Shubharambh - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

शुभारंभ - 1

भाग - 1

आज मेरा बारहवीं का रिजल्ट आया। मैंने 98% प्रतिशत अंक प्राप्त किया। मेहनत भी तो बहुत किया था। पढ़ाई में नहीं, शाम को बैक टू बैक सीरियल ना देखने की मेहनत। पढ़ाई में तो मैं बचपन से अच्छा रहा हुं। परंतु जब कोई सुनता है कि मैं सीरियल देखता हूं तो लोग बहुत हंसते हैं, कुछ लोग मुझे लड़की कहकर चिढ़ाते भी है। मेरे सीरियल देखने के पीछे भी एक रोचक कहानी है।

यूं तो मेरे माता-पिता गांव के रहने वाले थे। मेरे पिताजी की शादी हुई तो वह दादाजी के साथ ही जमींदारी का काम संभालते थे। कुछ समय बाद पिताजी की नौकरी सरकारी विभाग में अभियंता के पद पर लग गई। वह शहर चले गए। कुछ महीने बाद उन्हें मेरे जन्म की सूचना मिली। काम में व्यस्तता होने के कारण पिताजी दो महीने बाद आए। मेरे बेहतर परवरीश के लिए वह मुझे और मां को शहर में लेकर आ गए।

शहर का जीवन गांव से बहुत भिन्न था। मेरी मां को तो बात करने की बहुत आदत थी। गांव में तो लोगों की कमी नहीं, जिससे चाहो बात कर सकते हैं। लेकिन शहर में बिना जान-पहचान ऐसा संभव नहीं। पिताजी तो सुबह दफ्तर निकल जाते थे देर शाम को आते थे। पर मां सारे काम खत्म करने के बाद अकेला महसूस करती थी। तब पिताजी टीवी लेकर आए ताकि मां खाली समय मे देख सकें। तभी मां को सीरियल देखने की आदत हो गई। पहले तो वह दोपहर में देखती थी। फिर शाम को एक के बाद एक रात दस बजे तक सीरियल ही चलते रहता था। पिताजी को समाचार देखने में ही जद्दोजहद करनी पड़ती थी। मै भी मां के गोद में ही रहता था। समझ तो कुछ आता नहीं था पर रंग-बिरंगे लोग अच्छे लगते थे। मै जब रोया करता था मां सीरियल लगा देगी और मैं चुप हो जाता। यहां तक कि सीरियल सुनते सुनते मुझे सोने की आदत हो गई थी। शनिवार रविवार को जब सीरियल नही देता था तब तो मम्मी पापा मेरे रोने की आवाज ही आधी रात तक सुनते थे।

धीरे धीरे मैं बड़ा हुआ पर आदत वहीं रही। पिताजी से ज्यादा मैं मां के इर्द-गिर्द रहता था। रसोईघर में उनके कुछ काम भी कर देता था। जब स्कूल में गया तो सीरियल देखने की आदत छूट गई क्योंकि तब क्रिकेट और फुटबॉल खेलने में व्यस्त हो गया। रात के आठ बजे तक काॅलोनी के दोस्तों के साथ खेलते रहता था। घर में रहने पर टीवी वीडियो गेम खेलने की आदत हो गई। जब मैं पांच बरस का हुआ तो मेरी बहन हुई। उसकी भी परवरिश मेरी तरह ही हुई। वह भी मम्मी की तरह खूब सीरियल देखती थी। पर मैं वीडियो गेम खेलने के चक्कर में उन्हें टीवी देखने ही नहीं देता था। पहले तो बहन मान जाती थी पर जब वो थोड़ी बड़ी हुई तो झगड़ा करने लगती। एक दिन ऐसा ही झगड़ा हमारा हुआ।

दोपहर का समय था। मां बाहर गई थी और पिताजी दफ्तर में थे। दोपहर में पिछली रात के ही सीरियल को दुबारा दिखाया जाता है। बहन वही देख रही थी। और मैंने चैनल हटा दिया। बस हमारी लड़ाई शुरू। बात बात में उसने मुझे कंघी चलाकर मारा। मुझे तो नहीं लगी पर बदले में मैंने उसे ग्लास फेंककर मारा जो उसके सर पर जा लगा। स्टील का ग्लास था। वह बेहोश होकर गिर पड़ी। उस वक्त मैं बहुत डर गया। घर के फ़ोन से पिताजी को फोन लगाया। मां पापा उसे डाक्टर के पास ले गए। चोट वाली जगह सूजन आ गया था। वह दो दिन बेहोश रही। मम्मी पापा भी मुझसे ठीक से बात नहीं कर रहे थे। बस उनमें से किसी ने मुझपर हाथ नहीं उठाया। पड़ोस के लोग भी बहन को देखने आ रहे थे। बहुत लोगों ने मुझे समझाया कि एक ही बहन है ख्याल रखना चाहिए उसका। तब मैं 12 वर्ष का था। मुझमें समझने की क्षमता थी। उसकी कमी लगने लगी थी। मैंने भगवान से प्रार्थना किया वो ठीक हो जाए। मै उसका पूरा ख्याल रखुंगा।


दो दिन बाद उसे होश आया। धीरे धीरे वह स्वस्थ हो गई और मैं सतर्क हो गया। फिर कभी मैं उससे उलझा नहीं। शाम को या तो बाहर खेलता था या पढ़ता था। अगर कभी मन उब जाता तो टीवी में सीरियल ही देता था। वहीं बैठ जाया करता। पहले तो मैं मजबूरी में बैठ जाता था पर फिर मैंने सोचा जब मम्मी और छोटी को देखकर मजा आता है तो क्यों ना मैं भी उसी मजे के साथ देखूं। तब मुझमें इतना अक्कल आ गया था कि सीरियल में सब झूठ दिखाते हैं फिर भी बेवकूफ बनकर देखने में अच्छा लगता था। धीरे धीरे मुझे रोमांटिक सीरियल बहुत पसंद आने लगा। प्यार क्या होता है? जीवन में इसके मायने क्या हैं? अभी इन सब बातों की समझ नहीं थी। पर प्रेम कहानी देखने में मजा आता था। धीरे धीरे मैं युवावस्था के तरफ बढ़ने लगा। अब मेरे दिल में एक ख्वाहिश हो रही थी कि मैं भी किसी से प्यार करता, कोई लड़की मेरी परवाह करें, ख्याल रखें, मैं भी उसकी देखभाल करूं। मेरी आंखें उस लड़की के सपने देख रही थी। दिल भी उसका इंतज़ार कर रहा था। लड़की भी ऐसी वैसी नहीं चाहिए। बिल्कुल संस्कारी होनी चाहिए सीरियल की तरह। थोड़ा ज्यादा बोलने वाली चलेगी। झगड़ा भी कर ले कोई बात नहीं। पर मनाने पर मान जाए। और सबसे बडी बात वो सिर्फ मुझसे प्यार करें, उसका दिल सिर्फ मेरे लिए धड़के, दगा से मैं डरता हुं। अब मैंने 12 क्लास पास कर लिया। चुंकि मैं साइंस व मैथस् में तेज हुं इसलिए आगे मैंने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से साॅफ्टवेयर इंजीनियरिंग पढ़ने का सोचा है।

सीरियल में तो हीरो बाहर पढ़ने जाता है तो उसे काॅलेज में उसकी हीरोइन मिलती है। क्या हमारे हीरो की हीरोइन भी काॅलेज में मिलेगी या नहीं जानेंगे अगले भाग में...