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Hostel Boyz (Hindi) - 16

प्रकरण 23 : कॉलेज में क्रिकेट वॉलीबॉल की मस्ती

कॉलेज में रमत गमत के लिए बड़ा मैदान था जहां पर सब छात्र मिलकर खेलते थे। हमारे क्लास में से आधे लोग क्रिकेट खेलते थे और बाकी के लोग वॉलीबॉल खेलते थे। लड़कियां अपने हिसाब से indoor games खेलती थी। कॉलेज खत्म होने के बाद हम लोग क्रिकेट, वॉलीबॉल खेलने जाते थे। हमारे कॉलेज का नया बिल्डिंग बनने जा रहा था इसलिए इसमें लिमिटेड क्लास चल रहे थे जिसमें छात्रों की संख्या भी लिमिटेड थी।

हम लोग खेल में कभी-कभी इतने मशगूल हो जाते थे कि समय का पता ही नहीं चल पाता था। जब शाम ढलने लगती थी तब हमें पता चलता था कि हमारे बस निकल गई होगी। हमारे कॉलेज कालावड रोड पर स्थित थी और हमें हॉस्टल के लिए लीमड़ा चौक में जाना पड़ता था। तभी सिटी बस की इतनी frequency नही थी। हमको लास्ट बस शाम को 5:30 बजे मीलती थी बाद में हमको ओटो पकड़ कर हॉस्टल में जाना पड़ता था। कभी-कभी धमो, पंकज, आशीष और हेमल मुझको हॉस्टल पर छोड़ने आते थे। वह लोग राजकोट में ही रहते थे इसलिए वह लोग बाइक और स्कूटी लेके कॉलेज में आते थे।

कभी-कभी हम लोग दूसरे क्लास की टीमों के साथ भी मैच खेलते थे। जब दूसरे क्लास की टीमों के साथ हम लोग मैच खेलते थे तभी हमको cheers करने के लिए हमारे क्लास की लड़कियां भी मैदान में आती थी। हमारे ग्रुप में से कई सारे क्रिकेट और वॉलीबॉल के अच्छे खिलाड़ी थे। अगर कॉलेज की ओर से हमें मार्गदर्शन मिला होता तो हम state level तक जा सकते थे। उन दिनों कॉलेज के मैदान में खेलने का मजा ही कुछ ओर था जो आजकल देखने को नहीं मिलता है।

प्रकरण 24 : कॉलेज की कैंटीन में मस्ती

वैसे तो, हम हॉस्टल मे दोपहर का खाना खाकर ही कॉलेज में जाते थे लेकिन कभी-कभी फ्री पिरियड या कॉलेज में ब्रेक के दरमियान हम लोग कैंटीन में नाश्ता करने जाते थे। कभी-कभी हम सब लोग कॉलेज के मैदान में बैठकर नाश्ता करते थे। हमारे क्लास की लड़कियां अपने अपने घर से ही नाश्ता लेकर कॉलेज में आती थी। उसका नाश्ता हम लोग मिलकर खा जाते थे। लड़कियां भी हमको खुशी-खुशी अपना नाश्ता खिलाती थी बाद में हम लोग लड़कियों को कैंटीन में नाश्ता खिलाते थे। यह एक निर्दोष फ्रेंडशिप का उदाहरण था। कॉलेज के ग्राउंड में एक दूसरे की मस्ती करते हुए हम लोग नाश्ता करने का लुफ्त उठाते थे, वह नाश्ता हमें जिंदगी भर के लिए याद रहेगा।

हमारे गुटखा खाने की आदत से लड़कियां परेशान
हमारी गुटखा खाने की परंपरा हमने कॉलेज में भी निभाई रखी थी। हमारे क्लास में ज्यादातर लोग व्यसन से दूर रहते थे लेकिन हम लोग व्यसन करते थे। हम लोग गुटखा खाने की परंपरा ब्रेक के दरमियान निभा लेते थे। हमारी यह आदत की वजह से लड़कियां परेशान रहती थी। कभी कोई important topic पर चर्चा हो रही हो तो हम लोग थूकने चले जाया करते थे, उसमें लड़कियां irritate होती जाती थी और हमको कहती थी "आप लोग गुटखा खाना छोड़ क्यों नहीं देते" तब हम लोग भी मजाक में उसे कहते थे कि "हम आपसे बात करना छोड़ सकते हैं लेकिन गुटखा खाना नहीं छोड़ सकते" हमारी यह बात सुनकर वह हंसने लगती थी।

क्रमश: