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मोहब्बत हो गयी है तुम्हें ( भाग 3 )

( कहानी को अच्छी तरह से समझने के लिए मोहब्बत हो गयी है तुम्हें के पिछले दो भागों को पढ़ना ना भूलें तो फिर चलिए इस सफर पर )

अंधेरा हो चुका था..आम्मी की फ़िक्र हानिया को नहीं थी क्योंकि किरन उनके साथ थी वो उनका ख्याल काफी अच्छी तरह रखतीं थी लेकिन फ़िक्र की बात ये थी के उसने आने से पहले किसी को बताया नहीं था आम्मी यकीनन उसके लिए बहोत फिक्रमंद हो रही होंगी उसका जल्दी घर पहुंचना जरूरी था लेकिन वो बच्ची जिसका अभी तक हानिया को नाम भी नहीं पता था उसे उसके घर पहुंचाना भी तो बहोत जरूरी था...
हानिया उस बच्ची का हाथ थामे अबतक अपने घर के दो मोड़ आगे निकल चुकी थी काफी अंधेरा था और सन्नाटा भी..

लगता है आपकी दादू का घर काफी दूर है... थोड़ी दूर और चलने पर हानिया ने पूछा...
नही थोड़ा सा और दूर है... बच्ची ने मासूमियत से जवाब दिया...

हानिया बच्ची के साथ चुपचाप चली जा रही और साथ ही साथ इधर उधर देख भी रही रास्ता सन्नाटा था कोई नजर ही नहीं आ रहा था वैसे भी सर्दी के मौसम में घर के बाहर घूमना कौन पसंद करता है... हानिया सीधे रास्ते पर चली जा रही थी और सामने से एक लड़की हाथों में टार्च पकड़े चली आ रही थी..

अरे कहां चली गई थी तुम.. उस सामने से आती लड़की ने करीब पहुंचते ही टार्च की रोशनी बच्ची के मुंह पर करते हुए कहा..
रोशनी आंखों पर पड़ते ही बच्ची ने दोनों हाथ आंखों पर रख लिए...इस तरह बच्ची के चेहरे पर टार्च मारना हानिया को बिल्कुल भी अच्छा नही लगा था...

ये क्या तरीका है.. हानिया ने बच्ची को अपनी तरफ करते हुए कहा,
उस लड़की ने झटके से हाथ बढ़ाया और बच्ची को अपनी तरफ खींच लिया.. हानिया सकते में आ गई..
कौन है आप बच्ची को कैसे जानती हैं.. हानिया ने सुरक्षा के लिहाज से पुछा वरना बच्ची उसके साथ जिस तरह चुपचाप खड़ी थीं उससे वो कोई अनजान तो नहीं मालूम पड़ रही थी..
तुम कौन हो मैडम और कहां ले जा रही थी इसे बच्चा चोर तो नहीं लगती.. उसने उपर से नीचे तक हानिया को देखते हुए कहा..
ये मुझे अकेली रोड पर मिली थी मै इसको घर लेकर जा रही थी इसके..
मैं इसकी फूफ्फो हु घर से भागने की आदत है इसकी बड़ी बदतमीज लड़की है, उसने मुंह बना कर कहा और वापस जाने के लिए मुड़ गई...

हानिया को उस लड़की की हरकत पर काफी गुस्सा आया था एक तो उसका बात करने का तरीके सही नहीं था और दूसरा वो बच्ची को इस तरह ले जा रही जैसे वो कोई छोटी बच्ची नहीं जेल तोड़ कर भागा हुआ कैदी हो... हानिया को उस बच्ची का मासूम चेहरा याद आ रहा था..ना जाने उसके मां बाप कितने लापरवाह हैं इतने घंटों से वो बाहर थी और दोनों में से कोई ढूंढने भी नहीं निकला और उसकी फूफ्फो को तो देख कर मालूम हो रहा था वो बच्ची को ढूंढने नहीं यूंही चहलकदमी करने निकली हो.. हानिया ने एक ठंडी सांस खींची और घर की तरफ चल पड़ी।

ड्राइवर ने कार रोकी और जल्दी से बाहर निकल कर कार का बैक डोर खोला...
उसमें से लम्बा चौड़ा स्टाइलिश पर्सनालिटी का मालिक सालार अब्बास निकला चौड़े चेहरे पर हल्की हल्की दाढ़ी सूट करती थीं उसे वो कोई शहजादे या किसी फिल्मी हीरो जैसा
खास नहीं था ( कुछ लोगो की नजर में ये दोनों खास होते हैं वो अलग बात है कि मुझे इन दोनों में से कोई खास नही लगता मेरे लिए खास हैं मेरी कहानी के किरदार और आप सब ) लेकिन अगर कोई एकबार उसे देख ले तो दोबारा नजर खुद बा खुद उसकी तरफ खींची चली जाती इतना कमाल तो वो था ही...वो तेज कदमों से चलता घर के अंदर दाखिल हुआ अपने गले में पड़ी टाई ढीली करते हुए उसने सोफे पर बैठी आम्मी को सलाम किया और अभी सीढ़ियों की तरफ रुख किया ही था तभी आम्मी की आवाज कानों में पड़ी...

अरे सालार जरा इधर भी सुनते जाओ बस आज तो हद ही हो गयी...
जी सुनाइए..सालार उनके पास सोफे के साइड में आकर खड़ा हो गया था,
क्या सुनाऊं अब हमसे नहीं संभल रही तुम्हारी बच्ची अकेली ही बाहर निकल पड़ी अगर कुछ हो जाता तो फिर..
क्या ऐना ठीक तो है कहा है वो कोई चोट तो नहीं आई उसे, सालार के चेहरे पर घबराहट साफ दिखाई पड़ रही थी.. अरे एकदम ठीक है वो अपने कमरे में है लेकिन ख़ुदा ना करें कुछ हो जाता तो फिर..
आप हम लोगों को बोलते के एक बच्ची नहीं संभल रही अगर मैं सही वक़्त पर नहीं पहुंचती तो गयी थी आप की बच्ची हाथ से एक लड़की ले कर जा रही थी उसे अपने साथ आप ध्यान, सादिया बेगम की बची हुई बात उनकी बेटी सालार की छोटी बहन हिना ने पूरी कर दी थी वो आगे भी बहुत कुछ बोलती लेकिन सालार को उसका बीच में बोलना अच्छा नहीं लगा था उसने घूमकर एक नजर लगातार बोलती हिना पर डाली तो उसने भाई के चेहरे के बदलते हुए रंग देखकर अपनी बात अधूरी छोड़ उसने वहां से खिसकना ही सही समझा... कोई और बात आम्मी, सालार ने वापस आम्मी से मुखातिब होते हुए कहा... सादिया बेगम ने नही में गर्दन हिला दी.. ठीक है मैं चलता हूं फिर, सालार ने नौकर को अपना आफिस बैंग उठाने का इशारा किया और उपर की तरफ चल पड़ा..तभी सादिया बेगम ने एक बार और आवाज लगाई.. सालार प्यार दुलार किनारे करके कभी उसे सख्त लहजे में भी समझा दिया करो..उनकी बात सालार के कान तक पहुंचते ही उसने सादिया बेगम की तरफ देखा और सीढ़ियां चढ़ता उपर चला गया..
भाई भला उसे डांटेंगे, हिना ने मजाक उड़ाने वाले लहजे में कहा और सोफे पर बैठ गयी सादिया बेगम ने उसे उंगली दिखाते हुए चुप रहने का इशारा किया क्यों की सालार सुन लेता तो उसकी शामत आ सकती थी।

ऐना पापा की प्यारी सी गुड़िया सालार ने कमरे में दाखिल होते ही बाहें फैला दी... ऐना ने सालार की तरफ देखा और चुपचाप अपने खिलौनों के साथ खेलने लगी सालार को अंदाज़ा था के सुबह उससे ना मिलकर जाने पर ऐना शाम तक उससे नाराज़ रहेगी लेकिन आफिस जाते वक्त जब सालार ने ऐना का माथा छू कर देखा तो उसे बहोत तेज बुखार था सालार को उसे उठाना ठीक नहीं लगा...
बेटे आप पापा से अभी तक नाराज़ हैं, सालार ने बेड पर बैठते हुए कहा.. ऐना ने कोई जवाब नहीं दिया.. आप बाहर क्यों गयी थी ऐना मैंने बोला था ना कि बच्चे अकेले बाहर नहीं जाते...सालार ने ऐना का सिर सहलाते हुए प्यार से पूछा.. जैसे एक पुरानी कहानी के मुताबिक राजा की जान उसके तोते में कैद थी बिल्कुल उसी तरह ऐना में उसकी जान बसती थी वो किसी भी हालत में उसपर सख्ती नहीं कर सकता था क्यों कि वो बहुत हस्सास बच्ची थी अपनी मां से बिल्कुल मुख्तलिफ..
पापा मै आपको ढूंढने गयी थी मुझे लगा आप खो गये.. ऐना ने सालार की तरफ देखते हुए कहा और वापस अपने खिलौनों में लग गयी सालार ने सिर्फ यही सोचा था के ऐना उससे नाराज़ हो जाएगी उससे बात नही करेगी लेकिन उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि वो बाहर निकल पड़ेगी
घर में इतने नौकरों के होते हुए और आम्मी हिना रेहान सभी होते थे घर में आखिर ऐना बाहर गयी कैसे..
आपको दादू या फुफो ने नहीं बताया के पापा आफिस गए हुए है..
दादू बड़ी फुफ्फो के घर गयी हुई थी पापा..
और हिना फुफ्फो कहा थी..
वो तो घर पर ही थीं..
हिना ने घर पर होते हुए भी ऐना का ख्याल नही रखा इसकी तो मैं बाद में खबर लुंगा..सालार ने गुस्सा दबाते हुए मन ही मन कहा..
ऐना मैं आप से मिले बिना आब कभी भी नहीं जाउंगा लेकिन पहले आप पापा से प्रोमिस कीजिए कि आप कभी भी बाहर अकेले नहीं जाएगी..सालार ने ऐना की हाथ बढ़ाते हुए कहा
ओके पापा..ऐना ने भी अपने छोटे से हाथ को सालार के हाथों पर रखते हुए प्रोमिस किया...खाना खाया अपने..सालार ने ऐना के सिर पर हाथ फेरते हुए पुछा तो
ऐना ने नहीं में सिर हिला दिया.. अच्छा भुख लगी है..सालार के पुछने पर इस बार ऐना ने हां में सर हिलाया..
अच्छा तो क्या खाएगी मेरी गुड़िया..सालार ने ऐना को गोद में बैठाते हुए पूछा.. पास्ता..ऐना ने कुछ सेकेंड सोच कर जवाब दिया.. अच्छा मेड से बोलकर अभी बनवाता हुं आप के लिए... शाहिस्ता जी...सालार ने कुछ दिन पहले फुल टाइम के लिए रखी गई मुलाजिमा को आवाज लगाई इससे पहले वो दूसरी आवाज लगाता घर का दूसरा मुलाजिम आकर खड़ा हो गया...
जी साहब.. उसने कमरे के बाहर से पुछा..
आपको को किसने बुलाया आप जाइए और शाहिस्ता जी को ऊपर भेजिए..
साहब जी वो नहीं हैं.. मुलाजिम ने थोड़ा सोचकर बोला..
नहीं हैं तो कहां हैं वो उन्हें तो फुल टाइम के लिए रखा था मैंने... जाकर नीचे सही से देखिए इधर उधर कहीं होंगी...
वो उन्हें निकाल दिया गया है साहब जी..
क्या निकाल दिया..सालार ने चौंकते हुए पूछा..
किसने और कब निकाला.. फिर अगले ही पल गुस्से में.
मुलाजिम चुपचाप खड़ा था..
मैंने पुछा किसने..इस बार सालार ने गुस्से से भरी थोड़ी तेज आवाज में पुछा आमतौर पर वो तेज आवाज में ही बात किया करता था लेकिन जब वो ऐना के पास होता तो चिल्लाने से पहरेज करता वो नहीं चाहता था कि ऐना पर कोई ग़लत असर पड़े..
छोटी बाजी ने निकाला था साहब..सालार की आवाज से डर कर मुलाजिम ने तुरंत सच बोल दिया.. लेकिन आप उनके सामने मेरा नाम मत लीजिए गा साहब जी.. मुलाजिम ने हाथ जोड़ते हुए कहा.. मुलाजिम सादिया बेगम और हिना से डरते थे क्योंकि उन्हें मालूम था अगर एक भी बात दोनो मां बेटी में से किसी को भी बुरी लगी तो वो खड़े खड़े घर के बाहर निकाले जा सकते थे... आप बेफिक्र हो कर जाएं उससे डरने की कोई जरूरत नहीं है..सालार ने मुलाजिम को जाने का इशारा किया और हिना को अच्छे से समझाने के लिए उठने लगा तभी ऐना ने उसका हाथ पकड़ लिया.. पापा भूख लगी है.. अच्छा चलो बाहर डिनर करेंगे..सालार ने ऐना को बेड से नीचे उतरा और सेंडल पहनाने लगा।

कब से इतनी बातें किए जा रही हो उसके बारे में आखिर नाम तो बताओ उस प्यारी बच्ची का.. हानिया की आम्मी ने उनकी गोद में सिर रखकर लेटी हानिया के बालों में हाथ फिराते हुए पुछा..पता नहीं आम्मी.. हानिया ने अफसोस भरे लहजे में कहा..

सालार नीचे उतरा तो हिना उसे सोफे पर बैठी मिली..आप कार में जाकर बैठो मैं आता हूं अभी...सालार ने ऐना का कंधा थपथपाते हुए कहा तो ऐना बाहर की तरफ चल दी

तुमने मुलाजिम को काम से क्यों निकाला..सालार ने हिना से पुछा तो डर की वजह से उससे कोई जवाब देते ही नहीं बना उसे लगा आब उसकी क्लास लगाई जाने वाली है उसकी क्लास लग ही गयी होती अगर सादिया बेगम हमेशा की तरह बीच बचाव करने ना पहुंचती तो..
अरे बेटा वो किसी काम काज की थोड़ी ना थी बस इधर उधर फिरती रहती थी सारा दिन इस लिए फारिग कर दिया उसे मुफ्त में तनख्वाह देने का क्या फायदा है भला..
मैंने उसे सिर्फ ऐना की देखभाल के लिए रखा था आम्मी..
सालार ने किचन से आती अपनी मां यानि सादिया बेगम से मुखातिब होते हुए कहा..
इसकी जरूरत ही क्या थी आखिर मैं खुद नहीं करती क्या अपनी पोती की देखभाल या हिना उसके साथ कौन सा कोई सौतेलो वाला रवैया अपनाया है.. मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा. चलता हूं ऐना वेट कर रही होगी अस्सलाम ओ अलैहकुम.. सालार ने मजीद बहस में ना पड़ते हुए सलाम किया और बाहर की तरफ निकल गया.. वालेकुम अस्सलाम खैरियत से जाना.. सादिया बेगम ने सोफे पर बैठते हुए कहा और टीवी चालू कर देखने लगी।

इसमें इतना उदास होने वाली क्या बात है हानि अगर दोबारा मिली तो याद से नाम पुछ लेना और मेरे पास भी ले आना उसे..अभी उठो और लाईट बन्द करके जल्दी से सो जाओ कल स्कूल जाना है ना..हम्म जाना तो है ही.. हानिया कुछ सोचते हुए उठी और लाईट बन्द करके चादर ओढ़ते हुए सोने की कोशिश करने लगी क्यों अलयान उसे काफी ज्यादा याद आने लगा था और हानिया उदास नहीं होना चाहती थी..

क्या हानिया दोबारा ऐना से मिल पाऐगी? मिलेगी तो कहां और कैसे?
अलयान की यादें क्यों हानिया को परेशान रखती हैं आखिर वो उसकी जिंदगी में आकर कहा चला गया था?

सबसे पहले पढ़ने के लिए बहोत शुक्रिया और धन्यवाद इस भाग में मैने आपको मिलवाया अपने पसंदीदा किरदार सालार अब्बास से ये भाग और मेरा पसंदीदा किरदार आपको कैसा लगा बताइऐगा जरूर

ऐसे ही कुछ सवालों उनके जवाबों और नये क़िरदारों
के साथ मै मिलूंगी आपसे 'मोहब्बत हो गयी है तुम्हें' के चौथे भाग में उम्मीद है की इस कहानी के साथ ही साथ आप मेरी नयी कहानी 'मोहब्बत के हाथों' को भी प्यार देंगे