Insaaniyat - EK dharm - 5 books and stories free download online pdf in Hindi इंसानियत - एक धर्म - 5 (3) 2.1k 7k रामनगर से प्रताप गढ़ की तरफ जानेवाले राजमार्ग पर शहर से नजदीक ही उस जगह पर जहाँ रमेश और राखी के साथ यह भयानक वारदात हुयी थी पाण्डेय जी असलम और यादव के साथ अपने दल बल को लिए पहुँच गए थे । घटना स्थल पर अब तक कोई बदलाव नहीं आया था । शायद सड़क के किनारे मृत पड़े आलम के शव पर किसी की नजर नहीं पड़ी होगी ।पाण्डेय जी ने वहां रवाना होने से पहले ही अपने उच्चाधिकारियों को वारदात की सुचना दे दी थी और फिर इसी के साथ फोरेंसिक विभाग पुलिस फोटोग्राफर व एम्बुलेंस को भी सूचित कर दिया था ।अभी इनमें से कोई वहां नहीं पहुंचा था । पांडेयजी ने मौका ए वारदात का मुआयना करने के लिए टॉर्च का उपयोग करने से बेहतर इंतजाम कर लिया था । अपनी जीप को घुमा कर उसका मुंह झाड़ियों की तरफ कर दिया था जहाँ आलम का शव पड़ा हुआ था और गाडी की हेडलाइट चालू कर दिया था । उस तेज रोशनी में अब सामने का पूरा दृश्य स्पष्ट दिख रहा था । सन्नाटे को भंग करती कभी कभार कोई गाड़ी सड़क से गुजरती । सुनसान जगह में इतनी तेज रोशनी का वजह जानने की जिज्ञासा में गाड़ियाँ कुछ धीमी होती लेकिन पुलिस की जीप पर नजर पड़ते ही वहां से रफू चक्कर हो जाती ।गाड़ी की तेज रोशनी आलम के शव पर सीधी पड़ रही थी इसका कारण उसका झाड़ियों के सामने सड़क पर ही पड़ा होना था । गाड़ी से उतरकर पाण्डेय जी आलम के शव की तरफ बढे और नजदीक से उसका मुआयना किया । आलम के शव के बगल में ही वह पुलिसिया डंडा भी फेंका हुआ पड़ा था जिसमें कहीं कहीं रक्त लगा हुआ स्पष्ट दिख रहा था । पाण्डेय जी ने वहां पड़ी हुयी किसी भी चीज को न हाथ लगाया और न ही किसी को कुछ छुने दिया था । सिर्फ उसकी नाक के सामने अपनी हथेली उलटी करके उसकी रुकी हुयी साँसों की पुष्टि की । इसके बाद सड़क किनारे खड़ा होकर वह अपने उच्चाधिकारियों व फोरेंसिक टीम तथा एम्बुलेंस का इंतजार करने लगे ।इनमें से तो कोई नहीं आया लेकिन एक के बाद एक कई न्यूज़ चैनल के रिपोर्टर अपनी अपनी गाड़ियों के साथ आ धमके ।पांडेयजी के इजाजत की परवाह किये बिना ही इन सभी पत्रकारों ने अपनी अपनी पोजीशन संभाल ली । लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पत्रकार को मना करने का साहस भला कानून का अदना सा मुलाजिम कैसे कर सकता था ?एक पत्रकार ने लाइव रिपोर्टिंग चालू कर दिया था । कैमरा चालू कर पत्रकार ने माइक संभालते हुए बोलना शुरू किया ” मैं अभी रामपुर शहर से प्रतापगढ़ जानेवाली मुख्य सड़क पर उस घटना स्थल पर मौजूद हूँ जहाँ अभी अभी कुछ अज्ञात हमलावरों ने कानून के रक्षक एक पुलिस के नायब दरोगा को पिट पिट कर मार डाला है । मैं अपने कैमरामैन से कहूँगी कि वो आपको उस वीर जवान का शव दिखाएँ । देखिये ! किस बेदर्दी से बदमाशों ने इनकी पिट पिट कर हत्या कर दी है । अब यह राज्य सरकार के कानून व्यवस्था के मुंह पर सीधा तमाचा है । नाकारा प्रशासनिक व्यवस्थाओं के चलते अब हमारे जवान भी सुरक्षित नहीं रहे । अपराधियों के हौसले बुलंद हैं । क्या हमारे कानून के लम्बे हाथ अपराधियों की गिरहबान तक पहुंचेंगे ? इस वारदात को लगभग दो घंटे बीत चुके हैं और इस वीर बहादुर जवान का शव अभी तक यहीं सुनसान में लावारिस पड़ा हुआ है । पुलिस का एक दरोगा ही अब तक यहाँ पहुंचा है । अब आप लोग खुद ही सोचिये और प्रशासन की चुस्ती फुर्ती का अंदाजा लगाकर खुश होइये । अपने एक अधिकारी की शहादत के बाद भी पुलिस का यह रवैया देखकर आप लोग अंदाजा लगा सकते हैं कि ये अधिकारी आम लोगों के साथ कैसी चुस्ती फुर्ती से पेश आते होंगे । इतनी लापरवाही के चलते क्या पुलिस कभी इस वारदात के असली गुनाहगारों तक पहुँच पायेगी ? इस सवाल का जवाब तो वक्त ही बताएगा । अब तक इतना ही । इस वारदात के पल पल की खबर हम आपको सबसे पहले आप तक पहुंचाते रहेंगे । मैं कैमरामैन अशोक के साथ पल्लवी जोशी अभी तक समाचार से । ”उसकी लाइव रिपोर्टिंग शुरू होते ही दुसरे पत्रकारों में होड़ सी मच गयी । सभी पत्रकार लाइव रिकॉर्डिंग में अपने अपने टीम के साथियों के साथ जुट गए थे । अँधेरे में कैमरों की फ़्लैश लाइटें चमकने लगी थी ।तभी कई गाड़ियों का काफिला सायरन बजाती घटनास्थल पर आकर रुकीं । कुछ ही देर में मौके पर पुलिस के उच्चाधिकारियों सहित उनके मातहतों की एक भारी भीड़ वहां जुट गयी । अधिकारीयों के साथ आये जवानों ने आते ही मोर्चा संभाल लिया था । पत्रकारों व अन्य मीडियाकर्मियों को पीछे धकेलते हुए वारदात के जगह की घेराबंदी कर दी । आते ही फोरेंसिक विभाग के लोग अपने काम में जुट गए ।आलम के मृत शरीर के पास कई लोगों के कदमों के निशान ने जांच कर्ता उच्च अधिकारीयों को चिंता में डाल दिया था ।नायब दरोगा पाण्डेय जी ने आगे बढ़कर अपने अधिकारी दरोगा श्रीवास्तव जी को मामले की पूरी जानकारी देते हुए उन्हें असलम के बयान से अवगत कराया और असलम को उनके सामने पेश किया । उनकी आपसी बातचीत से मीडिया वाले अनजान अपनी कल्पनाओं के घोड़े दौडाते अपने अपने चैनलों के लिए खबरें बनाकर रिपोर्टिंग कर रहे थे ।श्रीवास्तव जी ने ध्यान से पाण्डेय जी की बात सुनी और फिर सवालिया नज़रों से असलम की तरफ देखा । उनका मतलब समझ कर असलम ने पूरा घटनाक्रम ज्यों का त्यों उनके सामने दुहरा दिया ।पूरी बात सुनने के बाद श्रीवास्तव जी ने उससे पूछा ” तुमने ऐसा क्यों किया ? ”जवाब देते हुए असलम बिलकुल शांत था । उसके मुख पर लेशमात्र भी घबराहट नहीं थी । बोला ” साहब ! उस व्यक्ति के गाड़ी के कागजात पूरी तरह जांचने के बाद मुखाबिरों से खबर मिलने की झूठी बात बताकर उसके गाडी की जांच करने के नाम पर उनका सारा सामान तहस नहस करवा दिया और जब इतने से भी दिल नहीं भरा तो उसे मजहबी रंग देते हुए एक काफिर के साथ हर अत्याचार करना जायज है यह बताते हुए उन्होंने उस महिला से दुराचार करना चाहा । मजहब व अपने रुतबे का धौंस देकर उसने सिपाही मुनीर को भी अपने साथ मिला लिया था । मुनीर ने ही उस आदमी के सर पर जोरों का प्रहार किया था जिसकी वजह से वह आज आई सी यू में भर्ती है । इसके बाद वह खुद उस महिला के साथ बदतमीजी करने लगा और मुनीर को भी अपना साथ देने के लिए बुलाने लगा । उस महिला से मन भर जाने के बाद वह उसकी हत्या भी करने की योजना बना चुका था । धार्मिक विद्वेष की भावना की वजह से वह यह सब कर रहा था । अब आप ही बताइए साहब ! मैं उस सिरफिरे की सोच से इत्तेफाक रखते हुए अपने धर्म से गद्दारी कैसे कर सकता था ? मुझे अपने किये का कोई पछतावा नहीं है । मुझे गर्व है कि कट्टरपन में अँधा होने की बजाय उस महिला की मदद करके मैंने सही मायने में अपने धर्म की रक्षा की है । “क्रमशः ‹ Previous Chapterइंसानियत - एक धर्म - 4 › Next Chapterइंसानियत - एक धर्म - 6 Download Our App More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything राज कुमार कांदु Follow Novel by राज कुमार कांदु in Hindi Fiction Stories Total Episodes : 49 Share NEW REALESED Science-Fiction એક પંજાબી છોકરી - 9 Dave Rupali janakray Motivational Stories દિલ ખાલી તો જીવન ખાલી - ભાગ 4 Shailesh Joshi Detective stories શિવકવચ - 8 Hetal Patel Classic Stories શિખર - 25 Dr. Pruthvi Gohel Horror Stories કોણ હતી એ ? 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