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कोरोना प्यार है - 5

(5)

व्हाहटसप पर आये इसे पत्र को पढ़कर आलोकनाथ दुखी थे। उनकी चिंता अंजना समझ गयी थी। उसने भी विनोद का पत्र पढ़ा। सुपर्णा शुरू से ही ऐसी थी। मन मर्जी के कार्य करना उसकी आदत थी। आलोकनाथ अपनी बेटी सुपर्णा को समझाने में असफल रहे थे। अंजना भी चाहती थी कि सुपर्णा और विनोद हंसी-खुशी रहे। मगर सुपर्णा ने कभी किसी की नहीं सुनी। सुपर्णा अपनी छोटी बहन चंचला की जरूर सुनती थी मगर मानती वो अपनी दिल की ही थी।

अंजना चाहती थी कि वह अपनी बेटी की गृहस्थी में क्लेश समाप्त करने के लिए वह सुजाता की मदद ले। आलोकनाथ भी यही चाहते थे। अंजना जिस सोशल वर्किंग कमेटी की सदस्या थी, सुजाता भी उस क्लब की सदस्या थी। दोनों क्लब की मीटिंग आदि में मिला करते थे। मगर अंजना ने सुजाता से निजी बातें कभी शेयर नहीं की। अंजना सुजाता के विषय में जानती थी। सुजाता सामाजिक मामलों की जानकार महिला थी। उसने ऐसे बहुत से घर टुटने से बचाये थे जो पारिवारिक कलह और परस्पर गलतफहमियों के कारण विच्छेद होने की कगार पर आ खड़े हुये थे।

अंजना ने सुजाता को फोन कर सभी बातें बतायी। साथ ही प्रार्थना की वह विनोद और सुपर्णा के गृहस्थी को पुनः बहाल करने की कोशिश करे। सुजाता ने सुपर्णा को सिर्फ एक बार ही देखा था। वह भी उसकी शादी में। सुजाता के सामने यह बहुत बड़ी चुनौती थी। बिना जान पहचान के वह सुपर्णा से ऐसे-कैसे उसके निजी जीवन के बारे में बात करे? बहुत सोच विचार कर उसने सुपर्णा से सोशल नेटवर्किंग साइट पर दोस्ती की। सुजाता ने उसकी प्रशंसक बनकर उससे मेल-जोल बढ़ाने की शुरूआत की। सुपर्णा बहुत खुश थी। क्योंकि सुजाता अक्सर उसकी तारिफें किया करती।

कुछ ही दिनों में सुजाता और सुपर्णा बहुत अच्छी सहेली बन गयी थी। लाॅकडाउन में दोनों फोन पर बातें करने लगे। सुजाता ने उसके निजी जीवन पर चर्चाएं छेड़ दी। सुपर्णा ने एक के बाद एक अपने घर की सभी बातें शेयर की। उसने बताया कि उसके पति विनोद उससे छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करने को तैयार रहते है। उन्हें सुपर्णा की स्वतन्त्रता अच्छी लगती। वे चाहते है कि सुपर्णा घर की नौकरानी बनकर रहे। सुपर्णा को अपने सपने पुरे करने का क्या कोई अधिकार नहीं है? सब उसे झगड़ालु समझते है। मायके में भी उसकी कोई सुनने वाला नहीं है। इसलिए उसने तय किया कि वह अब सिर्फ अपने लिये ही जियेगी। सुपर्णा वह सब करेगी जिसके लिए वह हमेशा से तरसती आयी है। सुपर्णा का गायन में शौक था। वह कुशल नृत्यांगना थी। नृत्य का उसने औपचारिक प्रशिक्षण भी लिया था। मगर उसे अपने श़ौक का बलिदान देकर एक बहुत साधारण से आदमी विनोद से विवाह करना पड़ा। सुजाता ने सुपर्णा की सभी बातें ध्यान से सुनी। उसने सुपर्णा को सही ठहराया। सुजाता चाहती थी की सुपर्णा अपने नृत्य करते वीडियों फेसबुक पर अपलोड करे। साथ ही देश वासियों को कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रखने की सलाह भी दे। इस महामारी से बचने के उपाय भी बताये। सुपर्णा ने सुजाता की सभी बातें मान ली। उसने शिव ताडंव स्त्रोत पर मन मोहक नृत्य प्रस्तुति का वीडियो बनाया। यह वीडियो स्वयं विनोद ने शुट किया। विनोद को अपने भरोसे में लेकर ऐसा करने की सलाह सुजाता ने स्वयं विनोद को दी थी। विनोद ऐसा करने के लिए मान गया था। सुजाता ने अंजना से कहा कि वो अपने पारिवारिक रिश्तेंदारों और अन्य सदस्यों से कहे की सुपर्णा के वह नृत्य वाली वीडियो अवश्य देखे। और उस वीडियो पर अच्छे-अच्छे कमेंट्स भी लिखकर दे। कुछ ही दिनों में सुपर्णा का वह वीडियो लाखों लोगों ने फेसबुक पर देखा। बहुत से लोगों ने उसे लाइक और शेयर किया। अंजना और आलोकनाथ ने अपनी बेटी के वीडीओ पर प्रशंसा भरे कमेंट्स किये। विनोद ने अपना अहम छोड़कर सुपर्णा की तारिफ की। गैरों के साथ अपनों के कमेंट्स देखकर सुपर्णा की आंखे भर आयी। उसने सुजाता को फोन मिलाकर यह सब बताया। अब सुजाता ने सही वक्त जानकर अपने मन की बात सुपर्णा को बतायी। उसने सुपर्णा से कहा कि वह आगे भी ऐसे नये -नये वीडियो बनाकर अपलोड करती रहे। देखना वह एक दिन डांसिंग क्वीन बन जायेगी। सुपर्णा बहुत खुश थी। सुजाता ने आगे कहा कि अब सुपर्णा को थोड़ा अपने परिवार की ओर भी ध्यान देना चाहिए। उसका पति साधारण ही सही मगर सुपर्णा से इतना प्यार करता है कि बिना किसी शिकायत के चुपचाप सुपर्णा के सभी नाज-ओ-नखरे उठाने को तैयार है। उसके दुखमय गृहस्थ जीवन का सुनकर आलोकनाथ और अंजना भी परेशान है। अतः सुपर्णा को अपने सपने पुरे करने के साथ-साथ इन सभी की इच्छाओं का भी ध्यान रखना चाहिए। सुजाता ने सुपर्णा के सोशल वर्किंग पर भी टिप्पणी की। उसने कहा कि औरत को पहले अपना घर संवारना चाहिए। यदि वहा सबकुछ ठीक है और पति एवं बच्चों को समय देने के बाद यदि कुछ समय बचता है तो फिर उसे समाज सेवा में व्यय करने में कोई गल़त बात नहीं है। कुछ समय अवश्य लगा किन्तु धीरे-धीरे सुपर्णा को सभी बातें समझ में आ गयी। वह स्वयं भी घर की ये रोज़-रोज़ की कलह से परेशान हो चूकी थी। अतः वह चाहती थी ये सब जल्दी खत्म हो। जिससे की वह अपने हुनर को निखारने में खुद को समय दे सके। वह भी अपने परिवार को साथ में लेकर।

सुपर्णा की गृहस्थी धीरे-धीरे पटरी पर आने लगी थी। स्वयं विनोद ने अपने अगले व्हाहटसप पत्र में इस बात की पुष्टि की थी। अंजना और आलोकनाथ इस बात से बहुत प्रसन्न थे। उन्होंने सुजाता को फोन कर इसके लिए धन्यवाद दिया था। चंचला ने यह बात धीरज को बतायी। धीरज भी सुजाता की तारिफ किये बिना नहीं रह सका।

शादीयों का मौसम चल रहा था। सुजाता शादी के रिसेप्शन अटेंड करते-करते थक गयी। अगले एक सप्ताह तक उसका उसका व्यस्ततम शेड्यूल था। अपनी सगी बहन निधि के यहां उसके देवर की शादी थी। पलक ने कुछ दिन पुर्व ही विवाह आयोजनों में सम्मिलित होने का उससे आग्रह किया था। सुजाता मना नहीं कर पाई। उसने पति पार्थ से निवेदन किया कि वह अन्य रिश्तेदारों के विवाह आयोजनों में सहभागिता करे और आवश्यक दान-व्यवहार प्रेषित करना सुनिश्चित करे। पार्थ सहमत था। घर में इतनी सारी विवाह की पत्रिकाएं आई थी की सभी के यहां एक साथ जाना बहुत कठिन कार्य था। तब सुजाता ने घर के प्रत्येक सदस्यों को पृथक-पृथक रिश्तेंदार और बंधु-बांधव के यहां वैवाहिक आयोजनों में सम्मिलित होने का उचित प्रबंध कर दिया। सुजाता ने अपने सास-ससुर, देवर और ननंद को आमंत्रित वैवाहिक आयोजनों में सम्मिलित होने की व्यवस्था कर दी। उसके प्रबंधन को सभी ने स्वीकार कर लिया। वह एक कुशल गृहप्रबंधक गृहिणी थी। उसकी सलाह-मश़वरा मायके और ससुराल दोनों में सुनी जाती थी। उसके सौम्य व्यवहार और सकारात्मक कूटनीति से हर कोई प्रभावित था।

"भाभी! मैं ट्रेन में हूं। ऊपर की बर्थ मिली है।" सुजाता की ननंद पलक फोन पर सुजाता से कह रही थी।

"वेरी गुड! सुबह तक मुम्बई पहुंच जायेगी न!" सुजाता ने पुछा।

"हां भाभी! मगर एक प्राॅब्लम है?" पलक बोली।

"हां बता! क्या बात है?" सुजाता ने पुछा।

"भाभी मैं उपर की बर्थ पर हुं। सामने की बर्थ पर दो लड़के बैठे है। मुझे बहुत देर से घूर रहे है। कुछ-कुछ कमेण्टस भी पास कर रहे है। उनके कुछ दोस्त भी नीचे ही है। मुझे थोड़ा डर लग रहा है।" पलक ने बताया।

"बस इतनी सी बात। तु एक काम कर। सामने बैठे उन लड़को से बातचीत शुरू कर दे। उनसे उनकी पढ़ाई-लिखाई और हाॅबी वगैरह पुछ।" सुजाता ने कहा।

"मगर इससे क्या होगा?" पलक ने पूछा।

"मैंने जैसा कहा वैसा कर पहले।" सुजाता ने कहा। सुजाता ने फोन काट दिया।

"हाय! आप लोग कहां जा रहे है? पलक ने सम्मुख बैठे उन लड़को से पुछा।

वो दोनों युवक व्यवस्थित होकर बैठ गये। "हॅलो। हम लोग मुम्बई जा रहे है।" एक ने बताया।

"हमारा वहां क्रिकेट मैच है।" दुसरे ने बताया।

पलक भी अपने कॉलेज में क्रिकेट प्लेयर थी। बस फिर क्या था। क्रिकेट जगत की बातों का सिलसिला आरंभ हुआ। पलक की क्रिकेट नाॅलेज ने सभी को प्रभावित कर दिया। नीचे बैठे अन्य क्रिकेट प्लेयर भी इस चर्चा में शामिल हो गये। रात के तीन बज चूके थे। ऊपर बैठे युवक में से एक नीचे आकर अपनी सीट पर सो गया। सभी चैन की नींद ले रहे थे। पलक भी सोने को तैयार थी। सोने से पुर्व उसने सुजाता को इस सफलता की कहानी सुनाई। सुजाता प्रसन्न थी।

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"सोनिया! बात इतनी भी बड़ी नहीं जिसके लिए तु अपनी गृहस्थी तोड़ने का सोच रही है।" सुजाता अपनी बचपन की सहेली सोनिया को समझा रही थी। वह सोनिया से मिलने उसके घर आई थी। कुछ दिनों से सोनिया और मंयक के बीच तना-तनी चल रही थी। दोनों का मन-मुटाव बढ़ता ही रहा था। सोनिया उसकी बचपन की सहेली थी। इसलिए सुजाता से रहा नहीं रहा गया।

"ये बात तुझे छोटी लग रह रही है। रात-रात भर मैं सो नहीं पाती। बिस्तर पर मछली की तरह तड़पती रहती हूं। अब तुझे और क्या बताऊं?" बोलते हुये सोनिया की आंखें नीचे हो गयी।

"देख सोनिया, बदलता परिवेश, खान-पान और व्यस्त  जीवन शैली के कारण यौन शक्ति में कमी आ जाती है। समुचित उपचार से मंयक ठीक हो सकता है।" सुजाता ने कहा।

"मगर वो इलाज के लिये तैयार नहीं है सुजाता। उसे समझा-समझा कर मैं तो थक चूकी हूं।" सोनिया ने चिढ़ते हुये कहा।

सुजाता ने सोनिया का हाथ अपने हाथों में लिया। यह संकेत था कि उसके हृदय में जो भी है वह कहकर अपना दिल हल्का कर ले।

"सुजाता! कभी-कभी तो मन करता है कि या तो इस रिश्तें को बचाये रखने के लिये अपने पुरूष मित्रों से सहयोग मांग लूं!" सोनिया बोली।

"तु पागल हो गयी है क्या? तुझे पता है तु क्या कह रही है?" सुजाता कुछ कठोर स्वर में बोली।

"तो मैं क्या करूं सुजाता? तु ही बता।" सोनिया बोली।

"जरा सोच! मयंक के स्थान पर अगर तू होती तो? यदि वह तुझे छोड़कर अन्यत्र संबंध बनाता तब तुझे क्या अच्छा लगता? मैं मंयक से बात करूंगी। तु हिम्मत रख। सब ठीक हो जायेगा।" कहते हुये सुजाता ने सोनिया को गले लगा लिया।

सोनिया को सुजाता से बहुत हिम्मत मिली। उसने अपने रिश्तें को एक ओर मौका देने पर सहमति दे दी। मंयक से इस संबंध में बात करना एक महिला होकर सुजाता के दिए सरल नहीं था। किन्तु विषय उसकी प्रिय सहेली के जीवन का था। अतः उसने मंयक से कहीं बाहर मिलने का विचार किया।