Aapki Aaradhana - 5 in Hindi Moral Stories by Pushpendra Kumar Patel books and stories PDF | आपकी आराधना - 5

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आपकी आराधना - 5

भाग - 05

आराधना को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था, जब मनीष ने खुद उसे प्रपोज़ किया है तो फिर उनकी शादी की बात क्यों?
क्या वो उसके दिल के साथ खेल रहे हैं या फिर कुछ और बात है।
शॉप पर भीड़ होती जा रही थी, आराधना की नजरे गेट पर थी कब मनीष आये और कब वह उनसे मिले।दिन चढ़ता जा रहा था और मिलने की आस भी बढ़ती जा रही थी।अब दोपहर के 3 बज चुके थे आराधना ने अपना लंच बॉक्स निकाला तभी
" अकेले - अकेले लंच.
हमे भी तो भूख लगी है आराधना जी "
उसे सामने मनीष खड़ा हुआ दिखाई दिया।

आराधना हड़बड़ा कर लंच बॉक्स समेटने लगी, लेकिन मनीष ने उसे रोका और उसका हाथ पकड़ कर बोला -
मेरे प्यार को समझने के लिए थैंक यू आराधना,
मुझे यकीन था तुम्हारा जवाब हाँ ही होगा "

" सर आप अभी, कोई देख लेगा बाद मे बात करते हैं "

" दिनभर मेरा इंतजार करती हो, और अब इंकार करती हो , वैसे तुम बहुत ज्यादा खूबसूरत लग रही हो येलो ड्रेस मे "

" सर आपके पापा भी तो आये होंगे, वे देखेंगे तो क्या सोचेंगे हमारे बारे मे "

" डोन्ट वरी पापा लेट से आयेंगे, और मुझे सर कहना बन्द करो अब , यू कॉल मी मनीष "

" अच्छा ठीक है जी , तो फिर घर में आपकी शादी की बात क्यों चल रही है? डू यू लव मी?
या फिर आप मुझसे मजाक कर रहे हैं "
आराधना ने हाथ छुड़ाते हुए कहा।

मनीष के चेहरे पर मुस्कान आ गयी, उसने आराधना को बताया कि ये सच है कि शीतल की शादी के साथ ही उसके लिये भी बात चल रही है और आज इसी सिलसिले मे मेहमान भी आये थे। लेकिन वो सिर्फ आराधना से प्यार करता है और शादी भी उसी से करेगा।

" लेकिन क्या आपके घर वाले मुझे स्वीकार करेंगे ? "
आराधना ने मनीष को ओर देखते हुए कहा।

" क्यों नही, आज तक मेरी किसी भी बात को नहीं टाला उन्होंने, मुझे इंतजार बस तुम्हारी हाँ का था, मै आज शाम को ही उनसे हमारे रिश्ते की बात करता हूँ। फिर दिवाली के बाद हमारी शादी "
आराधना के कंधे पर हाथ रखते हुए मनीष ने कहा।

अपने बैग से उसने एक न्यू मोबाइल फोन निकाला जो उसने आते वक्त ही खरीदा था और आराधना के हाथों मे थमा दिया, आराधना इंकार करने लगी पर मनीष ने उसे समझाते हुए कहा कि ये अब जरूरी भी है क्योंकि वे इससे हमेशा जुड़े रहेंगे।
आराधना की उलझनों को थोड़ी राहत मिली, और मनीष के लिए दिल में विश्वास की एक लौ जल उठी।

" कोई देख लेगा सर! अब आप जाइये। मुझे लंच करना है " आराधना हड़बड़ाते हुए कहा।

" अब सब को दिखाना ही तो है, मै तुमसे कितना प्यार करता हूँ मेरी आरु
मुझे भी अपने सुंदर हाथों से बना लंच खिलाओ जानू "

आराधना घबरा सी गयी, पर मनीष उसकी परेशानी समझ गया इसलिए उसने बाकी वर्कर्स को आवाज लगाकर कहा कि आज वो भी उन सबके साथ लंच करेगा। सभी को ये बात बहुत अच्छी लगी, और वे आकर इक्कठे हो गये। मनीष ने खुद आराधना का लंच बॉक्स खोला। पूरी, आलू मटर की सब्जी और आम का अचार, उसने चखकर देखा और तारीफ करते नहीं थका, सारे वर्कर्स भी मनीष के इस अंदाज को देखकर आराधना और उसके रिश्ते को अलग नजरों से देखने लगे।
वैसे भी कल कार से उनका एक साथ आना और आज मनीष का सीधे आराधना से मिलना उन्हें रास न आया। दीपक ने सभी को बताया कि अग्रवाल सर शॉप पहुँच गये हैं, लंच के बाद सभी अपने-अपने काम में लग गए।

रात के 9 बजने वाले थे, रोज की तरह सभी वर्कर्स अपने -अपने घर जाने की तैयारी मे थे। आराधना भी बाहर खड़ी होकर ऑटो का इंतजार करने लगी। तभी मनीष भी वहाँ आया और बोला- " बस आज की बात है आराधना, कल से तुम्हे ऑटो मे सफर करने की जरूरत न रहेगी "

" ऐसा क्या होगा सर कल से, आप मुझे कार गिफ्ट कर देंगे क्या " आराधना ने मजाक करते हुए कहा।

" फिर सर बोला तुमने "

" ओह्ह सॉरी मनीष जी "

" यस आई कैन डू दिस , कार तो क्या पूरी जिंदगी तुम्हे दे दूँ, लेकिन कल के बाद मम्मी तो यही बोलेगी न कि उनकी बहू को मै अकेले कार से जाने देता हूँ "
मनीष ने मुस्कुराकर तिरछी नजर दिखाते हुए कहा।

" ऐसा क्या जनाब, तब तो मै शॉप पर ही रुक जाया करूँगी "

दोनों बातों - बातों मे ही नोक झोंक करने लगे, मनीष ने आराधना को बताया कि उसने उसका फेसबुक अकाउंट ओपन कर दिया है, वो एक बार चला के देख ले, और कहा कि वह कल सुबह ही उसे लेने आयेगा, वहाँ से वे सीधे अग्रवाल हाउस जायेंगे और दोपहर तक शॉप लौटेंगे। दोनो ने एक दूसरे को बाय कहा और फिर आराधना जाने लगी।

" हम भी चले बेटा "
पीछे से आकर मिस्टर अग्रवाल ने मनीष से कहा।

" जी पापा बिल्कुल "
मनीष की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, एक पल को जी करता कि वह अभी अपने पापा को आराधना के बारे मे बता दे, लेकिन असली मुद्दा तो मम्मी को मनाना है, पता नही आज के रिश्ते के लिये उन्होंने पूरी तरह मना किया या नही, वैसे भी उस लड़की की फोटो देखकर वो मनीष के पीछे ही पड़ गयी थी।

क्रमशः....