Kirdaar - 5 in Hindi Fiction Stories by Priya Saini books and stories PDF | किरदार - 5

किरदार - 5

माँ अंजुम को गले लगाकर रो रही है, अंजुम भी रो रही है पर अब उसने माँ से कुछ न कहा। अंजुम के पिता की आँखें भी नम हैं।

माँ: बेटी अपना ध्यान रखना। कुछ भी हो मुझे बताना। समय की फिक्र मत करना, तुम कभी भी फ़ोन कर लेना।

अंजुम अब कुछ न बोली। माँ को अंजुम की ये चुप्पी डरा रही थी परन्तु माँ मजबूर थी।
अंजुम विदा होकर चली जाती है।

धीरे-धीरे सारे रिश्तदार भी जाने लगते हैं।

शाम तक सभी चले गए। जिस घर में एक दिन पहले चहल-पहल थी, अब वहाँ शान्ति छा गई।

माँ: अंजुम के बिना घर सूना लग रहा है। उसकी याद भी आ रही है।

पिता: हाँ सूना तो हो गया है पर कर भी क्या सकते हैं, बेटियां तो होती ही पराया धन है। एक न एक दिन तो उसे जाना ही था। बस अब यही कामना है कि वह अपने ससुराल में खुश रहे।


अंजुम अपने ससुराल पहुँचती है। वहाँ सब नई बहू के आगमन पर होने वाले रीति रिवाज कर रहें हैं।

रीति रिवाज खत्म होने के बाद समीर की माँ उसे उसके कमरे में ले जातीं हैं और आराम करने को कहतीं हैं।

समीर की माँ: बेटा तुम आराम करो अब, बाकी रिवाज कल होंगे। तुम थक भी गई होंगी। थोड़ी देर में समीर भी आता ही होगा।

इतना कहकर वह वहाँ से चली जातीं हैं पर समीर कमरे में आने वाला है सुनकर अंजुम का दिल जोर-जोर से धड़कने लगता है।

दरवाजा खड़काने की आवाज आती है।

अंजुम: कौन?

समीर: मैं समीर, अंदर आ जाऊ?

अंजुम: हाँ, आ जाइए।

समीर कमरे में आ जाता है। समीर के साथ एक ही कमरे में होने से अंजुम असहज महसूस कर रही होती है।

समीर: तुमने कपड़े नहीं बदले अभी। कपड़े बदलकर सो जाओ, थक रही होगी तुम।

अंजुम: कपड़े बदलकर आ जाती है।

दोनों सोने की तैयारी करते हैं। अंजुम समीर के बिस्तर पर सो तो जाती है पर एक किनारे पर समीर तो दूसरे पर अंजुम।

समीर अंजुम का हाथ पकड़ने की कोशिश करता है।

अंजुम: आई नीड सम टाइम प्लीज।

समीर: हाँ ठीक है, कोई बात नहीं।

दोनों सो जाते हैं।

"अंजुम, अंजुम उठ गई क्या बेटा?", अंजुम की सासु जी आवाज लगती हैं।

अंजुम की आँख खुलती हैं और वह हड़बड़ाहट में दरवाजा खोलती है।

अंजुम: माफ करना माँ जी, पता नही कैसे आँखें नहीं खुली।

समीर की माँ: कोई बात नहीं बेटा हो जाता है, अब थकान दूर हो गई??

अंजुम: हाँ।

समीर की माँ: ठीक है, तैयार होकर आ जाओ। कुछ रिवाज रह गई हैं उन्हें करना है और हाँ समीर को भी उठा देना, उसको भी साथ ले आना।
अंजुम: जी, ठीक है।

अंजुम समीर को उठाते हुए।

अंजुम: उठ जाइए, माँ जी बोलकर गई हैं कुछ रिवाज बाकी हैं तो नहा कर तैयार हो जाइये। मैं अब तैयार होने जा रही हूँ, आप उठ जाइएगा।

अंजुम चली जाती है। थोड़ी देर में अंजुम नहा कर आती है और शीशे के सामने बैठ कर श्रृंगार करती है। उसके गीले बालों से पानी टपकता हुआ उसकी कमर पर जाता बेहद ही खूबसूरत प्रतीत हो रहा है।


Rate & Review

Sweta Patel

Sweta Patel 3 years ago

WR.MANVEER

WR.MANVEER Matrubharti Verified 3 years ago

RICHA AGARWAL

RICHA AGARWAL 3 years ago

Priya Saini

Priya Saini Matrubharti Verified 3 years ago

Minakshi Singh

Minakshi Singh 3 years ago

Share