Red scooty one - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

लाल स्कूटी वाला - 1

इस कहानी का मुख्य पात्र अक्षिता नाम की लड़की हैं, वह १२ वीं कक्षा में पढ़ती हैं।इस कहानी का शीर्षक आपको थोड़ा सा अजीब लगा होगा! यह कहानी वैसे तो थोड़ी सी नोर्मल ही हैं। हर लड़की एक बार तो इस परिस्थिति का सामना करती ही हैं, परंतु अक्षिता इस परिस्थिति का सामना कैसे करती हैं, वह थोड़ा सा मज़ेदार लगेगा। इस कहानी को हम अक्षिता के दृष्टिकोण से ही देखते हैं।


मैं रोज़ सुबह ७:०० बजे पाठशाला चलकर जाती थीं और १२:३० बजे चलकर ही पाठशाला से घर वापस आती थीं। वैसे तो रोज़ सब मित्रों के साथ चल कर जाती थीं। पर थोड़े दिनों से मैं अकेली ही पाठशाला से घर वापस आती थीं। क्योंकि बोर्ड की परिक्षा नज़दीक आ रही थी, इसलिए सब घर पर रहकर और ट्यूशन में ही पढ़ लिया करते थे,और मैं ट्यूशन के बिना ही पढ़ती थी। इसलिए मैं रोज़ पाठशाला में ही पढ़ाई करती थी।


एक दिन मैं जब पाठशाला से घर जा रही थीं तब एक लाल रंग की स्कूटी ले कर पतला सा लड़का जैसे हवा में उड़ रहा हो वैसे वह मेरे बहुत ही करीब से गुज़रा। मुझे अजीब से अत्तर की बदबू आई। पहले तो मुझे यह नोर्मल ही लगा कि शायद वह ग़लती से मेरे इतने नज़दीक से गुज़रा! क्योंकि मैंने यह चेहरा पहले पाठशाला के नज़दीक बहुत बार देखा हुआ था।


मैं थोड़ा आगे चली की तभी वह लड़का फ़िर से मेरे बहुत क़रीब से गुज़रा। मैंने मेरी चलने की गति तेज़ कर दी। उस दिन मैं घर जल्दी पहुंच गई क्योंकी बहुत ही तेज़ गति से चल कर आई थीं।

तब मैंने एक ग़लती कर दी, मैंने जो रास्ता पसंद किया था वहाँ पर बहुत ही कम लोगों की चहल- पहल थीं।दूसरे दिन मैं जब पाठशाला से निकल कर घर की तरफ़ चल रही थीं तभी एक पेड़ के नीचे फ़िर से वह लड़का देखा।मैंने जैसे उसे देखा कि तुरंत अपने पैरों पर ज़ोर जगाया और तेज़ गति से चलने लगी।


मैंने थोड़ा चल कर पीछे देखा तो वह लड़का मेरे पीछे ही बहुत धीमी गति में अपनी स्कूटी से मेरा पीछा कर रहा था। मैं बहुत ही चिंता में आ गई। थोड़ी देर तक तो समझ ही नहीं आया की क्या करूँ और क्या ना करूँ! किन्तु थोड़े ही समय के बाद मैंने अपने मन को मजबूत किया और स्थिर मनोबल रख़ कर चलने लगीं। मैंने अपने मन के डर को चेहरे पर प्रतित नहीं होने दिया। वह लड़का मेरे आगे अपनी स्कुटी रख़ कर खड़ा हो गया।


उसने नीले रंग की शर्ट और हरे रंग की जीन्स जैसे अजीब से कपड़े पहन रखे थे। उसके बाल उसने लाल रंग के रंगवाए थे। उसके जूते बाल से बिल्कुल मेल खा रहे थे, वह पतला सा था। दूर से देखो तो १७-१८ साल का ही लगे पर नज़दीक से उसके चेहरे को देखने के बाद मालूम पड़ा कि वह कम से कम २५-२६ साल का तो होगा ही।


मैंने बिना डरे उसके साथ नज़रे मिलाई। उसके बाद मैंने पूछा कि, " क्या काम है आपको?" वह लड़का बोला, " My Name Is Chirag And I Like You, Do You like Friendship With Me" मैंने सिर्फ़ गुस्से से उसकी तरफ़ देखा। पर मन में तो उसे देखकर हँसी ही आ रहीं थीं। उसने फ़िर से पूछा, " Do You Like Me?" अब मैं थोड़ा डर गई। पहले तो लगा कि मना कर के सारा क़िस्सा ही ख़तम करू। फ़िर मेरे मन में एक ख्याल आया कि अगर मैंने मना किया तो यह मेरे साथ इस बिना चहल- पहल वाले रास्ते पर कुछ भी कर सकता है। इसलिए मैंने बोला कि, "कल बताऊँगी।"


दूसरे दिन मैंने पाठशाला में अपनी सहेली प्रिया को यह बात बताई। प्रिया को उसका हुलिया भी बताया। वो भी खूब हँसी। बाद में उसने बताया की, "यह चिराग़ नाम का लड़का हमारी पाठशाला की बहुत सी लड़की को इस तरह से परेशान करता है।" मैंने प्रिया को कहा कि, "इस चिराग़ को अब सबक तो सिखाना ही पड़ेगा।" प्रिया ने कहा, " पर कैसे?!" तभी मेरे दिमाग़ में उस लफंगे चिराग़ को सबक सिखाने की एक योजना आई। मैंने प्रिया को पूरी योजना अच्छे से बता दी।



पाठशाला से घर वापस लौटते समय चिराग़ फ़िर से मेरा रास्ता रोकते हुए आ गया। वह बोला "hello...How Are you" मैंने बोला, " I Am Fine" उसके बाद वह बोला, "So What Is Your Answer?!" मुझे तो उसे देखते ही हँसी आ रही थीं पर मैं ख़ुद पे संयम रखें हुए थीं। मैंने कहा, "पर मैं आपको जानती तक नहीं हूँ तो मैं कैसे के साथ मित्रता करू! इसलिए कल तुम अपना आइडेंटिटी प्रूफ साथ ले कर आना।"



तो फ़िर आप कल आधारकार्ड या फ़िर इलेक्शन कार्ड ले कर आना।" वह बोला, " आधारकार्ड चलेगा?' मैंने कहा, "हा अगर आप कल आधार कार्ड ले कर आए तो आपको आपका ज़वाब मिल जाएगा।" वो मुस्कुराते हुए चला गया और उसके जाने के बाद पूरे रास्ते में मैं ख़ूब हँसी। वैसे तो हमारी योजना कुछ और ही थी पर पता नहीं कैसे मेरे दिमाग़ में यह आधार कार्ड वाली बात आ गई!


उसने बड़े आश्चर्य के साथ पूछा,"But Why!" मैंने चालाकी से काम लेते हुए बोला, आप मेरे लिए इतना नहीं करोगे?!" वह बोला, "I Will Do Everything For You" मैंने बोला "Great! तो फ़िर आप कल आधारकार्ड या फ़िर इलेक्शन कार्ड ले कर आना।" वह बोला, " आधारकार्ड चलेगा?' मैंने कहा, "हा...अगर आप आधार कार्ड लेकर आए तो आपका ज़वाब मिल जाएगा।" वो मुस्कुराते हुए चला गया और उसके जाने के बाद पूरे रास्ते में मैं ख़ूब हँसी। वैसे तो हमारी योजना कुछ और ही थी पर पता नहीं कैसे मेरे दिमाग़ में यह आधार कार्ड वाली बात आ गई!
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अक्षिता उस लफंगे चिराग़ को कैसे सबक सिखाएंगी?! अक्षिता ने आधार कार्ड क्यों मांगा चिराग़ से?!

*___Next part coming soon___*