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मोहब्बत हो गयी है तुम्हें ( भाग 2 )

( हानिया के बारे में पुरी तरह जानने के लिए आप मेरे उपन्यास मोहब्बत हो गयी है तुम्हें का पहला भाग जरूर पढ़ें )

सौरी आम्मी हानिया ने ट्रे को टेबल पर रखते हुए कहा, अरे कोई बात नहीं उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा तो हानिया भी मुस्कुरा दी, आब उसके मुस्कुराने की वाहिद वजह आम्मी ही तो रह गयीं थीं वो हमेशा उनके लिए मुस्कुराती थी लेकिन खुलकर हंसे हुए उसे खुद भी याद नहीं के कितना टाइम गुजर गया था, आमतौर पर दोनों मां बेटी सन्डे को ही साथ नाश्ता करती थीं क्योंकि बाकी दिन हानिया सुबह 7 बजे तक चाय के साथ कुछ खाना होता तो खा लेती फिर उसके बाद स्कूल जाने की तैयारी करने लगती तब तक किरन भी आ जाती, किरन पास ही के मोहल्ले की 18 19 साल की लड़की थी हानिया के नहीं होने पर आम्मी का वो बहोत अच्छी तरह ख्याल रखती थी हानिया को भी उससे काफी लगाव था किरन सुबह साढ़े आठ बजे तक आ जाती लेकिन उसके जाने का टाइम उसके अपने मन पर था कभी मन करता तो हानिया के आने बाद भी कई घंटों तक बैंठी बातें करती रहती या उन दोनों के साथ पार्क चली जाया करती जिस दिन वो नहीं आती हानिया उस दिन स्कूल नहीं जाती वैसे ऐसा बहुत कम ही होता था हानिया को आब आम्मी से बढ़कर कोई भी चीज प्यारी नहीं थी उसने कई बार नौकरी छोड़ने का भी इरादा किया था क्योंकि उसे लगता बाबा जो पिछली मार्केट में दुकान छोड़ गए हैं उसे किराए पर देकर दो लोगों की जिंदगी तो गुजर ही सकती थी.. लेकिन आम्मी उसे स्कूल किसी भी हाल में छोड़ने नही दे रहीं थीं क्योंकि उनकी नजर में आब वाहिद यही एक रास्ता था जो हानिया को बाहरी दुनिया से जोड़ता था।..
आम्मी आपकी चाय ठंडी हो रही है, हानिया कब से आम्मी को कुछ सोचते हुए देख रही थी उसे कभी आम्मी से कुछ पूछने की जरूरत ही महसूस नहीं हुई हानिया उनके चेहरा देखकर समझ सकती थी के आम्मी क्या सोच रहीं हैं और इस वक़्त जरूर वो बाबा के बारे में ही सोच रहीं थीं क्योंकि उनकी आंखों में हल्की-हल्की नमी थी हानिया उसे साफ देख सकती थी उसे भी बाबा बहोत याद आते थे ना जाने क्यो किसी के पास होने पर उसकी एहमियत समझ ही नहीं आती... यही सोचते हुए हानिया की भी आंखें भर आईं उसने जल्दी से दुपट्टा उठाया और उसके किनारे से आंखों की कोर साफ की वो आम्मी को रूलाना नहीं चाहती थी एक हादसे ने कैसे इस खुशहाल घर को उजाड़ दिया था ये तो बस हानिया और उसकी आम्मी ही जानते थीं..
आम्मी लगता है आज हम चाय नहीं पियेंगे, हानिया ने एक बार फिर इसरार किया तो आम्मी सोचों से बाहर आ गयी..
अरे क्यों नहीं पियेंगे मै तो पी रहीं हु भई तुम ब्रेड खाओ, आम्मी ने चाय की कप उठाते हुए कहा हानिया ने भी ब्रेड पर बटर लगाया और खाने लगी।

शाम के साढ़े चार बजे रहे थे सूरज धीरे धीरे डूबने की राह पर था दो दिन से बारिश का कहीं नाम ओ निशान तक नहीं था इसलिए हानिया ने साढ़े तीन बजे स्कूल से वापिस आने के बाद कुछ कपड़े धुलने के लिए वाशिंग मशीन में डाले और बरामदे से धीरे-धीरे घरों के पीछे छिपते सूरज को देखने लगी..

ये लोग जो छिप जाते हैं और फिर कभी नहीं मिलते वो जाते कहां हैं छिपें ही रहते हैं या खो जाते हैं, हानिया ने आदत के मुताबिक अजीब सा सवाल किया था...
अब ये कैसा सवाल है, उसने कमरे के दरवाजे से टेक लगाते हुए पुछा...
उसे छोड़ें आप ये बताए अगर मै कहीं जाकर छुप जाऊ तो क्या आप मुझे खोया हुआ मान लेंगे ढूंढेंगे नहीं, हानिया ने अलयान के सवाल पर एक और सवाल कर दिया था..
नहीं मैं क्यो तुम्हें ढूंढने लगा तुम्हारे आम्मी आब्बा किस लिए हैं, उसने मुस्कुराहट छिपाते हुए कहा...
हां मुझे आप से कोई उम्मीद भी नहीं है, हानिया ने उदास लहजे में जवाब दिया और नीचे जाने के लिए मुड़ गयी...
उम्मीद अपनों से रखी जाती है हानि, उसने हानिया का हाथ पकड़ते हुए कहा..
तो क्या आपने नहीं हैं.. नही... मेरे हो तो सकते हैैं ना, हानिया ने उसकी आंखों में देखते हुए पूछा..
नहीं, उसने हानिया की खुबसूरत आंखों में देखते हुए कहा
फिर हाथ क्यो पकड़ रखा है, उसे एहसास हुआ की उसने हानिया का हाथ इस तरह पकड़ रखा है जैसे वो जिंदगी भर उसे अपने से दूर ना जाने देना चाहता हो..
माफ करना, उसने तुरंत हानिया का हाथ छोड़ दिया और रूम में जाकर दरवाजा बंद कर लिया...
हानिया चुपचाप खड़ी हाथ देखती रह गई क्या वो कोई गलती कर रही थी चलो मान भी लिया मोहब्बत करना गलती है लेकिन उसके बस में अब कहा था कुछ ‌।

हानिया ने वाशिंग मशीन में से कपड़े निकाल कर रेलिंग पर डाल दिये और वापस से दूर-दूर तक फैले मकानों को देखने लगी धूप पहले जितनी तेज नहीं थी मगर हल्की-हल्की जाती हुई धूप अभी भी बरामदे में थी चारो तरफ देखते हुए उसकी नजर नीचे अपनी गली के छोर पर पड़ी वहां एक भूरे बालों वाली अकेली लड़की चुपचाप सिर झुकाए खड़ी थी हानिया ने एक नजर उसे देखा और और जाकर आम्मी के पास बैठ गई किरन दोपहर के खाने का बर्तन धो रही थी और आम्मी टीवी देख रही थी।
बाजी आप वो वाला सिरियल देखना शुरू कर दें जो शाम को लगता है छ बजे बहोत अच्छी कहानी है उसकी, किरन ने हानिया को टीवी के सामने बैठा देखा तो कहां...
अच्छा टाइम मिलता है तो देखती हूं, हानिया ने टालने के इरादे से हामी भर दी थी वरना उसे सिरियल वगैरह देखने का कोई शौक नहीं था..
अच्छा बाजी चाय बनाऊ, किरन ने बर्तन धोने के बाद चारपाई पर बैठते हुए कहा...
हां बनाओ तबसे मैं जरा कपड़े देख आऊ धूप तो चली ही गई होगी...
हानिया ने इधर उधर देखा धूप अब बरामद छोड़ चुकी थी उसकी नजर फिर से गली के छोर पर पड़ी..
ये बच्ची अभी तक वहीं खड़ी है, करीब पांच मिनट से वो बच्ची वहीं खड़ी थी हानिया उसे देख ही रही थी तभी किरन की आवाज आई..
बाजी आपका मोबाइल बज रहा है, हानिया ने अंदर जाकर फोन उठाया तो किसी रॉन्ग नंबर से कॉल थी उसने मोबाइल बेड पर वापस रखा और फिर से बरामदे में आ गयी हानिया ने उस बच्ची को देखने के इरादे से बाहर झांका गली के छोर पर अब कोई नहीं था...

वो बच्ची, उस बच्ची को वहां ना पाकर ना जाने क्यों हानिया कुछ परेशान सी हो गयी...
कहां गयी होगी वो उसके साथ कोई नजर भी तो नहीं आ रहा था कहीं वो, तभी हानिया के दिमाग में एक ख्याल आया और वो किचन के बगल वाली खिड़की की तरफ भागी जहां से पूरी रोड का नजारा साफ - साफ दिखाई पड़ता था
हानिया ने खिड़की से बाहर झांका और घबरा गई वो बच्ची धीरे-धीरे रोड की तरफ़ ही बढ़ रही थी हानिया के घर के पीछे की रोड ज्यादातर सुनसान ही रहती थी आसपास कोई था नहीं लेकिन वो चालू रोड थी सन्नाटा होने की वजह से वहां से गाड़ीयां काफी स्पीड में आती जाती रहती थी बच्ची को चोट लग सकती थी हानिया ने एक पल भी गंवाना सही नहीं समझा और बालकनी में डली अपनी अधसूखी चादर ओढ़ते हुए नीचे की तरफ भागी उसने जल्दी में किरन की सामने रखी चप्पल पहन ली और बाहर की तरफ बढ़ गई।

वो बच्ची अब रोड के बीच में जाने वाली थी गाड़ीयां उसके बगल से गुजर रहीं थीं लेकिन इससे पहले किसी गाड़ी से बच्ची को चोट लगती हानिया ने दौड़कर उसका हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया।

अजीब मां हो बच्ची को अकेले ही रोड पर छोड़ रखा था, गाड़ी के ड्राइवर ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा।

हानिया ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया बच्ची के साथ साईड में जाकर खड़ी हो गई बच्ची ने अपना मुंह नीचे झुकाया हुआ था।

बेटा आप अकेले कहां जा रही थी आपके पैरेंट्स कहां हैं?,
हानिया ने बच्ची का चेहरा उपर करते हुए पुछा..
उस बच्ची की आंखें नीली थी और वो रो भी रही थी..
अरे आप रो क्यो रहीं हो, हानिया ने उसके गालों तक आ चुके आंसुओं को साफ करते हुए दोबारा पूछा, बोलो बेटा..
लेकिन इस बार भी बच्ची ने कोई जवाब नहीं दिया वो बस बड़ी बड़ी आंखों से हानिया को देख रही थी..
लगता है ये खो गयी है, हानिया ने मन ही मन सोचते हुए खुद से ही कहा..
क्या आप खो गई हैं, हानिया ने एक और सवाल किया..
नहीं मेरे पापा खो गए हैं, उस बच्ची ने धीमी से जवाब दिया उसकी आवाज भी उसके जैसी प्यारी थी..
अच्छा क्या नाम है आपके पापा का, हानिया ने उस बच्ची का सिर सहलाते हुए पूछा..
सालार, बच्ची ने जवाब दिया..सालार हानिया सोच में पड़ गयी क्या वो किसी सालार को कैसे जानती क्योंकि उसने ये नाम ही पहली बार सुना था..
क्या आप उन्हें जानती हैं, उस बच्ची ने उम्मीद से हानिया की तरफ़ देखा..
नहीं मै उन्हें जानती तो नहीं फिर भी हम उन्हें ढूंढ लेंगे, हानिया ने उस बच्ची के सवाल का जवाब देते हुए उसका प्यारा सा चेहरा अपनी तरफ किया....
आप ने अपना नाम तो बताया ही नहीं मुझे.. क्या नाम है इस प्यारी सी गुड़िया का,
हानिया ने उसके प्यारे प्यारे हाथों अपने हाथों में लेते हुए पुछा...
पापा बोलते हैं स्टेनजर को अपना नेम नहीं बताते...उस बच्ची ने मासूमियत से जवाब दिया..
अच्छा जी, हानिया ने मुस्कुराते हुए कहा.. हानिया स्कूल और पार्क में बहोत सारे बच्चे देखें थे लेकिन उनमें से ये सबसे प्यारी बच्ची थी जिससे हानिया को इतना जुड़ाव महसूस हो रहा था। अरे कितना तेज बुखार है इसे हानिया ने उसका हाथ दोबारा थामते हुए सोचा हानिया ने तुरन्त उसका माथा छू कर देखा वो भी काफी तेज जल रहा था.. हानिया थोड़ा घबरा गई थी के कहीं बच्ची की तबियत ज्यादा ना खराब हो जाए उससे पहले उसको घर पहुंचाना होगा..आपको आपके घर का रास्ता पता है, हानिया ने पूछा..वो हमारा नहीं दादू का घर है, उस बच्ची ने उदासी भरे लहजे में कहा.. अच्छा आपको उस घर का रास्ता पता है ना.. हुंह उस बच्ची ने हां में सर हिलाया... ठीक है फिर आप जल्दी से मुझे वहां ले चलें हानिया ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया उसने हानिया का हाथ पकड़ लिया फिर हानिया बच्ची के साथ वापस मुड़ गई..

( क्या हानिया उस बच्ची को उसके घर पहुंचा पाएंगी? उस बच्ची का हानिया को मिलना महज़ इत्तेफाक है या कुदरत ने हानिया के लिए कोई नयी आजमाइश रखी है?.... कुछ सवालों जवाबो और नये किरदारों के साथ मै मिलूंगी आपसे मोहब्बत हो गयी है तुम्हें के तीसरे भाग में)