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जेंडर डिस्पैरिटी भाग 1


दो परिवारों की सोच में अंतर के कारण दो प्रेमी एक न हो सके . दोनों अपनी भारत में पढ़ाई कर स्नातकोत्तर के लिए USA जाते हैं .......


कहानी - जेंडर डिस्पैरिटी भाग 1


“ शिवानी , आज हम दोनों का लास्ट पेपर है . फिर तो मस्ती ही मस्ती . दो महीने के अंदर बी टेक की डिग्री मिल जाएगी . “ अंशु बोला

“ हाँ , इधर कुछ महीनों से एग्जाम ले कर बहुत टेंशन में थी , अब कुछ दिनों के लिए एकदम रिलैक्स करना है . “

“ हाँ , सही कहा है . ऐसा करते हैं पेपर खत्म होने के बाद सीधे मूवी देखने चलते हैं . “

“ मूवी , तुम्हारे साथ . नो वे , आज तक मैं किसी लड़के के साथ मूवी देखने नहीं गयी हूँ . मम्मा पापा किसी को पता चला तो तिल का ताड़ बना देंगे . हाँ अगर ग्रुप में कुछ और लड़कियां और लड़के होते तो बात अलग थी . ¨

“मेरे साथ अकेले मूवी देखने में डरती हो क्या ? अब हम बच्चे नहीं रहे . “

“बात डर की नहीं है . बात मेरी लड़की होने की है . “

“ अच्छा दो महीने बाद तुम जॉब में जाओगी और अपने जॉब के लिए सीनियर के साथ मीटिंग में किसी दूसरे होटल या वेन्यू पर जाना पड़े तो क्या करेगी ? और अमेरिका जाने की सोच रही हो , वहां किस से परमिशन ले कर घूमा करोगी ? “

“तब की तब देखेंगे . और अमेरिका पढ़ने जा रही हूँ , मौज मस्ती के लिए नहीं .

“ सभी ऐसा ही कहते हैं और वहां जा कर अपनी मर्जी की करते हैं . “

यार , जाना तो है . अभी तो फंडिंग का प्रॉब्लम है इसलिए मैं फॉल सेमेस्टर में नहीं जा सकती हूँ . पापा ने कहा है कि फंड के लिए कम से कम छः महीने और वेट करना होगा . मैंने यूनिवर्सिटी को लिख दिया है कि अगले सेमेस्टर में ज्वाइन करूँगी . अच्छा अब टाइम हो रहा है , एग्जाम हॉल की ओर चलती हूँ . पेपर फिनिश कर फिर मिलते हैं . “

“ अच्छा यह सब छोड़ . अंशु , तुम भी तो सोच रहे थे यु एस जाने का क्या हुआ ? “ एग्जाम हॉल की ओर चलते चलते शिवानी ने पूछा

“ मैं तो जा रहा हूँ इसी फॉल सेमेस्टर में . मुझे फुल स्कालरशिप मिल रहा है , सिर्फ एयर टिकट के लिए पैसा लगेगा . “

दोनों अपने अपने एग्जाम रूम में चले गए .

तीन घंटे बाद पेपर देने के बाद अंशु और शिवानी दोनों मिलते है . अंशु ने कहा “ शिवानी मैम को मेरे साथ मूवी जाने में डर लगता है . कम से कम बगल के आइस पार्लर चल कर साथ आइसक्रीम तो खा ही सकते हैं . “

“ चलो तुम भी क्या कहोगे ? आइसक्रीम खाते हैं पर आइस पार्लर में नहीं अब मल्टीप्लेक्स में ही खाएंगे . “ बोल कर उसने घर पर फोन कर माँ से कहा “ मम्मा , मेरा आज लास्ट पेपर खत्म हो गया . फ्रेंड्स लोग मूवी देखने के लिए प्रेस कर रहे हैं . तो मैं चली जाऊं न उनके साथ मम्मा ? “

माँ के किसी सवाल पर उसने कहा “ मम्मा हमारा एक ग्रुप जा रहा है जिसमें लड़के लड़कियां दोनों हैं . आप अपनी बेटी को अकेले अमेरिका भेज रही हैं और यहाँ दो तीन घंटे मूवी हॉल जाने में इतना क्यों सोच रहे हो . “

माँ के उत्तर सुन ख़ुशी से शिवानी बोली “ ये हुई न बात . यु आर ग्रेट मम्मा . “ फिर अंशु से कहा “ चलो तुम भी क्या याद करोगे ? “

अंशु और शिवानी दोनों अपने अपने स्कूटी से हॉल गए . दोनों अपने अपने हाथ में आइसक्रीम लिए मूवी हॉल में बैठ गए . अंशु साथ में पॉपकॉर्न का एक बड़ा बाउल भी ले आया था . दोनों उसी बाउल को शेयर कर रहे थे . अंशु बीच बीच में जानबूझ कर कॉर्न पिक करने के बहाने शिवानी की अंगुलियां छू लेता था . शिवानी बोली “ मैं सब समझ रही हूँ . तुम पॉप कॉर्न के बहाने क्या करना चाहते हो . “

“ धीरे बोलो , बाजू वाला सुन रहा है . पिटवायेगी क्या ? “

मूवी देखने के बाद अंशु ने कहा “ चलो , सिटी पार्क में चल कर वहां कॉफ़ी पीते हैं . “

“ देर हो जाएगी . मम्मा वेट कर रही होगी . “

“ नो , ज्यादा देर नहीं होगी बस 15 - 20 मिनट और . “

दोनों पार्क की बेंच पर बैठे कॉफ़ी सिप कर रहे थे . अंशु बोला “ शिवानी , अब तो हमारी पढ़ाई खत्म हो गयी . अब हम दोनों को अपने बारे में भी सोचना चाहिए . तुमने मम्मा से मेरे बारे में कुछ बात की है . “

“ नहीं , सीधे तौर पर नहीं . पर वह माँ है , सब जानती है नहीं तो इतना तो जरूर जानती है कि हम दोनों अक्सर मिलते जुलते हैं . और लड़की हो कर मैं क्या बोलूं उनसे कि मेरी शादी अंशु से करा दीजिये . अगर शादी की कभी बात चली और मेरी पसंद पूछी जाए तो बात कुछ और है . पर सबसे बड़ी बात यह है कि मैंने तुम्हारे बारे में फिलहाल ऐसा सोचा भी नहीं है . “

“ क्या मतलब ? दो साल से हम इतने घुलमिल गए हैं तो ऐसा सोचने में क्या बुरा है ? क्या मैं बुरा हूँ या मेरे परिवार में कोई बुराई है ? “

“ रिलैक्स . तुम मुद्दे से भटक गए हो . वैसे तुम्हारे बारे में मेरा कोई निगेटिव ओपिनियन नहीं है . और अभी तो हम दोनों को दो साल और अमेरिका में पढ़ना है . तुम ईस्ट कोस्ट न्यू यॉर्क जा रहे हो और मैं वेस्ट कोस्ट कैलिफ़ोर्निया . पढ़ाई के बाद हमें कहाँ जॉब मिलता है या नहीं भी मिले तो किसी एक को या दोनों को वापस इंडिया आना पड़े . इस दौरान बहुत कुछ झेलना बाकी है . जरा सैटल हो लेते हैं , फिर इस बारे में फैसला करते हैं . “

शिवानी और अंशु दोनों मध्यम परिवार से थे . दोनों अलग अलग प्रांत के निवासी थे और दोनों की जाति अलग थी पर शिवानी का परिवार आधुनिक विचार का था जबकि अंशु का रूढ़िवादी और जाति प्रथा में विश्वास रखता था . शिवानी के पापा का अपना बिजनेस था जिसके लिए उन्होंने बैंक से लोन ले रखा था . हालांकि दोनों परिवारों में कोई ख़ास निकटता नहीं थी फिर भी अंशु को उम्मीद थी कि अगर दोनों शादी करने का फैसला करें तो उनके माता पिता को जाति ले कर कोई ऐतराज नहीं होनी चाहिए .

तीन महीने बाद अंशु अमेरिका चला गया . शिवानी को पुणे की आईटी कंपनी में जॉब मिल गया था . उसे भी कुछ महीने बाद अमेरिका जाना था पर उसने सोचा इसी बीच नौकरी कर कुछ पैसे वह भी बचा लेगी . शिवानी के पिता ने अपने बिजनेस और नए घर के लिए पहले से ही लोन ले रखा था , वे और ज्यादा लोन लेने की स्थिति में नहीं थे . शिवानी के लिए अगर स्टूडेंट लोन भी लेते तो उसका व्याज भी उन्हें भरना पड़ता जब तक शिवानी को जॉब नहीं मिलता . उन्हें उम्मीद थी कि इस दौरान आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाएगी . उन्होंने बेटी को एक दो साल बाद अमेरिका जाने की सलाह दी पर शिवानी को इस से ज्यादा परेशानी होनी थी . उसे अमेरिका में पढ़ाई के लिए कुछ टेस्ट्स फिर से देने पड़ते . उसने कहा कि एक सेमेस्टर के लिए उसने यूनिवर्सिटी से परमिशन ले लिया है , कुछ पैसे अपनी नौकरी से बचाएगी . अगर उसे कुछ पैसे और मिल जाते तो एक सेमेस्टर की फीस जमा कर वह अमेरिका जा सकती है . फिर वहां कुछ पार्ट टाइम जॉब कर आगे का खर्च निकाल लेगी . शिवानी की माँ ने अपने गहने बेच कर शिवानी को तत्काल काम लायक रुपये दिए .

छः महीने के अंदर शिवानी ने अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी ज्वाइन किया . अंशु पहले से ही न्यू यॉर्क में था , पर दोनों के बीच दूरी इतनी ज्यादा थी कि फ़िलहाल मिलने का सवाल नहीं था . दोनों फोन और लैपटॉप से संपर्क में थे . अंशु को स्कालरशिप इतना मिल जाता था कि उसकी जरूरतें पूरी हो जाती थीं . शिवानी ने अपना ट्यूशन फी तो आने के पहले ही जमा कर दिया था बाकी रहने और खाने पीने के लिए उसे अतिरिक्त पैसे चाहिए थे . इसके अलावा उसे अगले सेमेस्टर की फीस तीन महीने के अंदर जमा करनी थी . शिवानी के लिए जॉब मिलना बहुत कठिन था . उसने अंशु से इसकी चर्चा की तो उसने कहा “ तुम नेट पर कोई प्राइवेट फैमिली जॉब , जैसे - स्कूल के बच्चों की कोचिंग , बेबी सिटिंग आदि सर्च करो . पर इफ यू डोंट माइंड इंडियन फैमिली में बेबी सिटींग या कुकिंग का पार्ट टाइम जॉब मिलना ज्यादा आसान है . तुम जो भी पेमेंट लेना कैश में , चेक में लेने से टैक्स देना पड़ सकता है और दूसरी बात यह कि तुम स्टूडेंट वीजा पर नौकरी नहीं कर सकती हो . “

“ पर क्या तीन महीने में इतने पैसे आ जायेंगे इस तरह ? “ शिवानी ने पूछा

“ नहीं पूरा तो नहीं हो पायेगा . मैंने भी कुछ इसी तरह का पार्ट टाइम काम कर के पैसा इकट्ठा किया है , कुछ पैसे तुम्हें दे सकता हूँ . इंतजाम हो जायेगा डोंट वरी . “


क्रमशः भाग 2


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