unknown connection - 42 books and stories free download online pdf in Hindi

अनजान रीश्ता - 42

पारुल और सेम सबको बाय कहते हुए घर से निकलते हैं । पारुल कार में बैठते हुए ऐसे ही सोच में डूबी हुई थी । सेम के चहेरे से मुस्कुराहट जाने का नाम ही नहीं ले रही थी । उसके लिए तो मानो जैसे ये एक सपना ही है कि पारुल उसकी किस्मत में है वो भी एक हमसफ़र के तौर पर। वह समझ नहीं पा रहा था क्या करे उसकी खुशी का तो मानो कोई ठिकाना ही नहीं था। वह कार स्टार्ट करते हुए पारुल की ओर देखता है । तो पारुल किसी गहरी सोच मै थी । वह पारुल को एक दो बार आवाज देता है लेकिन वह कोई जवाब नहीं देती । तब वह पारुल का हाथ अपने हाथो में लेते हुए कहता है ।

सेम: हेय कहां! खोई हई हो ! सब कुछ ठीक तो है मैंने दो बार आवाज दी तुम्हे लेकिन तुमने कोई जवाब ही नहीं दिया।
पारुल: कुछ नहीं यार बस अलग सी बैचेनी महसूस हो रही है!!
सेम: क्या हुआ!! पारो मैंने पहले भी खाना खाते समय देखा था तुम्हे कोई बात परेशान कर रही थी अभी भी तुम किसी बात से परेशान हो । क्या दिक्कत है मुझे बताओ शायद मै कोई मदद कर पाऊं तुम्हारी ।
पारुल: सेम!!! पता नहीं लेकिन में खुद ही नहीं समझ पा रही की मुझे ऐसा क्यों महसूस हो रहा है।
सेम: पारो!! क्या तुम आई मीन... हमारी ए.. एंगेज..मेंट से खुश नहीं हो यार फिर तुम्हे में पसंद नहीं हूं !! देखो में तुमसे बेइंतेहा मोहब्बत करता हूं जितनी सच्चाई इस बात में है उतनी ही दिल से में ये बात भी स्वीकार कर लूंगा की तुम अभी मुझे अपनाने के लिए तैयार नहीं हो । अगर वो बात तुम्हे परेशान कर रही है तो कोई बात नहीं मोम डेड से में बात कर लूंगा की मुझे थोड़ा समय चाहिए अभी हमारी सगाई के लिए।
पारुल: ( सेम के हाथ पर हाथ रखते हुए ) सेम... वो बात नहीं है । इनफेक्ट मुझे इस इंगेजमेंट से कोई दिक्कत नहीं है । और तुम्हारे जैसे लाईफ पार्टनर पाना मेरी खुशकिस्मती है क्योंकि किस्मत वाले लोग ही होते है जिन्हे ऐसे पार्टनर मिलते है । बस वो बात.. ये है कि ।
सेम: पारो!! एक बात ध्यान से सुनो में तुम्हारा दोस्त पहले हूं ओर लवर या फियांसे बाद में तो तुम कोई भी बात हो चाहे फिर गलत हो या सही तुम मुझे बेज़ीजक बता सकती हो । उस बात का असर हमारे रिश्ते पर कभी नहीं पड़ेगा ये में तुमसे वादा करता हूं। तो अब बिना हिचकिचाए बताओ ।
पारुल: ( मन में सोचती है कि सेम कितना केरिंग है ) कुछ नहीं यार सेम बस मुझे सिर्फ फिक्र हो रही थी जैसे कुछ बुरा होने वाला है हमारे साथ पता नहीं मेरे मन में भी क्या क्या चलता रहता है। ( टेशन को कम करते हुए ) तुम कब से इतने सीरियस होने लगे हां!!?
सेम: क्या यार तुमने मुझे तो डरा ही दिया था । पता नहीं मेरे दिमाग में तो कैसे कैसे ख्याल आने लगे थे । गोड तुम भी ना पारो !! बेवजह ही खुद को परेशान करती हो ।
पारुल: हाहाहाहाहाह!!! हां तो तुम्हे परेशान करने का मौका में ऐसे ही हाथ से थोड़ी जाने दे सकती हूं ।
सेम: ( मुंह बिगाड़ते हुए ) याद रखना सूत समेत बदला लूंगा तुमसे ये जो तुम मुझे बार बार परेशान करती रहती हो उसका।
पारुल: ( मुंह बिगाड़ते हुए सेम को चिढ़ाते हुए ) हान हान!! मिस्टर समीर रायचंद देख लूंगी उसमे क्या है अभी चले घर में आलरेडी लेट हू।
सेम: जी मेरे होने वाली मिसस! रायचंद!!

पारुल के चहेरे पर एक मुस्कुराहट आ जाती है । वह खुश थी कि उसने जो भी निर्णय थोड़ी देर पहले लिया वह बिल्कुल सही था। आखिरकार पूरी ज़िन्दगी आगे पड़ी है। और सेम एक अच्छा लड़का है जो उसकी इस ज़िन्दगी में हमसफ़र के तौर पर बिल्कुल सही इंसान है । अब आगे जो होगा वह दोनों मिलकर सामना करेगे । यह सोचते हुए वह खिड़की पर सिर रखकर सो जाती है । सेम भी बस मन ही मन खुश था क्योंकि आज उसके जीवन का सबसे खूबसूरत पल था। वह पल जिसके बारे में उसने कभी सोचा भी नहीं था। और उससे भी ज्यादा वह इंसान जो की लाखों में एक है उसका साथ सेम को मिला है । सेम यूंही आसमान में देखते हुए गोड को थैंक यूं कह रहा होता है कि तभी अचानक सेम कार को जोर से ब्रेक मारता है जिससे पारुल नींद में से उठ जाती है । वह देखती है सामने से एक कार तेजी से आ रही थी। वह सेम की कार से टकराने ही वाली थी। पारुल की धड़कन तेज हो गई थी । वह समझ नहीं पा रही थी यह क्या हो रहा है। वह कुछ बोल नहीं पा रही थी। तभी टकराने की आवाज आती है ओर वह अपनी आंखे बंद कर लेती है । बस फिर मानो जैसे वह गहरी नींद में हो । पारुल के कान में सुन्न आवाज बज रही थी । उसकी धड़कन बहुत ही तेज हो गई थी । वह खुद को उठाने की कोशिश कर रही थी पर उसका शरीर उसका साथ नहीं दे रहा था। उसके सिर में भी तेज दर्द हो रहा था। थोड़ी बहुत कोशिश करने के बाद पारुल में हिम्मत नहीं रहती की वह औेर प्रयास करे। तभी पारुल को कुछ आवाजें सुनाई दे रही थी पर वह आंखे नहीं खोल पा रही थी । वह चुपचाप उन लोगो की बाते सुन रही थी।
" हेलो सर आपका काम हो गया है।"
"नहीं लड़की को ज्यादा चोट नहीं लगी बस सिर से थोड़ा खून बह रहा है।"
"सोरी सर सोरी पर हमने कार को ड्राईवर साइड से ही टक्कर दी थी लेकिन लड़की ने स्टेरिंग घुमा दी थी जिस वजह से यह हुआ।"
"ओके सर ओके"

पहली आवाज: क्या हुआ ?
दूसरी आवाज: कुछ नहीं यार सर गुस्सा हो गए है।
पहली आवाज: क्यों?
दूसरी आवाज: अरे! यार लड़की को चोट लगी है वह गुस्सा हो गए है वह यहां आ रहे है।
पहली आवाज: शिट एक काम कर तू ये रुमाल लड़की के सिर पर बांध जल्दी से एक तो सर पहले से ही गुस्सा है हम पर और ज्यादा चोट देखेंगे तो हमारी खैर नहीं।
दूसरी आवाज: यार बुरी तरह से फंस गए है हम। पता नहीं क्या होगा !!?
पहली आवाज: अरे! कुछ नहीं होगा तू जल्दी से रुमाल से खून साफ कर वर्ना हम दोनों गए ।
दूसरी आवाज: स....सर!!?
पहली आवाज: सर!!!

पारुल यह सब सुन ही रही थी लेकिन उसे किसी ओर की आवाज नहीं सुनाई दे रही थी । सिर्फ वह दोनों आदमी कि ही आवाज आ रही थी। तभी पारुल को आभास होता है जैसे उसे किसीने उठाया हो । वह उस इंसान को धक्का देना चाहती थी पर पारुल में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह धक्का मार सके । वह सेम के बारे में सोच ही रही थी कि वह कुछ बोल क्यों नहीं रहा। उसके बारे में बात क्यों नहीं कह रहे है। यह सभी सवालों के साथ वह बेहोश हो गई।