Kaisa ye ishq hai - 73 books and stories free download online pdf in Hindi

कैसा ये इश्क़ है.... - (73)

शान को देख शोभा जी बोली क्या बात है प्रशांत!आज तुम्हारे चेहरे पर ये मुस्कुराहट देख मुझे बहुत खुशी हुई।बस ऐसे ही हंसते मुस्कुराते रहा करो।

शोभा जी की बात सुन शान बोले इस मुस्कुराहट की वजह बहुत जल्द ही सबके सामने आयेगी अभी मैं कुछ नही कह सकता।

मैं कुछ समझी नही प्रशांत!शोभा जी ने हैरानी से कहा जिसे सुन प्रशांत बोले ताईजी बहुत जल्द हम सब की उलझी हुई जिंदगी सुलझने वाली है कुछ ऐसा होगा जिसकी आप ने कल्पना भी नही की होगी।बस सही समय आने दीजिये।

ठीक है प्रशांत।तुम्हारे उस सही समय की मुझे प्रतीक्षा रहेगी।वैसे तुम्हारी अकाडमी का काम कैसा चल रहा है।शोभा जी ने शान से पूछा।

वो कार्य भी ठीक चल रहा है ताईजी।आप बताइये घर पर बड़ी भाभी को ऑफिस सम्हालने में कोई परेशानी तो नही आ रही है।वो सब अच्छे से कर पा रही हैं न।प्रशांत ने पूछा तो उसकी बात सुन शोभा जी खुश होते हुए बोली अच्छा लगा मुझे ये सुनकर कि तुमने खुद से अपने ऑफिस के बारे में पूछा।स्नेहा को कोई समस्या नही आ रही है।बल्कि अब तो स्नेहा के साथ किरण भी है दोनो मिलकर बखूबी काम सम्हाल रही है और फिर अपनी श्रुति भी तो है।

ओके ताईजी।अब सब ठीक होने वाला है बहुत जल्द मैं आप सब के पास वापस लौटूंगा न जाने क्यों मेरे अंतर्मन में एक खुशी की लहर उठ रही है और ऐसा एहसास हो रहा है अब सब कुछ बदलने वाला है।प्रशांत ने अर्पिता के बारे में सोचते हुए कहा जिसे सुन शोभा जी बोली क्या हुआ प्रशांत बड़े दिनों बाद यूँ खुल कर बातें कर रहे हो।

शोभा की बाते सुन प्रशांत बोले अब मैं कुछ नही कहूंगा कुछ समय बाद आप सबको इसका कारण पता चल ही जायेगा।मुझे बस इतना पता है जिसकी मुझे तलाश थी वो तलाश पूरी हो चुकी है ताईजी।इस आवारा को उसकी मंजिल मिल चुकी है।आवारगी खत्म हो कर मेरी जिंदगी का नया सफर शुरू होने वाला है।

अब आप लोग रेस्ट करो मैं कुछ कार्य के लिए बाहर जाकर कुछ देर में आता हूँ।शान ने कहा और उठकर वहां से चले जाते हैं।शोभा जी उसकी गोल मोल उलझी बातों में ही उलझ जाती है उसके जाने के बाद शोभा जी चित्रा की ओर सवालिया नजरो से देखती है तो चित्रा बोली ताईजी इनकी खुशी का कारण एक ही है अर्पिता!वो इन्हें मिल चुकी है।इस रविवार जब ये मसूरी गये तब वहां इन्हें अर्पिता मिली थी।उससे पहले कि ये उससे कुछ कह पाते वो वहां से भी चली गयी लेकिन जाते हुए वो एक निशानी अपना दुपट्टा छोड़ गयी।जिसे वो बड़े ही जतन से सम्हाल कर रखे हैं।तब से इनके स्वभाव में परिवर्तन खुद ब खुद आ रहा है।इनके चेहरे पर मुस्कुराहट भी लौट आयी है।

चित्रा की बात सुन श्रुति भावुक हो गयी और चित्रा से बोली सॉरी चित्रा दी!मेरी वजह से आपको भाई के साथ इस अनचाहे रिश्ते में बंधना पड़ा।न ही मेरे जिद करने पर भाई यहां से मेरे मंडप में आते न ही लोग आपके और भाई के रिश्ते पर लांछन लगाते और न ही मेरी शादी टूटती न ही आपको और भाई को ये सब करना पड़ता।सॉरी दी कहते हुए श्रुति चित्रा के गले लग जाती है।उसे यूँ रोता हुआ देख चित्रा बोली इसमे तुम्हारी कोई गलती नही थी श्रुति वो बस नियति थी और कुछ नही।अब सब सही होने जा रहा है तो रोना क्यों?हमारी शादी तो सिर्फ कागजो में ही हुई है बस एक साइन किया और हो गयी शादी।क्या एक कागज के टुकड़े पर साइन करने मात्र से शादी हो जाती है श्रुति बोलो नही न। हमारे भारतीय रिवाजो में शादी तो एक उत्सव की तरह होती है यूँ कागजो पर नही।न ही प्रशांत जी ने मेरे साथ सात फेरे लिए , न ही मांग में सिंदूर भरा और न ही गले में मंगलसूत्र पहनाया बिना इन रिवाजो के कैसी शादी श्रुति।प्रशांत जी ने तो सिर्फ अर्पिता से प्रेम किया है उन्होंने शादी भी उसी से ही की है और आजतक उसी रिश्ते को निभा रहे है अब जब उनका इंतजार पूरा हो रहा है तो मुझे भी इस बात की खुशी है।चित्रा ने भावुक होते हुए धीमे से कहा।जिसे सुन शोभा बोली, चित्रा तुमने जो हमारे परिवार के लिए त्याग किया है उसे हममें से कोई नही भूल सकता।कहते हुए शोभा जी अपने हाथ जोड़ती है तो चित्रा न कहते हुए उनके पास आकर उनके हाथ पकड़ लेती है।दोनो की ही आँखे भरी हुई है।वो धीरे धीरे कहती है आंटी जी अब तो समय मुस्कुराने का है।इन आंसुओ का नही है।

शोभा जी उसकी ये बात सुन भावुक हो गयी और बोली आखिर अब सब उलझने सुलझने वाली है।लेकिन चित्रा बेटा तुम..कहते हुए वो खामोश हो जाती हैं।

दादी जी आप आ गयी त्रिशा ने स्कूल से आते हुए दरवाजे से शोभा को देख आवाज दी और दौड़ते हुए उनके पास चली आती है। उनके पीछे त्रिशा का स्कूल बेग पकड़े शान भी चले आते हैं।

त्रिशा को देख चित्रा श्रुति और शोभा जी तीनो अपने आंसुओ को जल्दी से पोंछ लेती है और मुस्कुराने लगती हैं।प्रशांत जी तीनो की ओर देखते है तो समझ जाते है कि चित्रा ने ताईजी को अर्पिता के बारे में बता दिया है।

चित्रा उठती है और त्रिशा का बैग लेकर उसकी जगह पर रख देती है।वो कमरे में जाकर अपनी आंखों के किनारो को पोंछते हुए कहती है बहुत मुश्किल होता है प्रेम को निभाना लेकिन मुझे खुशी है कि मुझे जीवन में दोबारा जिससे प्रेम हुआ उसके जीवन में कुछ काम तो आ सकी।सच ही कहते है लोग प्रेम करना बहुत आसान होता है लेकिन उससे भी मुश्किल होता है प्रेम को निभाना।क्योंकि ये इश्क़ कभी कभी ऐसी परीक्षाएं लेता है जो व्यक्ति को या तो कमजोर बना सकती है या फिर शिला जैसी मजबूत चित्रा अपने आंसू पोंछ बाहर चली आती है।

प्रशांत जी शोभा जी से बोले ताईजी अब चले घूमने।समय हो चुका है हमे निकलना चाहिए।

हम्म ठीक है प्रशांत शोभा जी ने खामोशी से कहा।सभी बाहर खड़ी बुक्ड कैब में आकर बैठ जाते हैं।उनके जाने के बाद कुक के पास किसी का फोन आया उसने कुछ देर बात की और फोन रख मुस्कुरा देता है।

ड्राइवर गाड़ी दौड़ा देता है और सभी शिमला की बर्फीली वादियो में पहुंच जाते हैं।वहां पहुंच शान बोले आप सभी आगे चलकर बैठिये मैं बस अभी कुछ ही देर में आया।ठीक है प्रशांत शोभा जी ने कहा तो शान वहां से निकल जाते है।

अर्पिता भी प्रीत को लेकर वहां आयी हुई है।और वो प्रीत के साथ वहीं खेल रही है।जब कभी प्रीत अपने नन्हे नन्हे ग्लव्स पहने हुए हाथो से अर्पिता के ऊपर बर्फ के कुछ गोले उछालता तो अर्पिता उसे पकड़ते हुए गोद में उठा कर झुला देती।जब अर्पिता की गोद से नीचे उतरता तो प्रीत बर्फ में खसोंट करते हुए छोटे छोटे घरौंदे बनाने लगता है तो अर्पिता भी मुस्कुराते हुए उसका साथ देने लगती है।अर्पिता का फोन रिंग होता है जो पूर्वी का होता है वो प्रीत का हाथ थाम फोन अटैंड करती है तो नटखट प्रीत हाथ छुड़ा कर बर्फ में दौड़ जाता है।

ओह हो प्रीत फिर से बदमाशी।रुकिए थक जाएंगे आप आगे बहुत ठंडा है प्रीत उधर मत जाइये।अर्पिता की आवाज सुन प्रीत रुक गया और वापस आने लगता है।ये देख अर्पिता फोन पर पूर्वी से बोली पूर्वी हम घर पहुंच कर बात करते हैं और फोन रख देती है।इतने में ही नटखट प्रीत वहां से कुछ दूर बैठे शोभा श्रुति चित्रा त्रिशा और नृपेंद्र जी को देखता है तो उनकी और दौड़ जाता है।अर्पिता सामने प्रीत को न देख घबरा जाती है।वो फोन कट कर चारो ओर प्रीत को देखती है जो शोभा जी के पास जाकर उनसे थोड़ी दूर पीछे रुक जाता है।

प्रीत!बच्चे कहां है आप मम्मा बुला रही है आवाज दीजिये प्रीत।अर्पिता प्रीत को आवाज देते हुए बोली।वहीं कोई आवाज नही आती तो अर्पिता प्रीत को देखते हुए थोड़ा आगे बढ़ कर देखती है।

वहीं शोभा जी की नजर सामने खड़े प्रीत पर पड़ती है गोरा रंग माथे तक बिखरे बड़े बाल हल्की बड़ी कजरारी आँखे मुलायम से गुलाबी होंठ पैरो तक गर्म कपड़ो में खड़ा लगभग साढ़े तीन वर्ष का प्रीत उनकी ओर ही देख रहा है।दोनो हाथो को सामने करे वो एकटक उन्हें ही देखे जा रहा है।जैसे वो उन्हें पहचानने की कोशिश कर रहा हो।शोभा जी ने उसे देखा वो मुस्कुराई उठी और प्रीत के पास बढ़ी और उसे गोद में उठाने का प्रयास करते हुए हुए बोली आप यहां अकेले क्या कर रहे है?आपके मम्मा पापा कहां है।

प्रीत दो कदम पीछे हट जाता है और बिन कुछ कहे वापस अर्पिता की ओर दौड़ आता है।प्रीत को यूँ दौड़ता देख शोभा जी बोली धीरे धीरे बच्चे गिर गये तो चोट लग जायेगी।और वापस से चित्रा और श्रुति के पास आकर बैठ जाती है।वो अर्पिता के पास आकर उसका आँचल पकड़ छुप जाता है।प्रीत को यूँ देख अर्पिता उसे उठा कर गले से लगा लेती है और बोली कहां चले गये थे आप प्रीत।मम्मा को बताया भी नही बैड मैनर्स है ये।आपको कहीं जाना था तो मम्मा को बता कर जाते पता है मम्मा कितना परेशान हो गयी थी।

छोली मम्मा प्रीत ने चिर परिचित अंदाज में कहा तो अर्पिता मुस्कुराते हुए उसे गले से लगा लेती है।और बोली तो अब हम घर चले प्रीत अब ठंडी बढ़ेगी।

ओके मम्मा प्रीत ने कहा तो अर्पिता उसे लेकर घर के लिए निकलती है।

शान कुछ देर बाद शोभा नृपेंद्र जी श्रुति और चित्रा के पास पहुंचते है और सभी मिल कर वहां खूब एन्जॉय करते हैं एवं रात होने से पहले घर वापस आ जाते हैं।

शाम का खाना खाकर सभी निद्रा की आगोश में चले जाते हैं।वहीं अपने रूम में मौजूद अर्पिता प्रीत के सोने के बाद अपने फोन पर वर्क से रिलेटेड नोटिफिकेशन चेक करती है।जहां उसे कल दो जगह इंटरव्यू के लिए जाना है।उसने शिमला में ही बच्चो के एक प्ले स्कूल में जॉब के लिए अप्लाई किया है वो ऐसी जगह जॉब करना चाहती है जहां वो प्रीत को अपने साथ रख सके उस पर ध्यान दे सके।दोनो ही जगह के अड्रेस समझ वो फोन बंद कर रख देती है और प्रीत को गले से लगा नींद की आगोश में चली जाती है।

अगली सुबह शान सबको बता कर अपनी अकैडमी निकल जाते है।वहां रोज से कुछ ज्यादा ही चहल पहल देख थोड़े हैरान होते हैं।वो वहां से सीधे अभिनव कुमार के केबिन में जाते है।जहां टिया भी मौजूद होती है।शान को देख अभिनव बोले भाई अजय अब तो तुम अपने लिए एक फोन ले ही लो अब कोई जरूरी बात हो वो ही न कह पाओ तुमसे।

क्या हुआ मिस्टर अभिनव शान ने पूछा तो अभिनव बोले भाई टिया के सक्सेस की खुशी में आज शाम को पार्टी है और अकैडमी के मैनेजर का ही कुछ अता पता नही है।अकैडमी के शाम के बैच की इमरजेंसी छुट्टी कर दी है।क्योंकि शाम को यहां सारे अरेंजमेंट्स भी तो करने है।

शान बोले पार्टी इस शाम में।रात को जब तक पार्टी खत्म होगी तब तक ठंड बढ़ जायेगी।सारे गेस्ट को जल्द ही घर जाने की पड़ेगी फिर पार्टी एन्जॉय कौन कर पायेगा।

अभिनव ने हंसते हुए शान की ओर देखा फिर शांत होते हुए बोले पता था तुम पार्टी से बचने के लिए ऐसा ही कुछ कहोगे तो मेरे भाई ये पार्टी देर शाम को नही चार बजे से शुरू हो जायेगी और देर रात होते होते खत्म भी हो जायेगी अब बेटी की सक्सेस पार्टी है तो इतना तो बनता है।

ठीक है फिर मैं क्लास में जाता हूँ शान ने कहा।

तो अभिनव बोला :- हां बिल्कुल लेकिन पार्टी में आपको अकेले नही आना है।इस बार चित्रा जी को भी बुलाकर लाना आप।

देखते है शान ने कहा और वहां से क्लास में चले जाते हैं।उनके जाने के बाद टिया मन ही मन मुस्कुराई और सोची आज की पार्टी में कुछ ऐसा होगा मिस्टर अजय कि या तो तुम खुद ब खुद मेरे प्यार को स्वीकार करोगे या फिर मैं कुछ ऐसा करूँगी कि आपके लिए इस प्यार शब्द का अस्तित्व ही मिट जायेगा।आपको पाना मेरा जुनून है मेरा मकसद है क्या करूँ मुझे इश्क़ हो गया है आपसे और जब तक आपको पाउंगी नही मुझे सुकून नही मिलेगा।

टिया को यूँ मुस्कुराता देख अभिनव बोले क्या बात है टिया किस बात पर तुम्हे इतनी खुशी मिल रही है कि तुम्हारे चेहरे से हंसी जा ही नही रही है।

टिया हंसते हुए बोली ये पार्टी की खुशी है डैड!और किसकी होगी।आप अपना कार्य देखिये मैं बाहर की तैयारियां देखकर आती हूँ।टिया बाहर चली आती है बाहर आकर वो चारो ओर की तैयारी देख कर वो एक खाली रूम में जाकर बैठ जाती है।

उधरअर्पिता एक जगह साक्षात्कार देकर दूसरी जगह एक प्ले स्कूल में इंटरव्यू के लिए जाती है।प्रीत को हेड ऑफिस के बाहर बिठाते हुए उससे बोली प्रीत जब तक मम्मा अंदर से बाहर नही आती अब यहीं बैठकर हमारा इंतजार करेंगे।मम्मा से प्रोमिस कीजिये कि आप यहां से कहीं नही जाएंगे चलिये कीजिये प्रोमिस कहते हुए वो अपना हाथ आगे बढ़ा देती है तो प्रीत उसके हाथ में अपना हाथ रख देता है।अर्पिता उसके माथे को चूमते हुए कहती है गुड बॉय मम्मा बस अभी आई ठीक है उसने प्रीत से कहा और अंदर जाकर स्कूल के हेड से मिलती है।वो एक प्रौढ़ महिला है जो उसे बताती है -

अर्पिता !हमारे यहां वैकेंसी थी जो कुछ देर पहले ही फुलफिल की जा चुकी है जैसा कि आपने अपने बॉयोडाटा में मेंशन किया हुआ है कि आपको संगीत शिक्षिका का अभ्यास है तो आपको मैं एक अकैडमी का पता बता देती हूँ वहां एक शिक्षिका की आवश्यकता है आप अभी एक बार जाकर साक्षात्कार दे आइये।क्योंकि अकैडमी है तो शाम सात बजे तक आप वहां जाकर बातचीत कर सकती है।उन्हें जो क्वालिटीज शिक्षक के लिए चाहिए अगर आप वो फुलफिल कर पाई तो वो जॉब आपको मिल सकती है।

जी अवश्य!हम अवश्य जाएंगे अर्पिता ने कहा।वो हेड उन्हें अकैडमी का पता देती है तो अर्पिता धन्यवाद कह उन्हें प्रणाम कर वहां से बाहर आती है और बेंच पर बैठे प्रीत को साथ ले वहां से अकैडमी जाने के लिए निकल जाती है।

अकैडमी में पार्टी शुरू हो चुकी है।अकैडमी के मैनेजर होने के कारण शान को जबरन उस पार्टी में रुकना पड़ता है।टिया अपने डैड में साथ उस पार्टी में आ जाती है।उसने ब्लैक रंग का चमकता हुआ स्लीवलेस गाउन पहना हुआ है।चेहरे पर हल्के रंग के टच अप के साथ हाई बन विथ डायमंड नोजपिन जिसकी चमक सबको उसकी ओर देखने पर मजबूर कर रही है।शान इन सब चमक दमक से दूर पार्टी में शामिल कुछ एक जान पहचान के लोगों से मिल रहे हैं।शान को देख टिया ने अपने डैड की ओर देखा और बोली डैड ये मिस्टर अजय की पत्नी नही आई आपने उन्हें इन्वाइट नही किया।

अभिनव बोले :-बेटे आपके सामने ही तो किया था।शायद उन्हें पार्टी में आना जाना पसंद ही नही है।

ओके डैड मैं जरा अजय से मिलकर आती हूँ कहते हुए वो शान के पास पहुंच गयी और बोली हेल्लो मिस्टर अजय पार्टी कैसी लगी।

शान :- पार्टी अच्छी है।
टिया :- ओके।आप अकेले आये हो आपकी पत्नी नही आई ?
शान :-पत्नी वो समय की पाबंद है जब उनकी आवश्यकता होती है वो मेरे पास आ जाती है।

टिया :- ओह ऐसा।कैन वी परफॉर्म अ म्यूजिकल सॉन्ग टुगेदर मिस्टर अजय?

सॉरी ! मुझे सिर्फ मेरी पत्नी के साथ गाना पसंद है।शान ने कहा और दूसरी ओर बढ़ गये।कुछ देर यूँ ही घूमते हुए बोरियत महसूस होने पर शान अभिनव से कुछ देर में आने का कह पार्टी से बाहर निकल कर खुली हवा में चले जाते हैं।प्रशांत को गया हुआ देख टिया पार्टी में मौजूद दो व्यक्तियों की ओर अपने दाये हाथ की अंगुलिया उठा पीछे जाने का इशारा कर देती है।वो दोनो पीछे निकल जाते है और टिया के निर्देशानुसार उन्हें क्लोरोफॉर्म की मदद से बेहोश कर अकैडमी के ही बाहर बने एक रूम में ले जाने लगते है।

वहीं अर्पिता प्रीत के साथ अकैडमी के दरवाजे पर ऑटो से उतरती है।घड़ी में इस समय साढ़े पांच बज रहे हैं थोड़ा सा झुटपुटा होने लगता है।अकैडमी की साज सज्जा देख वो थोड़ा हैरान होती है और मन ही मन सोचती है शायद आज यहां कोई स्टूडेंट्स से रिलेटेड कोई फंक्शन हो रहा है।हमे बस अपना साक्षात्कार देना है एवं परिणाम जान कर वापस चले आना है।उसने एक गहरी सांस ली और अंदर की ओर कदम बढ़ा देती है।प्रीत उसके कंधे पर ही सो चुका है ये जान वो उसे शॉल ओढा देती है।

सामने अर्पिता को देख वो लोग तुरंत ही वहीं मुंह फेर कर खड़े हो अभिनय करते हुए कहते है भाई जब लोग खुद को सम्हाल नही सकते तो क्या सोच कर नासमझों जैसा कार्य करते हैं।

वहीं अर्पिता को शान के आसपास होने का एहसास होता है वो बैचेनी से चारो ओर देखती है लेकिन उसे कोई नजर नही आता।

अर्पिता शान के पास से गुजरती है मुंह फेर देने के कारण वो उन्हें देख नही पाती है तो कायनात की साजिश उन्हें फिर जोड़ देती है और उसे रुकना पड़ता है।उसका हृदय जोर से धड़कता है वो पीछे मुड़ देखती है तो शान के सर को एक व्यक्ति के कंधे से टिका देखती है और फिर उसकी नजर नीचे लटके हाथ में अटके दुपट्टे पर पड़ती है।शान इस अवस्था में वो भी इस समय कुछ तो गड़बड़ है।सोचते हुए उसने आगे बढ़ रहे दोनो व्यक्तियों को तेज आवाज देते हुए कहा, रुकिये..?
आवाज सुन उनमे एक व्यक्ति जो साथ चल रहा है वो अर्पिता की आवाज सुन पीछे मुड़ा और गम्भीरता से बोला जी कहिये आपको कुछ कहना है शायद?

हमे जानना था कि ये जो आपके साथ व्यक्ति है इन्हें आप कहां लेकर जा रहे है देखने से तो ये होश में नही लग रहे हैं।

व्यक्ति पहले तो सकपकाया फिर अपने पार्टनर की ओर देखने लगा।उसकी घबराहट से ये साफ समझ आ रहा है कि वो ये कार्य पहली बार कर रहा है।अर्पिता ने उसकी घबराहट को भांप लिया और कड़क आवाज में बोली बताते हो या फिर हम यहां सबको इकट्ठा कर ले।बताओ इन्हें कहां ले जा रहे हो?

अरे वो इन्होंने बहुत ज्यादा ड्रिंक कर ली इसीलिए ये लोग इन्हें इनके घर छोड़ने जा रहे है आप लोग जाओ इन्हें इनकी मंजिल पर पहुंचा दो टिया ने बाहर आते हुए कहा।टिया की आवाज सुन अर्पिता ने उसकी ओर देखा तो वो लोग शान को लेकर आगे बढ़ने लगते हैं।टिया को देख अर्पिता एकदम से बोलती है टिया कुमार द लीजेंड यहां।

वहीं टिया उसे देख तुरंत पहचान लेती है और मन ही मन बोली ये फिर मेरे सामने पड़ गयी।अब इसे सबक तो मैं बाद में सिखाऊंगी अभी के लिए इसे यहां से रफूचक्कर करना आवश्यक है।वो बोली तुम जिस काम के लिए आई हो वो करो न यहां क्यों खड़ी हो पार्टी अंदर चल रही है जाओ अंदर।जल्दबाजी में टिया इस बात पर ध्यान ही नही देती कि अर्पिता वहां पार्टी में क्यों आयेगी..?
अर्पिता सवालिया नजरो से उसकी ओर देखती है तो टिया फिर बोली अब जाओ भी यहां मेरे सर पर क्यों खड़ी हो जाओ...!

वहीं दुपट्टे में फिर से खिंचाव के कारण अर्पिता का ध्यान टिया से हट शान पर जाता है शान और ड्रिंक !पॉसिबल ही नही है यहाँ कुछ गड़बड़ है हमे समझदारी से कार्य लेना होगा प्रीत हमारे साथ ही है। हमे इन पर नजर रखनी पड़ेगी देखना होगा ये लोग हमारे शान को लेकर कहां जा रहे है।अर्पिता ने मन ही मन सोचा और कहने लगी एक मिनट रुकिये।सुनकर दोनो व्यक्ति रुक गए।अर्पिता आगे कदम रखते हुए अपने आँचल का छोर हटाकर आगे बढ़ जाती है।कुछ आगे बढ़ कर वो थोड़ी ओट में होने पर वहीं रुक जाती है और उन पर दृष्टि रखने लगती है।वो लोग शान को अकैडमी से बाहर सटकर बने एक रूम में ले जाकर बेड पर छोड़ देते है।टिया अपने डैड को फोन करती है और कुछ देर में आने का बोल कॉल कट कर देती है।वो दोनो शान को कमरे में बेड पर छोड़ कर बाहर आते है।टिया ने आसपास देखा कोई नही है इस बात से संतुष्ट हो वो धीमी आवाज में बोली काम हो गया न तो अब जाकर पार्टी में एन्जॉय करो।इसका क्या करना है अब मैं देख लूंगी और हां अपनी आँखे और मुंह दोनो को ही बन्द रखना है ठीक।

'जी' कह दोनो अकैडमी के अंदर की ओर चले आते हैं उन्हें अपनी ओर आते देख अर्पिता तुरंत वहां से हट एक ओर जा फोन अपने कान से लगा बात करने का अभिनय करने लगती है।वो दोनो एक नजर उसे देखते है और अंदर पार्टी में चले जाते है।उनके जाते ही अर्पिता तुरंत ही बाहर की ओर बढ़ जाती है।वही टिया कमरे के अंदर चली जाती है और दरवाजा लॉक्ड कर लेती है....

अर्पिता दरवाजे तक पहुंच जाती है।उसे बन्द देख कुछ अनिष्ट की आशंका से उसका हृदय कांप जाता है।शान आप अंदर अपने होश में नही है ऐसे में इस बद्तमीज लड़की का आपके पास होना और उस पर ये बन्द दरवाजा! हमे अंदर जाने का कोई न कोई रास्ता ढूंढना होगा।लेकिन कैसे ये दरवाजा कैसे खुलेगा...!खिड़की शायद यहां कहीं खिड़की हो बड़बड़ाते हुए वो कमरे के चारो ओर राउंड लगाती है लेकिन खिड़की का कहीं निशान तक नही है।हे ठाकुर जी अंदर हमारे शान इस बद्तमीज लड़की के साथ..नही हमे कुछ सोचना होगा कुछ सोच वो कमरे के दरवाजे इसे इतर दीवार के पास दोबारा जाती है वहां बेंच देख वो प्रीत को उस पर लिटाते हुए धीमे से बोली प्रीत आप बस यहीं रेस्ट करो मम्मा बस अभी आई ठीक है।कहते हुए उसने प्रीत के माथे को चूमा और उठकर अकैडमी के मुख्य दरवाजे से अंदर बने गार्ड रूम की ओर जाकर वहां तैनात गार्ड से कहती है सुनिये वो आपकी एक गेस्ट जो काले कपड़ो में अभी यहां से बाहर के उस कमरे में गयी थी वो अंदर कमरे में लॉक्ड हो गयी है कमरे का दरवाजा जाम हो गया है प्लीज आप कुछ कीजिये चलिये उनकी मदद कीजिये।प्लीज चलिये न अंदर पार्टी चल रही है अच्छा लगेगा की आपके यहां के एक गेस्ट को असुविधा हो।अर्पिता ने बातें बनाते हुए कहा।

जिसे सुन गार्ड बोला हां आप सही कह रही है हमारे यहां पार्टी में गेस्ट को असुविधा हुई तो मेरी नौकरी भी जा सकती है चलिये मैडम गार्ड ने अर्पिता से कहा।

वहीं अंदर सबसे बेखबर शान को बेहोश बेड पर देख टिया मुस्कुराते हुए बोली कहा था मिस्टर अजय मैं तुम्हे अपना बना कर रहूंगी और आज मेरे जुनून ने वो समय ला भी दिया।आज तुम्हे मेरा होना होगा।तुम्हे पाने का मेरा जुनून आज पूरा होगा।कहते हुए वो वहीं खड़ी हो शान की ओर देखते हुए आगे बढ़ती है।

टिया शान तक पहुंच उसे स्पर्श करने को होती है तब तक गार्ड दरवाजा धकेलते हुए बाहर से उसे आवाज लगाता है, हेल्लो कौन है अंदर,जो भी है कृपया परेशान मत होना मैं अभी इस जाम हुए दरवाजे को खोलने की कोशिश करता हूँ।कहते हुए वो जोर जोर से दरवाजे को हिलाने लगता है।अर्पिता वहीं खड़ी बैचेनी से हाथो को कसे हुए दरवाजा खुलने का इंतजार कर रही है।

अंदर मौजूद टिया आवाज सुन अपने हाथ पीछे कर तुरंत पीछे हट बड़बड़ाती है अब ये कौन सा नया तूफान आ गया।ओह गॉड अब तो मुझे कुछ न कुछ करना ही होगा करना क्या इस गार्ड को दरवाजा खोल यहां से जाने को बोलना होगा तभी ये यहां से जायेगा।उसने शान की ओर देखा और बड़बड़ाई मैं अभी आई मिस्टर अजय और दरवाजे के पास जा दरवाजा खोल सामने खड़ी होकर बोली क्या है..?आगे कुछ कहती इससे पहले ही अर्पिता ने साइड से सामने आकर जोर से दरवाजे में धक्का दिया टिया सम्हल नही पाई और एक तरफ लुढ़क जाती है तो अर्पिता बिन एक पल की देर किये सीधे अंदर चली आती है....

क्रमशः ..