Bahakte kadam - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

बहकते कदम - भाग 1

कहानी लिखते हुए कभी कभी हम कुछ अलग लिखने का प्रयास करते है, कभी अपनी इस कोशिश मे सफल होते है और कभी असफल, मैने भी एक ऐसी ही कोशिश की है, अपनी इस कहानी "बहकते कदम" के माध्यम से। यह कहानी थोडी बोल्ड जरूर है लेकिन कही ना कही हमारी दुनिया का ही एक सत्य है. पाठको को मेरी यह कहानी पसंद भी आ सकती है और ना पसंद भी..दोनो ही परिस्थितियो मे आपके विचारो का स्वागत रहेगा। मै अपनी इस कहानी का पहला भाग प्रकाशित कर रहा हू, कहानी को लेकर पाठको नजरीया सकारात्मक रहा तो इसके अगले भाग भी प्रकाशित करूगां।

निवदेन है की अगर आप 18 वर्ष से कम आयु के है तो इस कहानी को ना पढे, शायद ये आपके लिये नही है।)

-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

भाग-1

नैना, बातें तो सामने बैठी अपनी दोस्त संध्या से कर रही थी लेकिन उसका ध्यान कही और था, वह जानती थी की किसी की आंखे लगातार उसे देख रही है, उसके बदन पर घूम रही है, वह जानकर भी अंजान बन रही थी, क्योकी वह आंखे रोहन की थीं, रोहन जो उसकी फ्रेंड संध्या का बेटा था। अगर उम्र और ऱिश्तो की बात की जाये, तथा नैना की भी एक फैमली होती तो उसका बेटा भी आज लगभग रोहन का हमउम्र ही ही होता। लेकिन यहा बात उम्र और रिश्तो की नही थी, यहां बात थी चाहत की, रोहन जो अपनी मम्मी की सहेली नैना को बहुत पंसद करता था..शायद जवानी मे प्रवेश करने की उम्र मे मैच्योर लेडी की तरफ झुकाव आज की पीढी मे आम है, रोहन भी इसी पीढी का लडका था तो वह भी अपने नये नये आवारा हुए मन को कावू मे नही रख सका, अब इसे चाहत समझे या जवानी का भटकाव.. जो भी था लेकिन रोहन नैना की तरफ झुक रहा था, और नैना उसके मन मै एसा कुछ था या नही यह तो वह खुद भी नही जानती थी।

नैना, लगभग 40 साल की एक सफल लेकिन सिंगल महिला, जिसकी जिंदगी मे सफलता तो थी लेकिन प्यार नही। क्योकि जिससे उसकी जिंदगी मे प्यार की उम्मीदो के साथ परिवार वालो ने सात फेरो के बंधन मे उसे बांधा था, उसने उसकी जिंदगी को खुशियो से भरने की जगह बस बंधनो से बांध दिया था, नैना आजाद ख्यालो की पढी लिखी लडकी थी, कुछ समय तक तो सामाज, इज्जत रिश्तो के दबाव मे उसने अपने आजाद ख्यालो को दबाये रखा लेकिन वक्त के साथ साथ बंधन और बढते गये। नैना ज्यादा समय तक वह ये बंधन सहन नही कर पायी और उसने सामाजिक प्रतिष्ठा को ठुकराकर उसने अपनी आजादी चुनी..। आज वो आजाद भी है और सफल भी, सफलता के साथ प्रतिष्ठा इज्जत खुद ही चलकर आ जाती है, यह उसने साबित कर दिया था क्योकी जो परिवार वाले अपने पति से रिश्ता तोडने के कारण शुरू मे उससे बोलने से भी कतराते थे आज खुशी खुशी उसे फिर से अपना बताते हैं।

नैना जो चालिस के आस पास थी, अगर उम्र के नम्बर के हिसाब से तो जवानी उसे अलविदा कह चुकी थी, लेकिन वास्तविकता देखे तो जवानी शायद उसे छोडकर कही जाना ही नही चाहती थी। जब उसके साथ की लगभग सभी महिला खुद ही बुढापे मे प्रवेश कर चुकी थी तब भी नैना अपनी खूबसूरती और यौवन को बनाये हुई थी। उसका भरा हुआ शरीर, बेदाग सा चेहरा, उभरे हुए स्तन, सपाट सी कमर और थोडे से भारी निंतम्ब मिलकर एक यौवन तैयार करते थे की हमउम्र पुरुष तो दूर एक नया लडका भी उसके लिये आहे भरने लगे। उसका ड्रैसिंगसैंस भी गजब का था, जब भी वह किसी शादी या फंगशन मे जाती थी तो हर एक नजर का उस पर ठहरना एक नियम सा बन जाता था, कुछ नजरे दूर से ही उसे देखकर अपने अरमानो के पंख लगा लेती थी तो कुछ पास आकर नजदीक से उसके श्रृंगार के रस का रसपान करने की कोशिश करती थी, ऐसी थी नैना के रूप की दिवानगी, रोहन भी शायद इसी दिवानगी का शिकार हो गया था, तभी तो रोहन की आंखे लगातार उसमे कुछ ढूंढती रहती थी।

19 साल का रोहन जिसने अभी स्कूल पास किया था और कालेज मे गया था। नयी नयी जवानी, उम्र का ये मोड मन मे ना जाने क्या क्या ख्याल ले आता है, शायद इसी जवानी के बहकावे मे आकर वह नैना की तरफ बह रहा था, नैना जिसे वह कुछ समय पहले तक आंटी कहता था, आज उसके लिये स्वपन सुंदरी बन चुकी थी, ना जाने कितनी ही राते उसने नैना की डिपी वाली फोटो देखकर खुद को उसके आगोश मे महसूस किया था।

नैना जो रोहन के लिये आंटी थी, वह उसे एक बच्चे की तरह ही ट्रीट करती थी, रोहन भी उसके नजदीक होना चाहता था लेकिन उसमे अपनी तरफ से पहल करने की हिम्मत नही थी इसलिये उसे फार्मल बातो से आगे बढने का कोई मौका नही मिला। लेकिन फिर दोनो के बीच मे आया व्हाटसअप... ये व्हाटसअप बहुत कमीनी चीज है, आसपास न होकर भी हमे फील होता है की हम साथ ही है, और इसी फिलिंग मे जब बातो का दौर शुरू होता है तो पता ही नही चलता की बातो ही बातो मे रिशतो को कहा से कहा पहुचा देता है। शुरू शुरु मे थोडे डर थोडी झिझक के साथ हाय हैलो हुआ, फिर नार्मलि गुड मार्निग, गुड नाईट का खेल चला, फिर फनी जोक्स आये, रोहन दस जोक्स भेजता तब नैना एक या दो जोक्स भेजती थी, फिर आया थोडा और बोल्ड जोक्स, बोल्ड जोक समझते हो ना जिसे आम भाषा मे नानवेज जोक कहते हैं, रोहन ने बहुत हिम्मत करके वह फनी सा नानवेज जोक भेजा था, और थोडी देर बाद ही मैसेज भेज दिया सारी, गलती से आपको सेंड हो गया है, मै अपने फ्रेंडस को भेज रहा था....प्लीज आप यह ना पढे, सारी..

रोहन नैना की जिंदगी मे अपने लिये एक दरवाजा खोलना चाहता था, खुलेपन का....इसलिये उसने यह मैसेज भेजा था.......और कही कुछ गडबड ना हो जाये नैना गुस्सा ना हो जाये इसलिये खुद के बचाव मे उसने गलती से चला गया वला भी मैसेज भेज दिया.... दिमाग के साथ चल रहा था लड़का।

नैना तो सिंगल थी लेकिन उसकी फ्रेंडलिस्ट काफी बडी थी, उसके लिये ऐसा मैसेज कोई नयी बात नही थी, वह खुद अपने दोस्तो को इससे भी बोल्ड जोक्स भेजती थी, और कभी कभी विडियो भी.... वह जानती थी की रोहन नयी उम्र का लडका है, सभी एसे मैसेज भेजते है अपने दोस्तो को...इसलिये उसने कह दिया कोई नही रोहन... परेशान मत हो बच्चे.... आगे से ध्यान रखना....

बच्चा..... मैम मै बच्चा नही हू अब..मै जवान हो गया हू.......प्लीज अब तो बच्चो जैसा ट्रीट मत करो..... रोहन ने मैसेज दिया

औके मैरे जवान मुंडे ....नैना ने हसकर जवावा दिया...

मैम... थैक यू आप नाराज नही हुए, मै तो डर गया था, की आप आज मुझे खूब गुस्सा करने वाली हो, लेकिन आप बाकी महिलाओ की तरह पुराने ख्यालो की नही है, बहुत फार्वरड है, बहुत इंटेलिजैंट है,...... क्या आप मेरी दोस्त बनेंगी.... रोहन ने थोडी सी तारिफ के साथ अपनी मम्मी की दोस्त की तरफ अपनी दोस्ती का हाथ बढाया...

मै....... अरे यार मै तो तुम्हारी मम्मी की दोस्त हू, अगर उन्हे पता चला तो, शायद नाराज हो जाये वो.... नैना ने कहा

नही नही...उन्हे कुछ पता नही चलेगा...आई प्रोमिस.... अब बताओ....लेटस फ्रेंड

रोहन तुम बहुत छोटे हो, तुमसे दोस्ती करूंगी तो.. अरे यार मैने कभी बच्चो से दोस्ती नही की है..नैना ने थोडे हिचक के साथ कहा.

मैम मैने अभी कहा था ना की बच्चा नही हूं मै, कालेज मै आ गया हूं, और हमारी जनरेशन से दोस्ती नही की है तो अब कर लो, इसमे क्या है,.. लाइफ मे कभी कभी कुछ नया भी करना चाहिये, रोहन ने थोडा कानफिडेस दिखाते हुए कहा..

हम्म कह तो तुम सही रहो हो,..ओके........लेटस फैंड.... अब खुश मेरे लिटिल फ्रैंड......नैना ने कहा....

नही, खुश नही बहुत खुश ...रोहन ने एक स्माइल के साथ जवाब दिया..... और उस दिन से दो अलग अगल पीढीयो की दोस्ती का चैप्टर शुरू हो गया...

बाते चलती रही... नजदिकीया बढती रही..... नैना के मन मै दोस्ती थी... बाकी कुछ नही लेकिन रोहन के मन मै तो बहुत कुछ चल रहा था....

नैना जब भी रोहन के घर आती तो रोहन उस दिन पूरा तैयार होकर बैठ जाता था, और छुप छुप कर चोर नजरो से नैना को देखता था....।

एक दिन.. नैना ने व्हाटसअप डीपी पर अपनी एक कोलाज मे, फ्रंट और बैक दोनो साईड से शो कर रही नयी तस्वीर लगयी थी.... साडी मे... कितनी स्टाईल मे साडी बाधी हुई थी उसने... कमर पर काफी नीचे की तरफ... और ब्लाउज भी थोड उपर था, उस पर काफी बडा गला और बैक साईड मै फुल बैकलैस...। इस अंदाज मे काफी हाट दिख रही थी वह.... अपने बिस्तर पर लेटा हुआ रोहन तो एकटक उसे देखता ही रहा.....उसे नैना के इस अंदाज का नशा सा होने लगा था, नैना का नशा तो रोहन को बहुत समय से था लेकिन आज कुछ ज्यादा हो रहा था, और आज वह अपने अरमानो को सीने मे दवाकर नही रख सका था...

उसने नैना को मैसेज किया, नाईस पिक

नैना ने रिप्लाई दिया.,. थैंक यू..

मै कुछ और कहू इस पिक के बारे मे... रोहन ने कहा

हां कहो ना.... नैना ने कहा

"इश्क टपका है बादलो से

मेरे खूबसूरत इश्क

अब तू भी आ जा

मेरे आगोश मे समा जा"......... रोहन ने कहा

वाओ....शायरी, बढिया है, लेकिन इसका मतलब क्या है शायर साहब, नैना ने हसते हुए पूछा

आप..इस पिक मै बहुत हाट लग रही हो..... काश आप इस समय मेरे पास होती.... तो आपको अपनी बांहे मे भर लेता.... रोहन ने अपने अरमान नैना के सामने रखते हुए कहा

क्या.....क्या कह रहे हो तुम.....रोहन... मजाक मत करो.... पता है ना किससे बात कर रहे हो तुम, नैना ने कहा

मै मजाक नही कर रहा नैना जी... सच मे.. अगर ऐसे ड्रेस मे आप मेरे पास होती तो.... मै खुद पर कंट्रोल नही कर पाता......... रोहन ने हिम्मत दिखाकर फिर से अपने दिल की बात कही..

आर यू मैड....तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो........ आज के बाद मुझसे बात मत करना....मै तुम्हे एक दोस्त समझती थी और तुम यह सोचते हो मेरे बारे मे.....नैना ने कहा...और गुस्से मे पहले अपनी पिक हटाई और फिर रोहन को ब्लाक कर दिया....

रोहन ने एक नशे मे यह सब कह तो दिया, लेकिन नैना का गुस्से से भरा रिएकशन देखकर उसका सारा नशा उड गया, अब उसे लगा की नैना को पाने के चक्कर मे उसकी दोस्ती भी खत्म हो गयी, और हो सकता है की वह मम्मी को यह सब बोल दे, क्या बेबकूफी कर दी उसने..... उसने एक दो बार सोचा की वह काल करके नैना से माफी मांग ले, लेकिन इस सबके बाद उसकी हिम्मत नही हुई की वह काल करे.... उसका मन बहुत परेशान था...परेशानी मे वह इधर उधर करवट बदलता रहा पर पूरी रात उसे नींद नही आयी....... वह रात भर अपनी इस बेवकूफी पर खुद पर ही गुस्सा करता रहा.... ।

अगले दिन वह घर पर ही था, रात की घटना को लेकर उसका मन परेशान था, वह उदास सा अपने कमरे मे पडा था, तभी उसे घर मै किसी के आने की आवाज सुनायी दी.. उसने ध्यान से देखा ये तो नैना है... ओह्ह गाड..ये रात बाली बात मम्मी को बोलने आयी होगी...इसने फोन मे मेरे मैसेज भी होगे........अब क्या होगा.....सोचकर ही रोहन घबराने लगा......।

खुद को कैसे भी करके बचाने के इरादे से वह बहार आया... नैना ने उसे देखा, लेकिन रोहन की हिम्मत नही हुई की वह उससे नजर मिला सके..... उसने नजरे चुरा ली...

अरे रोहन नैना आंटी आयी है, तुम्ने हैलो भी नही बोला उन्हे, रोहन की मम्मी ने कहा.

आंटी....औह् मेरी मम्मा मेरे लिये ये आंटी नही है.. रोहन ने मन मै सोचा.... लेकिन कुछ कहा नही.. बस नजरे नीचे किये हुए ही..बोला हैलो..

हैलो रोहन कैसे हो, नैना ने चेहरे पर गंभीरता औढे हुए कहा...

जी ठीक हू.. रोहन ने कहा और उसने डरी से आंखो से नैना को उसके मोबाईल की तरफ इशारा किया और अपने रूम मे चला गया. रूम मे जाते ही रोहन ने मैसेज टाईप किया.... सारी नैना जी, मुझसे गलती हो गयी, प्लीज मम्मी से मत कहना, आज के बाद ऐसा कभी नही होगा... आपने मुझे अपना दोस्त कहा था प्लीज एक बार मुझे दोस्त समझ कर माफ कर दो...

अगले ही पल नैना के फोन पर मैसेज था... उसने मैसेज पढा और कुछ पल मै ही उसे चेहरे पर गंभीरता की जगह मुस्कान आ गयी। रोहन उसकी मुस्कान देख रहा था, लेकिन आज उसे नैना की मुस्कान से ज्यादा उसके रिप्लाई का इंतजार था..नैना ने कोई रिप्लाई नही किया.......बस वह संध्या के साथ बैठ कर बाते करती रही, रोहन के कान लगातार उनकी बातो पर लगे थे, लेकिन नैना ने उसके बारे मे कुछ नही कहा.......और थोडी देर गपशप करने के बाद वह वापस अपने घर चली गयी... हमेशा नैना के आने का इंतजार करने वाला रोहन ने आज उसके जाने पर थोडी राहत की सांस ली...।

नैना गुस्से के साथ रोहन के घर गयी थी लेकिन मन ने हल्की सी मुस्कुरान लेकर वापस आयी, सच तो यह है की वह सोचकर गयी थी की कल रात जो हुए वह पूरी तरह से नही लेकिन थोडा बहुत तो रोहन की मम्मी को बतायेगी, ताकी वो उसे डांटे और उसके बिगडते कदमो को कुछ लगाम लगे....। लेकिन रोहन की मुरझायी हुई शक्ल, उसकी आंखो मे डर और उसका इस तरह मैसेज करके माफी मांगना.. नैना का सार गुस्सा खत्म हो गया, उसे लगा की वह बच्चा है, यह सब बचपना है, एक बच्चे की तरह डर रहा है वह... इसलिये उसने इस बचपने को खुद ही माफ कर दिया।

जारी....................
--------------------------------------------

(दोस्तो आपको मेरी कहानी का पहला भाग कैसा लगा, कृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें, मुझे आपके अनमोल विचारो और सुक्षावो का इंतजार रहेगा।)



अरुण गौड़

Mo-8218989877