Gender Disparity - 3 - last part books and stories free download online pdf in Hindi

जेंडर डिस्पैरिटी भाग 3 अंतिम भाग

दो परिवारों की सोच में अंतर के कारण दो प्रेमी एक न हो सके . दोनों अपनी भारत में पढ़ाई कर स्नातकोत्तर के लिए USA जाते हैं . पढ़िए कैसे वे सदा के लिए जुदा हो जाते हैं


कहानी - जेंडर डिस्पैरिटी भाग 3 अंतिम भाग


अब अंशु और शिवानी दोनों नौकरी की तलाश में थे .अमेरिका में नौकरी के अवसर पर्याप्त थे पर नए नियमों के तहत H1 B जॉब वीजा मिलना कठिन हो गया था , साथ ही कंपनियां इस वीजा को स्पॉन्सर करने से कतरा रही थीं . अमेरिकी नियम के अंतर्गत दोनों को एक साल के लिए OPT ( ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग ) मिला था . इस दौरान वे नौकरी कर सकते थे . इत्तफ़ाक से दोनों को कैलिफ़ोर्निया के एक ही कम्पनी में नौकरी मिली . शिवानी रिचर्ड से मिलने आखिरी बार गयी .उसने शिवानी को ढेर सारे गिफ्ट्स दिए . अंशु और शिवानी दोनों कैलिफ़ोर्निया के सनी वेल शहर में आये और दोनों एक अपार्टमेंट काम्प्लेक्स में एक डबल रूम अपार्टमेंट में रहने लगे . दो सप्ताह के अंदर ही शिवानी ने अपना रूम शेयर करने के लिए एक और लड़की खोज लिया . अंशु एक रूम में अकेला और शिवानी के रूम में एक और लड़की थी . शिवानी अपने और अंशु के लिए खाना बनाती और दूसरी लड़की अपना खाना अलग बनाती थी .

दोनों अक्सर लंच उन्हें ऑफिस में ही फ्री मिल जाता था और डिनर ज्यादातर शिवानी के साथ होता , कभी डाइनिंग रूम में तो कभी अंशु के रूम में . वीकेंड में ज्यादातर खाना बाहर ही होता था . अक्सर डिनर के बाद शिवानी अंशु के रूम में देर तक बैठती . यह कोई लिव इन रिलेशन नहीं था . इस बीच दोनों और नज़दीक जरूर आये और भावनात्मक रूप से भी करीब हुए पर दोनों ने मर्यादा की सीमा कभी नहीं तोड़ी .


अंशु और शिवानी जिस कम्पनी में काम कर रहे थे वह एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी थी जिसके ब्रांच भारत के मेट्रो सिटीज में भी थे . कम्पनी भारत में अपना बिजनेस बढ़ाने जा रही थी . वहां के चीफ ने दोनों से पूछा “ हमें भारत में काम करने लिए कुछ लोगों की जरूरत है . क्या तुम दोनों वहां जाना चाहोगे या फिर H 1 B के लिए अगले वर्ष कोशिश करोगे ? “

दोनों ने कहा “ एक बार प्रयास जरूर करेंगे पर यदि यहाँ वीजा नहीं मिला तो हम आपकी कंपनी में भारत में जाना चाहेंगे . “

“ हमारी कंपनी तो H1 स्पॉन्सर नहीं करने वाली है फिर भी गुड लक टू यू बोथ . हमारा ऑफर ओपन है तुम दोनों के लिए . “ चीफ ने कहा

देखते देखते एक साल बीत गया . शिवानी या अंशु किसी को भी जॉब वीजा न मिला . उनके कम्पनी के चीफ ने कहा “ तब तुमने क्या सोचा है ? मुंबई ब्रांच में दोनों को पोस्ट कर दूँ या अलग अलग शहरों में . जहाँ तक मैं समझ रहा हूँ तुम दोनों ने जरूर शादी करने की सोच रखी है .माफ़ करना अगर मैं गलत हूँ .”

शिवानी बोली “ आपको सॉरी होने की कोई बात नहीं है सर . अंतिम निर्णय इंडिया जाने पर दोनों परिवारों से बातचीत के बाद ही होगा पर शादी की संभावना से इंकार नहीं कर सकते .”

“ ओह , यू स्टिल बिलीव इन अरेंज्ड मैरेज .”

अंशु ने कहा “ सिर्फ वही एक कारण नहीं है सर . हमारे यहाँ शादी सिर्फ लड़के लड़की का आपसी संबंध नहीं होता है बल्कि दो परिवारों का मिलन होता है .”

“ गुड आइडिया , अच्छा लगा सुनकर . माय बेस्ट विशेज इन एडवांस .”

अंशु ने शिवानी से कहा “ देखो बॉस भी हमारे रिश्ते की बात कर रहा है . जहाँ तक मैं समझ रहा हूँ अब हमें भी फैसला कर ही लेना चाहिए बल्कि फैसला तो तुम्हें ही लेना है . मैं तो पहले से ही तैयार हूँ . तुम तैयार हो तो हम इंडिया चल कर शादी कर लेंगे . “

“ हाँ वो तो ठीक है पर याद है तुम ने ही कहा था कि मम्मी को मनाना पड़ेगा हमारे रिश्ते के बारे में . “

“ उम्मीद है मम्मी मान जाएगी . “

“ अगर नहीं मानी तो क्या तुम कोर्ट मैरेज करने का साहस रखते हो . मेरे मम्मी पापा तो मेरी बात मान सकते हैं . “

अंशु ने शिवानी से कहा “ अभी से निगेटिव क्यों सोचती हो . सब ठीक होगा . “

दो महीने बाद शिवानी और अंशु दोनों ने मुंबई में अमेरिकी कंपनी में ज्वाइन किया . मुंबई में एक अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स में दोनों अलग अलग फ्लैट में रहते थे . शिवानी ने पापा के दिल की बीमारी के चलते ग्राउंड फ्लोर लिया और अंशु तीसरी मंजिल पर रहता था . कुछ दिनों बाद दोनों के माता पिता आये . दोनों के माता पिता को उनकी नजदीकियां की खबर थी .

एक दिन अंशु की माँ ने बेटे से कहा “ बेटा , हम चाहते हैं कि अब तू शादी कर ले . हमलोगों के पास भी कुछ रिश्ते आये हैं . पर हमें तुम्हारी पसंद भी जाननी है , मगर शिवानी हमें मंजूर नहीं है . बात सिर्फ उसकी जाति की नहीं है . तुमने एक बार खुद कहा था कि शिवानी किसी अमेरिकी मर्द की केयर टेकर भी रही है . फिर तुम दोनों एक ही घर में रहते थे . मुझे उसके चरित्र पर संदेह है . “

“ माँ , मैंने तुम्हें बताया था कि अमेरिका में हम दोनों करीब एक साल एक ही फ्लैट में साथ रहे थे . वैसे भी मुश्किल से 10 दिन हम दोनों रहे थे कि उसके बाद शिवानी के साथ रहने के लिए एक और लड़की आ गयी . हम दोनों सिर्फ पैसा बचाने के लिए एक ही फ्लैट में रह रहे थे . यह अमेरिका में आम बात है . मैं तुम्हें नहीं भी बता सकता था . हमारे बीच और कुछ नहीं था . ऐसे में शिवानी पर तुम्हारा शक़ करना बेकार है . पर शक़ तो तुम्हें मेरे चरित्र पर भी उतना ही करना चाहिए . “

“ शक तो मुझे फिर भी शिवानी पर ही होगा कि जानबूझ कर तुम्हें अपने जाल में फंसा कर बाद में वह शादी के लिए दबाव देगी . “

“ नहीं माँ , शिवानी को मैं बहुत नज़दीक से जानता हूँ वो ऐसी लड़की नहीं है . “

“ माँ , अगर ऐसी बात होती तो हम दोनों अमेरिका में ही शादी कर लेते . तब तुम क्या करती ? “

“तब शिवानी को मैं अपनी बहू जिंदगी भर नहीं मानती . “

“ और मुझे ? “

“ शायद तुम से भी कोई रिश्ता नहीं रखती . “

माँ की बात सुन कर अंशु अवाक रह गया . वह खामोश रहा पर उसके चेहरे पर उदासी साफ़ झलक रही थी .

अगले दिन अंशु ने शिवानी को माँ से हुई बातों की चर्चा की पर उसके चरित्र पर माँ की शंका की बात छुपा गया . करीब एक महीने बाद दिवाली थी . शिवानी के माता पिता मिठाई का पैकेट ले कर अंशु के घर गए . वे अंशु और उसके माता पिता के साथ बैठे बातें करने लगे . बातों बातों में शिवानी के पिता ने कहा “ हम लोग अब शिवानी की शादी जल्द ही करना चाहते हैं . मैं दिल का मरीज भी हूँ , जितनी जल्द उसे हाथ पीले कर दूँ अच्छा होगा . अंशु और शिवानी बहुत दिनों से एक दूसरे को अच्छी तरह जानते हैं . अंशु को कैसी लड़की चाहिए . हमें तो अंशु अच्छा लगता है . हम लोग आपके विचार जानने आये हैं . “

अंशु की माँ ने बिना देर किये पलट कर कहा “ अंशु के लिए हमें सीधी सादी लड़की चाहिए . जो लड़की एक साल किसी लड़के के साथ रही हो और डेढ़ साल किसी पुरुष की केयर टेकर बन कर रही हो उसके चरित्र का क्या भरोसा . “

“ माँ , क्या बिना सोचे समझे बोल जाती हो . इसका मतलब तुम्हें अपने बेटे पर भी भरोसा नहीं है . “ अंशु ने नाराज हो कर ऊँची आवाज में कहा .

माँ बोली “ मर्द का चरित्र दुनिया नहीं देखती है . “

शिवानी के माता पिता को इस तरह के व्यवहार की उम्मीद नहीं थी . वे उठ कर खड़े हो गए और बोले “ अच्छा , अब हम चलते हैं . मुझे अपनी बेटी पर पूरा भरोसा है , हम नहीं जानते आपको अपने बेटे पर कितना भरोसा है . “

इसके बाद शिवानी दफ्तर में अंशु से कटी कटी रहने लगी थी . बस हाय , हेलो , कैसे हो . मैं ठीक हूँ . इसी तरह की फॉर्मल बातें होतीं . अंशु कैंटीन में उसके साथ लंच टाइम में एक ही टेबल पर बैठना चाहता तो वह उसे इग्नोर करती . कभी साथ बैठता भी तो कुछ बात नहीं करती . अंशु के कुछ पूछने के बाद हाँ , हूँ या इसी तरह के शार्ट जबाब दे कर अपना पल्ला झाड़ लेती थी .

अंशु ने जब कहा “मैं तुम्हारी नाराज़गी का कारण जानता हूँ शिवानी . पर मेरा उससे कोई लेना देना नहीं है . “

“ पर मेरा लेना देना तो है न . और जब तुम मेरी नाराज़गी जानते हो तो फिर आग में घी क्यों डालते हो? मेरे लिए तुम इस कंपनी में काम करने वाले एक आम कर्मचारी हो बस . अच्छा मैं चलती हूँ . “

इधर कुछ दिनों से शिवानी काम पर नहीं आ रही थी . करीब दो सप्ताह बाद जब अंशु ने जेनरल मैनेजर से शिवानी के बारे में पूछा तो उसने कहा “ ताज्जुब है , तुम दोनों इतने करीब रहते हो और मुझसे पूछ रहे हो . उसने अमेरिका में चीफ से बात कर अपना ट्रांसफर बेंगलुरु करवा लिया है . आज तो उसे वहां ज्वाइन करना था . “

अंशु थैंक्स बोल कर जी एम के चैम्बर से बाहर निकला और उसने शिवानी को फोन किया “ शिवानी तुम कहाँ हो ? “

“ मैं जानती हूँ तुम्हें खूब पता है कि मैं कहाँ हूँ . “

“ तुम बेंगलुरु क्यों चली गयी . हम लोग आपस में बात कर के कुछ रास्ता निकालते न . “

“ जिस रास्ते में नो एंट्री लिखा हो उसमें मैं अनाधिकार प्रवेश यानि ट्रेसपास नहीं करना चाहती हूँ . “

“ तो मैं भी बेंगलुरु ट्रांसफर करा लूँ ? “

“नो वे . अगर तुम ऐसा करोगे तो मैं कहीं और ट्रांसफर करा लूंगी या रिजाइन कर दूँगी . “

इसके बाद से शिवानी ने अंशु का नंबर ब्लॉक कर दिया . उसे पता चला कि अंशु भी बेंगलुरु ट्रांसफर कराने की कोशिश में है तब उसने चीफ को बोल कर अपना ट्रांसफर अमेरिका करवा लिया . वैसे भी मुंबई से ट्रांसफर के समय ही उसने चीफ से L 1 वीजा पर इंटर कम्पनी ट्रांसफर के लिए बोल रखा था . जब तक अंशु बेंगलुरु पहुंचा वह अमेरिका जा चुकी थी .

शिवानी के अमेरिका का फोन नम्बर अंशु के पास नहीं था इसलिए उसने शिवानी को ईमेल में लिखा “ शिवानी तुमने ऐसा क्यों किया ? तुम क्या समझती तो मैं अमेरिका नहीं आ सकता हूँ . “

शिवानी ने जबाब दिया “ तुम क्या समझते हो मैं कम्पनी को छोड़ कर कहीं और नहीं जा सकती हूँ ? “

“ आखिर तुम मुझसे इतनी नाराज क्यों हो ? “

“ तुमने तो कहा था कि तुम कारण जानते हो फिर मुझसे क्यों सुनना चाहते हो ? अगर सुनना ही चाहते तो सुनो - मैं तुम्हारे पेरेंट्स के कैरेक्टर सर्टिफिकेट की मोहताज़ नहीं हूँ . कितना जेंडर डिस्पैरिटी है तुम्हारे घर में . लड़की कैरेक्टरलेस और लड़का सदा गुड कैरेक्टर वाला . तुम मुझे बहुत बुज़दिल लगते हो . अब मैं तुम्हारा मेल भी ब्लॉक कर रही हूँ . ये हमारी आखिरी कन्वर्सेशन है . “

शिवानी ने अंशु को हमेशा के लिए ब्लॉक कर दिया .


समाप्त