Adhura Ishq - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

अधूरा इश्क - 3

अधूरी हवस(3)

आगे कहानी मे हमे देखा के आर के इलीना की और खींचा जाता हे मन ही मन इस बात की भनक इलीना को नहीं होती अब कहानी मे देखते हैं, आखिर क्या रंग लाती है, ईन दोनों की कहानी

दूसरे दिन इलीना आर के की शॉप पे अपना मोबाइल लेने जाती है, सफ़ेद सलवार शूट
खुले बाल गुलाबी होंठ गुलाब सी पंखुरी जेसे
लग तो रही थी जेसे जन्नत की हुर अभी अभी आसमान से सीधा उसकी शॉप पर ही उतरी हो, आर के एक टस होके देखता ही रहे गया, और इलीना कब उसके बिलकुल नजदीक कब आ गई उसे पता ही नहीं चला,
जब इलीना ने दो बार आवाज दी तब जाकर उसे मालूम हुवा वर्ना उसे तो सपना ही लगता था.

इलीना : हेलो कहा खो गए थे, इतना मशगूल किसकी यादो मे खोए थे जो हमारा आना भी आपको महसूस नहीं हुवा.

आर के : आपमे..(मन ही मन) मेरा मतलब आपको देखा नहीं था.

इलीना : ओह तो अब आपको नज़र नहीं आते?

आर के : नहीं नहीं एसी बात नहीं आप तो हमे बातों में फंसा रही हो.

इलीना : लो अब हमे ये ही सुनना बाकी था (ठहाके हस्ते हुए)

आर के : खींच ये और टांग खिंचे मेरी आपको तो आनंद आ रहा है, तो लीजिए मजा.
बातों बातों मे आर के का ध्यान इलीना के माथे पे लगे सिंदूर पर गया, देख कर थोड़ा बौखला गया कि ये क्या, जिसका मे सपना देख रहा था वोह तो किसी और की हो चुकी है.

इलीना : ओ हैलो फिर से कहा खो गये? कुछ अलग दिख रही हू क्या? जो टस से मस नहीं हो रहे? मानो कुछ ना दिखना हो ऎसा कुछ देख लिया, कुछ लगा है?

आर के : हा.. नहीं ऐरे आप फिरसे मुजे कन्फ्यूज कर रहे हों.

इलीना : नहीं मुजे बताओ, तुम तो फिर ऎसे आँखे फाड़ फाड़ कर क्यू देख रहे थे? कुछ तो अलग दिख रही हू, वर्ना ऎसे नहीं देखते आप.

आर के : अरे इलीना जी आपकी मांग भरी है, उसे देखकर चौंक गया बस और कुछ नहीं लगा आपके चेहरे पर.

इलीना : ओह आपने तो डरा ही दिया था मुजे, हाँ वोह तो होंगा ही ना माथे पर शादी शुदा की पहचान तो वहीं हे हमारे देश में, यहा पर होती हू तो यहा के रीति रिवाजों को फोलो करना अच्छा लगता है मुजे, अमेरीका मे कहा ये सब.

आर के : पहेले दिन आपको देखा तो नहीं था तो मुजे लगा..

इलीना : क्या अभी तक पेंडिंग हू? हा.. हा..
(मस्ती मे हस्ते हुवे)

आर के : लगाया करो मेडम जी, वर्ना कईयों के दिल टूटते रहेंगे.

इलीना : उसमे मेरी क्या गलती, मे थोड़ी उनसे कहती हू की हमसे दिल लगाओ.

आर के : ये भी सही है. हा तो ये चेक कर लीजिए, जेसा आपको जरूरत थी उस हिसाब से बना दिया हे, और एक बात, अब दोनों देश मे चलेगा आपको मोबाइल बदलने की जरूरत नहीं होगी.

इलीना : ओह ग्रेट वर्क मेन थैंक्स.

आर के : कुछ सही ना लगे तो बता देना यहा, वेसे तो कुछ प्रॉब्लम नहीं होगी, फिरभी कुछ कहा नहीं जाता इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हें, उनकी कोई गारंटी नहीं मेडम.

इलीना : ओके बताऊंगी कुछ ऎसा लगा तो, मे अभी थोडे जल्दी मे हू. (बिल पे करके जल्दी मे निकल जाती है)

बिचारे आर के का तो दिल टूट जाता है, कोई सालो बाद दिल में बसा और वोह भी किसी और की अमानत निकली, हाय रे फूटी किस्मत मन ही मन बड़बड़ाने लगता है, तभी उसकी नज़र सामने जाती है, तो क्या देखता है कि इलीना अपना ग्लासेस तो वहीं डेस्क पर ही भूल कर निकल गई है, तो वोह इलीना को कॉल लगाता है,

इलीना : हा हैलो, क्या हुवा बिल कम पड़ा क्या?

आर के : नहीं.. नहीं.. जी वोह तो आप अपना ग्लासेस यही पर छोड़ चले.

इलीना : ओह माय गॉड! अरे हाँ यार, अभी तो दूर निकल गई, आप एक काम करना वहीं पर रखना मे फिर कभी आकर ले लुंगी.

आर के : कोई बात नहीं कभी भी आप ले जाना.

कोल कट हो जाती है, लेकिन आर के का दिल इलीना को लेकर टूटा था तो कम करना उसे ठीक नहीं लग रहा होता है तो शॉप बंध करके टहलने निकल जाता है.
नीचे चाय की पटरी पर बेक ग्राउंड मे गाना शुरू होता है,

ओ दिल तोड़ कर चलती है ऎसे.....

सही वक़्त पर दिल पर हथोड़ा पड़ने वाली बात हो गई, पर क्या करे दिल हे मानता नहीं.
दूसरे दिन इलीना का एसएमएस आर के के मोबाइल पर शो होता है, और वोह फिर ताव मे आजाता है, भाई दिल तो बच्चा है जी.,एक बार कोई बसा तो फिर कहा भूल पाता है, दिल की झीद साली बड़ी कमिनी होती है दोस्तों, और ये मिया तो भंवरे से कहा कम हे जो इतनी जल्दी ही हार मान जाते.

क्रमशः......

बाकी की कहानी अगले पार्ट मे दोस्तों सफर जारी रहेगा कहानी का और आपका हमारा