बिस्तर पर टीना नहीं थी। उसने यहाँ वहां नज़र दौड़ाई। टीना मगर उसे कहीं दिखाई नहीं दे रही थी। वह उठकर हाॅल की तरफ गया। टीना वहां भी नहीं थी। बाथरूम से फ्लश चलाने की आवाज़ आई। उसकी जान मे जान आई। टीना बाथरूम में थी।

"क्या हुआ टीना। तुम ठीक हो" धरम ने टीना से पुछा। वह बाथरूम का द्वार खोलकर बाहर आयी थी।

"पता नहीं। पेट कुछ खराब है। उल्टी भी हो रही है" टिना ने धरम को बताया।

"कोई बात नहीं। यहा आकर बैठो" धरम ने टीना का हाथ पकड़कर उसे सोफे पर बैठाया।

टीना ने जो खाना खाया वह कच्चा-पक्का था। इसलिए उसे अपच हो रही थी। धरम ने पुदिन हरा की टैबलेट निकालकर टीना को दी। टीना ने टैबलेट खाई और सोने के लिए पुनः बिस्तर पर जाकर लेट गयी। थोड़ी देर में टीना को आराम मिल गया और वह चैन की नींद सो गयी।

सुबह के नौ बज चूके थे। टीना नींद से जागी। उसने आंखे मलकर धरम को देखना चाहा। मगर धरम सोफे पर नहीं था। वह बालकनी में खड़ा होकर सुबह की ताजी हवा ले रहा था। टीना उठकर उसके पास आई।

"गुड मॉर्निंग धरम!" टीना ने धरम से कहा।

"गुड मॉर्निंग टीना! अब तुम्हारी तबीयत कैसी है" धरम ने टीना से पुछा।

"वेरी वेल। तुम्हारी टैबलेट ने सचमुच बहुत आराम दिया" टीना बोली।

"ओके तुम ब्रश कर लो तब तक मैं चाय बनाता हूं" धरम बोला।

"ओके डीयर!" टीना बोली।

टीना बाथरूम में चली गयी। ब्रश आदि कर जब वह बाहर आई तब उसने धरम को दुध पीते हुये देखा।

"ये क्या धरम! तुम इतने बड़े हो गये लेकिन दुध पीना अब भी नहीं छोड़ा" टीना ने व्यंग कसा।

धरम प्रतिदिन व्यायाम करने के बाद दुध पीता था।

"हम कितने की बड़े हो जाये टीना! मां के आगे तो बच्चें ही रहते है न! और ये दुध भी एक मां ही है। हम सबकी मां! गाय मां।" धरम ने कहा।

"तुम्हारी बातें भी न धरम! हर बात का जवाब तैयार रहता है तुम्हारे पास" टीना ने कहा।

"ये लो तुम्हारी चाय और ब्रेड बट्टर" धरम ने कहा।

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