Jindagi ke safar me - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

ज़िन्दगी के सफ़र में - 4

भाग-4
दोस्तो अब तक हमने पढ़ा कि रॉय साहब ने श्याम जी से अपनी चिंंता का कारण बताया कि वो उनके बच्चो की किसी बाात से परेशान है और श्याम जी से वो अपनी सारी बातें शेयर करते हैं चलिए जानते हैं रॉय साहब की जिंदगी के सफ़र में आगे की कहानी ......


रॉय साहब ने मुझे जब चिंता का कारण बच्चो की किसी बात के लिए बताया तब मैंने रॉय साहब से पूछा कि ऐसी क्या बात ,क्या भूल हो गई रॉय साहब बच्चो से जो आप उनसे इतने दुःखी हो ?
रॉय साहब बोले कि श्याम जी आपको याद है जब मेरे दोनों बच्चे विदेश पढ़ने गए थे तब मुझे पैसे की जरूरत थी ।

हा हा बिल्कुल याद है रॉय साहब मुझे और आपने उसके लिए लोन भी लिया था बैंक से ,
पर वो तो बहुत पुरानी बात है अब अचानक कैसे रॉय साहब ?
जी श्याम जी आप बिल्कुल सही कह रहें है पुरानी तो है लेकिन आज वही बात सबसे गम्भीर बनी हुई है

मैंने अपने बच्चो के भविष्य को ध्यान में रखकर ही अपनी सारी वसीयत को तर्ज़ पे रखकर बैंक से लोन लिया था और जब लोन चुकता करने की बारी आती है तो मेरे दोनों बच्चो ने मुंह मोड़ लिया और कहते है कि उनका इससे कोई लेना देना नहीं है और मेरी सारी प्रोपर्टी जिसमें ये कॉलेज भी शामिल है ये सब नीलाम हो जाएंगे अगर मैंने एक महीने में बैंक का सारा लोन नहीं दिया तो ।

अब आप ही बताइए श्याम जी जिस कॉलेज को मैंने एक मन्दिर के जैसे पूजा है दिन रात अपनी पूरी जिंदगी दी है उसी कॉलेज को आज नीलाम होते हुए किसी दूसरे के हाथो
में कैसे सौंप पाऊंगा ।
अगर मुझे पता होता की काम होते ही बच्चे ऐसे मुंह मोड़ लेते है अपने मां-बाप से तो मै ऐसी परिस्थिती आने ही नहीं देता ।
श्याम जी ये सब सुनकर एकदम चकित रह गए की मैं जितनी सोच रहा था बात तो उससे भी ज्यादा गंभीर निकली ।
श्याम जी ने रॉय साहब की पूरी बात सुनने के बाद कहा कि रॉय साहब शायद बच्चो के पास भी इतने पैसे नहीं होंगे वरना ऐसे मना करने वाले थोड़ी थे !
रॉय साहब थोड़ा सा मुस्कुराए और बोले श्याम जी मुझे भी समय लगा इस बात को स्वीकार करने में लेकिन सच यहीं है जो मैं आपसे कह रहा हूं ।

और मुझे अपनी कोई चिंता नहीं है बस चिंता है तो कॉलेज के इतने बड़े स्टाफ की जो मेरे भरोसे पर यहां दिन रात काम करते है ,
चिंता है उन हजारों बच्चो कि जो इस कॉलेज में एक सपना लेकर आते है जो सपने देखते है ऊंचे आसमान में उड़ने का ।
मै इन सबको क्या जवाब दे पाऊंगा ? क्या कहूंगा इन सब से ? की क्यों मै इस महाविद्यालय को अच्छे से नहीं चला पाया ?
बताइए श्याम जी क्या होगा कैसे उन सब सवालों का जवाब दूंगा ?

श्याम जी ने रॉय साहब को शांत करवाया और बोले रॉय साहब माना कि परेशानी बहुत बड़ी है लेकिन ये जिन बड़े स्टाफ और स्टूडेंट्स की आप बात कर रहे है उन सबको आपने स्टाफ और स्टूडेंट्स तो कभी माना ही नहीं आपने हमेशा हमे एक परिवार माना है तो मुझे यकीन है कि उनको जब ये बात पता चलेगी तो वो आपसे सवाल करने की बजाए आपकी किस प्रकार मदद कि जाए ये सोचेंगे ।

और रही बात उन्हें इन सबका पता चलने की ओर आपसे सवाल करने कि तो मै ये परिस्थिती आने ही नहीं दूंगा जहां आपको अकेले कुछ भी सहना पड़े या सुनना पड़े मै आपके साथ हूं और मुझे पूरा विश्वास है कि पूरा स्टाफ भी आपकी परेशानी समझेगा ।

और हम पूरी कोशिश करेंगे ये कॉलेज बचाने की आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए ।
रॉय साहब ने श्याम जी की जब येबाते सुनी तो उनकी आंखो में एक अलग ही चमक नजर आईं उन्होंने श्याम जी को कहा कि श्याम जी अभी तक mujhelg रहा था कि मेरा कोई नहीं है जब मेरे खुदके बचे ही ऐसे व्यवहार कर रहे है तो किसी और से क्या उम्मीद ।
लेकिन आपने ये बात बोलकर मुझे विश्वास दिला दिया है कि मैं अकेला नहीं हूं ।
बिल्कुल सही समझा रॉय साहब आपने आप बिल्कुल अकेले नहीं है हम सब आपके साथ है ,कन्हैया ने टेबल पर चाय का कप रखते हुए बोला ।
जब श्याम जी रॉय साहब को समझा रहे थे तब छोटू चाय ले आया और उसने ओर कन्हैया ने सारी बाते भी सुनली की कॉलेज जल्दी ही नीलाम होने वाला है ।

कन्हैया ने आगे अपनी बात पूरी करते हुए कहा कि रॉय साहब मेरे ज़िन्दगी की आधी उम्र मैंने चाय बनाने में ही नहीं निकली यहां, बल्कि मेरे दिन की शुरुआत इस जगह में आपकी कॉलेज के सरस्वती वंदना से होती है ।

न जाने कितने ही आपकी कॉलेज के बच्चो ने यहीं इसी जगह बैठकर कितने मसले सुलझाए है ,
बच्चो कि हंसी उनके किसी से नोक झोंक और उसके बाद आपका उन्हें इतने प्यार से समझना उनके लिए एक प्रेरणा बनना इन सबमें मैंने हर पल कुछ ना कुछ सीखा है।
हर कठिन परिस्थिति में भी कैसे डटकर सामना किया जाएगा आपसे ही सीखा है तो जिस इंसान ने हमे जीना सिखाया हो उनकी खुद की परेशानी आने पर क्या हम उनका साथ नहीं देंगे ऐसा कैसे सोच लिया रॉय साहब आपने और कोई हो ना हो पर ये कन्हैया आपके साथ खड़ा है हमेशा ।

दोस्तो मुसीबतें तो हर किसी कि ज़िन्दगी में एक घना कोहरा बनकर आती है लेकिन सच ये भी है कि कोहरा कितना भी घना हो सुरज की एक तेज किरण उस कोहरे को चीर ही देती है और कोहरा हट जाता है बस जरूरत है तो सिर्फ धेर्य की उसी तरह हमारी मुसीबतें भी ठीक उस घने कोहरे के जैसी ही होती है देखने में लगता है न जाने कितने बड़ी है लेकिन थोड़ा सा धेर्य और ख़ुद पर विश्वाश होगा तो बड़ी से बड़ी परेशानी दुर हो जाएगी ।
अब अगले भाग में देखेंगे कि हमारे रॉय साहब की विश्वास और धेर्य रखते हुए इस परेशानी का सामना करते है ।
दोस्तो आपको मेरे इस कहानी का ये 4 भाग कैसा लगा जरूर बताइएगा आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ...... धन्यवाद 🙏