Kuchh chitra mann ke kainvas se - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

कुछ चित्र मन के कैनवास से - 5 - बहाई टेम्पिल

बहाई टेम्पिल

पार्टी के पश्चात हम बहाई टेंपल गए जो 100 लिंडन एवेन्यू विलमेटि में स्थित है । इसका पहला पत्थर 19 अप्रैल में लगाकर इसका शुभारंभ किया गया किन्तु इसका निर्माण कार्य 1921 में प्रारंभ हुआ... लगभग 32 वर्षों पश्चात इसका निर्माण पूरा हो पाया तथा उसी वर्ष इसे समाज को समर्पित कर दिया गया । इसके आर्किटेक्ट लुइस बोर्गीइस ने इस टेंपल को ऐसे डिजाइन किया है कि चाहे व्यक्ति पूर्व का हो या पश्चिम का यहां आकर मन में सुख शांति का प्रकाश न केवल लेकर जाए वरन एक दूसरे के मन में एकता और भाईचारे की भावना भी पैदा कर सके ।

इसके कुछ सिद्धांत निम्न है... यूनिवर्सल शिक्षा , सभी प्रकार की बुराइयों से मानव मात्र को दूर करना, विश्व शांति के लिए प्रयास, विज्ञान और धर्म में सामंजस्य स्थापित करना, नर और नारी में समानता का भाव उत्पन्न करना तथा आर्थिक समस्याओं का आत्मिक (स्प्रिचुअल) से समाधान करना ।

पूरे विश्व में केवल 7 बहाई टेंपल हैं, यह उनमें से एक है । सच तो यह है कि इस बहाई टेंपल का नाम यूनाइटेड स्टेट के हिस्टोरिक प्लेस (ऐतिहासिक जगहों) के रजिस्टर में इलिनॉइस स्टेट के सात आश्चर्यों में से एक के रूप में दर्ज है । बहाई टेंपल काफी बड़े एरिया में बना सफेद रंग की एक गुंबद नुमा बहुत बड़ी इमारत है । इसके गुंबद का व्यास 27.5 मीटर है । इसके चारों ओर बहुत ही अच्छा पार्क है तथा इसमें लगे फव्वारे उसकी खूबसूरती को और भी बढ़ा रहे हैं । अंदर एक बहुत बड़ा हाल है । इसकी ऊंचाई 42 मीटर है इस हाल में कुर्सियां पड़ी हुई है जिसमें 1192 व्यक्तियों के बैठने की व्यवस्था है । इस हॉल के अंदर हम लगभग 15 मिनट बैठे । हमें बताया गया कि यहां प्रवचन इत्यादि होते रहते हैं । उस समय प्रवचन तो नहीं हो रहा था पर मंदिर के वातावरण में उपस्थित प्राणवायु तथा सुव्यवस्थित व्यवस्था के कारण हमें बहुत ही शांति का अनुभव हुआ ।

दूसरे दिन अर्थात 27 जुलाई को हमें वाशिंगटन डी.सी. के लिए प्रस्थान करना था । सुबह 6:18 कि हमारी यू.एस. एयरवेज की फ्लाइट शिकागो आई.एल.( ओ. आर. डी.) से थी । एक घंटा 47 मिनट हमें शिकागो से वाशिंगटन पहुंचने में लगना था । प्रभा और पंकज जी ने हमसे कहा 4:45 बजे भी निकलेंगे तो समय से पहुंच जाएंगे । उन्होंने 5:15 बजे तक हमें एयरपोर्ट पहुंचा दिया । पहुंचते ही हम बोर्डिंग पास लेने के लिए लाइन में लग गए । सोमवार होने के कारण लाइन बहुत ही लंबी थी । लगभग 5:45 बज गए पर हमारे सामने अभी 15-20 यात्री और थे । हमने अपने सामने वाले व्यक्ति को अपनी परेशानी बताते हुए जगह देने का आग्रह किया । उसने हमारा अगले मान लिया पर उसके आगे वाला व्यक्ति नहीं माना । तब हमने स्टाफ से अपनी परेशानी बताते हुए आग्रह किया तो उसने कह दिया कि आप पहले क्यों नहीं आए ? अब हमने स्वयं को भाग्य के हवाले छोड़ दिया । दुख तो इस बात का था कि बोर्डिंग पास देने वाला व्यक्ति इस बीच दो-तीन बार अपनी जगह से उठा तथा कई मिनट उसने अपने सहयोगी से बातों में बिता दिए तब हमें ऐसा महसूस हुआ कि हमारा भारत व्यर्थ इस तरह की अव्यवस्था के लिए बदनाम है, यहां भी तो कुछ इसी तरह के हालात है ।

आखिर हमारा नंबर आ गया बोर्डिंग पास लेकर हम सिक्योरिटी चेक में गए वहां भारत के विपरीत हमसे चूड़ी, घड़ी, जूते ,चप्पल तथा बेल्ट हटाने के लिए कहा गया । वहां से क्लीयरेंस पाकर हम उस गेट की ओर बड़े जहां से हमारे विमान को जाना था । स्पष्ट दिशा निर्देशों की वजह से कहीं भी कुछ पूछने की आवश्यकता नहीं पड़ी । एयरपोर्ट बहुत बड़ा था निर्धारित गेट पर पहुंचने के लिए काफी चलना पड़ा । 3 -4 फ्लैट एक्सलेटर हमने लगभग दौड़ते हुए पार की । जब हम निर्धारित गेट पर पहुंचे तो हमने पाया कि हमारा नाम सामने स्क्रीन पर डिस्प्ले हो रहा है । हमने वहां उपस्थित स्टाफ से बात की । उन्होंने कहा गेट बंद हो चुका है अतः अब हम कुछ नहीं कर सकते ...हां नेक्स्ट फ्लाइट में आपको अपडेट कर दिया जाएगा । हालांकि इस प्रक्रिया में कोई परेशानी तो नहीं हुई पर अगली फ्लाइट 2 घंटे बाद की थी अगर हमारी फ्लाइट मिस नहीं हुई होती तो अब जिस समय हमें चलना है उस समय हम वाशिंगटन में उतर रहे होते । हम काफी निराश थे क्योंकि वाशिंगटन में हमारा स्टे सिर्फ 1 दिन का था । हमें लग रहा था अगर वहां हम सुबह जल्दी पहुंच जाएंगे तो पूरा दिन घूमने के लिए मिल जाएगा पर अब आधा दिन तो यूं ही बीत रहा था शेष आधा दिन ही बचा था । वैसे भी शिकागो और वाशिंगटन के टाइम में 1 घंटे का अंतर है अगर शिकागो में 9:00 बज रहे हैं तो वाशिंगटन में 10:00 बज रहे होंगे आखिर हमारी फ्लाइट का समय हो गया और हम चल पड़े ।

सुधा आदेश

क्रमशः